गांधी प्रतिमा का अनावरण समारोह : डेविड कैमरन का भाषण
गांधी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ब्रिटेन के लिए महात्मा गांधी के योगदानों के महत्व के बारे में कहा।

पूरे देश की ओर से मैं लॉर्ड और लेडी देसाई को, जो जॉन्सन को और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अपनी पॉलिसी यूनिट को तथा उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस प्रतिमा को संभव बनाने वाले गांधी स्टैच्यू मेमोरियल ट्रस्ट की सहायता की।
जिस गांधी प्रतिमा को आज हम देख रहे हैं वह 1931 में डाउनिंग स्ट्रीट की सीढियों पर की उनकी तस्वीर पर आधारित है। उस यात्रा में वह सम्राट जॉर्ज पंचाम से भी मिले थे। धोती पहने, खुली छाती और लाठी थामे गांधीजी से जब किसी ने पूछा कि क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि आपने अपर्याप्त कपड़े पहने हैं तो उनका जवाब था, “सम्राट ने हम दोनों के बराबर कपड़े पहन रखे हैं।”
ब्रिटिश मूर्तिकार फिलिप जैक्सन ने शानदार काम किया है। 9 फुट ऊंची यह बेजोड़ कांस्य प्रतिमा विश्व राजनैतिक इतिहास की एक सबसे ऊंची हस्ती को भावभीनी श्रद्धांजलि है। और मेरे लिए इस बात के तीन खास कारण हैं कि मुझे क्यों लगता है कि यह प्रतिमा हमारे देश के लिए इतना महत्वपूर्ण है।
महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण समारोह से तस्वीरें देखें।
हमारे देश में गांधी का स्थायी निवास
पहला कारण है कि इस प्रसिद्ध स्क्वायर में इस प्रतिमा की स्थापना कर हम गांधीजी के लिए इस देश को स्थायी निवास बना रहे हैं। जिस व्यक्ति ने राजनैतिक रूप से अकल्पनीय को राजनैतिक अपरिहार्यता में परिणत कर दिया, द. अफ्रीका में किए गए जिनके कार्यों ने मंडेला के लिए राह बनाई और जिनके सत्याग्रह का सिद्धांत दुनिया भर में चल रहे नागरिक अधिकार आंदोलनों की प्रेरणा बना। उस प्रेरणादायी पुरुष को पता था कि वह क्या हैं और यहां ब्रिटेन के लिए उनका क्या महत्व है। यह लंदन ही था जहां उन्होंने एक युवा के रूप में पहली बार आवेदन करना सीखा, पत्र लेखन सीखा और भाषण दिया। यहीं पर इनर टेम्पल के सहयोगियों से उन्होंने समानता का व्यवहार पाया, जो अलगाव और भेदभाव के विरुद्ध उनके संघर्ष का आधार बना। और वर्षों बाद जब वह भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे, तब भी इस देश के लोगों के प्रति उनका प्रेम अनवरत झलकता रहा। यदि गांधी को भारत के बाहर दुनिया में कहीं और रहना होता तो वह स्थान लंदन ही होता। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए। और हमें उनपर गर्व होना है।
ब्रिटेन और भारत – एक विशिष्ट मैत्री
दूसरा कारण, यह प्रतिमा दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र और सबसे बड़े लोकतंत्र के बीच विशिष्ट मैत्री का उत्सव भी है। मैं उन पंद्रह लाख भारतीयों के बारे में सोचता हूं जिनका आज के ब्रिटेन में महत्वपूर्ण योगदान है। मैं हमारे दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार के बारे में सोचता हूं। लेकिन मैं दोनों देशों द्वारा अपनाए गए गांधीजी के उस दर्शन के बारे में भी सोचता हूं जिसके अनुसार विभिन्न मतों के लोगों को सौहार्द्र के साथ मिलकर रहना चाहिए। हमें बहु-प्रजातीय, बहु-नस्लीय लोकतंत्र होने का गर्व है। और हम उन सबके खिलाफ एकजुट होकर खड़े होंगे जो हमारे बनाए समाज को तोड़ने का प्रयास करेंगे। गांधीजी ने कहा था, “मानवता में अपनी आस्था कभी न खोएं। मानवता एक समुद्र के समान है; यदि समुद्र की कुछ बूंदें गन्दी हों तो इससे सारा समुद्र गंदला नहीं होता।” ब्रिटेन और भारत साथ मिलकर उसी मानवता के लिए काम करते हैं।
गांधी के संदेश की शक्ति
आखिर में, यह प्रतिमा गांधी के संदेशों की वैश्विक शक्ति का उत्सव है। उनकी अनेक शिक्षाएं आज भी तब की तरह ही प्रासंगिक हैं जब पहली बार उन्होंने उनका संदेश दिया था: “अपने आप को पाने का सर्वोत्तम मार्ग है दूसरों की सेवा करना”। “वही बदलाव खुद में लाएं जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं”। ऐसी ही कई सारे ज्ञान भरे सारगर्भित शब्द हैं जो समयातीत हैं। 85 साल पहले कमजोर शरीर वाले इसी गांधी ने अपने अनुयायियों की 241 मील लंबी दांडी तक नमक यात्रा का नेतृत्व किया था। जब उन्होंने वह पारंपरिक गीत गाया जो हमने इस सुबह सुना तो उसमें उन्होंने कहा कि हर किसी को सद्बुद्धि मिले ‘सबको सन्मति दे भगवान’। मुझे उम्मीद है हमारी राजनीति और लोकतंत्र की हृदयस्थली इस स्क्वायर के गांधीजी का घर बन जाने से हम उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान का आशीर्वाद आने वाली पीढ़ियों तक पाते रहेंगे।