भाषण

आगजनी में जीवित बचे लोगों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए’

23 नवम्बर को केरल में नए एकीकृत बर्न-केयर केंद्र के उद्घाटन पर चेन्नई में ब्रिटेन के उप उच्चायोग के रुडी फर्नांडीज द्वारा के गई टिप्पणियां।

Kerela

सभी गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों का स्वागत और आप सभी के आज यहां उपस्थित रहने के लिए अभार।

बेबी मेमोरियल हॉस्पिटल (बीएमएच) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. के जी अलेक्जांडर, आपको और आपके दल को बीएमच के 1980 के दशक में 52 बिस्तरों वाली एक सादगीपूर्ण शुरुआत से वर्तमान में हुए बदलाव के लिए हार्दिक बधाई। वर्तमान में आपके द्वारा प्रदान की गई 800 बिस्तरों वाली अत्यंत बहु विशेषज्ञता वाले अस्पताल, 40 से अधिक चिकित्सा एवं शल्यचिकित्सा विभागों और 16 ऑपरेशन थिएटर की सुविधाओं के लिए आप गर्व महसूस कर सकते हैं।

आपके 300 डॉक्टर और 2,000 से अधिक नर्सिंग और पैरामेडिकल वैश्विक स्वास्थ्यसेवा गंतव्य और साझेदार के रूप में भारत की प्रतिष्ठा के हिस्सा हैं। वे आपके सिद्धांत –‘देखभाल से ज्यादा’!’ को सार्थक कर रहे हैं।

आज बीएमएच के नए अत्याधुनिक बर्न्स आइसीयू के उद्घाटन पर मैं प्रसन्न हूं। यह आपका 15 वां आइसीयू है और साथ ही यह केवल सामान्य स्वास्थ्यसेवा ही नहीं बल्कि गहन देखभाल की व्यापक संभावित श्रृंखला उपलब्ध कराने की आपकी प्रतिबद्धता का साक्षी है।

आग से जलने की घटनाओं के ताजा आंकड़ों की आधिकारिकता और सटीकता के विषय में मैं निश्चित नहीं हूं। जलने की घटनाओं की रिपोर्टिंग और चिकित्सकीय-कानूनी प्रणाली में उनका दर्ज होना स्पष्ट रूप से अधूरा, असंगत है। कई लोगों का कहना है कि कुछ भी हो, ऐसी घटनाएं पूर्णतया सूचित नहीं की जाती। लेकिन मीडिया के रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति वर्ष लगभग 7 मिलियन लोग जलने से घायल होते हैं, जिनमें से अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं। दुख की बात यह है इनमें से 1.4 लाख लोगों की मौत हो जाती है।

निस्संदेह सभी जलने की घटनाएं हिंसा के कारण नहीं होतीं। इनमें से कई वास्तव में घरेलू और औद्योगिक दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन इनमें से कई ऐसी हैं जो हिंसा के नतीजतन होती हैं और इनमें जो आत्मप्रवृत्त होती हैं वह भी हिंसा के वातावरण का ही नतीजा होती हैं।

जहां यह निश्चित रूप से बेहतर, अधिक सटीक तथ्य और आंकड़ें हासिल करने में सहायक होता है, वहीं हम सभी को हिंसा की शिकार हुई महिलाओं, बच्चों और कभी-कभार संपूर्ण परिवारों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है-खासतौर पर एकल घटना के बाद गंभीर रूप से जलने के भयानक परिणामों का प्रभाव लंबे समय तक रहता है।

कुछ मुट्ठीभर निजी अस्पतालों को छोड़ दें तो अधिकतर बर्न-केयर अस्पताल सरकार द्वारा संचालित होते हैं। यह खुशी ही बात है कि यह एक बड़ी और तेजी से विकसित होने वाली सार्वजनिक मूलभूत संरचना है।

उदाहरण के तौर पर, भारतीय स्वास्थ्य विभाग का आग से जलने के घावों की रोकथाम एवं प्रबंधन का राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीपीएमबीआइ) एक अद्भुत कार्यक्रम है जो ऐसे सरकारी मडिकल कॉलेज और अस्पतालों को सहायता प्रदान करता है जो स्वयं का एक बर्न युनिट शुरू करना चाहते हैं। मैं यह समझता हूं कि केरल एक भावी लाभार्थी राज्य है, जहां कोल्लम के ए ए रहीम मेमोरियल जिला अस्पताल को 12वीं पंच वर्षीय योजना के तहत नई बर्न युनिट स्थापित करने की अनुमति प्राप्त है।

निश्चित ही राज्य के सरकारी अस्पतालों की ओर से लंबे समय से जलने की घटनाओं में देखभाल संबंधी सहायता मिलती रही है। पिछले कई वर्षों से इन राज्य स्तर के प्रयासों के पूरक रहे हैं शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण, वकालत, जागरूकता में श्रेष्ठता प्राप्त राष्ट्रीय केंद्र जैसे मुम्बई का नैशनल बर्न्स सेंटर और नई दिल्ली का नैशनल एकैडमी ऑफ बर्न्स इंडिया। इस पृष्ठभूमि में बीएमएच राह दिखा रहा है।

इस निवेश के जरिए बीएमएच भारत के केंद्रीय और राज्य सरकारों के संदेश को समर्थन दे रहा है जो है-उन जलने की घटनाओं में बचे लोगों की सहायता करना जिन्हें विशेषज्ञतापूर्ण देखभाल की आवश्यकता है। मुझे उम्मीद है कि और अधिक राज्य स्तर के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भारतीय सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता के लाभ को स्वीकारेंगे जिसके तहत आग से जलने के मरीजों की देखभाल के लिए बुनियादी आवश्यकताओं को मजबूती दी जाएगी।

लेकिन बीएमएच निजी स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र को अपना संदेश-जलने की घटनाओं में जीवित बचे लोगों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए- इसी संदेश के साथ यह बेहद निर्भय और साहसिक कार्य कर रहा है। मुझे आशा है कि भारत भर से अन्य निजी स्वास्थ्यसेवा समूह आपके उदाहरण का अनुसरण करेंगे।

हमें प्रसन्नता है कि बीएमएच का नया आइसीयू जलने से घटनाओं में जीवित मरीजों की सेवा करेगा क्योंकि वह इस क्षेत्र में हमारे कुछ वैश्विक कार्य की पुष्टी करता है। उदाहरण के तौर पर, हाल के कुछ वर्षों में हमने बांग्लादेश के कुछ जलने की घट्नाओं में जीवित लोगों की सहायता की है। मानुशेर जुन्नो फाउंडेशन (एमजेएफ) के जरिए हमने बांग्लादेश में एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन के बेहतरीन जागरूकता और कानूनी कार्य का समर्थन किया है।

इस वर्ष हम भारत में एक ऐसे पहल का समर्थन कर रहे हैं जिसके तहत केवल जलने की हिंसा में जीवित बची महिलाओं को ही नहीं बल्कि उन महिलाओं को भी सहायता दी जाएगी जो केवल एसिड से ही नहीं बल्कि मिट्टी के तेल, गैस चूल्हे, शराब या किसी रसायन से जलने के कारण घायल हुई हों। हम सहायता इसलिए प्रदान कर रहे हैं क्योंकि हमारा मानना है कि जलना महिलाओं के खिलाफ हिंसा का विशिष्ट रूप से सबसे भयावह स्वरूप है और इनमें अस्पताल में और ठीक होने के बाद भी विशिष्ट और गहन देखभाल की आवश्यकता होती है।

अंतत:, मुझे यह सुनकर प्रसन्नता हो रही है कि बीएमएच दल के ब्रिटेन के साथ कुछ दीर्घकालिक संबंध हैं। आपमें से कई ब्रिटेन के स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक वर्षों से प्रशिक्षण लेते और कार्य करते रहे हैं। इनमें शामिल हैं आपके सीईओ डॉ. सोमन जेकब, ऑर्थोपेडीक विभाग के अध्यक्ष डॉ. मणी, आपके नियोनैटोलॉजिस्ट सलाहकार डॉ. रंजीत। और आपके कई चिकित्सकों को ब्रिटेन के रॉयल कॉलेजों से मानद फेलोशिप प्राप्त है। मुझे उम्मीद है कि आप ब्रिटेन के साथ इस संबंध को आगे भी विकसित करेंगे और हमें कहां और कैसे सहायता करनी है इस बारे में अवगत कराते रहेंगे।

एक बार फिर से धन्यवाद।

प्रकाशित 25 November 2016