भाषण

एशियन बिजनस एसोसिएशन में निक क्लेग का अभिभाषण

उप-प्रधानमंत्री श्री निक क्लेग ने एशियन बिजनस एसोसिएशन के वार्षिक डिनर के अवसर पर एक महत्वपूर्ण अभिभाषण दिया। प्रस्तुत है उस अभिभाषण का सारांश।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Nick Clegg at Asian Business Association

भूमिका

सम्मानित अतिथिगण, देवियों और सज्जनों, आपका धन्यवाद! यहां आना मेरे लिए वास्तविक सम्मान की बात है।

और सचमुच ही यह ब्रिटिश उद्यमियों तथा व्यवसायियों की अगली पीढ़ी को अनुप्राणित करने की जगह है। आपमें से हर किसी के पास बताने को कुछ न कुछ है।

आप अपने खुद के चुने हुए क्षेत्रों के नायक हैं, कुछ ब्रिटेन के सर्वाधिक सफल कंपनियों के संचालक हैं जो संपूर्ण एशिया और शेष विश्व में संचालित हैं।

ब्रिटिश एशियाई उद्यमी

मुश्किल आर्थिक हालातों के बावजूद आपकी कंपनियों ने तरक्की करना, निवेश करना और भविष्य के लिए रोजगार सृजन करना जारी रखा है। ब्रिटेन में 3,00,000 प्रजातीय अल्पसंख्यकों द्वारा एसएमई के होने अनुमान है जो हर साल ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में 30 अरब पाउंड का योगदान करते हैं।

दुनिया के किसी भी नजरिए से देखें तो आप संपदा के सर्जक हैं। मुझे पता है यह हमेशा उतना आसान नहीं होता। रास्ते में आपमें से कईयों ने बाधाओं और भेदभाव का सामना किया होगा। लेकिन आपने उन बाधाओं को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया, चाहे वे कितने भी कठिन क्यों न थे, और कभी भी नवप्रवर्तन को अपनाने या हमारी अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र के विशाल अवसरों का लाभ उठाने से वे बाधाएं आपको रोक न पाईं।

इसलिए मैनेजमेंट टुडे द्वारा जारी ब्रिटेन के सर्वोच्च 100 उद्यमियों की सूची में ब्रिटेन के एशियाई समुदाय को इतने सशक्त रूप से प्रतिनिधित्व करते देखना कोई आश्चर्य की बात नहीं।

लिबरल डेमोक्रेट्स में, हम आपकी महत्वाकांक्षा, कड़ी मिहनत और उद्यम को ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के छलांग लगाने के लिए आवश्यक ‘रॉकेट इन्धन’ के रूप में देखते हैं।

आप उस सशक्त उद्यमी जज्बे का प्रतिनिधित्व करते हैं जो ब्रिटेन के एशियाई समुदाय में दिखाई पड़ती है और गठबंधन में हम क्यों शामिल हुए इसके सबसे बड़े कारणों में से एक यह था कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु आपको आवश्यक स्थिरता प्रदान की जा सके।

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ब्रिटेन - एक खुली अर्थव्यवस्था

हम दिन-रात ब्रिटेन को एक आधुनिक, विविधतापूर्ण, बहिर्मुखी व्यापार वाले देश के रूप में कायम रखने का प्रयत्न करते रहेंगे जैसा कि यह हमेशा से रहा है- अपने यूरोपीय पड़ोसियों और शेष विश्व के देशों के साथ व्यापार करता हुआ।

इस देश में आप्रवासन एवं यूरोप के बारे में बहस जिस दिशा में आगे बढ़ रही है उस बारे में मैंने अपनी चिंताएं स्पष्ट कर दी हैं। दोनों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन्हें सुलझाया जाना चाहिए। यूरोप को सुधार की जरूरत है। लोगों को ऐसी आप्रवासन प्रणाली चाहिए जिसमें उन्हें यकीन हो सके।

लेकिन, जैसा कि कल मैंने सीबीआई (कॉनफेडेरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री) में कहा, खुली अर्थव्यवस्था के रूप में ब्रिटेन की स्थिति बनाए रखने के लिए आज पहले की तुलना में जिम्मेदार राजनेताओं और व्यवसायियों की अधिक आवश्यकता है। आने वाले वर्षों के लिए यह सफलता का हमारा सर्वाधिक तेज गति वाला और सर्वाधिक सुनिश्चित मार्ग है।

दक्षिण एशिया के साथ व्यापार

भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के साथ हमारा व्यापारिक संबंध एक प्रमुख उदाहरण है।

ब्रिटिश व्यवसाय जगत के पास दक्षिण एशिया में सुनाने के लिए बहुत कुछ तो पहले से है।

इन उभरते बाजारों में अपना-अपना स्थान सुरक्षित करने वाले मार्क्स एंड स्पेंसर, यूनीलिवर, एयरबस, डिएगिओ, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन रेकिट, एचएसबीसी, नेक्स्ट, केयर्न एनर्जी तथा अन्य विविध प्रतिष्ठित ब्रिटिश नामों के साथ इन देशों में ब्रिटेन एक प्रमुख निवेशक है। लेकिन, जैसा कि मैं स्वयं भारत में देख रहा हूं कि हमारे लिए यहां करने को अभी और भी बहुत कुछ है।

निक क्लेग की अगस्त 2014 की भारत यात्रा के बारे पढ़ें। </div>

विश्व बैंक के हालिया अनुमान के मुताबिक दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था के इस साल और अगले साल 6% की दर से विकास करने की उम्मीद है, जिसे यह पूर्वी एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के बाद दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाला दूसरा क्षेत्र होगा।

इस गतिशीलता का एक बड़ा भाग, जैसा कि विश्व बैंक बताता है- ‘मोदी’ कारक है। माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपनी सरकार की प्राथमिकताओं में प्रेरक निवेश, रोजगार सृजन और संवृद्धि को प्रमुखता से शामिल किया है, जब मैं उनसे गर्मियों में मिला, तो हमने भारत के लक्ष्यों की प्राप्ति में ब्रिटेन द्वारा निभाई जा सकने वाली महत्वपूर्ण भूमिकाओं पर चर्चा की।

दुनिया के अग्रणी वित्तीय केन्द्र के रूप में ब्रिटेन भारत को वह पूंजी और निवेश मुहैया करा सकता है जिसकी आवश्यकता उसे अपनी आधारभूत संरचनाओं के आधुनिकीकरण के लिए है, तथा साथ ही अपनी विशेषज्ञता, अनुभव और विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की सहायता से यह भविष्य की इसकी जनसंख्या को दक्षता से लैस कर सकता है। और भारत में, ब्रिटेन द्वारा संपूर्ण दक्षिण एशिया में किए जाने वाले 22.3 अरब पाउंड के निवेश की तुलना में सर्वाधिक 17 अरब पाउंड का निवेश है।

लेकिन इससे अन्य प्रमुख दक्षिण एशियाई बाजारों में विशाल निवेश के अवसर कम नहीं हो जाते। एक उदाहरण पाकिस्तान है। यह 18.6 करोड़ युवा जनसंख्या वाला एक विकासशील बाजार है। इसके पास एक उभरता हुआ मध्यवर्ग भी है जो हमारे दोनों देशों के बीच पुराने और स्थायी संबंधों के कारण ब्रिटिश उत्पादों और ब्रांडों पर भरोसा करता है और हमने 2015 तक अपने व्यापार को 3 अरब पाउंड तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

यही कहानी श्रीलंका के साथ है, युद्धविराम के आज पांच साल के बाद इसकी अर्थव्यवस्था इस क्षेत्र की सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक है। न केवल यहां हमारे लिए सभी क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने के विशाल अवसर मौजूद हैं बल्कि उच्च शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में श्रीलंका के साथ ब्रिटेन की रणनैतिक साझेदारी का निर्माण भी किया जा सकता है।

यही बात नेपाल और बांग्लादेश जैसे अन्य देशों पर भी लागू होती है जो आने वाले सालों में अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता को मजबूत बनाना चाहते हैं। बहुतों के लिए, आधारभूत संरचना में सुधार सर्वोच्च प्राथमिकता है जिसके लिए संपूर्ण क्षेत्र में परिवहन, ऊर्जा और संचार पर बड़े निवेश किए जा रहे हैं।

कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ, खास तौर पर दूर-दराज के इलाकों में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी काफी बल दिया जा रहा है। इन चुनौतियों के लिए ब्रिटेन के पास ज्ञान और व्यवसाय क्षमताएं हैं, जिनका आज रात यहां व्यापक प्रतिनिधित्व किया जा रहा है।

या केवल उन सामान्य बड़े वैश्विक नामों के बारे में नहीं है जो और भी बड़े होने वाले हैं।

यहां प्रत्येक क्षेत्र में ब्रिटिश एसएमई के लिए सही जगह है और ब्रिटिश क्षेत्र इसमें शामिल होकर अपनी कुशलता का मुहर लगाना चाहता है। भारत, पाकिस्तान, बांगलादेश और श्रीलंका में जमीनी परिचालनों के साथ यूके ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट कंपनियों को हर संभव जरूरी सहायता मुहैया करने को तत्पर है।

हमने निर्यात-वित्त सहायता का एक महत्वाकांक्षी पैकेज भी तैयार किया है। इसमें शामिल है छोटे निर्यातों पर ध्यान देना और साथ ही हमारे डाइरेक्ट लेंडिंग स्कीम को दुगुना कर 3 अरब पाउंड करना। भारतीय आधारभूत परियोजनाओं में निवेश करने को इच्छुक कंपनियों के लिए 1 अरब पाउंड का एक नया विस्तार भी किया है।

10 से 14 नवंबर तक निर्यात सप्ताह मनाया जा रहा है: यूकेटीआई के प्रस्ताव पर सहायता और सहयोग के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें। </div>

वह ऊंची छलांग लगाने में आपकी बढ़त का अनुकरण करने के लिए हमें बस और अधिक लोगों की आवश्यकता है। यहीं हमें आपकी सहायता चाहिए। दक्षिण एशिया के साथ आपके रिश्ते चाहे वह पारिवारिक हो, व्यावसायिक अथवा शैक्षणिक हो, हमारे लिए बड़े मूल्यवान हैं।

दादाभाई नौरोजी अवार्ड्स

इसीलिए मैं इस साल प्रथम दादाभाई नौरोजी पुरस्कारों की शुरुआत करते हुए बहुत गौरवान्वित हुआ। इन पुरस्कारों की स्थापना एक एशियाई नायक, गर्वीले उदारवादी और ब्रिटेन के प्रथम एशियाई एमपी और व्यवसायी दादाभाई नौरोजी की विरासत को सम्मानित करने, तथा साथ ही भारत के साथ आज हमारे देश के रिश्ते को मजबूत बनाने में योगदान करने वाले लोगों के इस्तकबाल के लिए की गई है।

अगले साल में आपमें से बहुतों के नाम इन पुरस्कारों की चयन सूची और विजेता सूची में देखना चाहता हूं।

दादाभाई नौरोजी अवार्ड्स के विजेताओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें। </div>

ये रिश्ते घनिष्ठता और ताकत पैदा करते हैं जिन्हें निर्मित नहीं किया जा सकता तथा इससे और भी ब्रिटिश व्यवसायों को दक्षिण एशिया में उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, 12 लाख ब्रिटिश नागरिकों का पाकिस्तान के साथ पारिवारिक संबंध हैं जबकि ब्रिटेन दुनिया में दूसरे सबसे भारतीय प्रवासी समुदाय का घर है।

इसलिए मैं आपसे तथा एबीए जैसे संगठनों से कहूंगा कि वे हमारे साथ काम करते रहें और अपनी विशेषज्ञता अन्य ब्रिटिश कंपनियों के साथ साझा करें।

आपके अनुभव और भी कंपनियों को विदेशों में फलने-फूलने हेतु प्रेरित करने में मददगार हो सकते हैं जिससे ब्रिटेन उस किस्म की मजबूत अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष समाज कायम रखने में सक्षम होगा जिसकी हमें भविष्य में आवश्यकता पड़ेगी।

निष्कर्ष

अंत में, कृपया अपने अनोखे काम को करना जारी रखें। आपके लिए सहायता उपलब्ध है, विशेषज्ञता उपलब्ध और नए रोजगारों के सृजन में, वाणिज्य को प्रोत्साहन में तथा ब्रिटेन एवं संपूर्ण दक्षिण एशिया में आने वाले दशकों तक हम आपकी हर प्रकार से मदद करने को तैयार हैं।

प्रकाशित 12 November 2014