प्रेस विज्ञप्ति

यूके और भारत ने नई और महत्वाकांक्षी प्रौद्योगिकी साझेदारी पर दी सहमति

भारत और यूके के बीच हुई इस साझेदारी के तहत यूके के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित व्यवसायों, विश्वविद्यालयों और अन्य इकाईयों को भारतीय राज्यों के साथ जोड़ा जाएगा।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
Prime Minister Modi with DCMS Secretary of State Matt Hancock

Prime Minister Modi with DCMS Secretary of State Matt Hancock

यूके और भारत के बीच हुई इस महत्वाकांक्षी साझेदारी की मदद से यूके में हज़ारों नई नौकरियां और एक अच्छा-ख़ासे निवेश की संभावनाएं पैदा होने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री टरीसा मे और प्रधानमंत्री मोदी ने आज इस साझेदारी पर समझौता किया, जिसके अंतर्गत यूके, एक नई यूके-भारत प्रौद्योगिकी साझेदारी (टेक पार्टनरशिप) स्थापित करेगा और इस माध्यम से दोनों देशों की व्यवसायों, वेंचर कैपिटल, विश्वविद्यालयों और अन्य इकाईयों को साथ लाया जाएगा और ब्रिटिश एंव भारतीय ऑन्त्रप्रन्योर्स के साथ-साथ छोटे और मध्यम स्तरीय एंटरप्राइज़ेज़ के लिए दोनों ही देशों के बाज़ार के रास्ते खोले जाएंगे।

यूके-इज़रायल टेकहब साझेदारी की बदौलत पिछले पांच सालों में 62 मिलियन यूरो के सौदे हो चुके हैं. और साथ ही यूके की अर्थव्यवस्था को 600 मिलियन यूरो का संभावित लाभ हुआ है। दोनों देशों के बीच इस साझेदारी की सफलता के फलस्वरूप ही भारत और यूके के बीच तकनीकी साझेदारी की नींव रखी गई।

सबसे ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, यूके ने 2015 में भारत को 358 मिलियन यूरो की डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराईं।

इन आंकड़ों, यूके-इज़रायल टेक हब और भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर सरकार का मानना है कि इस मुहिम से यूके की अर्थव्यवस्था को बड़ी तेज़ी मिलेगी। ऐसा माना जा रहा है कि यूके-भारत प्रौद्योगिकी साझेदारी की मदद से आने वाले कुछ सालों में यूके के प्रौद्योगिकी सेक्टर में हज़ारों नौकरियां पैदा होंगी।

डिजिटल सेक्रेटरी मैट हैंकॉक ने कहा:

दुनिया की प्रमुख डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में शुमार यूके की डिजिटल अर्थव्यवस्था का सालाना आकलन 116 बिलियन यूरो का है, जिसमें 20 लाख (2 मिलियन) से ज़्यादा लोगों को रोज़गार मिल रहा है।

हम इस सफलता को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यूके-भारत के बीच हुई इस प्रौद्योगिकी साझेदारी के माध्यम से दोनों देशों में काम कर रहीं तकनीकी प्रतिभाओं को साथ लाकर भविष्य में विकास की संभावनाओं को भुनाया जाएगा और दोनों ही देशों में उच्च-स्तरीय कौशल आधारित नौकरियां और आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जाएगा।

शुरूआत में यूके इस साझेदारी के अंतर्गत 1 मिलियन यूरो का निवेश करेगा और 2022 तक इस निवेश के 13 मिलियन यूरो तक बढ़ने की संभावना है।

नेटवर्क स्थापित करने के लिए ब्रिटेन अपने विशेषज्ञों को नई दिल्ली स्थिति ब्रिटिश उच्चायोग, भारत सरकार और भारतीय प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर काम करने के लिए निर्देश देगा ताकि प्रौद्योगिकी निवेश, निर्यात, शोध एंव विकास (रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट) को बढ़ावा मिल सके।

छोटी-छोटी क्षेत्रीय टीमों की मदद से भारत और यूके के कुछ चुनिंदा क्षेत्रों और शहरों के बीच संपर्क स्थापित किया जाएगा।

यह साझेदारी, यूके और भारत में स्थापित व्यवसायों को, आधुनिक तकनीकों, परामर्श (मेंटरिंग) संबंधी रिश्तों के विकास और स्टाफ़ एक्सचेंज के मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी। क्षेत्रीय टीमें यह भी सुनिश्चित करेंगी कि दोनों देशों के तकनीकी सेक्टरों पर इसका उपयुक्त प्रभाव पड़े और एक क्षेत्र के सफल दृष्टिकोण को दूसरे क्षेत्रों द्वारा भी अपनाया जा सके।

साझेदारी के शुरूआती चरण में यूके, महाराष्ट्र के पुणे के साथ संपर्क स्थापित करेगा और कम उत्सर्जन करने वाले और स्वचालित वाहनों, बैटरी स्टोरेज और हल्के वाहनों के निर्माण के समेत मोबिलिटी के भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कर्नाटक के बेंगलुरु के साथ भी संपर्क बनाए जाएंगे और ऑगमेंटेज रिएलिटी, अडवांस्ड मटीरियल्स और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस आदि क्षेत्रों पर फ़ोकस किया जाएगा।

यह साझेदारी संभावित आकलन जितनी ही सफल भी है। इस साझेदारी के अंतर्गत, यूके और भारत में स्थापित, अपने-अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले अन्य क्षेत्रों को भी साथ लाया जा सकता है।

इसके साथ-साथ, भारत और यूके की टेक ट्रेड असोसिएशन्स टेक यूके और नासकॉम (NASSCOM) भी, एक नए यूके-इंडिया टेक अलायंस के अंतर्गत साथ मिलकर काम करेंगी; और सीनियर टेक लीडर्स को आपसी सहयोग के लिए साथ लाएंगी। दोनों ही संगठन, नीति निर्माण और नवोन्मेष को बढ़ावा देने में सहयोग देंगी।

2016 में भारत में प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी सम्मेलन में हिस्सा लिया और इसके बाद अब भारत और यूके दूसरी यूके-इंडिया टेक समिट आयोजित कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके माध्यम से दोनों ही देशों के तकनीकी सेक्टरों के बड़े निवेशक और वैज्ञानिक साथ आ सकेंगे और डेटा प्राइवेसी समेत टेक गवर्नेंस के मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर सकेंगे।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग, नई दिल्ली में एक यूके सायबर सिक्यॉरिटी इंडस्ट्री एक्सपर्ट भी नियुक्त करेगा, जो ब्रिटिश विशेषज्ञता को साझा करने के साथ-साथ भारत के प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर संगठनों को यूके की अग्रणी कंपनियों के साथ जोड़ेगा, जो उनकी विशेष ज़रूरतों को पूरा कर सकती हैं।

जुलियन डेविड (सीईओ, टेक यूके) ने कहाः

यह दोनों ही देशों में तकनीकी व्यवसायों से जुड़े लोगों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण साझेदारी है। डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल और विकास के मामले में यूके और भारत दोनों ही अग्रणी देश हैं और ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जो हम एक-दूसरे से सीख सकते हैं और इनोवेशन के क्षेत्र में साथ मिलकर बड़े अवसर पैदा कर सकते हैं।

भारत, यूके का एक अहम रणनीतिक साझेदार भी है और भारत के विश्व-स्तरीय डिजिटल स्किल्स हैं। अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करके, हम दोनों ही देशों में व्यापार के लिए बड़े मौके पैदा कर सकेंगे और दोनों ही देशों के समाज और नागरिकों की बेहतरी के लिए तकनीक का बेहतर से बेहतर प्रयोग सुनिश्चित कर सकेंगे।

इस साझेदारी की मदद से हमारी सरकार को यूके की औद्योगिक रणनीति, के समझ खड़ीं बड़ी चुनौतियों से पार पाने में मदद मिलेगा और साथ ही, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, डेटा इकॉनमी, क्लीन ग्रोथ और सबसे मुख्य रूपर से मोबिलिटी के भविष्य के क्षेत्रों में यूके को आगे लाने में भी मदद मिलेगी।

इस साझेदारी की मदद से यूके की डिजिटल रणनीति सीधे भारत के डिजिटल सेक्टर तक पहुंच सकेगी। यह साझेदारी, भारत और यूके को एक वैश्विक सहयोगी और एक-दूसरे के देशों में इच्छानुसार तकनीकी पहुंच को स्थापित करेगी। यूके के टेलिकॉम और टेक सेक्टरों में करीब 110,000 भारतीय कर्मचारी कार्यरत हैं और इस हिसाब से यूके टेक इंडस्ट्री में भारत का निवेश लगभग 30 प्रतिशत का बनता है।

यूके-भारत आधुनिक उत्पादन केंद्र स्थापित करने के पहले चरण के रूप में यूके और भारत संयुक्त रूप से एक स्टडी भी आयोजित कराएंगे, जिसके माध्यम से हमारी विस्तृत सप्लाई चेन-नेटवर्क के ज़रिए भारत और यूके दोनों ही को लाभ होगा।

पुणे और बेंगलुरु के लिए यूके ने सुपर प्रयॉरिटी वीज़ा (एसपीवी) की घोषणा भी कर दी है। एसपीवी एक पेड-सर्विस है, जिसके ज़रिए ग्राहक, निर्धारित भुगतान के बाद 24 घंटों के भीतर ही वीज़ा प्राप्त कर सकते हैं। इन दो शहरों के जुड़ने के बाद अब भारत के कुछ पांच शहरों के लिए यूके सुपर प्रयॉरिटी वीज़ा की सुविधा देता है।

यूके और भारत के बीच तकनीकी साझेदारी के साथ-साथ, प्रधानमंत्री टरीसा मे और प्रधानमंत्री मोदी ने 1 बिलियन यूरो की नई कॉमर्शियल डील्स पर भी मुहर लगाई।

समाप्त

कृपया इस नंबर ( 020 7211 2210) पर डीसीएमएस ऑफ़िस से संपर्क करें

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प्रकाशित 18 अप्रैल 2018