विश्व की समाचार कथा

एमआरसी-आईसीएमआर द्वारा सहभागी शोध परियोजनाओं के लिए प्रस्ताव आमंत्रित

भारतीय जनता पर मानसिक स्वास्थ्य सहित असंक्रामक (एनसीडी) बीमारियों का भारी बोझ है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Oncology

ब्रिटेन की मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमसीआर) तथा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) एक संयुक्त कार्यक्रम की घोषणा करते हुए हर्षित हैं, जिसके अंतर्गत प्राथमिक रूप से साधनों के दुरुपयोग तथा संबद्ध परिणामों के देशांतरीय तथा चिकित्स्कीय शोध के विकास हेतु सहभागी शोध परियोजनाओं के प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं।

भारतीय जनता में मानसिक स्वास्थ्य सहित असंक्रामक रोगों (एनसीडी) का एक भारी बोझ मौजूद है। साधनों की बर्बादी तथा इससे संबद्ध समस्याओं पर शोध को बढ़ाने की सामयिक आवश्यकता स्वीकार करते हुए, आईसीएमआर तथा एमआरसी द्वारा, जून 2013 में लंदन में आयोजित संयुक्त कार्य-समूह की पिछली बैठक के दौरान परस्पर सहयोग के अनिवार्य क्षेत्र के रूप में इसकी पहचान की गई। परिणामतः, 26-28 फरवरी, 2014 को बैंगलोर के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (निमहांस) में आईसीएमआर तथा एमआरसी द्वारा संयुक्त रूप से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप, शोध के प्राथमिक क्षेत्रों की एक बड़ी मात्रा में पहचान की गई। इस आमंत्रण का आयोजन, इस सफल स्कोपिंग वर्कशॉप, के परिणामस्वरूप प्राप्त अनुशंसाओं के आलोक में किया गया है, जिसे रिसर्च काउंसिल यूके (आरसीयूके) भारत, तथा साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क द्वारा सहायता प्रदान की गई।

इस आमंत्रण का उद्देश्य है, दोनों समुदायों की परस्पर क्षमताओं का दोहन करते हुए, साधनों के दुरुपयोग तथा मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में ब्रिटिश तथा भारतीय शोधार्थियों के बीच शोध सहयोग को बढ़ावा देना। सामूहिक अध्ययन तथा सम्मिलित रूप से क्षमता निर्माण का विकास करने में सक्षम शोध प्रस्तावों का विशेष रूप से स्वागत है। जहां उपयुक्त हो, वर्तमान सहभागिता/ नेटवर्क/ समूह के आधार पर कार्यों का सृजन किया जा सकेगा।

इस कार्यक्रम के लिए एमआरसी द्वारा 20 लाख पाउंड तक का प्रावधान किया जाएगा, और यह वित्तीय सहायता न्यूटन फंडद्वारा प्रदान की जा रही है। इस कार्यक्रम के भारतीय घटकों को आईसीएमआर द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह प्रत्याशित है कि 2-4 शोध परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जो 2-3 वर्षों की अवधि के लिए शोध-गुणवत्ता पर आधारित होगा।

भारत तथा ब्रिटेन के बीच शोध सहयोग के क्षेत्रों तथा महत्व में विगत छः वर्षों के दौरान काफी वृद्धि हुई है, और इस घोषणा से वर्तमान सहभागिता को और विस्तार के साथ ही, दोनों देशों के बीच एमआरसी तथा आईसीएमआर पोषित शोध परियोजनाओं को समर्थन भी प्राप्त होगा।

दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबद्ध प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे:

देशांतरीय अध्ययन

  • भारत तथा ब्रिटेन के बीच तुलनात्मक अध्ययन, उदाहरण के लिए भारत से ब्रिटेन स्थानांतरित होने वाले परिवारों सहित

  • केवल भारत आधारित अध्ययन

  • निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित नए समूह की स्थापना के लिए प्राथमिक कार्य

  • मस्तिष्क मानचित्रण

  • एपीजेनेटिक्स

  • तंत्रिका प्रक्रियाओं पर वातावरणीय प्रभाव

  • जैवसूचना विज्ञान

  • जीनोमिक्स

    • आकलन आदि का व्यापक स्तर पर उपयोग
    • तनाव प्रतिक्रियात्मक निदर्श
    • रक्त संबंधित आकलन
    • आंख की गति का अध्ययन
    • ईईजी
    • जैव-आसूचना अध्ययन

चिकित्सकीय अध्ययन

  • भारत तथा ब्रिटेन के बीच तुलनात्मक अध्ययन, उदाहरण के लिए भारत से ब्रिटेन स्थानांतरित होने वाले परिवारों सहित
  • केवल भारत आधारित अध्ययन

कृपया यह याद रखें कि यह आमंत्रण नए ब्रिटेन-आधारित सामान्य जनसंख्या समूह के विकास के उद्देश्य से आयोजित नहीं है।

टाइमलाइन

  • आमंत्रण का प्रारंभ: 3 नवंबर 2014
  • आशय दाखिल करने की अंतिम तिथि: 30 नवंबर 2014, 1130 जीएमटी
  • पूर्ण प्रस्ताव दाखिल करने की अंतिम तिथि: 9 जनवरी 2015, 1130 जीएमटी
  • परिणामों का प्रकाशन: जुलाई 2015

आवेदन के लिए और अधिक विवरण तथा निर्देश यहां उपलब्ध हैं।

आगे की जानकारी

  • कृपया Geeny George को ई-मेल करें या 011 2419 2637 पर कॉल करें।

  • न्यूटन फंड एक नया प्रयास है, जिसका लक्ष्य है, ब्रिटेन तथा उभरती हुई ज्ञान अर्थव्यवस्थाओं के बीच शोध तथा नवप्रवर्तन सहयोगों को मजबूत करना। इसकी शुरुआत चांसलर द्वारा अप्रैल 2014 में की गई, तथा यह अगले पांच वर्षों तक 375 मिलियन पाउंड की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। कृपया सरकार का न्यूटन फंड पॉलिसी पेपरदेखें, जहां आपको इस कोष के विस्तृत विवरण के साथ, ब्रिटिश प्रदाता सहभागी, विदेशी सहभागी तथा संबद्ध गतिविधियों के विवरण प्राप्त होंगे

  • मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) ब्रिटेन के सात शोध परिषदों में से एक है, और यह मानव-स्वास्थ्य में सुधार के लिए विश्व-स्तरीय मेडिकल शोधों को वित्तीय सहायता तथा सहभागिता में सहयोग प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है। एमआरसी द्वारा बायोमेडिकल परिक्षेत्र में शोध को समर्थन प्रदान किया जाता है, जिसमें सभी प्रमुख रोगों के क्षेत्र में आधारभूत प्रयोगशाला-आधारित विज्ञान से लेकर चिकित्सकीय परीक्षण तक शामिल हैं। एमआरसी उच्च-प्रभाविता शोधों पर केंद्रित है, तथा इसके द्वारा ढेर सारी मेडिकल सफलताओं के लिए वित्तीय सहायता तथा वैज्ञानिक विशेषज्ञताएं उपलब्ध कराई गई हैं।

  • इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च बायोमेडिकल शोध के लिए नियमन, सहयोग तथा समर्थन के लिए भारत का शीर्ष संस्थान है, जो दुनिया के सबसे पुराने मेडिकल शोध संस्थानों में से एक है। इस काउंसिल की शोध प्राथमिकताएं राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं, जैसे- संचारी रोगों का नियंत्रण तथा प्रबंधन, जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण, प्रसूति तथा शिशु स्वास्थ्य, पोषण की कमी पर नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवा उपलब्धता के लिए वैकल्पिक रणनीति का विकास, वातावरण संबंधी तथा पेशागत स्वास्थ्य समस्याओं की सुरक्षित सीमाओं के भीतर रोकथाम करना; प्रमुख असंक्रामक रोगों जैसे कैंसर, हृद-वाहिका रोगों, अंधता, मधुमेह तथा अन्य चयापचय तथा रुधिर-विज्ञान संबंधी रोगों पर शोध करना, मानसिक स्वास्थ्य तथा औषध (परंपरागत उपचार सहित) संबंधी शोध, आदि। इन सभी प्रयासों का आयोजन रोगों के संपूर्ण बोझ को कम करने तथा जनता के स्वास्थ्य तथा खुशहाली को प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है। आईसीएमआर का वित्त-पोषण भारत सरकार के स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य शोध विभाग द्वारा किया जाता है।

  • रिसर्च काउंसिल्स यूके इंडिया (आरसीयूके) भारत, जिसकी शुरुआत 2008 में की गई, उच्च-गुणवत्ता के तथा उच्च-प्रभाविता की शोध सहभागिताओं के माध्यम से ब्रिटेन तथा भारत में शोधकर्ताओं को एकजुट करता है। दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग स्थित आरसीयूके इंडिया ने ब्रिटेन, भारत तथा तीसरे पक्षों के बीच सह-वित्तप्रदत्त प्रयासों को सहायता प्रदान की है जो अब लगभग 150 मिलियन पाउंड तक बढ़ गया है। शोध सहभागिताएं प्रायः ब्रिटिश तथा भारतीय उद्योग सहभागियों के साथ गहन रूप से संबद्ध हैं, जिनमें 90 से ज्यादा सहभागी शामिल किए गए हैं। आरसीयूके इंडिया सक्रिय रूप से सात प्रमुख भारतीय शोध वित्तीय क्षेत्रों के साथ संलग्न है, जो वैश्विक रूप से चुनौतीपूर्ण, ऊर्जा, जलवायु-परिवर्तन, सामाजिक विज्ञानों, स्वास्थ-सेवाएं तथा जीवन-विज्ञान जैसे शोध-विषयों के विस्तृत परिक्षेत्रों से संबद्ध हैं।

  • साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क इंडिया ब्रिटेन के लाभ के लिए भारत सरकार की विज्ञान तथा नवप्रवर्तन नीतियों, उद्योग तथा अकादमिक क्षेत्र को प्रभावित करने के लिए, तथा अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों तथा भारत के लिए उभरते अवसरों और चुनौतियों पर आधारित ब्रिटेन की नीतियों में सुधार का काम करता है। तथा ब्रिटेन की नवप्रवर्तनीयता क्षमताओं में वृद्धि के लिए भारत की प्रौद्योगिकी सहभागिता तथा निवेश क्षेत्र को सुसज्जित करने का काम करता है।

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प्रकाशित 4 November 2014