समाचार कथा

ऐतिहासिक वैश्विक जलवायु समझौते के लिए दुनिया तैयार

पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन से जुड़े संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनमें एक ऐतिहासिक नवीन वैश्विक जलवायु समझौता किया गया।

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पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन से जुड़े संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनमें एक ऐतिहासिक नवीन वैश्विक जलवायु समझौता किया गया।

यह समझौता उत्सर्जन में कमी लाने की दिशा में एक अहम कदम है। पहली बार दुनिया के 195 देशों ने, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े गैर उत्सर्जनकर्ता देश भी शामिल थे, जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर कार्य करने और समान रूप से जिम्मेदारी उठाने के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है।

इसे धारणीय तथा निम्न कार्बन भविष्य की दिशा में एक अहम कामयाबी के रूप में माना जा रहा है। अब सभी देश अपनी-अपनी जलवायु योजनाओं की नियमित रूप से समीक्षा करने के लिए और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं यह सुनिश्चित करने के लिए साथ आ चुके हैं।

प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरन ने कहा:

इस समझौते को संपन्न करने में दुनिया के देशों ने दिखाया है कि एकता, महत्वाकांक्षा तथा अध्यवसाय क्या कुछ कर सकता है।

ब्रिटेन पहले ही उत्सर्जन कम करने की ओर कदम बढ़ा रहा है तथा अल्प-विकसित देशों को उनके उत्सर्जन में कमी लाने में मदद कर रहा है- और अब इस वैश्विक समझौता का अर्थ है कि पूरी दुनिया ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अपनी-अपनी भूमिका निभाने के लिए हस्ताक्षर कर दिया है। यह एक यादगार क्षण है और हमारे ग्रह के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद देने की दिशा में बढ़ाया गया एक बड़ा कदम है।

ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री ऐम्बर रड ने इस मौके पर कहा:

हम एक अहम कदम के साक्षी बन चुके हैं, जहां देशों की अभूतपूर्व संख्या ने वैश्विक तापमान को बढ़ने से रोकने के लिए तथा जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक बुरे प्रभावों से बचने के लिए एक समझौते पर सहमति बनाई है। यह हमारे दीर्घकालिक आर्थिक तथा वैश्विक सुरक्षा के लिए अहम है।

यह समझौता सुनिश्चित करेगा कि सभी देश अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं के लिए जिम्मेदार हों तथा निम्न कार्बन ट्रांजिशन में निवेश करने के लिए एक स्पष्ट संकेत दें।

यह समझौता के सदी के अंत तक जीरो उत्सर्जन का एक स्पष्ट दीर्घकालिक लक्ष्य रखता है, जो दिखाता है कि दुनिया कार्बन मुक्त होने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य के विपरीत कदम बढ़ाने का आंकलन वर्ष 2018 में किया जाएगा और उसके बाद हर पांच वर्षों में।

यह दीर्घकालिक लक्ष्य निवेशकों, व्यावसायियों तथा नीति निर्माताओं को ए निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव करने का जोरदार संकेत देता है और उन्हें आत्मविश्वास भरता, जो निवेश की आवश्यक पैमाने को हासिल करने में मदद करेगा। निम्न कार्बन वस्तुओं तथा सेवाओं में एक वैश्विक अग्रणी होने के नाते यूके को इससे काफी लाभ होगा।

चूंकि निम्न कार्बन तकनीकियों की लागत कम हुई है, ऐसे में ये देश उत्सर्जन कम करने को लेकर अपने लक्ष्य निर्धारित करने में सक्षम होंगे। इसे इस बात से देखा जा सकता है, वर्ष 2020 में देशों से 2030 तक उत्सर्जन कटौती करने की योजना पर जानकारी देने की उम्मीद की जाएगी।

इसके साथ ही ये देश वर्ष 2025 के बाद से हर 5 वर्षों में उत्सर्जन कम करने हेतु 2030 के बाद की नवीन प्रतिबद्धता दिखाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होंगे। पहली बार ये देश अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप काम करने हेतु स्वतंत्र समीक्षा द्वारा जिम्मेदार ठहराएं जाएंगे।

जैसा कि पहले सहमति जताई गई थी, सभी विकसित देश मिलकर सार्वजनिक तथा निजी सेक्टर दोनों से संयुक्त रूप से हर वर्ष $100 बिलियन की राशि जुटाएंगे, ताकि सबसे गरीब तथा सर्वाधिक कमजोर देशों की मदद की जा सके और और इस प्रकार वे अपने आप को जलवायु परिवर्तन से बचा सकें और निम्न कार्बन विकास को बढ़ावा दे सकें। अब यह समझौता संसाधनों के संग्रह में तथा साथ ही वित्तीय मदद हेतु व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मानता है।

यदि तुरंत कार्यवाही आरंभ कर दी जाए, तो यह समझौता वैश्विक तापमान की वृद्धि को 2 डिग्री से कम करने या 1.5 डिग्री भी कम करने के हमारे पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है। पर इसके लिए सरकारें अकेले कदम नहीं उठा सकती हैं, समाज के सभी हिस्सों, व्यावसायियों तथा निवेशकों को भी भूमिका निभानी होगी। पेरिस ने रूपांतरकारी कार्य किया है, जो देशों, शहरों तथा दुनिया भर के समुदायों पर एक वास्तविक प्रभाव पैदा करेगा।

नोट्स

अंतिम समझौते को पढ़ने के लिए क्लिक करें- यहां UNFCCC वेबसाइट पर नए आलेख देखने के लिए तथा यहां EU बयान देखने के लिए

प्रकाशित 12 December 2015