यूके-भारत प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल – वर्षगांठ वक्तव्य
ऐतिहासिक यूके-भारत प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल की एक वर्षगाँठ पर वक्तव्य

यूके-भारत प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल (टीएसआई) की पहली वर्षगांठ के अवसर पर, यूनाइटेड किंगडम और भारत ने उन्नत प्रौद्योगिकियों के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने हेतु अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराया।
दोनों देशों ने इस पहल के अंतर्गत अब तक प्राप्त उपलब्धियों का स्वागत किया और टीएसआई की रूपांतरणकारी क्षमताओं को रेखांकित किया, जिससे अत्याधुनिक नवाचार संभव हो सके और सम्पूर्ण प्रौद्योगिकी मूल्य श्रृंखला में निवेश को प्रोत्साहन मिल सके।
पिछले एक वर्ष में टीएसआई के माध्यम से उद्योग, शिक्षा एवं शासन के मध्य कई नई रणनीतिक संभावनाओं को साकार किया गया है। उल्लेखनीय पहलें निम्नलिखित हैं:
- भविष्य की दूरसंचार प्रणालियों हेतु £7 मिलियन की संयुक्त अनुसंधान परियोजना का शुभारंभ (2024): यह परियोजना ओपन आरएएन (Open RAN) तथा 5G/6G परीक्षण प्रयोगशालाओं के संयुक्त विकास को समर्थन प्रदान करती है।
- प्रमुख दूरसंचार प्रयोगशालाओं के मध्य सहयोग को संस्थागत रूप प्रदान किया गया: भारत के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) और यूके के स्मार्ट आरएएन ओपन नेटवर्क इंटरऑपरेबिलिटी सेंटर (SONIC) के बीच नवाचार, परीक्षण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों में द्विपक्षीय सहयोग स्थापित किया गया है।
- जिम्मेदार और विश्वसनीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास को गति प्रदान की गई: इस दिशा में फरवरी 2025 में बेंगलुरु में प्रथम यूके-भारत AI सम्मेलन का आयोजन प्रमुख उपलब्धि है।
- यूके-भारत क्रिटिकल मिनरल्स आपूर्ति शृंखला प्रेक्षण केंद्र का प्रथम चरण सफलतापूर्वक पूर्ण: £1.8 मिलियन की नवीन वित्तीय सहायता द्वारा द्वितीय चरण प्रारंभ किया गया है, जिसमें वैश्विक स्तर की डिजिटल डेटा संरचना के साथ-साथ धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स में एक नया सैटेलाइट कैंपस स्थापित किया जाएगा।
- फेमटेक: महिलाओं के लिए स्वास्थ्य तकनीकों में साझेदारी को सुदृढ़ किया गया: इस पहल के अंतर्गत नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर रिसर्च (NIHR) और भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के बीच सहयोग को औपचारिक रूप दिया गया।
- निजी क्षेत्रों के बीच नई साझेदारियों की शुरुआत: दूरसंचार, क्रिटिकल मिनरल्स, उन्नत सामग्री एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे प्रमुख क्षेत्रों में दोनों देशों के निजी उद्यमों के बीच कई नवीन सहयोग की शुरुआत हुई है।
हमारी रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने हेतु दोनों पक्षों ने निम्नलिखित सहमति व्यक्त की हैः
-
वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्रांति के लाभों का संयुक्त रूप से उपयोग कर, एक यूके-भारत संयुक्त एआई केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो वास्तविक दुनिया में भरोसेमंद एआई नवाचार को बढ़ावा देगा और व्यापक स्तर पर अपनाने को प्रोत्साहित करेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।
-
संयुक्त अनुसंधान, विकास और नवाचार के माध्यम से अगली पीढ़ी की ‘सिक्योर-बाय-डिज़ाइन’ दूरसंचार प्रणालियों को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्नत कनेक्टिविटी और साइबर लचीलापन पर रणनीतिक सहयोग किया जाएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित दूरसंचार, नॉन-टेरेस्ट्रियल नेटवर्क्स और सुरक्षित 5G व 6G को विकसित करने हेतु एक इंडिया-यूके कनेक्टिविटी एंड इनोवेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी। साथ ही, 6G के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों जैसे ITU और 3GPP के माध्यम से सहयोग किया जाएगा।
-
चौथी औद्योगिक क्रांति को शक्ति प्रदान करने हेतु लचीली और सतत महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित किया जाएगा। फाइनेंसिंग मानकों और नवाचार को रूपांतरित करने के लिए एक यूके-भारत क्रिटिकल मिनरल्स गिल्ड की स्थापना की जाएगी। दोनों पक्ष प्रसंस्करण, अनुसंधान एवं विकास, पुनर्चक्रण, आपूर्ति श्रृंखला जोखिम प्रबंधन, बाज़ार विकास आदि को प्राथमिकता देंगे, और परिपथीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को प्रोत्साहित करते हुए ट्रेसबिलिटी को आगे बढ़ाएंगे।
-
यूके-भारत जैव प्रौद्योगिकी साझेदारी का उपयोग करते हुए बायोफाउंड्रीज़, बायोप्रिंटिंग, बायोमैन्युफैक्चरिंग, बायो-बेस्ड मैटेरियल्स, उन्नत जैव विज्ञानों में निहित संभावनाओं को साकार किया जाएगा और स्वास्थ्य, स्वच्छ ऊर्जा तथा सतत कृषि के क्षेत्रों में नवाचार को आगे बढ़ाया जाएगा। यूके-भारत जैव प्रौद्योगिकी एक्सेलेरेटर स्थापित करने की संभावना का भी अन्वेषण किया जाएगा।
यूके और भारत टीएसआई के अन्य क्षेत्रों जैसे ग्रेफीन और द्वि-आयामी सामग्री प्रौद्योगिकी पर सहयोग जारी रखेंगे। टीएसआई की सफलता को मान्यता देते हुए, दोनों नेताओं ने इसे भविष्य की सुरक्षित और रणनीतिक प्रौद्योगिकियों में सहभागिता के लिए नए क्षेत्रों में विस्तार देने पर सहमति व्यक्त की है। यह विस्तार यूके और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को और अधिक समन्वित करेगा तथा उद्योग और शोधकर्ताओं के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा।
दोनों पक्षों ने उद्योग जगत, नवाचार करने वाले स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों से आग्रह किया है कि वे यूके-भारत प्रौद्योगिकी साझेदारी को और सशक्त बनाएं और टीएसआई द्वारा प्रस्तुत अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं।