समाचार कथा

ब्रिटेन-भारत रक्षा तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग

यूनाइटेड किंगडम की सरकार तथा भारत सरकार के बीच रक्षा तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहभागिता

Foreign and Commonwealth Office

बदलते हुए विश्व में ब्रिटेन तथा भारत एक महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। दोनों देश समान खतरों तथा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जिनके तहत हिंसक उग्रवाद और आतंकवाद की विपत्ति; हिंसक संघर्ष; व्यापक जनसंहार के हथियारों का प्रसार; तथा गंभीर संगठित अपराध सम्मिलित हैं।

ऐसे देशों के रूप में, जिनकी नियमों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की मर्यादा बनाए रखने की एक साझा गौरवशाली परंपरा रही है, भारत तथा ब्रिटेन अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को मजबूत बनाने तथा वैश्विक खतरों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए एक गहन सहयोग का संकल्प करते हैं।

रक्षा सहयोग

ब्रिटेन तथा भारत रणनैतिक क्षेत्रों में क्षमता सहभागिताओं की स्थापना के माध्यम से अपने रक्षा संबंधों को उन्नत बनाएंगे, जिनके द्वारा हम साथ मिलकर सिद्धांत, प्रशिक्षण तथा अन्य ऐसे तत्वों के क्षेत्र में काम करेंगे जिनपर रक्षा प्रभावोत्पादकता निर्भर करती है। ये सहयोग हमारे दोनों देशों के बीच रणनैतिक क्षमताओं के स्थानांतरण को सक्षम बनाएंगे, जिनके तहत परस्पर हित के क्षेत्रों में रक्षा तकनीक तथा उत्पादन सम्मिलित होंगे।

भारत-ब्रिटेन प्रौद्योगिकी क्षमता सहभागिता के समर्थन में, दोनों देश नए क्षेत्रों में अनुसंधानों का विकास करेंगे तथा अपनी रक्षा विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी सहभागिता परियोजनाओं को आगे बढ़ाएंगे।

मेक इन इंडिया

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस पर सहमति व्यक्त की है, कि उनकी सरकारें स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं में ‘मेक इन इंडिया’ को समर्थन प्रदान करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगी।

उन्होंने अपने देशों के रक्षा उद्योगों के बीच बढ़ते सहयोग का स्वागत तथा समर्थन किया।

वैश्विक मुद्दे

ब्रिटेन एक पुनर्गठित संयुक्त राष्ट्र का सशक्त पैरोकार रहा है तथा यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के प्रयासों में सक्रियतापूर्वक शामिल रहा है। ब्रिटेन विस्तारित सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का लगातार समर्थन करता रहेगा।

ब्रिटेन और भारत हालिया शांति अभियानों की समीक्षा करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे, जिससे संयुक्त राष्ट्र द्वारा चलाए जा रहे शांति अभियान अधिक प्रभावी बन सकें।

दोनों देश निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार पर आपस में और अधिक गहनता से वार्ता करेंगे तथा सभी निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत के प्रवेश के लिए कार्य करेंगे।

आतंकवाद का सामना

भारत और ब्रिटेन आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ एकजुट खड़े हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक समग्र सहमति को शीघ्र ही अंतिम रूप दिए जाने का समर्थन करते हैं।

वे आईएसआईएल, अल कायदा, लश्कर-ए-तोयबा, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, हक्कानी तथा उनसे संबंधित समूहों के आतंकवादी नेटवर्कों के सभी वित्तीय तथा सामरिक समर्थनों को बाधित करने के लिए साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

ब्रिटेन और भारत आतंकवादी हमलों पर रोक तथा हिंसक उग्रवाद के खिलाफ साथ मिलकर काम करते रहेंगे, जिनके तहत श्रेष्ठ कार्य व्यवहारों तथा प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण भी किया जाएगा।

उग्रवाद तथा इसकी मूलभूत विचारधारा के खिलाफ प्रयत्नों को गति प्रदान करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को आगे बढाने के लिए दोनों देश साथ मिलकर काम करेंगे। वे प्रभावी राष्ट्रीय रणनीतियों को लागू करने के लिए सरकारों की सहायता कार्रवाई हेतु संयुक्त राष्ट्र तथा वैश्विक आतंकवाद निरोधी फोरम के माध्यम से, समुदायों, नागरिक समाजों तथा उद्योगों की सहभागिता से कार्य करेंगे।

साइबर

भारत और ब्रिटेन साइबर और डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रमुख सहयोगी हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान का समर्थन भी सम्मिलित है। ई-प्रशासन पर नए समझौता ज्ञापन से डिजिटल प्रशासन के लाभ नागरिकों तक पहुंचाने में सहयोग मिलेगा।

दोनों देशों की सरकारें, उद्योग जगत, नागरिक समाज, अकादमिक तथा तकनीकी समुदायों के साथ, यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगी कि उनके समाजों तथा पूरी दुनिया को इंटरनेट द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति, नवप्रवर्तन, सहयोग तथा समावेश की स्वतंत्रता प्राप्त हो।

भारत और ब्रिटेन अपने देशों के साइबर सुरक्षा पेशेवरों को विश्वस्तरीय विशेषज्ञताएं, शिक्षण तथा प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। इसके लिए, दोनों देशों ने ब्रिटेन के शेवनिंग साइबर स्कॉलरशिप कार्यक्रम को भारत तक विस्तृत करने पर सहमति व्यक्त की है तथा एक साइबर सुरक्षा के उत्कृष्टता प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की है।

वे अपने कानून प्रवर्तन विधानों तथा क्षमताओं की प्रभाविता में वृद्धि के लिए अपने संयुक्त कार्यों को जारी रखने के साथ ही और भी मजबूत करेंगे, तथा सीमा-पार के साइबर अपराधों तथा ऑनलाइन बाल यौन शोषण से निपटने की अपनी क्षमताओं में और वृद्धि करेंगे। इस संदर्भ में, दोनों पक्ष साइबर अपराध तथा साइबर फॉरेंसिक सहयोग, टेलीकॉम जांच तथा सुरक्षा प्रमाणन पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने की संभावनाएं तलाश करेंगे, जिस पर फरवरी 2015 में आयोजित द्वितीय भारत-ब्रिटेन साइबर वार्ता में सहमति हुई थी।

भारत तथा ब्रिटेन साथ मिलकर, तथा अपने राष्ट्रों के प्रौद्योगिकी उद्योगों की सहभागिता से, ऑनलाइन बाल यौन शोषण से मुकाबला करने के वैश्विक वीप्रोटैक्ट (WePROTECT) अभियान के लिए काम करेंगे।

ब्रिटेन एक नए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना में सलाह उपलब्ध कराएगा, तथा इस क्षेत्र में नीति निर्धारकों तथा पेशेवरों के बीच विशेषज्ञ-स्तरीय संपर्क निर्मित किए जाएंगे। दोनों देश साथ मिलकर अपने देशों के नेटवर्कों तथा आईसीटी संरचनाओं, तथा साइबर घटनाओं पर प्रतिक्रिया करने तथा उनपर नियंत्रण हेतु क्षमता और चुस्ती के लचीलेपन में वृद्धि लाने के लिए काम करेंगे, जिनके अंतर्गत सीईआरटी सहयोग हेतु सीईआरटी पर एक समझौता ज्ञापन का प्रारंभिक निष्कर्ष सम्मिलित है।

गंभीर तथा संगठित अपराध

भारत और ब्रिटेन, अपने नागरिकों की सुरक्षा, अपराध नेटवर्कों को बाधित और विघटित करने, तथा अपराधियों पर न्यायिक प्रक्रिया चलाने के उद्देश्य से, सूचना की साझेदारी, कार्यगत सहयोग तथा श्रेष्ठ अभ्यासों के आदान-प्रदान के माध्यम से, गंभीर और संगठित अपराधों के विरुद्ध अपने सहयोग में और वृद्धि करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

समुद्री क्षेत्र

ब्रिटेन और भारत एक सुरक्षित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र बनाने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। वे साथ मिलकर, समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के कन्वेंशन के साथ, अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के संदर्भ में नौवहन तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की स्वतंत्रता बनाए रखने तथा प्रोत्साहित करने के लिए काम करेंगे।

दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र में अपने नौसेना सहयोग को और मजबूत बनाएंगे, जिसके तहत द्विपक्षीय अभ्यास के कोंकण सीरीज को बढ़ाते हुए अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में रॉयल नेवी की भागीदारी, तथा, समुद्री क्षेत्र जागरुकता (एमडीए) बढ़ाने के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान करना शामिल है।

भारत और ब्रिटेन समुद्री डकैती की समस्या पर नियंत्रण के लिए साथ मिलकर काम करेंगे, जिसके तहत सोमालिया तट के आसपास डकैती पर संयुक्त राष्ट्रसंघ संपर्क समूह के साथ गहन सहयोग करने तथा डकैती और समुद्री अपराध पर कार्रवाई के लिए तटीय देशों की क्षमता में वृद्धि के लिए साथ मिलकर कार्य किए जाएंगे।

उपरोक्त संकल्पों द्वारा ब्रिटेन तथा भारत को 21वीं सदी में लोकतंत्रों के लिए उभरते हुए खतरों तथा चुनौतियों से निपटने की बेहतर सक्षमता हासिल हो सकेगी।

अनुलग्न: सहयोग हेतु तंत्र

भारत और ब्रिटेन अपने द्विपक्षीय संबंधों को प्रधानमंत्रियों की द्विवार्षिक शिखर बैठकों के माध्यम से और घनिष्ठ बनाएंगे, जिसमें उन्हें विदेश कार्यालय स्तरीय वार्ताओं तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय वार्ताओं के माध्यम से सहयोग प्राप्त होगा।

दोनों देश रक्षा मंत्रियों के बीच, तथा संयुक्त/ एकीकृत तथा एकल सेवा प्रमुखों के बीच वार्षिक रणनैतिक वार्ताओं का आयोजन करेंगे।

दोनों देश वार्षिक रक्षा सलाहकार समूह तथा कार्यकारी संचालन समूह वार्ताओं का आयोजन करेंगे, तथा संयुक्त बलों तथा एकीकृत रक्षा कर्मचारी सहयोग के लिए एक छठा संचालन समूह प्रारंभ करेंगे।

ब्रिटेन तथा भारत अपने द्विवार्षिक सैन्य अभ्यास कार्यक्रम को और तीव्रता प्रदान करेंगे, जिसे नौसेना, थलसेना तथा वायुसेना अभ्यासों द्वारा 2017 में भारत में आयोजित किया जाना है।

दोनों देश अपने रक्षा तथा कर्मचारी कॉलेजों तथा प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण तथा व्याख्यान आदान-प्रदान कार्यक्रमों को और मजबूत करेंगे।

दोनों देश आतंकवाद निरोध तथा साइबर पर अपने वार्षिक संयुक्त कार्य समूहों का निर्माण करेंगे, जिसके तहत सीईआरटी-यूके तथा सीईआरटी-इंडिया के बीच गहन संपर्कों को बढ़ावा देना शामिल है।

भारत तथा ब्रिटेन पश्चिम एशिया, पूर्वी एशिया तथा बहुपक्षीय क्षेत्र में मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने औपचारिक रूप से स्थापित परामर्शियों, तथा अफगानिस्तान के मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने संयुक्त कार्य समूह को बढ़ावा देंगे।

दोनों देश परमाणु-अप्रसार और निरस्त्रीकरण के मुद्दों पर अपनी नियमित विचार-विमर्श प्रक्रिया जारी रखेंगे।

ब्रिटेन तथा भारत दक्षिण एशिया में वरिष्ठ अधिकारी स्तरीय एक नई वार्ता के आयोजन के माध्यम से इस क्षेत्र में अपने सहयोग को और गहन बनाएंगे, जिसके तहत समुद्री मुद्दे भी सम्मिलित होंगे।

प्रकाशित 12 November 2015