प्रेस विज्ञप्ति

वाणिज्य मंत्री द्वारा भारत के साथ प्राथमिक व्यापार वार्ता का शुभारंभ

ब्रिटेन के वाणिज्य मंत्री साजिद जाविद दिल्ली में परिचर्चाओं की एक श्रृंखला के दौरान भारत के साथ प्राथमिक वार्ताओं की शुरुआत करेंगे।

  • वाणिज्य मंत्री साजिद जाविद दिल्ली में आज (8 जुलाई 2016) दिल्ली में हैं, जहां वह भारत के साथ ब्रिटेन के भावी वाणिज्य संबंध के बारे में प्राथमिक परिचर्चाओं की शुरुआत करेंगे।
  • दुनिया भर के महत्वपूर्ण वाणिज्य साझेदार देशों के दौरे की श्रृंखला में वाणिज्य मंत्री का यह पहला दौरा है
  • वाणिज्य मंत्री इस बात की भी तस्दीक करेंगे कि साल के अंत तक सरकार 300 विशेषज्ञ कर्मचारियों के साथ वाणिज्य विषय पर अपनी विशेषज्ञता का तेजी से विकास करेगी।

दिल्ली में परिचर्चाओं की श्रृंखला के दौरान भारतीय वित्त मंत्री एवं वाणिज्य मंत्री से मुलाकात के साथ वाणिज्य मंत्री साजिद जाविद आज (8 जुलाई 2016) प्राथमिक वाणिज्य वार्ताओं की शुरुआत करेंगे।

वाणिज्य मंत्री भारतीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ होने वाली अपनी मुलाकात का उपयोग यह बताने में करेंगे कि ईयू के बाहर ब्रिटेन और भारत के बीच भविष्य के व्यापारिक संबंधों का स्वरूप क्या होगा।

आने वाले महीनों में वाणिज्य मंत्री की अमेरिका, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया सहित अन्य देशों के साथ बैठकों की श्रृंखला की यह पहली बैठक है।

वाणिज्य मंत्री ने इस बात की भी पुष्टि की है कि साल के अंत तक सरकार 300 विशेषज्ञ कर्मचारियों के साथ वाणिज्य विषय पर अपनी विशेषज्ञता का तेजी से विकास करेगी।

वाणिज्य मंत्री साजिद जाविद ने कहा:

जनमत संग्रह के परिणाम के बाद मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए ब्रिटेन के पास साधन मौजूद हैं।

यही कारण है कि मैं आज भारत में इन प्राथमिक व्यापार वार्ताओं के शुभारंभ के लिए मौजूद हूं। दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध है और हम इसे और मजबूत करने हेतु कृतसंकल्प हैं।

मैं आने वाले महीनों में अन्य महत्वपूर्ण व्यापार साझेदार देशों के साथ भी ऐसी ही बैठकों का आयोजन करूंगा जिनमें इस बात की रूप-रेखा प्रस्तुत की जाएगी कि ब्रिटेन का भावी व्यापार संबंध कैसा होगा।

चर्चा के एक भाग के रूप में वाणिज्य मंत्री यह स्पष्ट करेंगे कि वह चाहते हैं कि ईयू से ब्रिटेन के बाहर निकलने के तुरंत बाद ब्रिटेन और भारत के बीच एक व्यापार समझौता हो जाए।

वाणिज्य मंत्री ने इस सप्ताह ब्रिटिश राजदूतों के साथ भी वार्ता की है जिनमें उनसे अपनी राजनयिक विशेषज्ञता का उपयोग संबंधित देशों और स्थानीय निवेशकों को यह समझाने हेतु करने का अनुरोध किया गया है कि वे उन्हें यह समझाएं कि ब्रिटेन अब भी एक मुक्त और व्यवहार्य वाणिज्य साझेदार है।

मंगलवार (5 जुलाई 2016) को एफसीओ (विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय) लीडरशिप सम्मलेन में बोलते हुए बिजनस सेक्रेटरी ने राजनयिकों को अनुरोध किया कि वे संबंधित देशों की सरकारों को यह अवगत कराएं कि ब्रिटेन अपने व्यापारिक सौदों के विकल्प का विस्तार करने की आकांक्षा रखता है।

व्यापार और निवेश मंत्री श्री लॉर्ड प्राइस इस सप्ताह हांगकांग और चीन में थे, जहां वे शंघाई में जी20 वाणिज्य मंत्रियों के सम्मेलन में शामिल हुए और महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारियों एवं व्यवसाय जगत के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। यह सरकार के उस प्रयास का अंग है जिसके तहत महत्वपूर्ण वाणिज्य साझेदारों को इस तथ्य से अवगत कराना है कि ब्रिटेन उन देशों के साथ आर्थिक संबंधों को कायम रखने और उन्हें मजबूत करने को लेकर गंभीर है।

दिल्ली के दौरे के साथ वाणिज्य मंत्री मुंबई भी जाएंगे जहां टाटा समूह के बोर्ड सदस्यों से मिलकर वह उनसे ब्रिटेन में उनके स्टील निर्माण संपदा की बिक्री पर चर्चा करेंगे।

संपादकों के लिए नोट:

  1. भारत और ब्रिटेन के संबंध पारंपरिक रूप से बहुत मजबूत रहे हैं: ब्रिटेन भारत में सबसे अधिक निवेश करने वाला जी20 देश है, जबकि भारत शेष संपूर्ण यूरोपीय संघ की तुलना में ब्रिटेन में अधिक निवेश करता है। भारत ब्रिटेन के लिए एफडीआई का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा है।
  2. पिछले साल दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार 16.55 अरब पाउंड मूल्य का रहा (वस्तुओं के लिए 11.43 अरब और सेवाओं के लिए 5.11 अरब पाउंड)।
  3. भारत सरकार के अनुसार संपूर्ण 22.5 अरब डॉलर के निवेश प्रवाह के साथ अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2015 तक ब्रिटेन भारत में तीसरा सर्वाधिक निवेश करने वाला देश रहा है।
  4. 2014 से 2015 तक ब्रिटेन ने रिकॉर्ड संख्या में निवेश प्रॉजेक्ट हासिल किए हैं और यह भारत के लिए यूरोप में सबसे बड़ा निवेश गंतव्य है। साथ ही एफडीआई में 65% की वृद्धि के साथ भारत 2014 में ब्रिटेन में तीसरा सर्वाधिक रोजगार प्रदाता देश रहा।
  5. सीआईआई तथा ग्रांट थॉर्नटन की नई उद्योग रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में स्थापित बहुत सी भारतीय कंपनियों की विकास दर देश में तेजी से बढ़ी है जिनकी सम्मिलित आय में एक साल के दौरान 4 अरब पाउंड की वृद्धि हुई: 2014 में 22 अरब पाउंड का आंकड़ा 2015 में 26 अरब पाउंड हो गया।
  6. लंदन एंड पार्टनर्स के अनुसार 2015 में लंदन में रोजगार प्रदाता के रूप में भारत का स्थान दूसरा हो गया। भारतीय कंपनियों ने इस साल केवल लंदन में ही 504 नए रोजगार सृजित किए और 1983 रोजगार सृजन करने वाले अमेरिकियों का स्थान ही इनसे ऊपर था।
  7. 2014-2015 में 122 एफडीआई परियोजनाओं में भारतीय निवेश के कारण 7,730 नए रोजगार पैदा हुए और ब्रिटेन में 1620 रोजगार सुरक्षित हुए।
प्रकाशित 8 July 2016