भाषण

दीर्घकालिक शहर: कर्नाटक के लिए ब्रिटिश सहभागिता का निर्माण

मंगलवार, 7 फरवरी को दीर्घकालिक शहर पर गोलमेज बैठक में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त, बेंगलुरु, डोमिनिक मैकएलियेस्टर द्वारा दिए गए अभिभाषण के प्रमुख बिंदु।

दीर्घकालिक शहर

देवियो एवं सज्जनो,

आज यहां दीर्घकालिक शहर: कर्नाटक के मामले में ब्रिटिश सहभागिता के निर्माण के विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

मैं यहां बेंगलुरु में विगत एक वर्ष से अधिक समय से हूं और अब मुझे पता चला है कि इसे क्यों स्टार्ट अप सिटी, इन्नोवेशन सिटी कहा जाता है और यह कई अन्य नामों से मशहूर है।

कई नामों के बावजूद, किसी शहर की ताकत उसके लोग ही हैं। मैं विशेषज्ञों से भरे कमरे में आंकड़ों का हवाला नहीं दूंगा। हम जानते हैं कि शहर उसमें बेहतर नौकरी, सुविधाएं और बेहतर जीवनस्तर की तलाश में आनेवाले लोगों की वजह से बेहद तेजी से वृद्धि करते हैं। लेकिन इसके साथ ही, यह आगमन उपलब्ध संसाधनों पर दबाव डालता है और यही वजह है कि शहरी नियोजन मुश्किल होता जा रहा है।

इमारतों के डिजाइन, अपशिष्ट निस्तारण, जल, ऊर्जा तथा खाद्य प्रणाली, शहरी पारिस्थितिकी प्रबंधन, परिवहन, अवसंरचना विकास तथा अन्य भावी अवश्यकताओं के लिए आज जो चयन किए जा रहे हैं, उन्हें भविष्य की शहरी बसावटों में लागू करना मुश्किल होगा।

इसीलिए यह जरूरी हो जाता है कि एक समेकित और नवाचारी दृष्टिकोण अपनाया जाए क्योंकि हम बदलते मौसम, बढ़ती हुई ऊर्जा लागत, पानी और स्थान की बढ़ती हुई मांग के आलोक में अपने शहरों को भविष्य के लिए सुरक्षित बनाना चाहते हैं।

ब्रिटेन ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन करता है, और ब्रिटिश व्यवसाय जगत भी। ब्रिटेन इसके अलावा भारत के ‘100 स्मार्ट सिटी’ बनाने के लक्ष्य का भी समर्थन करता है। कर्नाटक मंगलुरु, शिमोगा, बेलागावी, हुबली-धरवाड़, तुमाकुरु, दावणगेरे और बेंगलुरु को भी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित कर रहा है।

ब्रिटेन की कंपनियां चतुर्स्तंभ स्मार्ट सिटी कार्ययोजना/ दीर्घकालिक नगरीकरण के समस्त परिदृश्य में भारत की सहायता करने की इच्छुक हैं। हमें अवसंरचना क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त है- स्मार्ट परिवहन तथा गतिमयता से लेकर पानी और अपशिष्ट प्रबंधन तक- डिजिटल स्वरूप में- खासतौर पर उच्च तकनीक और ई-कामर्स में- और डिजाइन, पेशेवर सेवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं तथा ई-शासन के क्षेत्र में भी।

2012 के लंदन ओलंपिक का आयोजन पूर्वी लंदन को दीर्घकालिक नगरीकरण के सिद्धांतों पर विकसित करने का एक बेहतरीन उदाहरण है जहां ओलंपिक पार्क का निर्माण कभी प्रदूषित रही औद्योगिक भूमि पर किया गया था। वहां 240 बिजली तथा हाइब्रिड कारों का इस्तेमाल किया गया, इस्तेमाल किए गए खाद्य पैकेज जैविक विघटनीय तत्वों से बने थे, विभिन्न संरचनाओं के लिए इस्तेमाल की गई सामग्रियां दीर्घकालिक स्रोतों से प्राप्त की गई थीं, और वाटर हार्वेस्टिंग, प्राकृतिक प्रकाश-व्यवस्था तथा हल्की इमारती सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया था। खेल के बाद निकले हुए कचरे से गढ्ढों को भरा गया, इन कचरों के

62% का या तो पुनरुपयोग कर लिया गया है, या इन्हें पुनःचक्रित और विघटित किया जा रहा है।

  • ब्रिटेन की क्षमताएं शहरी डिजाइन, योजना तथा वास्तु के क्षेत्र में हैं
  • ब्रिटेन के निर्माण तथा सिविल अभियंत्रण फर्म दुनियाभर में प्रमुख शहरी मूलभूत संरचनाओं का निर्माण कर रहे हैं
  • ब्रिटेन में इस वक्त 3,384 निम्न कार्बन उत्सर्जन बसें हैं। इसके अलावा 1,500 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक बसें और 15 पूर्णतः इलेक्ट्रिक बसें भी लंदन की सड़कों पर चल रही हैं। लगभग 3,000 बसें बायोडीजल, अपशिष्ट उत्पादों से पुनर्नवीकरणीय बायोडीजल, पकाने के तेल तथा मांस प्रसंस्करण व्यापार से प्राप्त वसा से चलाए जाने की संभावना है।
  • समुद्र-तटीय क्षेत्र में 3.6 गीगावाट पवन-ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है, जो दुनियाभर में सबसे ज्यादा है।
  • ब्रिटेन दुनिया की पहली ऐसी विकसित अर्थव्यवस्था है जो 2025 तक अक्षय कोयले का उपयोग बंद करने के लिए प्रतिबद्ध है
  • ब्रिटेन अपने घरेलू स्तर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना करने, और विकासशील देशों को उनके जलवायु-परिवर्तन लक्ष्यों की प्राप्ति में सहयोग करने के लिए कृतसंकल्प है।

दीर्घकालिकता के तहत शहरी चुनौतियों के सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरण पहलुओं को समग्रता में समझने की अपेक्षा की जाती है, जिससे भावी आवश्यकताओं को पूरा करनेवाले साधनों का विकास हो सके।

मुझे भारत में दीर्घकालिक शहरों के विकास हेतु दीर्घकालिक साधनों के बारे में आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।

प्रकाशित 7 February 2017