भाषण

सबके लिए एक स्वतंत्र, मुक्त, और सुरक्षित साइबरस्पेस

विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय में भारत के मंत्री, मार्क फील्ड ने नई दिल्ली में साइबर सुरक्षा पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में एक महत्वपूर्ण भाषण दिया।

Mark Field

परिचय

मंत्री जी, नमस्ते और अपना परिचय देने के लिए धन्यवाद।

मुझे ख़ुशी है कि मैं आज भारत में हूँ, और ऐसे सम्मानित श्रोताओं को संबोधित करने का यह अवसर प्रदान करने के लिए मैं ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन का आभारी हूँ।

साइबरस्पेस के भविष्य में अपने साझा हितों के बारे में बोलना शुरू करने से पहले, मैं इस अवसर पर अपने भारतीय समकक्षों के कार्यों की सराहना करना चाहूंगा।

मंत्री प्रसाद जी, यूके की तरह आपको भी विशाल और जटिल घरेलू, क्षेत्रीय और वैश्विक साइबर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता होगा और आप भी अपने नागरिकों और कारोबारों को सुरक्षित रखने की पूरी कोशिश करते होंगे।

हम दोनों को पता है कि आज का खतरा आने वाले कल के खतरे के सामने कुछ नहीं है, और इसलिए हमारी जिम्मेदारी भी बड़ी होनी चाहिए।

और इसके साथ-साथ हम दोनों इंटरनेट की अपार क्षमता को भी भली भांति समझते हैं।

हमारे दोनों देशों में डिजिटल अर्थ व्यवस्था, जीडीपी का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें हजारों-लाखों लोग काम कर रहे हैं और बड़ी तेजी से विकास कर रहे हैं।

भारत में, इंटरनेट का इस्तेमाल हर साल बड़ी तेजी से बढ़ रहा है, और प्रधानमंत्री मोदी जी के डिजिटल इंडिया के शानदार सपने के कारण इसमें और तेजी से वृद्धि होगी।

इसलिए मैं हमारे समय के एक सबसे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे को सामने रखना चाहता हूँ: इंटरनेट की शक्ति का लाभ उठाने के साथ-साथ ऑनलाइन पर हमारी सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है।

या इसे इस तरह भी कहा जा सकता है, हम लोग मिलकर सबके लिए एक स्वतंत्र, मुक्त और सुरक्षित साइबरस्पेस का निर्माण कैसे कर सकते हैं?

इंटरनेट का क्रमिक विकास

मुझे याद है, मैंने ‘वर्ल्ड वाइड वेब’ के बारे में पहली बार तब सुना था जब मैं 1990 में अपने कानूनी लेखों को बस पूरा करने ही वाला था, लेकिन इसका क्या असर होगा इसकी कल्पना भी नहीं कर पाया था।

मानव इतिहास में हुए हाल के किसी भी अविष्कार ने हमारे जीवन को इतना ज्यादा या इतनी जल्दी नहीं बदला है। एक ब्रिटिश इंजीनियर टीम बर्नर्स ली के दिमाग की उपज, यह असाधारण रचना, निश्चित रूप से उसकी सोची-समझी उम्मीदों से भी आगे निकल गया है।

सुरक्षित करने लायक इंटरनेट

आज इंटरनेट, दुनिया भर में लगभग तीन बिलियन लोगों को कनेक्ट करता है, उन्हें सूचित करता है और उनका मनोरंजन करता है। मोबाइल फोन की मदद से, हम जहाँ चाहें वहाँ से इसकी शक्ति का लाभ उठा सकते हैं।

इससे पहले कभी कोई तरकीब, जानकारी और उत्पाद इस तरह हर जगह उपलब्ध नहीं हुई थी।

इंटरनेट ने कम्युनिकेशन ब्लैक-स्पॉट्स से लेकर कम्युनिकेशन हॉटस्पॉट्स तक इस पृथ्वी के विशाल भू-भाग का नक्शा ही बदल दिया है।

हम लोग अपने फोन, कलाई घड़ी, टैबलेट या घरेलू कंप्यूटर से सवा बिलियन वेबसाइटों को एक्सेस कर सकते हैं।

हम अपने बैंक खातों को नियंत्रित कर सकते हैं, अपने हीटिंग उपकरण को या इसी तरह, यहाँ भारत में, अपने एयर कंडिशनर को एडजस्ट कर सकते हैं और स्वास्थ्यकर भोजन से लेकर हेलीकॉप्टर तक कोई भी चीज खरीद सकते हैं।

चुनौती

इसमें कोई संदेह नहीं है कि इंटरनेट ने पहले से कहीं अधिक तेजी से और अधिक से अधिक दूर तक ज्ञान और अवसर का प्रसार किया है। इसमें सकारात्मक बदलाव लाने की असाधारण शक्ति है।

लेकिन, जहाँ एक तरफ इंटरनेट की विभिन्न विशेषताएं हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित होती हैं, जैसे इसकी कम लागत, इसकी वैश्विक पहुँच और इसकी आसानी से उपलब्धता और सुलभता, लेकिन वहीं दूसरी तरफ, यह उन लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद है जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।

यह खतरा अब और बढ़ता जा रहा है।

पावर स्टेशन से लेकर पेसमेकर तक; बाँध से लेकर डिफ़िब्रिलेटर तक; टोस्टर से लेकर टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क तक, हर जगह वैश्विक जुड़ाव में होने वाली इस वृद्धि के कारण हमें कई तरह के फायदे होने के साथ-साथ हमारे लिए कई तरह के नए-नए जोखिम भी पैदा हो रहे हैं जिनके बारे में इंटरनेट से पहले की दुनिया में कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।

हमें इस सच्चाई को कबूल करना होगा कि हम इसका जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे और इस पर जितना ज्यादा निर्भरशील बनेंगे, यह हमारे लिए उतना बड़ा खतरा बनेगा।

पिछले साल, हैकरों ने यूके की लगभग आधी व्यावसायिक कंपनियों के आईटी सिस्टमों के साथ छेड़छाड़ की थी। हालिया महीनों में हमारे नैशनल हेल्थ सर्विस और हमारी संसद दोनों को साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है।

साइबर अपराध की लागत

साइबर सुरक्षा की मदद से एक और शून्य में गुम हो जाना आसान है, लेकिन इस कमरे में मौजूद कई लोगों के लिए, ये एक और शून्य अक्सर पाउंड, डॉलर और रुपये के रूप में होते हैं, क्योंकि उन्हें साइबर हमलों की लागत का हिसाब करना पड़ता है।

असल में, साइबर हमले अपने आप में एक वैश्विक उद्योग बन चुके हैं, जिससे वर्तमान में पूरी दुनिया को हर साल 400 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है, और अगले दो साल में यह आंकड़ा पांच गुना से भी ज्यादा होने का अनुमान है।

हम सबके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इंटरनेट से होने वाले फायदों को सीमित किए बिना, बहुआयामी ऑनलाइन खतरों से कैसे निपटा जा सकता है।

यह समझना जरूरी है कि ऑनलाइन पर दिखाई देने वाली गतिविधियों में से अधिकांश गतिविधियाँ असल में “नई” नहीं होती हैं।

यह भी पता चल सकता है कि लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रियाओं को ध्वंस करने के लिए प्रतिद्वंद्वी शक्तियों के प्रयासों का सम्बन्ध फारस के साथ है।

5वीं और 6वीं सदी ईसा पूर्व में एथेनियन लोकतंत्र

धोखाधड़ी का पहला दस्तावेजी उदाहरण 300 ईसा पूर्व में मिला था जब हेगेस्ट्राटोस नामक एक यूनानी व्यापारी ने अपने जहाज और उसमें ले जाए जाने वाले मक्के के लिए एक बहुत बड़ी बीमा पॉलिसी ली लेकिन उसका इरादा एक खाली जहाज को डुबाकर अपने रक्षकों को धोखा देना था।

और यह घटना, प्रिंटिंग प्रेस के आगमन के बहुत बाद की नहीं थी जिसका इस्तेमाल ऐसी बातें छापने के लिए किया जा रहा था जिन्हें उस समय की प्रमुख शक्तियां खतरनाक असहमति या विधर्म मानती थीं।

जिस तरह आजकल ऑनलाइन पर हम जिस तरह का आचरण देखते हैं वह नया नहीं है, ठीक उसी तरह हमें नए सिरे से इसका समाधान ढूँढने की जरूरत भी नहीं है। साइबरस्पेस कोई क़ानून रहित स्थान नहीं है। मौजूदा आपराधिक और अंतर्राष्ट्रीय क़ानून, ऑफलाइन की तरह ऑनलाइन पर भी लागू होते हैं, चाहे मौलिक अधिकारों की बात हो या आजादी की।

लेकिन, जबकि कुछ ऑनलाइन गतिविधियाँ असामयिक हो सकती हैं, लेकिन फिर भी, इंटरनेट से जितने बड़े पैमाने पर, और जिस तरह की रफ़्तार मिलती है और नाम को गुप्त रखने की जो आजादी मिलती है वह सच में बहुत नया है और इससे एक अनोखी आधुनिक चुनौती सामने आ जाती है।

इससे निपटने के लिए, हमें उन्हीं खूबियों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन खूबियों के चलते आज हम साइबरस्पेस में यहाँ तक पहुँच सके हैं: ऊर्जा, रचनात्मकता और सहयोग।

यूके का सहयोगात्मक दृष्टिकोण

यूके के दृष्टिकोण का मुख्य केंद्र यही है - हमें उद्योग और नागरिक समाज के साथ, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के भीतर मिलकर काम करना चाहिए - यह एक बहु-हितकारी दृष्टिकोण है - तभी हम इस डिजिटल युग का अधिक से अधिक लाभ उठाने के साथ-साथ इसके खतरों का सामना कर पाएंगे।

इसीलिए हमने 2011 में ‘लन्दन प्रोसेस’ की शुरुआत की ताकि लोगों को एकजुट किया जा सके और पूरी दुनिया के लोगों को यह बात समझाया जा सके कि साइबरस्पेस के लिए “सड़क सम्बन्धी नियमों” को व्यवहार में लाया जा सकता है।

मुझे ख़ुशी है कि भारत, नवम्बर में दिल्ली में यहाँ साइबरस्पेस पर वैश्विक सम्मलेन की पांचवीं यात्रा का आयोजन करेगा।

हम यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण इसलिए अपना रहे हैं क्योंकि इंटरनेट एक वैश्विक संसाधन है, जिसकी पहुँच सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं तक ही नहीं; बल्कि हमारे कार्यालयों, हमारे समुदायों और यहाँ तक कि हमारे बच्चों के कमरों तक भी है।

सिर्फ इंटरनेट का शासन सही मायने में वैश्विक ही नहीं होना चाहिए बल्कि इसमें हितधारकों की पूरी फ़ौज भी शामिल होनी चाहिए जिनका प्रतिनिधित्व आज यहाँ किया गया है।

ऑनलाइन सुरक्षा के लिए यूके के नजरिए से मेरे ख्याल से हमें एक सामूहिक खेल खेलना चाहिए।

एक ऐसा खेल जिसमें उद्योग, शैक्षिक संस्थान, नागरिक समाज, सरकार, अंतर्राष्ट्रीय साझेदार और, इन सबसे अधिक, खुद जनता भी विकेटकीपर, स्लिप, गुल्ली और डीप स्क्वायर लेग की भूमिका निभाती है।

दूसरे शब्दों में, यहाँ एक साथ मिलकर काम करने की बात कही जा रही है।

साइबर सुरक्षा सम्बन्धी चुनौतियों का जवाब देना

यह दृष्टिकोण शायद हमारी साइबर सुरक्षा सम्बन्धी खतरे की जवाबी कार्रवाई में ज्यादा साफ़ तौर पर दिखाई देता है।

यूके की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति की मदद से हम लोग पब्लिक और प्राइवेट क्षेत्रों में अपने लोगों, व्यवसायों और परिसंपत्तियों की रक्षा करने; अपने दुश्मनों, चाहे वे राज्य हों, अपराधी हों या हैकर, उन्हें रोकने और बाधित करने; अपने सामर्थ्य को बढ़ाने और अपने साइबर सुरक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

यह रणनीति प्रदान करने वाला मुख्य केंद्र हमारा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र (एनसीएससी) है, जो इस हफ्ते अपना पहला जन्मदिन मनाएगा।

यूके के सभी साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को एक साथ एक जगह लाकर, एनसीएससी, आधिकारिक और सुसंगत साइबर सुरक्षा सलाह देने और साइबर घटना का प्रबंधन करने के लिए यूके के संगठनों, व्यवसायों और व्यक्तियों के साथ काम करता है। आप लोगों को कल एनसीएससी की उपलब्धियों के बारे में सीधे एनसीएससी के सदस्यों के मुंह से बहुत कुछ सुनने को मिलेगा जो मेरे साथ यहाँ भारत आए हैं।

हमारी इस रणनीति के बारे में बताने का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है - अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

सामूहिक रूप से खतरों का सामना करने के लिए, आत्मविश्वास पैदा करने के लिए और पारदर्शिता लाने के लिए, और वैश्विक साइबर सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने के लिए यूके एक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सबके साथ अपनी साझेदारी को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है।

भारत के साथ हमारी साझेदारी इसका एक अच्छा उदाहरण है।

हमने सरकार के प्रमुखों से लेकर डॉ राय के साथ और हमारे तकनीकी क्षेत्र, विशेषज्ञ दल और एनजीओ के साथ बातचीत के माध्यम से भारत सरकार के संबंधित हिस्सों के साथ हमारे बेहतरीन कामकाजी सम्बन्ध तक, हर स्तर पर सहयोगिता की है। एक साथ मिलकर हम लोग साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाने, साइबर अपराध से लड़ने, और जिम्मेदार राजकीय आचरण के स्वैच्छिक मानदंडों को उन्नत बनाने और साइबरस्पेस में अंतर्राष्ट्रीय क़ानून लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।

हमने सरकार के प्रमुखों से लेकर अपने तकनीकी क्षेत्रों और गैर सरकारी संगठनों तक हर स्तर पर सहयोगिता की है।

इंटरनेट का आतंकवादी उपयोग

साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए इस तरह का बहुस्तरीय दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है।

ऑनलाइन पर उग्रवादी सामग्रियों से निपटने के लिए भी यही करना पड़ेगा।

यह मुद्दा, यूके सरकार के लिए एक विशेष प्राथमिकता है क्योंकि कहा जाता है कि यूरोप में जिहादी प्रचार प्रसार के लिए सबसे ज्यादा ऑनलाइन दर्शक यूके में हैं, और टर्की, यूएस, सऊदी अरब और इराक़ के बाद यह दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश है।

हम सबको एक भूमिका निभानी है।

सबसे पहले, देश की सरकारों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी सरहदों के भीतर प्रसारित होने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए कानूनी ढाँचे और संसाधनों का इंतजाम करें। और विदेशों में उत्पन्न होने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए सरहदों पर हमें मिलकर काम करना होगा।

उसके बाद, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे आतंकवादी सामग्रियों को अपलोड होने से रोकें और अपलोड हो चुकी ऐसी सामग्रियों को तुरंत वहां से हटा दें।

अंत में, परिवारों और सामुदायिक समूहों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसे खतरों से वाकिफ रहें और अपनी जान-पहचान के लोगों को ऑनलाइन उग्रवाद के चंगुल में फंसने से रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करें।

अपनी बात ख़त्म करने से पहले मैं आप सबको बताना चाहूंगा कि इंटरनेट के आतंकवादी इस्तेमाल की, इस समस्या से निपटने के लिए यूके की सरकार कौन-कौन सा कदम उठा रही है। जैसा कि मैंने अभी-अभी कहा, यह हमारी वर्तमान प्राथमिकता है और हमारी प्रधानमंत्री थेरेसा मे, इस सम्बन्ध में वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व कर रही हैं।

ग्लोबल इंटरनेट फोरम टू काउंटर टेररिज्म की स्थापना करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी जो उग्रवादी सामग्रियों के लिए ऑनलाइन स्पेस को बंद करने के लिए एक उद्योग के नेतृत्व वाली पहल है।

पिछले महीने यूएन जनरल असेम्बली में, फ्रांस के राष्ट्रपति मैकरोन और इटली के प्रधानमंत्री जेंटिलोनी के साथ-साथ उन्होंने भी हमारे सामने आने वाले खतरों का समाधान ढूँढने के लिए, भारत सहित, तकनीकी उद्योग में आगे रहने वाले और इसी तरह की विचारधारा रखने वाले देशों के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया।

उन्होंने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती निर्धारित की: उग्रवादी सामग्रियों के पोस्ट या अपलोड होने के दो घंटे के भीतर उन्हें वहां से हटाना।

राष्ट्रीय स्तर पर, हम लोग भी इसका जवाब दे रहे हैं, जिसके लिए हम लोग अपनी उग्रवाद-रोधी और आतंकवाद-रोधी रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि ऑनलाइन पर आतंकवादियों के लिए कोई “सुरक्षित स्थान” न रहे।

आतंकवादियों को डर, नफरत और बंटवारे का बीज बोने के लिए साइबरस्पेस का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए हम दृढ़ संकल्प हैं। लेकिन, हमें इस बात से भी सतर्क रहना चाहिए कि वे हमारे आदर्शों को कमजोर बनाने की कोशिश भी करते रहते हैं। हमें हर कीमत पर अपनी आजादी को दांव पर लगाने से बचना चाहिए वर्ना हम उनके गुलाम बनकर रह जाएंगे।

निष्कर्ष

महामहिम, देवियो और सज्जनो, इस तरह के और अन्य प्रकार के खतरों का सामना करने के लिए हमें एकजुट होना ही होगा।

हमें शालीनता, निष्पक्षता और आपसी सम्मान के आदर्शों पर चलना ही होगा।

हमें इंटरनेट के माध्यम से मिलने वाले असाधारण अवसरों की रक्षा करनी ही होगी।

तो चलिए, हम लोग एकजुट होकर इसे हर मायने में मुफ्त, मुक्त और सुरक्षित बनाएं।

तो चलिए, यह सुनिश्चित करें कि आने वाले समय में इंटरनेट के माध्यम से सिर्फ अच्छे कार्य ही किए जाएंगे। धन्यवाद।

प्रकाशित 4 October 2017