ब्रिटेन और भारत : चार भ्रांतियां और एक ‘‘बिग आइडिया’’
भारत स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन केसीएमजी ने 29 सितंबर 2012 को चेन्नई में ब्रिटिश बिजनेस ग्रुप के एक आयोजन में भाषण दिया। यहां पेश है उनके मूल भाषण का पूरा पाठ।

भूमिका
भारत में पहुंचने के शीघ्र बाद मैं नई दिल्ली में एक भारतीय राजनीतिक नेता से मिला था। इस मुलाकात के कारण स्पष्ट हो जाएंगे, लेकिन मैं उनका नामोल्लेख नहीं करूंगा। मैंने इस राजनीतिज्ञ से पूछा कि उन्होंने अपने दौर की राजनीति से क्या सीखा है। उन्होंने इस बारे में सोचा और कहा- ‘‘आपको बताता हूं, मैंने निष्कर्ष निकाला है कि आपकी निजी खुशी सीधे तौर पर दिल्ली से आपकी दूरी के अनुपात पर निर्भर करती है।’’ मैंने उनकी बात पर यकीन कर लिया है और इसी वजह से मैं यहां चेन्नई में आकर खुश हूं, जो दिल्ली से बहुत दूर, लेकिन भारत में है।
अपने आगमन के बाद मैंने भारत में ब्रिटिश व्यवसाय और ब्रिटेन में व्यवसाय करने वाले भारतीयों को समर्थन देने को अपनी पहली प्राथमिकता भी बना दिया है। इसी कारण मैं भारत में सभी प्रकार के ब्रिटिश बिजनेस ग्रुप्स की इस तरह की बैठकों में भाग लेकर विशेष रूप से खुश होता हूं। मुझे यहां आमंत्रित करने के लिए आपको धन्यवाद। मैं आप सभी के साथ एक लंबे और सकारात्मक रिश्ते की उम्मीद करता हूं।
मैं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के लिए कार्य करता हूं। इसलिए, मैं अपनी प्रारम्भिक टिप्पणियां सर हेनरी वॉटन के कथन के साथ दूंगा, जो लगभग 400 साल पहले क्वीन एलिजाबेथ आईओवर के एक कूटनीतिज्ञ थे। कूटनीतिज्ञ के बारे में उनकी परिभाषा प्रसिद्ध हो गई, जो इस प्रकार है : ‘‘कूटनीतिज्ञ वह ईमानदार व्यक्ति है, जिसे अपने देश की खातिर झूठ बोलने के लिए विदेश में भेजा जाता है।’’ मैं यहां आपके सामने झूठ बोलने के लिए नहीं आया हूं। इसके विपरीत, मैं वह सच्चाई कहना चाहता हूं, जिसे मैं देखता हूं। और, मैं विशेष रूप से चार भ्रांतियों को दूर करना चाहता हूं, जिन्हें मैंने भारत में अपने प्रवास के प्रारम्भिक महीनों में बहुत सुना है।
भ्रांति एक : भारतीय चमत्कार खत्म हो चुका है
पहली भ्रांति यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आर्थिक चमत्कार खत्म हो चुका है। ‘‘इकोनॉनिस्ट’’ पत्रिका ने इसी धारणा के साथ अपने जून के अंक में शीर्षक दिया था- ‘‘फेयरवेल, इनक्रेडिबल इंडिया’’ (यानी अलविदा, अतुलनीय भारत)।
मैं अब इससे इंकार नहीं कर रहा हूं कि भारत आज कुछ कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसा भी नहीं है कि चीजें बेहतर नहीं हो सकतीं : वे हमेशा बेहतर हो सकती हैं।
लेकिन, मेरा कहना है कि जब कभी मैं दिल्ली से बाहर उन स्थानों पर जाता हूं, जिन्हें कई लोग ‘‘असली भारत’’ कहते हैं। मैं उसे वहां उससे भिन्न देश पाता हूं, जिसके बारे में हम मीडिया और राजनीतिक व्याख्यानों में सुनते हैं। मैंने अब तक भारत के 28 में से 20 राज्यों की यात्रा की है। मैं सिर्फ प्रथम श्रेणी के शहरों में नहीं, बल्कि दूसरी एवं तीसरी श्रेणी के शहरों और ग्रामीण भारत के एक बड़े हिस्से में भी गया हूं।
और, इस असली भारत में संवृद्धि दर 5 प्रतिशत नहीं, बल्कि 10 प्रतिशत या इससे अधिक है। वहां लगभग प्रत्येक व्यक्ति का जीवन स्तर ऊंचा होता जा रहा है। असली भारत में एक बड़ी और बढ़ती संख्या में मध्यवर्ग है, जो सुशिक्षित है और उसके पास उपयोग के लिए उच्च आय है। वह अधिक समृद्धि पैदा कर रहा है और स्थायित्व सुनिश्चित करने में मदद कर रहा है। असली भारत में - चाहे अभिभावक अमीर हों या गरीब, वे अपने बच्चों को अपनी क्षमतानुसार उत्कृष्ट शिक्षा दिलवाने के लिए भारी कुर्बानी कर रहे हैं। यह बच्चों और भारत के भविष्य के लिए सभी प्रकार के निवेशों में उत्कृष्ट निवेश है।
मैं प्रतिदिन असली भारत में विस्मयकारी प्रतिभाशाली व्यक्तियों से मिलता हूं और इस तरह की प्रतिभाएं यहां इस कमरे में भी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। मैं प्रतिदिन असली भारत में चिकित्सा, अनुसंधान, व्यवसाय, शिक्षा, सृजनशील कलाओं आदि में विश्वस्तरीय उत्कृष्टता के उदाहरण पाता हूं।
मैं असली भारत में विविधता में एकता देखता हूं, जिसके बारे में नेहरू ने कहा था और यह सृजनशीलता एवं संवृद्धि का वाकई एक शक्तिशाली संचालक है। मैं असली भारत में प्रत्येक जगह पर प्रतिभाशाली युवा भारतीयों से मिलता हूं, जिन्होंने अपनी शिक्षा पाने और व्यवसाय शुरू करने के लिए विदेश-यात्रा की है, लेकिन अब वे स्वदेश लौट रहे हैं क्योंकि वे यहां भारत में बहुत अधिक अवसर देख रहे हैं। जब ये प्रतिभाएं उलटे प्रतिभा पलायन (रिवर्स ब्रेन ड्रेन) के रूप में स्वदेश लौटती हैं तो यह आपके लिए भारत के भविष्य के बारे में आत्मविश्वासी होने के सभी कारणों में एक सर्वाधिक शक्तिशाली कारण है।
और, अंतिम बात, मैं असली भारत में ऐसा कुछ देखता हूं, जो संभवत: उन चीजों से अधिक महत्वपूर्ण है, जिनकी मैंने पहचान की है : मैं आशावाद देखता हूं। मैं जहां कहीं और किसी भी स्तर पर लोगों से मिलता हूं, वे सोचते हैं कि आज अच्छा है और कल बेहतर होगा। आप आर्थिक एवं सामाजिक लाभों की मात्रा की गणना नहीं कर सकते। लेकिन वे बहुत ज्यादा हैं और वे औद्योगिक आकार की मात्रा जैसी अन्य चीजों की तरह भारत के पास हैं।
इसलिए, मैं भारतीय चमत्कार के खत्म होने के तर्क से सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि हमारी आंखों के सामने यह चमत्कार हो रहा है और हमें इसका जश्न मनाना चाहिए।
भ्रांति दो : ब्रिटिश व्यवसाय के सामने भारत में कठिन स्थितियां हैं
दूसरी भ्रांति वह है, जिसे मैं अपनी पिछली ब्रिटेन-यात्रा में पहले ही सुन चुका हूं। भ्रांति यह है कि ब्रिटिश व्यवसाय के सामने इस समय भारत में कठिन स्थितियां हैं। मैं इस बात से भी सहमत नहीं हूं। पहली बात, यह हकीकत में सही नहीं है। पिछले लगभग एक साल से कठिन माहौल के बावजूद अनेक ब्रिटिश उद्यमशील कारोबारी भारत में अभी भी सुचारू तरीके से व्यवसाय कर रहे हैं, जिनमें आप जैसे प्रमुख प्रतिनिधि भी शामिल हैं। और दूसरी बात, क्योंकि मैं मानता हूं कि ब्रिटिश कारोबारियों की भावी क्षमता यहां अब पहले से भी अधिक है।
ऐसा क्यों है? मेरा मानना है कि हमारे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक स्वाभाविक मेल है और हम जिन चीजों की पेशकश एक-दूसरे से करते हैं, वे अधिकतर देशों एवं भारत के बीच नहीं हैं। और, इसका मतलब यह है कि हम दोनों देशों के बीच एक आर्थिक साझेदारी के निर्माण के लिए जो कुछ कर रहे हैं, हमें उससे अधिक उच्चाकांक्षी होना चाहिए और हम उसको अमली जामा पहना सकते हैं। मैं इस बारे में अधिक प्रकाश डालूंगा।
संक्षेप में, ब्रिटेन के पास वे चीजें हैं, जिन्हें भारत चाहता है और भारत के पास वे चीजें हैं, जिन्हें ब्रिटेन चाहता है।
आइए, भारत के बारे में बात शुरू करें। भारत का रणनीतिक लक्ष्य बदलाव लाना है : एक समावेशी विकास, जिससे जनता के सभी वर्गों को लाभ पहुंचें। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए : * भारत को निवेश की जरूरत है : ब्रिटेन को निवेश पूंजी जुटाने और उसे प्रदान करने में विशेषज्ञता हासिल है। * भारत को ढांचागत सुविधाओं- सड़कों, मेट्रो, रेलवे, बंदरगाहों और हवाई अडडों की जरूरत है : ब्रिटेन को ढांचागत सुविधाओं की डिजाइनिंग, निर्माण एवं उनके परिचालन में विशेषज्ञता हासिल है। * भारत को नए शहरों के निर्माण और मौजूदा शहरों के सफल विस्तार के प्रबंधन की जरूरत है : ब्रिटेन को शहरी नियोजन, शहरी नवीकरण एवं आर्किटेक्चर में विशेषज्ञता हासिल है। * भारत अपनी आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को कृषि क्षेत्र से निकाल कर मैन्यूफैक्चरिंग में लगाना और वैल्यू चैन के शीर्ष स्तर पर एक अधिक बड़े मैन्यूफैक्चर क्षेत्र का निर्माण करना चाहता है : ब्रिटेन को उच्च तकनीक की मैन्यूफैक्चरिंग में ठीक वैसी ही विशेषज्ञता हासिल है। उदाहरण : भारतीयों को अपने मोबाइल फोन बेहद प्रिय हैं। दुनिया में लगभग प्रत्येक मोबाइल फोन (95 प्रतिशत में) ब्रिटिश प्रौद्योगिकी- एआरएम माइक्रोचिप लगी होती है। * भारत को पारम्परिक (जैसे- तेल एवं गैस) और नवीकरणीय (जैसे- वायु एवं सौर ऊर्जा) दोनों स्रोतों से ऊर्जा की जरूरत है : ब्रिटेन को इन सभी क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल है। * भारत अपने 500 मिलियन युवाओं को शिक्षित करना चाहता है, जो अगले दस साल में श्रम बाजार में प्रवेश करेंगे : ब्रिटेन को शिक्षा और निपुणता के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है। * भारत अपनी 1.2 अरब की आबादी को स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल प्रदान करना चाहता है और इसका आंशिक समाधान इसमें निजी सेक्टर को अधिक भागीदारी देना है: ब्रिटेन को स्वास्थ्य एवं औषधि के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है। * भारत में प्रगति के साथ उसका मध्यवर्ग उपभोक्ता वस्तुओं एवं लक्जरी ब्रांड्स को चाहता है : ब्रिटेन इनमें से कई चीजों का उत्पादन करता है - स्कॉच व्हीस्की, हाई फैशन की वस्तुएं, खूबसूरत कारें आदि। * भारतीय कंपनियों की वैश्विक हैसियत बढ़ने के साथ वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सेवाएं चाहती हैं, जिनकी पेशकश ब्रिटेन करता है - बैंकिंग, बीमा, एकाउंटेंसी, कानून आदि क्षेत्र में। * और, विकास की पहली शर्त शांति है। भारत एक सुरक्षित एवं स्थिर बाह्य वातावरण चाहता है, जिसमें वह घरेलू मोर्चे पर विकास की गति में तेजी ला सके। इसके लिए प्रतिरक्षा क्षमताओं की जरूरत होती है : ब्रिटिश प्रतिरक्षा उद्योग विश्व में दूसरा सबसे विशाल प्रतिरक्षा उद्योग है, जो इन क्षमताओं की पेशकश करता है।
इस प्रकार, भारत क्या चाहता है और ब्रिटेन क्या पेशकश करता है, इसके बीच एक निकटस्थ मेल है।
यही बात इसके विपरीत लागू होती है : भारत के पास वे चीजें हैं, जो ब्रिटेन चाहता है।
ब्रिटेन क्या चाहता है? संक्षेप में, एक मजबूत और टिकाऊ संवृद्धि की ओर वापसी। यह किस प्रकार होगी? तीन प्रमुख तरीकों से, जो निम्नलिखित हैं : निर्यातोन्मुखी संवृद्धि : ब्रिटिश वस्तुओं और सेवाओं की अन्य देशों में बिक्री। भारत विश्व के विशालतम बाजारों में से एक है। अगले कुछ सालों में उसकी आबादी विश्व में सबसे ज्यादा हो जाएगी। यदि ब्रिटेन को निर्यातोन्मुखी संवृद्धि में सफल होना है तो उसे यहां भारत में सफलता पानी होगी।
ब्रिटेन में आवक निवेश : इसी के मद्देनजर ब्रिटेन अपने यहां आवक निवेश का स्वागत करता है। टाटा समूह द्वारा अधिग्रहित जगुआर लैंड रोवर की भारी सफलता इसका एक उदाहरण है। ज़रा सोचिए : कितने अन्य देश किसी विदेशी निवेशक को अपनी एक सिरमौर राष्ट्रीय कंपनी के अधिग्रहण की इजाजत देंगे? ब्रिटेन ने अधिग्रहण की सिर्फ इजाजत ही नहीं दी, बल्कि इसका रास्ता भी आसान बनाया। और, यह टाटा समूह और हमारे लिए अत्यंत फायदेमंद रहा क्योंकि इससे जहां एक ओर जेएलआर की ब्रिक्री में भारी इजाफा हुआ, वहीं दूसरी ओर हमारे यहां हजारों नई नौकरियों का सृजन हुआ। विदेशी निवेश के प्रति इस खुलेपन से ब्रिटेन यूरोप में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बन गया है। वह विश्व में अमेरिका के बाद एफडीआई का दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बन गया है।
ब्रिटेन में प्रतिभाओं को आकर्षित करना : हमने पिछले 40 सालों के दौरान शानदार ढंग से प्रगति की है। उदाहरण : ब्रिटेन में किसी भी अन्य समुदाय की तुलना में भारतीय समुदाय विशालतम, समृद्धतम और सर्वाधिक सफल है। इनमें से अनेक विशिष्ट सदस्य आज यहां मौजूद हैं। इस प्रकार, ब्रिटेन के पास वे चीजें हैं, जिनकी भारत को जरूरत है और भारत के पास वे चीजें हैं, जिनकी ब्रिटेन को जरूरत है। यह किसी भी मजबूत रिश्ते के लिए हरसंभव तरीके से एक उत्कृष्ट आधार है : यानी पारस्परिक हितों की पूर्ति।
भ्रांति तीन : ब्रिटेन की शक्ति में बहुत गिरावट आ रही है
जिन लोगों को ब्रिटेन के बारे में सही जानकारी नहीं है, उनके बीच मैं एक अन्य भ्रांति यह पाता हूं कि ब्रिटेन की शक्ति में बहुत गिरावट आ रही है। भ्रांति है कि ब्रिटेन का अतीत भले ही महान रहा हो, लेकिन उसकी शान के दिन लद गए हैं।
हम ब्रिटेन के लोग इस तर्क को पूरी तरह खारिज करते हैं। हमारा मानना है कि ब्रिटेन के सुनहरे दिन आने वाले हैं। हमें जहां अपने अतीत पर गर्व है, वहीं हमें अपने भविष्य पर भरोसा है।
क्यों? क्योंकि ब्रिटेन के पास कुछ ऐसे गुण हैं, जो हमें 21वीं शताब्दी की चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम बनाते हैं।
ब्रिटेन :
यह विश्व की विशालतम अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और उसका इस स्थान पर बने रहने का अटल संकल्प है। हम आज विश्व की सातवीं विशालतम अर्थव्यवस्था (भारत ग्यारवीं विशालतम अर्थव्यवस्था) है, जिसकी वार्षिक जीडीपी 2.4 ट्रिलियन पाउंड से भी अधिक है।
ब्रिटेन के पास उपयुक्त आर्थिक आधार हैं : एक अत्यंत शिक्षित एवं गतिशील कर्मचारी वर्ग, एक मजबूत बैंकिंग व्यवस्था, एक स्थिर लोकतंत्र, कानून का शासन और संवृद्धि को समर्थन देने वाली वृहत आर्थिक नीतियां।
यह विश्व के सर्वाधिक व्यवसाय-हितैषी वातावरण वाले देशों में से एक है। वर्तमान सरकार ने लालफीताशाही खत्म की है। इसने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की है। जी 7 के देशों में ब्रिटेन की न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स दर है। इस साल हमने इसे घटा कर 24 प्रतिशत कर दिया है। और, हम 2014 तक इसे घटा कर 22 प्रतिशत कर देंगे, जिससे ब्रिटेन विश्व में न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स दर वाले देशों में से एक बन जाएगा।
हम उद्यमियों का रास्ता आसान बनाते हैं : विश्व बैंक ने व्यवसाय की स्थापना और उसके संचालन की दृष्टि से ब्रिटेन को यूरोप में पहली रैंक दी है। ब्रिटेन में कोई भी व्यवसाय महज 13 दिनों में स्थापित किया जा सकता है।
यदि आप यूरोप में व्यवसाय करना चाहते हैं तो ब्रिटेन उपयुक्त स्थान है। हम विश्व में विशालतम एकल बाजार- ईयू तक सीधी पहुंच की पेशकश करते हैं। यदि आप एक वैश्विक व्यवसायी बनना चाहते हैं तो ब्रिटेन उपयुक्त स्थान है। ब्रिटेन वह स्थान है, जहां दुनिया अपनी पूंजी जुटाती है और सिटी ऑफ लंदन एवं स्टॉक एक्सचेंज के जरिए उसके शेयरों की खरीद-फरोख्त होती है। ब्रिटेन उपयुक्त टाइम जोन में है, जहां आप सुबह में एशिया और शाम को अमेरिका में बातचीत कर सकते हैं। विश्व के किसी भी अन्य हवाई अडडे की तुलना में हीथ्रो हवाई अडडा अधिक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन करता है। और, ब्रिटेन में विश्व की भाषा- अंग्रेजी में संवाद किया जाता है।
ब्रिटेन उन चीजों में विश्व में एक अग्रणी देश है, जो समृद्धि एवं संवृद्धि को बढ़ावा देती है : विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नव-प्रवर्तन। उदाहरण : एक ब्रिटिश नागरिक ने आईपोड की डिजाइन तैयार की थी, एक ब्रिटिश नागरिक ने इंटरनेट का आविष्कार किया था और एक ब्रिटिश नागरिक हिग्गस ने कथित गॉड पार्टिकल के बारे में भविष्यवाणी की थी, जो दर्शाता है कि भौतिक विश्व क्यों कार्य करता है। इस साल के प्रारंभ में इसकी खोज की गई।
ब्रिटेन शिक्षा क्षेत्र में विश्व में एक अग्रणी देश है। नवीनतम रैंकिंग के अनुसार विश्व के छह शीर्ष विश्वविद्यालयों में से 4 शीर्ष विश्वविद्यालय ब्रिटेन में हैं। ब्रिटेन कठिन कामों को भी अच्छी तरह से कर सकता है। उदाहरण : लंदन 2012 के ओलम्पिक्स, जो मैत्रीवत माहौल में शालीन विनोदशीलता और स्टाइल के साथ सही समय पर एवं लक्षित बजट के मुताबिक आयोजित किए गए।
इसलिए, यद्यपि हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन हमें आत्मविश्वास है कि हम ब्रिटेन में शीघ्र ही सुदृढ़ एवं टिकाऊ विकास का दौर देखेंगे। इसके कुछ संकेत पहले से दिख रहे हैं : रोजगार की स्थिति यूरोपियन यूनियन (ईयू) के औसत से बेहतर है और नौकरियों में वृद्धि हो रही है। और, अन्य लोग भी इस बात से सहमत है। ब्रिटेन सरकार के कर्ज ने एएए की रैटिंग बरकरार रखी है। और, भारत ने पिछले साल में ब्रिटेन में अधिक निवेश किया, जो उसके द्वारा ईयू के सभी देशों में किए गए कुल निवेश से अधिक है।
भ्रांति चार : ब्रिटेन ने अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं
और, अंतिम भ्रांति, जो मुझे यहां भारत में व्याप्त सभी भ्रांतियों में सबसे प्रमुख लगी : यह भ्रांति कि ब्रिटेन ने अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं। यह कि हम अब विदेशी छात्रों, व्यवसायियों या आगंतुकों को नहीं आने देना चाहते। कुछ तथ्यों के हवाले से मैं इस भ्रांति को दूर करूंगा।
यह सच है कि ब्रिटेन सरकार देश में कुल आव्रजन में कमी लाने के प्रति कृत-संकल्प है। इसके लिए मैं क्षमा मांगने नहीं जा रहा हूं : लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित ब्रिटेन सरकार ने इसे एक लक्ष्य के रूप में तय किया है, इस कदम को लोकप्रिय समर्थन प्राप्त है और हम एक भीड़भाड़नुमा द्वीप बन गए हैं। हमें अपने नागरिकों के बारे में स्वयं सोचना होगा और सामाजिक सद्भाव एवं मधुर संबंधों की जरूरत है, जो वर्तमान में ब्रिटेन के विविध समुदायों के बीच हैं।
लेकिन, हम इस बारे में समान रूप से कृत-संकल्प हैं कि विश्व के उत्कृष्ट एवं अति-प्रतिभाशाली व्यक्तियों का ब्रिटेन में आगमन हो, जिसका सीधा-सादा कारण है कि यह स्वयं हमारे हित में है। इन उत्कृष्ट एवं अति-प्रतिभाशाली लोगों में अनेक भारतीय हैं। इस प्रकार, हम ब्रिटेन में आने वाले सभी वैध भारतीय आगंतुकों, छात्रों और व्यवसायियों का स्वागत करना जारी रखेंगे।
हम अपने आगंतुकों को हरसंभव तरीके से उत्कृष्ट वीजा सेवा प्रदान करते हैं। ब्रिटेन का भारत में विशालतम वीजा ऑपरेशन है। हमने पिछले साल में 400,000 वीजा आवेदन निपटाए। हम वीजा के आवदेक भारतीयों की सुविधाओं के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं : हमारे भारत भर में 12 वीजा आवेदन केंद्र हैं, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक हैं।
हमारा उद्देश्य यथासंभव शीघ्र वीजा जारी करना है : हम 10 दिन से भी कम समय में अधिकतर अल्पकालिक वीजा आवेदन प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं। अनेक सफल आवेदक इससे भी कम समय में अपना वीजा प्राप्त करेंगे।
हमारा उद्देश्य उन अधिकतर भारतीयों को ‘‘हां’’ कहना है, जो ब्रिटिश वीजा के लिए आवेदन करते हैं। पिछले साल आवेदन करने वाले प्रत्येक दस में से लगभग 9 भारतीयों को (87 प्रतिशत) ब्रिटिश वीजा प्राप्त हुआ।
हम चाहते हैं कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र ब्रिटेन में आएं। इसलिए, हमने ब्रिटेन में आने के लिए वैध विदेशी छात्रों की कोई सीमा तय नहीं की है। और, हम ‘‘हां’’ कहना पसंद करते हैं : हमने पिछले साल में 30,000 से भी अधिक भारतीय छात्रों को वीजा जारी किए। जिन भारतीय छात्रों ने आवेदन किया था, उनमें 75 प्रतिशत छात्र वीजा पाने में सफल रहे।
और, हम चाहते हैं कि भारतीय व्यवसायी ब्रिटेन में आना और कार्य करना जारी रखें। इस सिलसिले में हम प्रमुख निवेशकों, नियमित यात्रियों और महत्वपूर्ण ग्राहकों को विशेष वीजा सेवा प्रदान करते हैं। हम व्यवसाय के उद्देश्य से ब्रिटिश वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों को ‘‘हां’’ कहना पसंद करते हैं। इस उद्देश्य से पिछले साल में आवेदन करने वाले भारतीयों में 95 प्रतिशत आवेदक वीजा पाने में सफल रहे।
हमने भारत से आने वाले कुशल कर्मचारियों के लिए भी अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं। ब्रिटेनवासी देश के श्रम बाजार में जिस स्थान की रिक्तता भर नहीं सकते, हम वहां भारतीयों का स्वागत जारी रखेंगे। भारतीय उद्योग जगत के विचार जानने के बाद हमने इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर के तहत (जिसमें, भारत स्थित कंपनी अपने काम के सिलसिले में किसी स्टाफ सदस्य को ब्रिटेन में भेजना चाहती है) ब्रिटेन आने वाले भारतीयों के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। हमने इस रास्ते से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या सीमा तय नहीं की है। हमने पिछले साल 15,000 से भी अधिक इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर और कार्य वीजा जारी किए।
और, आखिरी बात : हम भारतीयों को ब्रिटेन में अपने परिवारजनों से मिलने या पर्यटन के उद्देश्य से आने वाले भारतीयों को प्रोत्साहित करते हैं। हमने पिछले साल 250,000 से भी अधिक आगंतुक वीजा जारी किए। और, हम आम तौर पर इस मामले में ‘‘हां’’ कहते हैं : जिन भारतीयों ने आगंतुक वीजा के लिए आवेदन किया, उनमें 90 प्रतिशत आवेदक वीजा पाने में सफल रहे।
निष्कर्ष
मैं अपनी बात कूटनीति के बारे में एक अन्य उद्धरण के साथ पूरी करूंगा, जो इसे परिभाषित करने का एक प्रयास है : ‘‘कूटनीति तब तक मीठी-मीठी बातें कहने की कला है, जब कि आपके मार्ग में कोई अड़चन न आ जाए।’’
मैं इस उद्धरण से भी सहमत नहीं हूं। भारत और ब्रिटेन के बीच संबंधों में कोई अड़चन नहीं है। उन्हें जरूरत है- एक ‘‘बिग आइडिया’’ की। और, मैं अपने इस ‘‘बिग आइडिया’’ को आज सुबह आपके सामने रख चुका हूं : यह कि किसी अन्य देश की तुलना में भारत और ब्रिटेन के बीच एक नज़दीकी स्वाभाविक मेल है। हमें इस मेल का जश्न मनाना चाहिए। हमें हमारे दोनों देशों की संपूर्ण जनता के हित में इस मेल की क्षमता का अधिकतम उपयोग करना चाहिए।