भाषण

दीर्घकालीन संसाधन प्रबंधन – एक सहयोगपूर्ण नजरिया

कोलकाता में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त स्कॉट फर्सेडोन वुड द्वारा 29 अगस्त 2014 को बंगाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित 7वें पर्यावरण और ऊर्जा सम्मेलन में दिए गए अभिभाषण के अंश।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Scott Furssedonn-Wood MVO

मंच पर उपस्थित महानुभावो, देवियो और सज्जनो!

मैं आज यहां सरकार के उन वरिष्ठ नीति-निर्माताओं और बिज़नेस लीडर्स के साथ मंच साझा करते हुए प्रसन्नता अनुभव कर रहा हूं जिनका यहां उपस्थित होना ही इस बात का परिचायक है कि धारणीय विकास के मुद्दे को भारत और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कितना अधिक महत्व देते हैं। इस तरह के महत्वपूर्ण सम्मेलन के कोलकाता में आयोजित होते देखना एक बड़ी बात है।

कई तरह से कोलकाता इस वार्ता के लिए उपयुक्त स्थान है। यह एक आकर्षक, ऊर्जावान और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है। यह वह शहर है जिसका इतिहास आज भी इसके चरित्र को निर्धारित करता है, यद्यपि यह बड़ी तेजी से अपने भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है। लेकिन वह भविष्य अनिश्चित है: कुछ तो आगे आने वाले तीव्र गति वाले विस्तार के कारण और कुछ जलवायु परिवर्तन के प्रति इस शहर की अतिसंवेदनशीलता के कारण।

और शहरीकरण के साथ-साथ वह यह अतिसंवेदनशीलता ही है कि जो इस शहर की संवृद्धि और विकास के लिए धारणीय संसाधन प्रबंधन को इतना महत्वपूर्ण बनाता है।

शहरी विकास की रफ्तार अभूतपूर्व होने के कारण दुनिया भर में हर रूप में संसाधन दक्षता अनिवार्य होती जा रही है। इसमें सबसे बड़ा कारक है व्यापक रूप से मध्यम वर्ग की जनसंख्या का तेजी से बढ़ना जो मूलतः प्रतिदिन 10 से 100 डॉलर रोजाना खर्चने वाले लोगों का वर्ग है। विश्व स्तर पर यह जनसंख्या दुगुनी हुई है जो 2013 में 2000 की तुलना में 1 अरब से बढ़कर 2 अरब हो गई। माना जा रहा है यह संख्या 2030 तक बढ़कर 5 अरब हो जाएगी। उनमें से ज्यादातर शहर में रहने वाले लोग होंगे।

यह समृद्धि के लिए एक शानदार अवसर मुहैया करता है।

इसका अर्थ है कि विकासशील देशों के अधिक से अधिक लोग गरीबी से बाहर आ रहे हैं।

यह सपनों और आकांक्षाओं के साकार होने का सूचक है।

लेकिन इतने कम समय में इस विस्तार के लिए तैयार होना एक ऐसी चुनौती है जिसे दुनिया ने इससे पहले कभी नहीं देखा। शहरी अर्थव्यवस्था और खासकर संसाधन प्रबंधन के लिए इसका व्यापक निहितार्थ है।

हमें इस चुनौती के लिए तैयार होना है।

डिजायन, अपशिष्ट प्रबंधन, जल, ऊर्जा और खाद्य प्रणाली, शहरी पारिस्थितिकीय प्रबंधन, यातायात, अवसंरचना विकास और पुनःसंयोजन के संचालन के लिए जिस प्रकार के विकल्प आज अपनाए जा रहे हैं, उनका शहरी अधिवास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

बदलती जलवायु, बढ़ती ऊर्जा कीमतों, पानी और जगह की बढ़ती मांग के आलोक में जिस तरह हम अपने शहरों को सक्षम बनाना चाहते हैं, उस लिहाज से एक समेकित और अभिनव नजरिया विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

और यही हम कोलकाता में करना चाहते हैं।

जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन ने पिछले साल कोलकाता की यात्रा की तो निम्न कार्बन एवं कार्बन रेजिलिएंट कोलकाता के निर्माण की दिशा में ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता नगर निगम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था।

भारत में इस अभूतपूर्व प्रयास के जरिए कोलकाता नगर निगम ने अपनी योजनाओं के अंतर्गत मेनस्ट्रीम जलवायु परिवर्तन और धारणीय संसाधन प्रबंधन के लिए ब्रिटेन एवं अन्य देशों के विभिन्न भागीदारों और परामर्शदाताओं के साथ मिलकर काम करने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इससे केएमसी को शहर में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निबटने, हरित रोजगार सृजन करने और नए आर्थिक अवसरों का निर्माण करने की दिशा में सहायक सिद्ध होगा।

इस सहयोग के तीन प्रमुख घटक हैं ;

  • पहला, कोलकाता के हरित विकास के लिए कार्ययोजना (रोडमैप) तैयार करना। इस रोडमैप के तैयार हो जाने से यह अन्य चीजों के अलावा संपूर्ण शहर में ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर पैनल, धारणीय जल संसाधन प्रबंधन और अपशिष्ट जल उपचार, निम्न कार्बन और जलवायु अनुकूल अवसंरचना विकास, नगरनिगम के ठोस कचरे का जलवायु हितैषी प्रबंधन, शहर यातायात के लिए निम्न कार्बन रणनीति, ऊर्जा दक्ष कार्ययोजना और जलवायु-प्रेरित आपदा प्रबंधन योजना अपनाने हेतु केएमसी के लिए ब्लूप्रिंट का काम करेगा।

  • एमओयू का दूसरा घटक है रोडमैप को लागू करने और संपूर्ण प्रशासन में सुधार लाने की केएमसी की सांस्थानिक क्षमता मजबूत करने की रणनीति विकसित करना। इसमें शामिल होंगे केएमसी के लिए निम्नकार्बन अधिप्राप्ति दिशानिर्देश विकसित करना और केएमसी की क्षमता बढ़ाना ताकि कोलकाता जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और अवसरों का प्रत्युत्तर देने हेतु बेहतरीन साधनों से सज्जित हो।

  • और तीसरा घटक, जो कि इस प्रयास की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है, वह है केएमसी में प्रमुख भागीदारों- मुख्यतः मेयर के काउंसिल के काउंसलर्स और सदस्यों, तथा व्यापक रूप से समाज के लिए शहर के हरित विकास के लिए स्वच्छता (सैनिटेशन) कार्यक्रम।

और मैं आज यह घोषणा करना चाहूंगा कि हम जलवायु परिवर्तन और धारणीय संसाधन-प्रबंधन पर बंगाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री तथा अन्य विशेषज्ञों के साथ काम करेंगे, ताकि वे एक स्वच्छ, हरित और जलवायु-हितैषी शहर के निर्माण की दिशा में निर्माणकारी कदम उठाने में सक्षम हों।

हमारा विश्वास है कि कोलकाता नगर निगम के साथ हमारी सहभागिता से व्यवहारवादी परिवर्तनों को प्रोत्साहन मिलेगा। हमारा मानना है कि इससे सहभागी प्रशासन को मजबूत करना संभव होगा। हम यह भी मानते हैं कि यह शहर के धारणीय विकास हेतु विभिन्न सेक्टरों और संस्थानों के बीच समन्वयन की आधारभूमि मुहैया करेगा। और हमें यह विश्वास भी है कि हम जो सीख और अनुभव अर्जित करेंगे उसे अन्य शहरों के साथ, उनके धारणीय विकास के कार्यक्रमों में, बांट सकते हैं, खासकर ऐसे समय में जब भारत 100 स्मार्ट शहर बसाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है।

निष्कर्ष

परिवर्तन की प्रक्रिया सभी आसान नहीं होती। इसलिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। कई सारी बाधाएं आएंगी और हमें अनेक चुनौतीपूर्ण समयों से होकर गुजरना होगा।

हमें आवश्यकता है सही राजनैतिक दृष्टि की, सही नेतृत्व की और सामूहिक विवेक की, फिर साथ मिलकर हम न केवल एक स्मार्ट शहर बना सकते हैं, बल्कि ऐसे सौ शहर बसा सकते हैं।

कामना करता हूं कि आप सबके लिए यह सम्मेलन उपयोगी और सफल साबित हो।

धन्यवाद।

प्रकाशित 1 September 2014