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यूके-भारत अनुसंधान संयुक्त निवेश £200 मिलियन से ज्यादा

यूके रिसर्च काउंसिल्स, भारत सरकार तथा तीसरे पक्षों से होने वाला यूके-भारत अनुसंधान निवेश वर्ष 2015 के दौरान संयुक्त £72 मिलियन के बाद अब £200 मिलियन से अधिक हो चुका है।

जैसा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस हफ्ते अपनी पहली ब्रिटेन यात्रा पर हैं, इस मौके पर कई कार्यक्रमों पर सहमति जताई गई है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते अनुसंधान तथा इनोवेशन सहयोग को मजबूत करेंगे, और दोनों देशों के प्रमुख सामाजिक चुनौतियों- जैसे कि खाद्य, ऊर्जा तथा जल सुरक्षा; स्वास्थ्य तथा बेहतरी; स्मार्ट सिटीज व तीव्र शहरीकरण से निपटने में मदद करेंगे तथा विशेषज्ञता, संसाधनों तथा सुविधाओं तक अधिक से अधिक पहुंच बन पाएगी।

आज (शुक्रवार 13 नवम्बर) यूके-भारत अनुसंधान कार्यक्रमों के लिए कोष प्रदत्त कई परियोजनाओं की घोषणा की गई है, जिसे न्यूटन फंड के जरिए वित्त प्रदान किया जाता है। न्यूटन-भाभा फंड, रिसर्च काउंसिल्स को भारत के साथ एक धारणीय दीर्घकालिक सहयोग स्थापित करने में मदद करता है।

  • इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च तथा मेडिकल रिसर्च काउंसिल (MRC) का संयुक्त प्रयास ईटियोलॉजी एंड लाइफ-कोर्स ऑफ सब्सटांस मिसयूज एंड रिलेशनशिप विद मेंटल इलनेस सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं को वित्त प्रदान करेगा, जो पर्याप्त दुरुपयोग तथा इससे जुड़े परिणाम का अध्ययन करेगा। यह £2.5 मिलियन का एक संयुक्त निवेश है।

  • संयुक्त ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम: वुमंस एंड चिल्ड्रंस हेल्थ एमआरसी तथा डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) भारत के बीच का एक सहयोग कार्यक्रम है, जो डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट (DFID) के साथ सहयोग करता है। यह यूके, भारत तथा निम्न आय वाले देशों के अनुसंधानकर्ताओं को साथ लाकर निम्न संसाधन वाली व्यवस्थाओं में महिलाओं तथा बच्चों की प्रमुख स्वास्थ्य जरूरतों से निपटता है। यह £6 मिलियन का एक संयुक्त निवेश है।

यूके यूनिवर्सिटीज एंड साइंस मिनिस्टर, श्री जो जॉन्सन एमपी ने कहा:

हाल के वर्षों में यूके तथा भारत के बीच का अनुसंधान काफी मजबूत हुआ, क्योंकि हमने साथ मिलकर दुनिया की कुछ बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए काम किया है। स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति प्रदान करने के लिए धारणीय जलापूर्ति बनाए रखने से लेकर यह अनुसंधान दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक क्षमताओं को आगे बढ़ा रहा है और पूरी दुनिया भर में करोड़ों लोगों के जीवन को उन्नत बनाने में मदद कर रहा है।

भारत के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी एवं मृदा विज्ञान राज्य मंत्री, श्री वाई एस चौधरी ने कहा:

अनुसंधान समुदायों तथा सुविधाओं के सहयोग को मजबूत करने से यूके तथा भारत का विज्ञान तथा अनुसंधान सहयोग तेजी से आगे बढ़ा है। यूके-भारत का यह प्रबल अनुसंधान संबंध दोनों देशों तथा दुनिया के मौजूदा मुद्दों से निपटने में मदद करता है।

यूके-भारत के अन्य वर्तमान सहयोगों में शामिल हैं:

  • नेचुरल एंवायरन्मेंट रिसर्च काउंसिल (NERC) तथा मृदा विज्ञान मंत्रालय (MoES) साउथ एशियन मॉनसून प्रोग्राम, भारत में 2016 निरीक्षणात्मक अभियान (नन-न्यूटन प्रोग्राम) – NERC का भारत में ऐटमॉस्फेरिक रिसर्च एयरक्राफ्ट (ARA) अभियान मध्य-मई से मध्य जुलाई 2016 के लिए तय है और इसे भारत के मॉनसून मिशन के एक हिस्से के रूप में आयोजित किया जाएगा ताकि मॉनसून की अल्पकालिक तथा मौसम के पैमाने पर भविष्यवाणी में सुधार आ सके।

  • इंजीनियरिंग तथा फीजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल (EPSRC) तथा डिपार्टमेंट फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DST) ज्वाइंट वर्चुअल सेंटर ऑन क्लीन एनर्जी £5 मिलियन की राशि यूके से तथा इतनी ही राशि भारत से। इस सेंटर का लक्ष्य स्मार्ट ग्रिड्स तथा ऊर्जा भंडारण के समेकन की समस्या का समाधान प्रस्तुत करना। इसका लक्ष्य ऐसे समुदायों के लिए सस्ते, नवीकरणीय ऊर्जा समाधान का विकास करना भी है, जिनके पास भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्ति उपलब्ध नहीं है। मौजूदा समय में भारतीय सहयोगियों का चयन किया जा रहा है, जो यूके सुपरजेन पार्टनरों के साथ काम करेंगे, और अप्रैल 2016 में इस केंद्र की स्थापना करेंगे।

  • NERC-MoES कॉल, जिसे एक अनुसंधान प्रोग्राम- सस्टेनेबल वाटर रिसोर्सेज फॉर फूड, एनर्जी एंड ईकोसिस्टम सर्विसेज पर न्यूटन-भाभा फंड से सहयोग प्राप्त हो रहा है– जो £6 मिलियन का संयुक्त निवेश है। यह कार्यक्रम मॉडलों के विकास के लिए एक समग्र विधि का इस्तेमाल करेगा, जो आगामी रुझानों का अनुमान लगा सकती है तथा जलवायु परिवर्तन, भूमि-इस्तेमाल बदलाव, जनसंख्या वृद्धि व जल संसाधनों पर शहरीकरण के प्रभावों का भी आंकलन कर सकती है। यह भारत सरकार का जल संसाधनों का धारणीय रूप से प्रबंधन करने तथा नदियों को पुनर्जीवित करने और गंगा नदी में निरंतर तथा प्रदूषण रहित जल के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय गंगा सफाई अभियान के प्रयासों में मदद करेगा। पुरस्कारों की घोषणा नव वर्ष में की जाएगी जो अप्रैल 2016 से आरंभ होगा।

  • NERC-MoES-MRC-DBT, जो भारत के महानगर में वायुमंडलीय प्रदूषण तथा मानव स्वास्थ्य पर एक अनुसंधान कार्यक्रम है– इसके लिए £6.5 मिलियन यूके तथा इतनी ही राशि भारत से दी जाएगी: भारतीय शहरों में प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसका अर्थव्यवस्था तथा लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। यह कार्यक्रम वायु प्रदूषण तथा तेजी से शहर बनने समाज पर इसके प्रभाव पर नई जानकारियां प्रदान करेगा तथा दिल्ली में वायुमंडलीय प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य सुधारों के लिए सस्ते उपाय हेतु प्रमाण का सृजन करेगा।

  • भारतीय प्रिंट की दो सदी, एक आर्ट्स एंड ह्युमैनिटीज रिसर्च काउंसिल (AHRC) तथा ब्रिटिश लाइब्रेरी का डिजिटाइजेशन प्रयास का एक पायलट प्रॉजेक्ट। प्रॉजेक्ट दक्षिण-एशियाई भाषाओं में मुद्रित पुस्तकों की दुनिया के सर्वाधिक अहम संग्रहों में एक के डिजिटाइज करने तथा फ्री ऑनलाइन ऐक्सेस का लक्ष्य रखता है।

  • साइंस एंड टेक्नोलॉजी फैसिलिटीज सेंटर (STFC), जवाहरलाल नेहरु सेंटर फॉर ऐडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के साथ सहयोग- £1.5 मिलियन की राशि यूके से तथा इतनी ही राशि भारत से: इसके तहत यूके तथा भारत के वैज्ञानिक STFC के रदरफोर्ड ऐप्लेटन लैबोरेटरी स्थित आइएसआइएस न्यूट्रॉन तथा म्यूअन ऐसिलिटी में अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करेंगे तथा जटिल नैनोस्केल पदार्थों का अध्ययन करेंगे। इस समझौते से भारतीय अनुसंधानकर्ताओं को यूके के अनुसंधानकर्ताओं के साथ बेसिक तथा अप्लायड साइंस के कई विषयों पर सहयोग करने के अवसर मिलेंगे। यह कार्य भौतिक तथा जीवन विज्ञान के कई नैनो-पदार्थों के अध्ययन पर लक्षित है और जो समाज द्वारा झेले जाने वाले वैश्विक बदलावों के लिए समाधान प्रदान कर सकता है।

अधिक जानकारी:

  • यूके-भारत के अन्य प्रयासों में शामिल हैं: जल सुरक्षा तथा कृषि नाइट्रोजन पर संयुक्त उपक्रम, शहरीकरण तथा विरासत तथा कृषि पर संयुक्त अनुसंधान तथा इनोवेशन प्रोग्राम; STFC तथा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के बीच समझौता ज्ञापन।

  • इन प्रोग्रामों के लिए न्यूटन फंड के जरिए वित्त प्रदान किया जाता है- £375 मिलियन की राशि (हर वर्ष £75 मिलियन, पांच वर्षों तक) जिसकी निगरानी डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस इनोवेशन एंड स्किल्स (BIS) द्वारा की जाती है, तथा 15 सहयोगी देशों के सहयोग से 15 आपूर्तिकर्ता सहयोगियों के जरिए आपूर्ति की जाती है। अधिक जानकारी के लॉग इन करें: न्यूटन फण्ड

  • रिसर्च काउंसिल्स यूके, को वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया था, जो उच्च गुणवत्तापूर्ण, उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान सहयोगों के जरिए यूके तथा भारत के बेहतरीन अनुसंधानकर्ताओं को साथ लाता है। RCUK इंडिया, नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग में अवस्थित है, जिसने यूके, भारत तथा तीसरे पक्षों के बीच प्रयासों को वित्त प्रदान किया है, जो £200 मिलियन से अधिक है। अनुसंधान सहयोग प्रायः यूके तथा भारतीय उद्योग पार्टरनों के साथ गहराई से जुड़ा है, जिसमें 90 से अधिक सहयोगी शामिल हैं। RCUK इंडिया सात प्रमुख भारतीय अनुसंधान कोष प्रदाताओं के साथ सह-वित्त पोषित अनुसंधान गतिविधियों में शामिल है, जो वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए कई अनुसंधान विषयों से जुड़े हैं।

  • रिसर्च काउंसिल्स यूके (RCUK) यूके के सात रिसर्च काउंसिल्स का एक रणनैतिक सहयोगी है। हमारा सामुहिक लक्ष्य है यूके को अनुसंधान, आविष्कारी कार्यों तथा व्यवसाय के विकास के लिए अनुकूल स्थान के रूप में बनाए रखना। रिसर्च काउंसिल्स आर्थिक विकास तथा सामाजिक प्रभाव के लिए अनुसंधान तथा इनोवेशन का प्रमुख संगठन है। साथ मिलकर हम अनुसंधान में हर वर्ष £3 मिलियन का निवेश करते हैं, जिसमें सभी विषयों तथा सेक्टर शामिल हैं। हमारे निवेश अनुसंधान फंडिंग, लीडरशिप तथा इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए नए ज्ञान का सृजन करते हैं; तथा यूके के अनुसंधान कार्यों को दिशा देते हैं। हम आविष्कारी कार्यों को इस प्रकार आगे बढ़ाते हैं: पर्यावरण तथा सहयोग का सृजन कर; 2,500 व्यवसायों के साथ अनुसंधान तथा इनोवेशन को बढ़ावा देकर, जिनमें से 1,000 SME हैं; तथा नीति निर्माण के लिए इंटेलिजेंस प्रदान कर। अधिक जानकारी के लिए यहाँ लॉगिन करें

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें: केटी क्लार्क, RCUK कम्युनिकेशंस: 01793 444387.

स्टुअर्ट ऐडम, निदेशक,
प्रेस तथा संचार
ब्रिटिश उच्चायोग,
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली 110021
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प्रकाशित 13 November 2015