भाषण

ब्रिटेन और उड़ीसा की भागीदारी

पूर्वी भारत हेतु ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त स्कॉट फर्सेडॉन-वुड द्वारा ‘ब्रिटेन और उड़ीसा की साझेदारी’ विषय पर आयोजित सेमिनार के उद्घाटन में दिए गए भाषण की लिखित प्रतिलिपि।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Scott Furssedonn-Wood MVO

सम्मानित अतिथिगण, देवियो तथा सज्जनो,

यहां भुवनेश्वर में आप सब के साथ होना मेरा सौभाग्य है। मैं पूर्वी भारत के लिए ब्रिटेन का उप-उच्चायुक्त केवल चार माह पहले से हूं और महान राज्य उड़ीसा का यह मेरा पहला दौरा है। यह उन तेरह राज्यों में एक है जहां मैं ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधित्व करता हूं, लेकिन यह उनमें से पहला है जिनका मैंने दौरा किया और जिसके विषय में जानकर मैं बहुत रोमांचित अनुभव कर रहा हूं।

यह एक ऐसा स्थान है जिसका अपना एक समृद्ध इतिहास है और सचमुच जिसे अपने स्वर्णिम अतीत पर गर्व है। लेकिन भारत के एक बेहतर प्रशासन को धन्यवाद जिसकी वजह से इस राज्य का एक उज्ज्वल भविष्य है।

उड़ीसा में जो चीजें हैं: आधारभूत ढांचा तथा उद्योग, कौशल तथा शिक्षा। आज उड़ीसा के प्राकृतिक संसाधन और इसके लोगों में वे अद्भुत संभावनाएं निहित मानी जाती हैं, जो पहले कभी नहीं थी।

और इसलिए, पहले से ज्यादा, व्यापार के लिए उड़ीसा एक बढ़िया स्थान बन गया है। और यही कारण है कि मैं इस सप्ताह सत्रह ग्रेट ब्रिटिश कंपनियों को अपने साथ लाया हूं जिनका लक्ष्य केवल व्यापार करना है। यह उन ब्रिटिश व्यापार प्रतिनिधिमंडलों में सबसे बड़ा है जिन्होंने इससे पूर्व उड़ीसा का भ्रमण किया है। इनमें से कुछ कंपनियां तो पूर्व से ही उड़ीसा में व्यापार कर रही हैं और इसे बढ़ाना चाहती हैं। कुछ कंपनियों को यहां पहली बार व्यापार करने की आशा है। इनमें सभी यहां के आश्चर्यजनक अवसरों को पहचानते हैं और मानते हैं कि वे अपने विश्वस्तरीय उत्पाद और सेवाओं द्वारा उड़ीसा के भविष्य में एक भूमिका निभा सकती हैं।

बेशक, उड़ीसा ने अपने हिस्से की चुनौतियों का सामना किया है। और इनमें से हाल-फिलहाल की एक चुनौती- भयानक चक्रवात, जिसने अक्टूबर में यहां के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित किया और आज भी इसके असर को महसूस किया जा सकता है। फैलिन चक्रवात से संपत्ति और बुनियादी ढ़ांचे को हुए व्यापक नुकसान को पूरा करने में अभी समय लगेगा। इस क्षेत्र में उड़ीसा सरकार सर्वोत्तम कार्य कर रही है। और आज सुबह यहां आने से पहले मैंने ब्रिटिश सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त कई स्वयंसेवी संगठनों से मुलाकात की, जो इस क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्य कर रहे हैं। उड़ीसा के लोग दृढ़ तथा प्रबल इच्छाशक्ति के धनी हैं और राज्य पूर्णरूप से उनका उत्साह बढ़ा रहा है।

इस सप्ताह हमलोग यहां उस अभियान के सिलसिले में एकत्र हुए हैं, जिसे हमने ग्रेट अभियान (ग्रेट कैम्पेन) का नाम दिया है। हमें अपने अतीत पर गर्व है और हम अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हैं। तथा हम अपनी उन उपलब्धियों का जश्न मनाना चाहते हैं जिनकी वजह से यूनाइटेड किंगडम ‘ग्रेट’ बना है।

ब्रिटिश व्यापार-परिदृश्य- जिसमें वृहत तथा लघु क्षेत्र सम्मिलित हैं,- तथा इसे संचालित करने वाले तत्व- उद्यमिता, मौलिकता तथा नवोन्मेष इसके महत्वपूर्ण भाग हैं। हमें अपने उद्यमियों पर गर्व है: सर रिचर्ड ब्रैनसन ऑफ वर्जिन, फैशन डिजाइनर सर पॉल स्मिथ तथा डायसन वैक्यूम क्लीनर जैसे क्रांतिकारी घरेलू उत्पाद का आविष्कार करने वाले जेम्स डायसन जैसे लोग हमारे सम्मानित उद्यमी हैं। हमें अपने डिजायनरों पर गर्व है: आपमें से जो लोग आज आइपैड या आइफोन का उपयोग कर रहे हैं, शायद नहीं जानते हों कि यह एक ब्रिटिश डिज़ाइनर- सर जोनाथन ईव की अभिकल्पना है।

हम इस तथ्य के प्रति भी गौरवान्वित हैं कि विश्व के सर्वाधिक वाणिज्य उपयुक्त क्षेत्रों में ब्रिटेन एक है- जिस कारण, मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने संपूर्ण यूरोपियन यूनियन के देशों में किए गए निवेश से ज्यादा केवल ब्रिटेन में निवेश किया है। ब्रिटेन में व्यापार की स्थापना में केवल 13 दिनों का समय लगता है। जी8 देशों में हमारा कॉरपोरेट-कर सबसे कम है: 2015 तक यह जी20 देशों में भी सबसे कम होगा। ये कुछ उन कारणों में से एक है जिसकी वजह से अमेरिका को छोड़कर ब्रिटेन अन्य किसी भी देश से ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करता है। इसलिए स्वाभाविक तौर पर, अगर आप वैश्विक होना चाहते हैं तो इसके लिए ब्रिटेन ही उपयुक्त स्थान है।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि भुवनेश्वर की एक स्थानीय कंपनी ने कुछ माह पूर्व ब्रिटेन में अपना व्यापार स्थापित किया है। मैं आश्वस्त हूं कि अन्य भी उसका अनुसरण करेंगे। अगर यहां उपस्थित आपमें से कोई भी अपने व्यापार का विदेशों में विस्तार करना चाहते हैं तो मैं आपको ब्रिटेन के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं। ब्रिटिश व्यापार और निवेश क्षेत्र से संबद्ध मेरे सहयोगियों को भी आपकी मदद करने में बहुत प्रसन्नता होगी।

देवियो और सज्जनो,

ब्रिटेन और भारत के मध्य व्यापार में जबर्दस्त वृद्धि हो रही है। हमलोग दोनों देशों के अपने प्रधानमंत्रियों द्वारा 2010 में स्थापित किए गए 2015 तक आपसी व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में प्रगति कर रहे हैं। और दोनों पक्षों से निवेश-प्रक्रिया में भी वृद्धि हो रही है। बीपी और वोडाफोन जैसी ब्रिटिश कंपनियों ने भारत में विशाल निवेश किया है। अब भारत में ब्रिटेन तीसरा सबसे बड़ा निवेशकर्ता तथा ब्रिटेन में भारत पांचवां सबसे बड़ा निवेशकर्ता है। हमारे देशों के मध्य सुदृढ़, विस्तृत तथा गहन संबंधों का एक महत्वपूर्ण भाग व्यापार तथा निवेश भी है।

  • ब्रिटेन तथा भारत के समान हित हैं। एक शांतिपूर्ण, समृद्ध तथा न्यायपूर्ण विश्व। एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था।
  • लोकतंत्र, मानवाधिकार, बहुलतावाद और समावेशी विकास के प्रति गहन प्रतिबद्धता में हम सहभागी हैं।
  • इतिहास, मूल्यों तथा भाषाई क्षेत्र में भी हम सहभागी हैं। हमारे समान प्रशासन-तंत्र और हमारी एक जैसी विनोदप्रियता भी है।
  • हम दोनों पक्ष दोनों देशों के मध्य साझेदारी को और भी गहन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने 2010 में कार्यभार संभालने के समय से अबतक किसी भी अन्य देश से अधिक, भारत के तीन दौरे किए हैं।
  • हमलोग अपने नागरिकों के हितों से संबद्ध लगभग सभी मुद्दों पर साथ मिलकर कार्य करते हैं।

हमारा लक्ष्य ब्रिटेन तथा भारत के आपसी संबंधों को अधिक सुदृढ़, विस्तृत तथा गहन बनाना भी है। और हम इन क्षेत्रों में प्रगति देख भी रहे हैं। लेकिन मैं सोचता हूं कि हम और भी बेहतर कर सकते हैं और हमें करना भी चाहिए। हमारी आपसी साझेदारियों के आधार पर हमें और भी महत्वाकांक्षी होना चाहिए।

भारत की रणनीति का लक्ष्य आमूल-चूल परिवर्तन करना है: समन्वित विकास जो सभी नागरिकों के हित में हो। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत के प्रयत्नों में ब्रिटेन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:

  • भारत को अपने नागरिकों की आकांक्षा के अनुसार देश का निर्माण करने के लिए आंतरिक निवेश की आवश्यकता है: निवेश पूंजी जुटाने और उपलब्ध करने में ब्रिटेन को विशेषज्ञता प्राप्त है।
  • भारत को आधारभूत निर्माण की आवश्यकता है: सड़कें, मैट्रो, रेलवे, बंदरगाह, हवाई-अड्डे: आधारभूत निर्माण क्षेत्र में ब्रिटिश कंपनियां वास्तविक सामर्थ्य रखती हैं।
  • भारत को नये शहर बसाने तथा वर्तमान शहरों के सफलतापूर्वक विस्तार का प्रबंध करने की आवश्यकता है: ब्रिटेन के पास विश्व के सर्वश्रेष्ठ नगर-नियोजनकर्ता तथा वास्तुकार हैं।
  • भारत उच्च गुणवत्ता का सबसे बड़ा उत्पादन-क्षेत्र बनाना चाहता है: ब्रिटेन को उच्च तकनीक के उत्पादन क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है।
  • भारत को ऊर्जा की आवश्यकता है, दोनों स्रोतों से- परंपरागत स्रोत जैसे तेल और गैस से तथा नवीकरणीय स्रोतों जैसे वायु तथा सौर ऊर्जा से: ब्रिटेन ऊर्जा-परिक्षेत्र में विश्वस्तर की कंपनियों की केन्द्र स्थली है।
  • भारत अपने उन 50 करोड़ युवा लोगों को शिक्षित करना चाहता है जो अगले दस वर्षों में श्रम बाजार में प्रवेश करने वाले हैं: हमारे पास इसके लिए उत्कृष्ट शिक्षा और दक्षता प्रदाता हैं।
  • भारत अपने एक अरब २० करोड़ लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य-सुविधाएं जुटाना चाहता है: स्वास्थ्य तथा औषधि के क्षेत्र में ब्रिटेन सर्वोत्तम विशेषज्ञताएं रखता है।
  • अगर भारतीय व्यापारी वैश्विक स्तर पर आना चाहते हैं तो उन्हें विश्वस्तरीय सेवाओं की जरूरत होगी जो ब्रिटेन प्रस्तावित करता है: बैंकिंग, लेखा, बीमा तथा कानून क्षेत्र में।
  • भारत विश्व-बाजार तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है। विश्व के एकल सर्वाधिक विशाल बाजार- यूरोपियन यूनियन तक पहुंच के लिए ब्रिटेन एक सर्वाधिक उपयुक्त आधार है; तथा लंदन शहर एवं इसके स्टॉक-एक्सचेंज की व्यापारिक दुनिया द्वारा भी यह सबसे बेहतर व्यापारिक स्थल है।

इसलिए, जो चीजें भारत को चाहिए और चीजें ब्रिटेन प्रस्तावित करता तथा जो ब्रिटेन को चाहिए और भारत प्रस्तावित करता है- इनमें बड़ी निकट की संगति है। आगे आने वाले वर्षों में एक दीर्घकालिक मजबूत भागीदारी के लिए यह एक बेहतरीन आधार होगी।

इस साझेदारी को विकसित करने के लिए उड़ीसा एक सर्वोत्तम स्थान है। कुछ क्षेत्रों में हमारी बेहतरीन साझेदारियां पहले से मौजूद है- शिक्षा, संस्कृति, विकास तथा ज्यादा से ज्यादा – व्यापार के क्षेत्र में। मैं आश्वस्त हूं कि आज हमारे साथ यहां मौजूद ब्रिटिश कंपनियां नए अवसरों का अन्वेषण करेंगी और नयी साझेदारियां विकसित करेंगी। साथ काम करते हुए, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि ब्रिटेन/ उड़ीसा साझेदारी के सबसे अच्छे दिन बस अब आने ही वाले हैं, और उड़ीसा तथा यहां के लोगों का भविष्य उतना ही उज्ज्वल है जैसा इसे होना चाहिए।

धन्यवाद!

प्रकाशित 28 January 2014