भाषण

संयुक्त पत्रकार वार्ता: डेविड कैमरून तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री डेविड कैमरून तथा भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यूके की अपनी यात्रा के दौरान एक संयुक्त पत्रकार वार्ता को सम्बोधित किया।

UK PM David Cameron and Indian PM Narendra Modi hold joint press conference

Prime Minister Modi Press Conference

डेविड कैमरून

आप सभी को धन्यवाद; नमस्कार! आज सरकार में आने के बाद पहली बाद लंदन की यात्रा पर श्री मोदी की लंदन यात्रा बड़े हर्ष की बात है। लगभग एक दशक में ये पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं, तथा यह दोनों देशों के बीच एक नया अध्याय आरंभ करने का एक वास्तविक मौका है। मैं मानता हूं हम पहले से एक स्वाभाविक सहयोगी हैं, और दुनिया के एक सबसे प्राचीन और सबसे बड़े प्रजातंत्र की हैसियत से हम आपस में कई मूल्यों को साझा करते हैं। और हमारे लोगों के बीच के रिश्ते हमें आपस में साथ बांधते हैं, यानी 1.5 मिलियन भारतीय लोग जो यहां यूके में रहते हैं, जो दुनिया के किसी देश में रहने वाले दूसरे बड़े भारतीय समुदाय हैं।

इसके बावजूद मैं नहीं मानता कि हम इस रिश्ते की असली संभावनाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। और यही श्री मोदी तथा मैं बदलना चाहते हैं। हम एक अधिक महत्वाकांक्षी, आधुनिक सहयोग स्थापित करना चाहते हैं, जहां हम अपनी ताकतों का दोहन करेंगे तथा दीर्घकालिक रूप से साथ मिलकर कार्य करेंगे ताकि अपने देश में तथा 21 सदी के दौर में विदेशों में हमारे भविष्य को आकार देने में मदद मिल सके। नेताओं के तौर पर हम रोजगार सृजन करने तथा सभी को अवसर प्रदान करने, अपने लोगों की आतंकवाद से रक्षा करने तथा जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपट की समान प्राथमिकताओं को साझा करते हैं।

और इसलिए हमारा साथ मिलकर काम करना सही है। इसलिए आज हमने चर्चा की कि कैसे हम आपस में एक मजबूत आर्थिक सहयोग, रक्षा सहयोग तथा एक ताकतवर वैश्विक सहयोग स्थापित कर सकते हैं। और मैं हरेक के लिए एक शब्द कहता हूं।

पहला, हमारा आर्थिक सहयोग। ब्रिटेन भारत में यूएसए के बाद सबसे बड़ा निवेशक है। ब्रिटिश व्यावसाय पहले ही भारत में लगभग 700,000 रोजगार सृजित कर रहे हैं तथा यूके शेष युरोपियन यूनियन से संयुक्त रूप से कहीं अधिक निवेश भारत में करता है और पिछले साल 8,000 नए रोजगारों का सृजन किया। और इस यात्रा के दौरान ब्रिटिश तथा भारतीय कंपनियों ने नए सहयोग की घोषणा की, जो साथ मिलकर £9 बिलियन से अधिक का सहयोग है।

पर मेरा मानना है कि इससे कही और आगे जाने की गुंजाइश है। आज हमने भारत के बारे में प्रधानमंत्री श्री मोदी के दृष्टिकोण की चर्चा की, जो इसकी अर्थव्यवस्था को रूपांतरित करने, 100 स्मार्ट शहरों के निर्माण, 500 मिलियन युवाओं के कौशल में विस्तार करने, चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति; 10,000 कि.मी सड़क निर्माण से जुड़ा है। ये जबर्दस्त परियोजनाएं हैं और हमने चर्चा की है कि कैसे ब्रिटेन इस विजन को साकार करने में मदद कर सकता है। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए आवश्यक वित्त की प्राप्ति के लिए हम आपका नम्बर वन सहयोगी बनना चाहते हैं, जो लंदन को ऑफशोर रुपीज ट्रेडिंग के लिए दुनिया का केंद्र बनाएगा।

हमने आज इसकी शुरुआत कर दी है और लगभग £1 बिलियन के बराबर बॉण्ड जारी किया है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय रूप से जारी पहला सरकार समर्थित रुपीज डिनोमिनेटेड बॉण्ड शामिल है। हम चाहते हैं कि ब्रिटिश कंपनियां अपनी विश्वस्तरीय कंसल्टेंसी, परियोजना प्रबंधन तथा इंजीनियरिंग कौशलों का इस्तेमाल क आपकी योजना, डिजाइन तथा इन नए शहरों के निर्माण में मदद प्रदान करे। इसलिए मुझे खुशी है कि हम तीन शहरों के विकास के लिए एक नए पंचवर्षीय सहयोग के लिए सहमत हुए हैं: अमरावती, इंदौर तथा पुणे। हम चाहते हैं कि यूके तथा भारतीय वैज्ञानिक साथ मिलकर निम्न लागत वाले, निम्न कार्बन ऊर्जा का निर्माण करे, जो भविष्य के लिए अहम साबित होगी और यही कारण है कि हम नवीन तकनीकियों में £10 मिलियन का एक संयुक्त अनुसंधान सहयोग स्थापित कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारी कंपनियां सही मायने में भारत निर्माण करें और यही कारण है कि हम बिजनेस लीडरों के हमारे फोरम को पुनर्जीवित कर रहे हैं, जिसे हम कल देखेंगे।

दूसरा, हमने एक मजबूत, व्यापक रक्षा तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग स्थापित करने के लिए सहमति जताई है। सभी देशों को अपनी रक्षा का अधिकार है और हम भारत को, जो दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक देश है, इस दिशा में मदद प्रदान करना चाहते हैं, ताकि उसकी क्षमताओं को आधुनिक बनाया जा सके। हम इसे साकार करने के लिए एक नवीन सरकार से सरकार के फ्रेमवर्क का निर्माण करेंगे। इसका मतलब नई तकनीकियों तथा नई क्षमताओं, जैसे कि सायबर, हमारे एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर सहयोग में वृद्धि भी होगी।

हम अगले फरवरी को बंगाल की खाड़ी में एक रॉयल नेवी वारशिप तैनात करेंगे, जो भारत के पहले बड़े वारशिप अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेगा। और हम साथ मिलकर नए तथा उभरने वाले खतरों से, जैसे कि सायबर हमले से बेहतर रूप से अपने आपको सुरक्षित करने के लिए काम करेंगे, जहां यूके दस लाख भारतीय सायबर सुरक्षा पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए एक केंद्र स्थापित करेगा तथा एक नवीन भारतीय सायबर अपराध इकाई की स्थापना में मदद करेगा।

अंत में वैश्विक नजरिये के साथ वैश्विक शक्तियों के रूप में हम अपनी चुनौतियों से निपटने के लिए और क्या कर सकते हैं इसपर चर्चा की। यूके संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का पुरजोर समर्थन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को दुनिया को उसी रूप में प्रतिबिंबित करना होगा जो आज है, ताकि प्रासंगिकता को बनाए रहा जा सके तथा नियमों पर आधारित प्रणाली को समर्थन दिया जा सके जो हमें काफी मदद पहुंचाएगी।

आज हमने इस वर्ष के अंत में पेरिस में एक महत्वाकांक्षी वैश्विक सौदे को अंतिम रूप देने की अहमियत पर सहमति जताई है, जो वर्ष 2050 तक वैश्विक तापन को दो डिग़्री तज कम करने के हमारे लक्ष्य को बढ़ावा देगा। और हमने चर्चा की कि खासतौर ईयू तथा भारत के बीच एक मुक्त व्यापार सौदे को बढ़ावा देकर हम मुक्त व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए और क्या कर सकते हैं, जो 1.7 बिलियन लोगों को लाभ पहुंचाएगा तथा ईयू तथा भारत द्वारा संयुक्त रूप से हर वर्ष £15 बिलियन खर्च करेंगे।

इसलिए आज यहां हमने कुछ उत्कृष्ट चर्चा की और मुझे इस शाम कुछ और बेशक कम भी कुछ चर्चा की उम्मीद है। हम दोनों की हमारे देशों के बीच के संबंधों को लेकर बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं। हम एक आधुनिक, आवश्यक सहयोग बनाना चाहते हैं, जो पुराने रिश्तों पर आधारित है, पर इसे आधुनिक, विविध, डायनेमिक देशों द्वारा परिभाषित तथा समर्थित किया जाता है, जैसा कि हम दोनों आज हैं।

धन्यवाद! प्रधानमंत्री श्री मोदी।

नरेंद्र मोदी

प्रधान मंत्री श्री कैमरून, मीडिया के सदस्यो! श्री कैमरून ने भारत के साथ के संबंध को लेकर काफी उम्मीद तथा सकारात्मकता जताते है। मैं इसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं। आपने भारत तथा यूके के बीच के सहयोग को मजबूत बनाने के लिए काफी कुछ किया है। मैं आपके हार्दिक स्वागत तथा आपके गहरे मेहमानबाजी के लिए और मेरी यहां की यात्रा में मेरे लिए आपने जितना कुछ किया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद कहना चाहता हूं। मैं हमारे दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में आपके पूर्व प्रयासों के लिए भी आपको धन्यवाद देना चाहता हूं।

मैं युनाइटेड किंगडम की यात्रा से काफी खुश हूं। यह हमारे लिए गहन महत्व वाला संबंध है। हम इतिहास से परिचित हैं, असाधारण लोगों का लोगों के साथ के रिश्तों से परिचित हैं तथा हमारे साझा मूल्य इसे विशेष गुण प्रदान करते हैं। और इसने हमारे संबंधों को विशेष गुण प्रदान करने के लिए संभव बनाया है। हमारे सभी क्षेत्रों में शानदार तथा प्रगतिशील सहयोग हैं, जैसे कि व्यापार तथा निवेश, रक्षा तथा सुरक्षा, विज्ञान तथा शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा तथा स्वास्थ्य, तकनीकी तथा आविष्कारी कार्य, कला तथा संस्कृति।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे काफी साझे हित हैं, जो दोनों देशों के लिए अहम हैं। आज हमने अपनी राजनैतिक वार्ता को प्रगाढ़ करने तथा नियमित द्विपक्षीय शिखर सम्मेलनों के आयोजन को लेकर सहमति जताई है। हमने अपने साझा मूल्यों को दुनिया के अन्य हिस्सों में विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोग में रूपांतरित करने का निर्णय लिया है तथा साथ ही हम सभी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए कृत्संकल्प हैं।

आज हमने एक सिविल न्युक्लियर समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह हमारे पारस्परिक भरोसे का एक प्रतीक है। और हमने जलवायु परिवर्तन से भी मुकाबला करने का फैसला किया है। भारत में स्वच्छ ऊर्जा सहयोग के लिए वैश्विक केंद्र एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हमने सहयोग करने की सहमति जताई है और यह वैश्विक न्युक्लियर इंडस्ट्री में रक्षा तथा सुरक्षा को मजबूत बनाएगा।

हम यूके के साथ रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को काफी अहमियत देते हैं, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास तथा व्यापार- रक्षा व्यापार तथा सहयोग भी शामिल हैं। और यह सहयोग आगे भी जारी रहेगा। मुझे इसका उल्लेख कर संतोष अनुभव हुआ है कि फरवरी 2016 में यूके भारत में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में भाग लेगा। यूके भारत की रक्षा आधुनिकीकरण योजनाओं में भी एक मजबूत सहयोगी बनेगा, जिसमें रक्षा क्षेत्र में हमारा मेक इन इंडिया मिशन भी शामिल होगा। मुझे भरोसा है कि यूके हमारे इस मिशन में एक अहम भूमिका निभाएगा।

आर्थिक सहयोग हमारे सहयोग का एक मुख्य आधार स्तंभ है। मुझे भरोसा है कि आने वाले वर्षों में यह रिश्ता और तेजी से आगे बढ़ेगा, जो तेजी से विस्तार करते भारत तथा ब्रिटेन की अपनी आर्थिक शक्तियों के आकार तथा पैमाने पर टिका होगा।

यूके भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है तथा भारत अन्य युरोपीय यूनियन देशों की तुलना में यूके में काफी निवेश करता है। भारत में अधिक निवेश करने के लिए हम एक नवीन त्वरित कार्यप्रणाली की शुरुआत कर रहे हैं। हम भारत-यूके, सीईओ फोरम के पुनर्जीवन का भी स्वागत करते हैं। हम लंदन के वित्तीय बाजार में फंडों की उगाही में भी वृद्धि लाएंगे। मुझे खुशी है कि हम लंदन स्टॉक मार्केट में एक रेलवे रुपी बॉण्ड जIरी करेंगे। यह इसलिए कि भारतीय रेलवे की यात्रा की शुरुआत यहीं हुई थी।

अगले दोनों दिनों में मैं व्यवसाय सेक्टर के साथ भागीदारी को लेकर उत्साहित हूं और हमे इस सेक्टर से अहम घोषणाओं की उम्मीद है। मुझे स्वच्छ ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में हमारे सहयोग की प्रगति को लेकर खुशी है, जिसमें हमारी सरकारें तथा निजी क्षेत्र शामिल हैं। यह एक गहन महत्व वाला क्षेत्र है और यह अपार अवसर प्रदान करता है।

जलवायु परिवर्तन पर भारत की व्यापक तथा महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय योजना को लेकर हमें अपने द्विपक्षीय सहयोग से काफी आशाएं हैं। हमें यूएन कंवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के फ्रेमवर्क के भीतर पेरिस में एक ठोस नतीजे की उम्मीद है, जो एक धारणीय तथा विश्व के निम्न कार्बन भविष्य के लिए निर्णायक लक्ष्य प्रदान करता है।

हमने भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं वाले अन्य क्षेत्रों में भी कई अन्य अहम नतीजे हासिल किए हैं। इनमें शामिल हैं - स्मार्ट शहर, स्वास्थ्यसेवा, स्वच्छ नदी प्रयास, कौशल तथा शिक्षा। निश्चित रूप से हम इस बात से सहमत हैं कि तकनीकी, अनुसंधान तथा इनोवेशन सभी क्षेत्रों में हमारे सहयोग के मजबूत आधार स्तंभ होंगे। हमारे दोनों देश अपने-अपने लोगों के लिए अधिक अवसर सृजित करने तथा उनकी समृद्धि को बढ़ाने में सक्षम होंगे। और साथ ही हम अपने कई साझे हितों को भी आगे बढ़ाएंगे तथा अपनी चुनौतियों से निपटेंगे। इसमें शामिल है एशिया में, खासकर दक्षिण एशिया तथा पश्चिम एशिया में शांति तथा स्थिरता; समुद्री सुरक्षा; सायबर सुरक्षा; तथा निश्चित रूप से आतंकवाद तथा चरमपंथ भी।

प्रधानमंत्री कैमरून, मैं इन सब पर तथा अन्य मुद्दों पर आज और कल चेकर्स में अपनी चर्चा को आगे भी जारी रखूंगा। पर समापन करने से पूर्व मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता तथा इंटरनेशनल एक्सपोर्ट कंट्रोल रेजीम्स में सदस्यता का प्रबल समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री श्री कैमरून तथा यूके को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं पार्लियामेंट में बोलने और भारत-यूके बिजनेस समिट को सम्बोधित करने के सम्मान को लेकर काफी उत्साहित हूं। और इसलिए मुझे इस संबंध के समृद्ध वादे के बारे में लंबी बातचीत करने का मौका मिलेगा।

आज हमने अपने स्पष्ट तथा एक महत्वाकांक्षी विजन तथा आज लिए गए हमारे निर्णयों को रेखांकित किया है, जो इसे हासिल करने की हमारी गहन प्रतिबद्धता तथा इसे हासिल करने के विश्वास को दर्शाता है। निश्चित रूप से आपका का स्वागत दर्शाता है कि हम अपने रिश्ते को एक नए स्तर पर ले जा चुके हैं। धन्यवाद!

प्रश्न

प्रधानमंत्री श्रीमान कैमरून, सत्ता में आने के बाद आपने भारत की तीन यात्रा की। पर इस वापसी यात्रा में इतना लंबा समय क्यों लगा?

और प्रधानमंत्री श्रीमान मोदी, भारत तेजी से एक असहिष्णुता वाला स्थान बन रहा है। ऐसा क्यों?

डेविड कैमरून

मैं आपने प्रश्न का उत्तर देता हूं। दरअसल भारत ने केवल पहला देश नहीं है, जिसकी मैंने प्रधानमंत्री के रूप में यात्रा की है, बल्कि यह पहला बड़ा देश है जिसकी मैंने विपक्ष के नेता के रूप में भी यात्रा की है, इसलिए मेरी इस संबंध को मजबूत करने की इच्छा रही है, न केवल पिछले पांच वर्षों के इए बल्कि पिछले दर वर्षों में… और मुझे लगता है कि हमने कुछ अहम प्रगति हासिल की है। निवेश के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं, आपको तो पता ही है कि भारत यूके में शेष सभी ईयू देशों से अधिक निवेश करता है, तथा जी20 देशों के लिहाज से ब्रिटेन यहां का सबसे बड़ा निवेशक है, जो अमेरिका से बड़ा है, फ्रांस से बड़ा है, जर्मनी से भी बड़ा है। पर मुझे लगता है हम जिससे सहमत हैं उसे हमारे गौरव सराहनाओं पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, हमें अपनी दृष्टि तथा नजर इन प्रॉजेक्टों पर रखने का प्रयास करना चाहिए, जैसे कि स्मार्ट शहर, जैसे कि डिजिटल इंडिया, जैसे कि स्वच्छ भारत इत्यादि…जहां हम अपनी विशेषज्ञताओं का इस्तेमाल कर सकते हैं और वास्तव में एक सहयोग स्थापित कर सकते हैं। जल्द ही भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ग्रिटेन दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। मुझे लगता है हमारे पास असली संभावना है। जहां तक वापसी यात्रा में लगने वाले समय का सवाल है, मुझे खुशी है कि भारत के प्रधानमंत्री यहां आए। इससे पहले हम उनसे कई बार जी20 में मिल चुके हैं, हाल ही में उनसे न्यूयॉर्क में मुलाकात हुई थी और हम इस यात्रा को मजबूत संबंध के निर्माण का एक परम केंद्रीय स्थल बनाने के लिए सहमत हैं, यही हम आज कर रहे हैं।

श्री नरेंद्र मोदी

यह सही है कि इस कार्य में दर वर्षों का एक अंतराल रहा है। इसके बावजूद मेरे एक साल के कार्यकाल के दौरान भारत से यूके तथा यूके से भारत के लिए 11 मंत्रिमंडलीय दौरे किए गए। इसलिए, यूके तथा भारत के संबंध लगातार आगे बढ़ रहे हैं। वास्तव में मुझे प्रधानमंत्री के साथ विस्तार से चर्चा करने का अवसर मिला है और हम सभी अपने संबंध को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आपके प्रश्न के संदर्भ में बता दूं, भारत एक [अस्पष्ट…] की एक भूमि है- भारत गांधी की धरती रही है और इसलिए ऐसा कुछ है जो हमारी संस्कृति में, हमारी परंपराओं में गहरे मौजूद है, और यह ऐसी किसी चीज को स्वीकार नहीं करता- जिसका असहिष्णुता से कुछ लेना-देन हो। इसलिए भारत में कहीं भी ऐसी कोई घटना घटती है, चाहे एक बार या दो बार, सवा अरब लोगों के देश में हमारे लिए हरेक घटना हमारे लिए गंभीर घटना है और हम ऐसी हिंसक घटनाओं को बिल्कुल भी नहीं सहन करते। हम कड़ी कार्यवाही करते हैं और हम आगे भी ऐसी घटनाओं के विरुद्ध कड़े कदम और कानूनी कार्यवाही करते रहेंगे। भारत एक ऊर्जावान प्रजातंत्र है, जो संविधान के आधार पर अपने हरेक नागरिक की रक्षा करता है और हरेक नागरिक के मूल्यों की संविधान के अनुरूप रक्षा करता है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध है।

प्रश्न

मेरा प्रश्न दोनों प्रधानमंत्रियों से है। सर, भारत तथा यूके समान आतंकवादी संगठनों से आतंक का शिकार रहा है। दोनों ही शहरों में उन लोगों द्वारा धमाके किए जा रहे हैं जिन्हें उसी प्रकार के आतंकवाद द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। दोनों ही देशों ने अफगानिस्तान में जानें गंवाई है..वहां भी उसी प्रकार का आतंकवाद..। तो सर क्या आज की आपकी चर्चाओं में आपने इन चिंताओं को उठाया है? और क्या आप इस क्षेत्र में किसी प्रकार के सहयोग पर सहमत हैं?

श्री नरेंद्र मोदी

धन्यवाद! जहां तक आतंकवाद की बात है, आपकी चिंता हर किसी के लिए वाजिब है जो मानवता में भरोसा रखते हैं, और मैं संतोष के साथ कहना चाहता हूं कि अमेरिका में आतंकवाद के खिलाफ सभी प्रयास किए गए, भारत तथा यूके कंधे से कंधा मिलाकर किसी भी प्रकार के आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए खड़े हैं और हमने यूएन में समान रवैय्या अख्तियार किया है।

हमारे दोनों देशों को आतंकवाद से काफी खतरा है, इसलिए आतंकवाद से मुकाबला केवल एक या दो या तीन देश कर सकते हैं। यह इस दुनिया के हरेक मनुष्य, हरेक मानवतावादी, हरेक मानव की जिम्मेदारी है। आज आतंकवाद इतना फैल चुका है कि इसकी कोई एक सीमा नहीं है। इसका कोई बैरियर नहीं है। हर दिन नए समूह पैदा हो रहे हैं। हर दिन नए उपकरण उनके हाथ लग रहे हैं, आतंकवादी अपने उपकरण खुद नहीं निर्मित करते…तो जाहिर है यह कहीं और से आता है। महात्मा गांधी कहा करते थे कि आपको न्याय केवल तभी मिल सकता है, जब आपको पता हो कि न्याय होता क्या है। तो हम किसे आतंकवाद मानते हैं? आतंकवाद ओ कौन मदद करता है? वास्तव में इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव है, पर दुर्भाग्यवश बिना किसी समाधान के यह लटक रहा है और यूके तथा हम इस बात से सहमत हैं कि हमें इसपर विस्तृत चर्चा करनी चाहिए। इसलिए सभी सार्थक मायने वाली राष्ट्रों को साथ मिलकर काम करना चाहिए। वे सभी जो आतंकवाद को किसी न किसी रूप में मदद करते हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए और हम सभी को मानवता की रक्षा के लिए काम करना चाहिए।

डेविड कैमरून

[अस्पष्ट] आज आतंकवाद के खतरे के बारे में जो हम दोनों झेलते हैं। हम इसी मुद्दे पर कल सुबह गहन चर्चा करने जा रहे हैं। जैसे कि भारत को मुम्बई की सड़कों पर यह समस्या झेलनी पड़ी है। हमें लंदन की सड़कों पर झेलना पड़ा और खासतौर से हमे इस इस्लामिक चरमपंथी हिंसा और आतंकवाद से मुकाबला करना है, जो न केवल हमारे देशों में बल्कि दुनिया में भी काफी ज्यादा नुकसान कर रहा है। मैं जो नजरिया प्रस्तुत करूंगा वह यह है कि केवल आतंकवादी संगठनों को बंद कर देना तथा अनियंत्रित स्थानों पर रोक लगाना ही पर्याप्त नहीं होगा, और हमारी यही धारणा अफगानिस्तान में थी; यह प्रयास करना और सुनिश्चित करना कि यह देश किसी एक सरकार की शक्ति द्वारा संचालित हो और आतंकवादी संगठनों को उस देश से बाहर किया जाए। हमें उन तरीकों से भी निपटने की जरूरत है जिनका आतंकवादी इस्तेमाल करते हैं, पीड़ा की संस्कृति के साथ वे अनुचित कार्यों को सही ठहराने का प्रयास करते हैं और मुझे लगता है यह कल की हमारी चर्चा का हिस्सा होगा।

प्रश्न

धन्यवाद श्रीमान प्रधानमंत्री! प्रधानमंत्री श्रीमान कैमरून क्या मैं पूछ सकता हूं को आप प्रधानमंत्री श्री मोदी का इस देश में स्वागत करने में कितना सहज महसूस कर रहे हैं, खासतौर से तब जब आपकी अगुआई के दो सालों तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनके रिकॉर्ड के कारण उन्हें इस देश की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई थी?

और युरोप के बारे में क्या मैं पूछ सकता हूं, डोनाल्ड टस्क ने अभी-अभी कहा है जबतक युरोपीयन यूनियन अपनी बाहरी सीमाओं को मजबूत नहीं करता है शेनजेन (Schengen) का कोई भविष्य नहीं होगा। क्या आप उनसे सहमत हैं?

ओर आप मार्टिन सुज के बारे में क्या कहेंगे जो कहते हैं कि युरोप अपनी मदद करने वाले बैंकरों पर अरबों डॉलर खर्च करने में खुशी महसूस करता है, पर जब बात प्रवासियों की आती है तो यह काफी तकलीफदेह हो जाता है।

और प्रधानमंत्री श्रीमान मोदी, क्या मैं आपसे पूछ सकता हूं, अगले दो वर्षों में युनाइटेड किंगडम युरोपीय यूनियन में रहने या इससे बाहर निकलने पर एक जनमतसंग्रह कराएगा। क्या आप युनाइटेड किंगडम के युरोपीय यूनियन से बाहर निकलने में एक अच्छा भविष्य देखते हैं? और प्रधानमंत्री श्रीमान मोदी! क्या मैं आपसे पूछ सकता हूं, कम रात आपका वेम्बले स्टेडियम में शानदार स्वागत किया जाएगा, पर आज कुछ विरोधकर्ता हैं जो कह रहे हैं कि गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री होने के दौरान आपके जो रिकॉर्ड रहे हैं, उस लिहाज से आप ऐसे स्वागत के हकदार नहीं हैं, जो सुनिया के सबसे लोकतंत्र के नेता को दिया जाए, मुझे पता नहीं आप उन्हें क्या कहेंगे? धन्यवाद!

डेविड कैमरून

यहां तो बहुत सारे सवाल आ गए। मैं प्रयास करता हूं कि मैं उन सभी प्रश्नों का उत्तर दूं। मुझे प्रधानमंत्री श्री मोदी का यहां स्वागत करने का हर्ष है। वह भारत के लोगों के [अस्पष्ट] के साथ आए हैं, जिन्होंने उन्हें एक रिकॉर्ड तथा ऐतिहासिक बहुमत से प्रधानमंत्री बनाया है। जहां तक अतीत में क्या हुआ था इसका सवाल है, इसकी कानूनी प्रक्रिया थीं। जैसा कि आज मेरी सहकर्मी प्रीति पटेल ने मुझे बताया था उस समय ब्रिटिश सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व थे। पर अब हम ब्रिटेन तथा भारत के बीच के आगामी सहयोग पर चर्चा कर रहे हैं, हम दोनों को हमारे देशों का समर्थन प्राप्त है कि यह पार्लियामेंट साथ मिलकर काम करे और हमारे बीच के मौजूद रिश्ते को और मजबूत बनाया जाए।

आपने जो अन्य मुद्दे उठाए: एक संकट में बैंकों का समर्थन करना ऐसा नहीं है कि वे ही सबसे अच्छी चीज हैं या वे ही कमाल के लोग हैं, बल्कि यदि आप बैंकों को असफल होने देते हैं तो उनके साथ जुड़ा हरेक व्यवसाय ठप्प पड़ेगा। बल्कि यही कारण है कि हमने इस देश की व्यवस्था में सुधार लाया है, ताकि यदि भविष्य में बैंक किसी मुसीबत में पड़े तो उन्हें उनके लेनदार द्वारा ही उन्हें बेल आउट दिया जाए न कि करदाताओं द्वारा।

जहां तक प्रवासियों को मदद करने की बाद है, मुझे लगता है ब्रिटेन अंतर्राष्ट्रीय रूप से अपना सिर ऊंचा कर सकता है, क्योंकि हमने चाहे सीरियाई शरणार्थी संकट हो, पड़ोसी देशों को मदद करने की बात हो, सीरिया के लोगों कि मदद करने की बात हो और चाहे शरणार्थी शिविरों को मदद प्रदान करने की बात हो, संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा किसी अन्य युरोपीय देश से कहीं अधिक दिया है। अमेरिका के अलावा कोई अन्य देश ने इतना नहीं किया है।

जहां तक डोनाल्ड टस्क का शेनेजन के बारे में धारणा का सवाल है: ब्रिटेन शेनेजन में नहीं है। हमने युरोपीय यूनियन में रहते हुए भी अपनी सीमाओं को बनाए रखा है। इसलिए वास्तव में यह मुझे कहने की जरूरत नहीं है, पर निश्चित रूप से मैं इस प्रवास संकट से निपटने के लिए युरोपीय साथियों की मदद करना चाहता हूं। इसलिए हमने युरोपियन असायलम सपोर्ट ऑफिसर्स को मदद करने में किसी अन्य युरोपीय देश से अधिक प्रयास किया है, जो शेनेजन की बाहरी सीमाओं पर इस संकट से निपटने में मदद प्रदान कर रहे हैं। और हम आगे भी ऐसा करेंगे।

पर स्पष्ट रूप से आपके पास बाह्य सीमाओं या आंतरिक सीमाओं को लेकर एक प्रणाली होनी चाहिए। आपके पास ऐसी सीमाएं नहीं हो सकतीं, जो दोनों ही स्तरों पर कारगर न हो। पर मैं कहता हूं, ब्रिटेन शेनेजन से बाहर रहेगा। हम अपनी सीमाओं को बनाए रखेंगे। हमें लगता है हमारी सुरक्षा के लिए यह अहम है।

मुझे लगता है आपके यही सारे सवाल थे। प्रधानमंत्री

श्री नरेंद्र मोदी

मैं 2003 में आया था और उस समय भी मेरा हार्दिक स्वागत हुआ था। यूके ने कभी मुझे यहां आने से नहीं रोका था। यूके ने कभी मेरे यहां आने पर प्रतिबंध नहीं लगाया था। शायद मैं यहां नहीं आ सका क्योंकि समय को लेकर मेरी अपनी मजबूरी है, इसलिए कृपया यदि आपकी धारणा गलत है तो इसे जरूर सुधार लें।

दूसरा, हां, यूके में दो वर्षों में एक जनमतसंग्रह होगा। मैं समझता हूं कि इस देश के नागरिक काफी समझदार और बुद्धिमान हैं। मुझे उनके बारे में कुछ नहीं कहना है, जहां तक भारत का सवाल है। यदि युरोपियन यूनियन में हमारे लिए एक प्रवेश बिंदु हो तो यह यूके है और वह ग्रेट ब्रिटेन है। यदि किसी देश के साथ हमारा आर्थिक सहयोग है तो सबसे बड़ा आर्थिक सहयोग यूके के साथ है। हां, हम युरोपीय यूनियन में भी जा रहे हैं, पर हम युरोपीयन यूनियन में प्रवेश के लिए यूके को जितना अधिक हो सके, अपना सबसे बड़ा प्रवेश बिंदु मानते रहेंगे।

प्रश्न

मेरा प्रश्न है: वर्तमान समय में भारत कई सारे बदलाव झेल रहा है और आपने हाल ही में कई बदलाव लाए हैं। इसलिए, श्रीमान प्रधानमंत्री मैं आपसे पूछना चाहूंगा, भारत की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति के मद्देनजर आप यूके से किस प्रकार के सहयोग की अपेक्षा रखते हैं।

और प्रधानमंत्री श्रीमान कैमरन, मैं आपके पूछना चाहूंगा कि भारत तथा यूके के ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं। आप इन्हें इस नए परिप्रेक्ष्य में कैसे परिभाषित करते हैं? और किस प्रकार के नए कदम उठाएंगे, ताकि ये संबंध और प्रगाढ़ बने?

श्री नरेंद्र मोदी

वह दिशा जो भारत अपनी आगामी प्रगति के लिए लेना चाहता है, आइए मैं उसे एक उदाहरण से समझाता हूं। भारत में हमारा काफी [स्पष्ट] घनत्व है। लगभग 27/28,000 टावर ऊंचे हैं और वे सभी डीजल का इस्तेमाल करते हैं और हमें डीजल का आयात करना पड़ता है। जैसा हम जानते हैं यह जलवायु के लिए बहुत अच्छा नहीं है। और यूके ने हाइड्रोजन इंधन सेल तकनीकी का विकास किया है। हम चाहते हैं कि यूके यह तकनीकी भारत को उपलब्ध कराए, ताकि हम इन टॉवरों को बिजली देने में इस्तेमाल कर सके जो 40,000 की संख्या तक वृद्धि करेगा। तो एक ओर हम डीजल का इस्तेमाल बंद करने में सक्षम होंगे, हम अपने कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करने की दिशा में योगदान देंगे और इसलिए जलवायु पर प्रभाव भी कम पड़ेगा। और यदि आप कोयले की बात करें तो हमने कोशिश करनी है और देखना है कि हम हरित ऊर्जा, कौशल विकास का इस्तेमाल करते हुए कैसे कोल गैसीफिकेशन कर सकते हैं। यूके ने कौशल विकास के लिहाज से एक असाधारण कार्य किया है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी यूके ने बहुत अच्छी स्वास्थ्य प्रणाली, अस्पताल प्रणाली स्थापित करने में अच्छा कार्य किया है।

हमने इन सभी अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की है और हमने यह भी देखा है कि कैसे भारत में गरीब से गरीब व्यक्ति भी इन सब से लाभ उठा सकता है। और इस बार यूके की मेरी यात्रा मुझे यह कहने में सक्षम बनाती है कि हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं और कैसे साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे।

डेविड कैमरून

इसी पर हम चर्चा करते रहे हैं। मैं समझता हूं कि शायद यह सही है कि कई वर्षों तक ब्रिटेन तथा भारत के बीच के रिश्ते अतीत से ग्रस्त थे। मैं समझता हूं कि शायद यह सही है कि कई वर्षों तक ब्रिटेन तथा भारत के बीच के रिश्ते अतीत से ग्रस्त थे। आज इस संबंध को देखिए। यदि कोई आज से 20 वर्ष पहले कहता कि ब्रिटेन का एक सर्वाधिक सफल कार्य निर्माता कंपनी जिसका कारोबार पूरी दुनिया में फैला है और वह भारतीय पूंजी और ब्रिटिश डिजाइन तथा निर्माण विशेषज्ञता के संयोजन से स्थापित होने जा रहा है, तो लोग कहते, ‘क्या सचमुच ऐसा हो रहा है?’ इसका एक उदाहरण जैगुआर लैंड रॉवर है।

इसलिए मुझे लगता है कि यह समय उन दुराग्रहों और अतीत से मुक्त होने का है और यह मानने का वक्त है कि यह दोनों के देशों के बीच का एक आधुनिक, डायनेमिक सहयोग है, जो समान प्रकार की चुनौतियां झेलते हैं: जैसे कि हम कैसे विकास करें और समृद्ध हो सकें, हम कैसे आतंकवाद से मुकाबला करें, हम कैसे अपने भविष्य तथा अपने बच्चों के लिए एक सरित पर्यावरण सुनिश्चित करें? ये ऐसी चीजें हैं जिनकी अब हम चर्चा कर रहे हैं और मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के स्मार्ट शहर, स्वच्छ भारत, डिजिटल तकनीकी, करोड़ों युवाओं के कौशल विकास जैसी बातें रोमांचकारी हैं, और ब्रिटेन के पास साथ मिलकर उस भविष्य के निर्माण में भूमिका निभाने के कई अवसर हैं और इसलिए हम यहां हैं। मैं कई सारे क्षेत्रों में अलग-अलग समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर रोमांचित हूं और यह बताता है कि यह सही मायने में एक आधुनिक तथा डायनेमिक रिश्ता है।

चूंकि हमारे पास वक्त की कमी है- इस दोपहर दो भाषण, जिसमें एक पार्लियामेंट में है… हमें अब समाप्त करना चाहिए औरअगले कार्यक्रमों की ओर बढ़ना चाहिए। पर आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद!

प्रकाशित 12 November 2015