भारत में सुशासन तथा दीर्घकालिक विकास का संचालन : एक संसद सदस्य की भूमिका
कोलकाता में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त स्कॉट फर्सेडोन वुड के उस अभिभाषण का अंश जो उन्होंने वृहस्पतिवार 28 अगस्त 2014 को स्वानीति कार्यक्रम के तहत भारतीय उद्योग परिसंघ और ब्रिटिश उप-उच्चायोग कोलकाता द्वारा आयोजित ‘भारत में सुशासन तथा दीर्घकालिक विकास का संचालन : एक संसद सदस्य की भूमिका’ पर परस्पर संवाद आधारित सत्र में दिया था।

देवियो और सज्जनो, संसद के सदस्यों! आज यहां सुशासन तथा दीर्घकालिक विकास पर आयोजित इस संवाद-सत्र में उपस्थित होकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है।
मैं हमारे चार वक्ताओं सर्वश्री दिनेश त्रिवेदी, प्रोफेसर राजीव गौड़ा, पी डी राय तथा प्रोफेसर सुगत बोस का हार्दिक स्वागत करता हूं- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप अपने व्यस्त कार्यक्रम में से बहुमूल्य समय निकालकर इस संवाद-परिचर्चा में पधारे।
इस सत्र का उद्देश्य है भारत में उत्तरदायित्व, सुशासन और विकास के संदर्भ में निर्वाचित प्रतिनिधियों, खासकर एमपी (सांसदों) की भूमिकाओं को समझना। मैं इस बारे में सुनने को उत्सुक हूं कि संसद के भीतर और बाहर अपने कार्यों के जरिए निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर परिवर्तन लाने की अपनी भूमिकाओं और अपने अनुभवों को माननीय सांसद किस प्रकार देखते हैं।
इस समय भारत में मौजूद होना रोमांचक है। इस साल भारत ने दुनिया के समक्ष अभूतपूर्व लोकतांत्रिक भागीदारी का श्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
इस विशाल आम चुनाव की सफलता भारतीय के स्वस्थ, जीवंत तथा परिवर्तनशील लोकतंत्र का प्रमाण है। पारदर्शी मानदंडों पर खरा, यह निर्वाचन दुनियाभर में भारतीय इतिहास के एक कीर्तिमान के रूप में देखा गया, इससे जरा भी कम नहीं, क्योंकि इसके साथ विकास, सरकारी उत्तरदायित्व तथा आर्थिक संवृद्धि पर एक नए संकेंद्रित युग का सूत्रपात हुआ है। लोकतंत्र के इस विस्मयकारी विराट प्रदर्शन को निकट से देखना सचमुच एक सौभाग्य की बात है।
भारत की जनसंख्या में युवाओं की तादाद इसकी एक वास्तविक शक्ति है- भारत के 1.25 अरब नागरिकों में से आधे 25 वर्ष से कम आयुवर्ग से आते हैं। इस साल के निर्वाचन की एक महत्वपूर्ण विशेषता इन युवाओं की बेमिसाल भागीदारी रही है। इस निर्वाचन में एक बड़ी संख्या ऐसे मतदाताओं की थी जो पहली बार मतदान के योग्य हुए हैं, और देशभर में राजनैतिक दलों के चुनाव अभियानों में ऐसे हजारों युवाओं की सक्रिय भागीदारी रही। यह भारत के युवाओं की उस आकांक्षा का प्रतीक है कि वे अपने देश के भविष्य को आकार देने में एक अधिक विस्तृत और निर्णायक भूमिका निभाना चाहते हैं। कई स्वरूपों में, यह निर्वाचन युवा भारत की आवाज बना है।.
आज का यह सत्र एक ऐसे संगठन द्वारा संकल्पित तथा प्रवर्तित परियोजना का एक अंग है जो महत्वाकांक्षी, मेधावी, देश की प्रगति में योगदान के लिए वस्तुतः अभिलाषी युवा भारत का उदाहरण पेश करता है।
स्वानीति प्रयास एक तटस्थ, अलाभकारी संगठन है, जो भारत भर के सांसदों को विकास समाधान उपलब्ध कराता है। स्वानीति वर्तमान में देशभर के के 80 संसद-सदस्यों के साथ मिलकर शिक्षा, लिंग, आजीविका तथा स्वास्थ्य के मुद्दों पर काम कर रहा है। स्वानीति की 8 सदस्यीय युवा टीम में दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों, जैसे- हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड, स्टैनफोर्ड, आईआईटी तथा आईआईएम के स्नातक सम्मिलित हैं।
नेतृत्व मंच (लीडर्स प्लेटफॉर्म) नामक परियोजना के एक अंश के रूप में, स्वानीति द्वारा विकासात्मक मुद्दों पर सांसदों के लिए निर्वाचन-क्षेत्र हेतु विशेषीकृत शोध तथा समाधान प्रस्तुत करने के उद्देश्य से, प्रक्षेत्र विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारियां प्रस्तुत करते हुए गोलमेज परिचर्चा के माध्यम से कार्य किया जा रहा है। स्वानीति का लक्ष्य, सांसदों को अपने संसदीय क्षेत्रों में विकास पहुंचाने में मदद करने के संदर्भ में, उन्हें जानकारियों से लैस कर, तथा उन्हें उच्च-स्तरीय विशेषज्ञता मुहैया करा कर उनकी सहायता करना है। इसका उद्देश्य है, “युवाओं के लिए सहजता से स्कूल से काम पर (स्कूल-टू-वर्क) स्थानांतरण”, तथा “हरित ऊर्जा कार्यान्वयन द्वारा रोजगार सृजन” जैसे मुद्दों के समाधान के लिए सांसदों को इन मुद्दों के लिए खासतौर पर निर्मित समाधान तथा ज्ञान-आधारित समर्थन-सहयोग उपलब्ध कराना। स्वानीति का कार्य सांसदों द्वारा उठाए गए खास सरोकारों तथा चुनौतियों को अभिनव समाधानों के माध्यम से हल करने पर भी केंद्रित है। हमें प्रसन्नता है कि हम इस क्षेत्र में स्वानीति के कार्य में सहायता कर रहे हैं।.
और मैं खुश हूं कि हमारे साथ मौजूद चार सम्मानित सांसदों ने इतने उत्साह से इस अवसर को अंगीकार किया है।
किसी भी देश में, सरकार के विभिन्न अंग, समय-समय पर अपने उन्हीं नागरिकों के लिए उदासीन और दुर्लभ हो सकते हैं, जिनकी वे सेवा करते हैं। नागरिकों और सरकार के बीच इस खाई को पाटना एक चुनौती हो सकती है। भारत जैसे देश में, जो इतना विशाल और इतनी बड़ी जनसंख्या से युक्त है, यह चुनौती खासतौर पर घातक हो सकती है। किंतु संसद के निर्वाचित सदस्य इस चुनौती को हल कर सकते हैं और करते भी हैं। अपने संसदीय क्षेत्रों द्वारा उनके हितों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने के लिए निर्वाचित एक सांसद, समाज के सबसे मूलभूत तबके के सरोकारों को उनके लिए सरकार द्वारा लिए जानेवाले निर्णयों तक पहुंचाने के लिए विशिष्ट संपर्क सूत्र का काम करता है।
यह मेरा परम सौभाग्य रहा है कि मैं ढ़ाई वर्षों तक लंदन के हमारे विदेश कार्यालय में राज्य मंत्री का निजी सचिव रहा। उनके विभाग में, मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया, आतंकवाद निरोध तथा कई सारे आकर्षक किंतु प्रायः चुनौतीपूर्ण मुद्दे सम्मिलित हैं। सप्ताह में चार दिन मैं उनके साथ रहता था; विदेश मंत्रियों, राजदूतों तथा वरिष्ठ नीतिनिर्माताओं के साथ मुलाकात करते हुए; या इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कोलंबिया के चुनावी दौरों, अथवा न्यूयार्क या जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र की बैठकों के लिए की जानेवाली यात्राएं करते हुए।
लेकिन हर शुक्रवार, बिना किसी व्यवधान के वह साउथ वेल्स के अपने संसदीय क्षेत्र में “सर्जरी” के लिए या अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से खुली मुलाकात के लिए वापस लौटते थे। वह बच्चों की शिक्षा संबंधी अपने निर्वाचकों की चिंताओं या आस-पास अपराध की घटनाओं जैसे मामलों को भी उतनी ही गंभीरता से लेते थे जितना कि उनके लिए सप्ताह के शुरुआती भाग में अंतर्राष्ट्रीय मामले गंभीर होते। लेकिन वह अपने निर्वाचक क्षेत्र के लोगों के साथ होने वाले संवादों को उन्हें उन वैश्विक मुद्दों को समझाने तथा इस बारे में उनकी राय जानने के अवसर के रूप में लेते थे कि सरकार उन मुद्दों पर सही काम कर रही है या नहीं।
निर्वाचन क्षेत्र को आवश्यक बोझ मानने की बजाए लोकतंत्र के एक अनिवार्य स्तर के रूप में महत्व देने की वह प्रतिबद्धता हमारी व्यवस्था के सांसदों की एक सामान्य विशेषता है और जहां तक मैं जानता हूं यही विशेषता भारतीय व्यवस्था के बहुत से सांसदों की भी है। और, मुझे यह कहते खुशी हो रही है कि यही वह प्रतिबद्धता है जिसकी मांग निर्वाचक क्षेत्र के नागरिकों में निरंतर रहती है। यह लोकतंत्र, संचार, निर्वाचित सांसद द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के हितों का समर्थन करने और उनके प्रति जवाबदेही के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और यही सुशासन का एक सशक्त आधार भी है।
बेशक, विभिन्न देश अलग-अलग बिन्दुओं से शुरुआत करते हैं, लेकिन हम सबके लिए जवाबदेह और प्रभावी संस्थाएं राज्य और समाज के बीच विश्वास का सृजन करते हैं। साथ ही वे उन दबावों से भी निबटते हैं जो अन्यथा देश में टकरावों का कारण बनते और ये देश को आर्थिक क्षमता तथा अपने नागरिकों को खुशहाली प्रदान करने में भी सक्षम बनाते हैं। यह जितना युनाइटेड किंगडम के लिए है उतना ही प्रासंगिक एशिया, अफ्रीका या लैटिन अमेरिकी देशों के लिए भी है। हम सब अपने नगरिकों के प्रति- शिक्षा, रोजगार और बेहतर जीवन के निर्माण के उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आर्थिक विकास लोगों की आय बढ़ाने और गरीबी कम करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है– यह गरीबों के लिए उनके परिवार की सहायता करने और अधिक स्थायी भविष्य निर्माण हेतु रोजगार और अवसर का सृजन करता है। भारत के पास महती आकांक्षा, ऊर्जा, प्रतिभा और उत्कृष्टता है। जबकि भारत समृद्धि और वैश्विक प्रभाविता के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है हम ब्रिटेन के लोग इस यात्रा में आपका पसंदीदा साथी बनने को उत्सुक हैं। ब्रिटेन-भारत की साझेदारी अधिक व्यापक, अधिक गहरी और मजबूत हो रही है। यह उचित रूप से बराबरी आधारित साझेदारी है जिसमें दोनों लाभान्वित होंगे। इससे हमारे दोनों देश एक दूसरे के अधिक निकट आ रहे हैं। और यह हम दोनों देशों के अपने नागरिकों को अधिक सुरक्षित, समृद्ध और खुशहाल बनाता है।
मैं सीआईआई और स्वानीति प्रयास को आज के कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा और मेरे लिए इस महत्वपूर्ण संवाद का हिस्सा बनना सम्मान की बात है। इस अपराह्न मैं जोशीले विचार-विनिमय के प्रति आशान्वित हूं।
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद!