विश्व की समाचार कथा

ड्यूक एवं डचेज़ ऑफ कैंब्रिज का काजीरंगा दौरा

बुधवार का विषय काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण प्रयासों पर पूरी तरह केंद्रित रहा।

यह 2015 to 2016 Cameron Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
The Duke and Duchess of Cambridge in Assam

दुनिया के अन्य बहुत सारे राष्ट्रीय उद्यानों से अलग, काजीरंगा में आपको इसका एक वास्तविक अनुभव होता है कि कितनी गहनता से स्थानीय लोग यहां निवास करनेवाले जानवरों के साथ जुड़े हुए हैं। यह संपर्क हमेशा इतनी सरलता से नहीं होता। बुधवार के आयोजन के दौरान ड्यूक और डचेज़ को वे गहनतापूर्ण कार्य निकट से देखने का अवसर मिलेगा, जो मानव समुदाय तथा वन्य पशुओं के निकट साहचर्य में रहने के दौरान उत्पन्न संघर्षों को टालने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। हाल के दिनों में भारत में घटित मानव तथा पशुओं के संघर्ष की कई घटनाएं विश्व-समाचारों में आई हैं, और इस भ्रमण के दौरान शाही दंपत्ति तथा उनके साथ मौजूद मीडिया को इस मुद्दे के बारे में और अधिक जानने का अवसर मिलनेवाला है।

इस दिन की शुरुआत इस राष्ट्रीय उद्यान के आसपास एक खुले वाहन में स्वयं द्वारा चालित भ्रमण के साथ हुई। इस भ्रमण की शुरुआत से पहले, काजीरंगा के द्वार पर शाही दंपत्ति का स्वागत स्थानीय लोगों और उद्यान-कर्मियों द्वारा किया गया। ड्यूक, जो यूनाइटेड फॉर वाइल्डलाइफ के अध्यक्ष हैं, बहुत दिनों से काजीरंगा देखना चाहते थे। यह उद्यान एक बाढ़ के मैदान में अवस्थित है, और हर वर्ष आनेवाली भीषण बाढ़ के दौरान जानवरों को निकटस्थ पहाड़ियों पर जाना पड़ता है। इस उद्यान तथा पहाड़ियों के बीच, तथापि, कई सारे गांव बसते जा रहे हैं, जो हाथियों तथा गैंडों के प्राचीन गलियारा मार्गों के रास्ते में पड़ते हैं। बाढ़ की वजह से यह इलाका जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बेहद संवेदनशील तो बनता ही है, हिमालय पर बर्फ के पिघलने में कमी या वृद्धि का भी इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर काफी असर पड़ता है।

ड्यूक और डचेज़ ने काजीरंगा के भीतर वनरक्षियों से भी मुलाकात की। इस उद्यान को हाल के वर्षों में अपने जानवरों को शिकारियों से बचाने में काफी सफलता मिली है। लेकिन अब यह बदला है, और हाल के दिनों में शिकार की कुछ घटनाएं सामने आई हैं। गैडों पर खासतौर से खतरा है क्योंकि एशिया के अन्य भागों में इनके सींग की मांग में इजाफा हो रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया के तस्कर अब भारतीय गैंडों के सींग को ‘अग्नि सींग’ कहकर बेच रहे हैं और अफ्रीकन सीगों के मुकाबले इनमें अधिक क्षमता होने की बात का प्रचार कर रहे हैं। ड्यूक ने अपने इस भ्रमण के दौरान इन झूठों का पर्दाफाश किया तथा इनपर यकीन करनेवालों के साथ ही बहुमूल्य प्रजाति के प्रति हिंसा का विरोध भी किया, जो इनके अस्तित्व पर एक संकट है।

इसके बाद सुबह में, ड्यूक तथा डचेज़ काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के किनारे बसे हुए एक गांव का दौरा किया। उन्होंने सामुदायिक आगार में ग्रामीणों से मुलाकात की और उनके साथ भारत में एक ऐसे स्थान पर ग्राम्य जीवन पर चर्चा की, जहां मानव और पशु इतनी गहन निकटता से निवास करते हैं। ड्यूक तथा डचेज़ ने परिवारों से मुलाकात की और विभिन्न प्रकार की फसलें और विभिन्न तरह की परंपरागत शिल्पकलाएं, जैसे बुनाई देखी, जिससे उनकी आजीविका चलती है।

अपराह्न में, ड्यूक तथा डचेज़ ने वन्यजीवन पुनर्वास तथा संरक्षण केंद्र का दौरा किया। यह केंद्र उन वन्यजीवों के लिए आपातकालीन देखभाल तथा पुनर्वास सहायता उपलब्ध कराता है जो घायल, भटके हुए या अनाथ हो गए हैं। इस केंद्र की 60% की एक मजबूत पुनर्मुक्ति दर रही है और इसने हाथ में उठाए हुए* हाथियों, गैडों तथा भालुओं सहित हजारों जानवरों को पुनर्वासित कराया है। यह केंद्र बचाकर लाए गए तेंदुओं का निवासस्थान भी है, जिन्हें दुर्भाग्य से इस स्थान पर नहीं छोड़ा जा सकता और उन्हें खासतौर पर भारत के अन्य स्थानों पर स्थित अभयारण्यों तथा चिड़ियाघरों में बसाया जाना है। सीडबल्यूआरसी से विदा लेने से पूर्व, ड्यूक तथा डचेज़ उन युवा फिल्मकारों से मिले, जो ग्रीन हब के सदस्य हैं, यह एक परियोजना है जो उत्तर-पूर्वी भारत के युवाओं को एक व्यावसायिक कौशल के रूप में फिल्म-निर्माण करना सिखाती है। उन्होंने दो लघु फिल्में भी देखीं, जो मानव- पशु संघर्षों पर केंद्रित हैं।

सीडबल्यूआरसी देखने के बाद, ड्यूक और डचेज़ ने काजीरंगा डिस्कवरी पार्क तक सड़क मार्ग से यात्रा की, यह एलीफैंट फैमिली द्वारा निर्मित है, जो डचेस ऑफ कार्नवाल के स्वर्गीय भाई मार्क शैंड द्वारा संस्थापित दातव्य संस्था (चैरिटी) है। यहां उन्होंने अपनी तरह का पहला स्वास्थ्य केंद्र देखा, जो कार्यरत हाथियों के लिए है, और एक हाथी सूचना केंद्र भी, जिसका निर्माण अभी चल ही रहा है। शाही दंपत्ति को उन ग्रामीणों से मिलने का भी अवसर मिला जिन्हें हाथी मार्ग गलियारे से सुरक्षित रूप से अलग रखने के लिए चैरिटी द्वारा पुंनर्वासित कराया गया है।

यहां से विदा लेने से पूर्व, ड्यूक और डचेज़ ने भारत के हाथी जुलूस हेतु ‘कलाकारों का आह्वान’ आधिकारिक रूप से चिह्नित करने के लिए एक हाथी प्रतिमा को अंतिम रूप दिया, जिसके तहत एलीफैंट फैमिली कलाकारों द्वारा सज्जित 200 हाथियों को भारत के 200 स्थानों पर प्रदर्शित करेगा। ये जुलूस इससे पूर्व लंदन, एडिनबर्ग तथा न्यूयार्क में प्रदर्शित किए जा चुके हैं।

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प्रकाशित 13 April 2016