भाषण

मुंबई के अभिभाषण के साथ विदेश मंत्री का भारत दौरा आरंभ

भारत के अपने दौरे के पहले दिन विलियम हेग ने मुंबई में व्यवसाय, शिक्षा और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
William Hague

विदेश मंत्री ने कहा:

चांसलर के साथ मैं यहां भारत आकर बहुत खुश हूं और यह ब्रिटिश विदेश मंत्री के रूप में मेरी तीसरी भारत यात्रा है। इस दौरे की शुरुआत के लिए मुंबई से बढ़िया अन्य कोई स्थान नहीं हो सकता — जो एक फलता-फूलता धड़कता हुआ शहर है जो भारत की विविधता, गतिशीलता और उसकी आर्थिक क्षमताओं का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है। मैं आप सबको आज यहां आपकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद देता हूं।

दो महीने पहले पूरी दुनिया ने भारत को मानव इतिहास का सबसे बड़ा मतदान संपन्न करते देखा। यह सोचना ही अचंभित कर देता है कि इस मतदान में इतने लोगों ने मत डाले जितनी कि आज से 400 साल पहले तब संपूर्ण विश्व की जनसंख्या हुआ करती थी, जब पहली बार ब्रिटेन ने मुगल शाही दरबार में अपने राजनयिक दूतमंडल भेजे थे।

भारतीय लोगों ने अपनी नई सरकार को परिवर्तन और सुधार के लिए जो जनादेश प्रदान किया है उसमें भारत के लिए रूपांतरकारी क्षमता निहित है और हमें यकीन है कि यह हमारे दोनों देशों के संबंधों के लिए नई उज्ज्वल संभावनाओं के द्वार खोलेगी।

इसीलिए ब्रिटेन के विदेश मंत्री और चांसलर के रूप में हम इस सप्ताह आपकी नई सरकार से विचार विमर्श करने सबसे बड़े शिष्टमंडल के साथ यहां आए हैं जो इस बात का प्रतीक है कि हम भारत और ब्रिटेन के बीच के प्रगाढ़ संबंध की विशाल संभावनाओं को खोलना चाहते हैं।

हमारे दोनों देश लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम राष्ट्रमंडल के सहयोगी सदस्य हैं और हमारा समाज आपस में गहराई से जुड़ा हुआ है:

यह शहर ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रथम एमपी तथा भारत के प्रबल हिमायती एवं उन विचारों के प्रवाह और प्रभाव के उदाहरण दादाभाई नौरोजी का जन्म स्थान है जो लंबे समय से हमारे बीच विकसित होते रहे हैं; इस साल प्रथम विश्वयुद्ध के आरंभ के शताब्दी स्मरणोत्सव के अवसर पर हम उन 12 लाख भारतीयों का सम्मान करेंगे जिन्होंने यूरोप की आजादी की रक्षा में अपना योगदान दिया ताकि उनके साहस और बलिदान को भुलाया न जा सके; और इस वसंत में ब्रिटेन में पहली बार आयोजित होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर हम 15 लाख ब्रिटिश भारतीयों द्वारा हमारे राष्ट्रीय जीवन में दिए जाने वाले महती योगदान का उत्सव मनाएंगे।

यह इसलिए क्योंकि हम इन संबंधों के विशाल महत्व को समझते हैं जो हमारी सरकार ने पिछले चार वर्षों में सतत प्रयास के जरिए भारत के साथ हमारे संबंधों में पिरोया है।

हमने पचास से अधिक मंत्री स्तरीय दौरे किए हैं; हमने चंडीगढ़ और हैदराबाद में नए उप-उच्चायोग खोले हैं जो अब तक किसी भी एक देश में हमारे द्वारा स्थापित किया गया सबसे बड़ा राजनयिक तंत्र है। हमने एक दिन में बिजनस वीजा देने, वीजा के निर्णय लेने के दौरान आवेदक का पासपोर्ट वापस कर देने की व्यवस्था लागू की है और हमने ब्रिटिश फर्मों के लिए भारत के साथ अत्याधुनिक तकनीक साझा करने के प्रावधान को आसान बना दिया है।

अगले बीस वर्षों में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों के साथ निकट संबंध बनाने तथा अतीत के ढर्रे से बिल्कुल अलग राह पर चलने की हमारी सरकार की एक मूलभूत विदेश नीति रही है।

दक्षिण और पूरब में हमने अपना लक्ष्य वैश्विक राजनयिक संपर्कतंत्र में बदलाव किया है, दस नए दूतावास खोले हैं और सशक्त भाषाई दक्षता के सैकड़ों नए राजनयिक बहाल किए हैं।

हम ऐसा करते हैं, क्योंकि हमने ब्रिटेन की समृद्धि को अपनी विदेश नीति के मूल में रखा और चाहते हैं कि दुनिया के सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं के साथ हमारा संबंध मजबूत बने; और क्योंकि हम सबको प्रभावित करने वाले वैश्विक मुद्दों को सुलझाने के लिए हम राष्ट्रों के बढ़ते दायरे के साथ अधिक निकटता से काम करना चाहते हैं।

भारत के साथ हमारा संबंध अपनी गहराई और भविष्य की संभावनाओं के लिहाज से अत्यंत विशिष्ट है।

जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने पिछले साल भारत के अपने तीसरे दौरे के दौरान कहा- यह एक विशिष्ट साझेदारी हो सकती है, एक ऐसी साझेदारी जो हमारी गतिमान अर्थव्यवस्था को रोजगार के सृजन, आर्थिक संवृद्धि और समृद्धि से जोड़ेगी लेकिन यह उससे भी अधिक दूर तक जाती है जो हमारे समाजों के बीच भी मजबूत संबंध बनाती है और जो हमें विश्व मंच पर अधिक निकटता से काम करने में सहायता करती है।

इस सप्ताह हम यहां इसलिए हैं क्योंकि आपकी नई सरकार के बदलाव के सशक्त कार्यक्रम इस विजन को हकीकत में बदलने के नए अवसरों का सृजन करता है। इसके लिए, हम तीन क्षेत्रों में निकटता से साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।

पहली बात, हम सभी भारतीयों को लाभान्वित करने वाले विकास और संवृद्धि के प्रधानमंत्री मोदी की उनकी योजनाओं पर आगे बढ़ने की राह में हम उनका प्रमुख साझेदार बनना चाहते हैं। अपनी अर्थव्यवस्था को समुन्नत करने का हमारे पास अपना अनुभव है और हम सबके लिए आपके लक्ष्य को पूरा करने में आपके साथ मिलकर कर काम करना चाहते हैं।

हम भारत को प्रमुख ब्रिटिश कंपनियों से जोड़ना चाहते हैं जिनके पास दक्षता है, विशेषज्ञता है और अनुभव है जो आपको आपके सरकार की योजना के अंतर्गत इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में, विज्ञान और आविष्कार के क्षेत्र में निवेश करने और स्वास्थ्यसेवा के क्षेत्र में सहायता कर सकते हैं। मैं जानता हूं चांसलर महोदय इस विषय पर और अधिक विस्तार से प्रकाश डालेंगे।

दूसरी बात, हम अपने शैक्षिक संबंध मजबूत करना चाहते हैं क्योंकि हम दोनों देशों के लिए छात्रों, शोधार्थियों, विचारों और विशेषज्ञों के प्रवाह अत्यंत लाभकारी हैं।

यही कारण है कि पिछले पांच वर्षों में ब्रिटेन ने भारत के लगभग 1,00,000 छात्रों का स्वागत किया है; यही कारण है कि हमने वैश्विक विकास की चुनौतियों से निबटने हेतु नए संयुक्त शोध के लिए 5 करोड़ पौंड की राशि हमने न्यूटन फंड के लिए विनियोजित किए हैं; और अगले पांच सालों में 25,000 ब्रिटिश युवाओं को अध्ययन, स्वयंसेवी कार्यों और काम के अनुभव हासिल करने के लिए भारत भेजने का एक नया कार्यक्रम विकसित किया है।

लेकिन हम यहीं नहीं रुक रहे। शेवनिंग स्कॉलरशिप कार्यक्रम के 30वें साल, मुझे इस बात की घोषणा करते अत्यंत खुशी हो रही है कि ब्रिटेन विश्व-स्तरीय विश्वविद्यालय के लिए विशिष्ट नेतृत्व-क्षमता वाले युवा छात्रों के अध्ययन तथा विशेषज्ञता वाले पाठ्यक्रमों में मिड-करियर पेशेवर कर्मियों के भाग लेने हेतु बजट की राशि चार गुनी बढ़ाएगा। पिछले साल हमने पचास स्कॉरशिप प्रदान किए; अगले साल हम इसकी संख्या बढ़ाकर 150 करेंगे जिससे यह दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से में चलाए जाने वाले शेवनिंग स्कॉलरशिप की तुलना में सबसे बड़ा होगा।

लेकिन केवल इतना ही नहीं, हम ग्रेट अवार्ड्स के अपने कार्यक्रम को भी विस्तार देना चाहते हैं जिसमें हमने 130 नए अनुदान शामिल किए हैं ताकि अगले साल 500 भारतीय छात्रों को ब्रिटेन में डिग्री लेने के लिए पर्याप्त सहायता उपलब्ध हो।

मैं जरा अपनी बात स्पष्ट करूं: ऐसे योग्य भारतीय छात्रों की कोई कमी नहीं है जो ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में अध्ययन के कर सकते हैं और ग्रेजुएट स्तर पर नियुक्ति के लिए भी कोई सीमा नहीं रखी गई हैं।

तीसरी बात, हम अपने साझे हितों और मूल्यों को आगे बढ़ाने हेतु विदेश नीति पर और एक दूसरे के साथ और अधिक निकटता के साथ काम करना चाहते हैं।

पिछले कुछ सालों में, भारत के सुरक्षा परिषद में रहते हुए हमने साथ मिलकर काम किया है और हम भारत के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का समर्थन करते रहेंगे।

हमने उस आतंकवाद से मुकाबले के लिए अपना आपसी सहयोग मजबूत किया है जिसने 6 साल पहले इस शहर पर अपना कहर बरपाया था जिसमें अनेक जानें गई थीं और जिसका आपने बड़े धैर्य और साहस के साथ मुकाबला किया।

हमने साइबर नीति के विषय पर महत्वपूर्ण वार्ता की है जिसे हमें मजबूत करना होगा।

और आज हम अफगानिस्तान में शांति व समृद्धि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं: ब्रिटेन ने अफगान सुरक्षाबलों को मजबूत करने में सहायता की है और भारत ने क्षेत्रीय व्यापारिक परिदृश्य को सबल बनाया है।

अफगानिस्तान और व्यापक क्षेत्रीय स्तर पर स्थिरता में हम दोनों का ही साझा हित है। आईएसएएफ के मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही मुझे उम्मीद है और हम एक दूसरे के साथ अफगानिस्तान के अन्य पड़ोसियों के साथ मिलकर अधिक मजबूती और गहराई से काम कर सकते हैं।

बेशक, विदेश नीति की हमारी परंपराएं और हमारे तरीके भिन्न हैं, और हम उनका सम्मान भी करते हैं और उन्हें महत्वपूर्ण मानते हैं। लेकिन मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि आने वाले सालों में भारत और ब्रिटेन के लिए साथ मिलकर करने के लिए बहुत कुछ होगा जो न केवल इस क्षेत्र में हमारे साझे हित को बढ़ावा देने के लिए होगा बल्कि हम सबको प्रभावित करने वाले वैश्विक मुद्दों से निबटने के लिए भी होगा।

दस दिन पहले मैंने इराक का दौरा किया था जहां आईएसआईएल के हमले ने उस क्षेत्र में आतंकवाद का नया केन्द्र बनाने का खतरा पैदा कर दिया है जिसे एक समृद्ध राज्य होना चाहिए, और मुझे चालीस भारतीयों के अपहरण को लेकर भारी चिंता है। मुझे नर्सों के सुरक्षित भारत लौटने की बात सुन कर बड़ी खुशी हुई। मैं इस मुद्दे पर विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज से चर्चा करूंगा।

मध्यपूर्व के आपस में जुड़े संकटों से लेकर क्रीमिया में रूस की अवैधानिक कार्रवायी तक से यह संकेत मिलता है कि दुनिया में निश्चितताओं और स्थिरता के स्थिति में लगातार कमी आती जा रही है। ऐसी परिस्थियों में कोई भी देश अछूता नहीं बचता और यह देशों के विशालतम संभव संगठन के द्वारा दृढ़तापूर्वक और सामूहिक कदम उठाए जाने की मांग करती है।

जहां तक ब्रिटेन का प्रश्न है, अपने वैश्विक कूटनीति तंत्र, अपनी विश्व स्तरीय सशस्त्र सेनाओं और नाटो तथा यूरोपीय संघ की हमारी सदस्यता के जरिए हम अपनी ओर से हर संभव प्रयास करना जारी रखेंगे। हम अपने इन संसाधनों का इस्तेमाल भारत के निकटतम सहयोग के साथ मिलकर करना चाहते हैं जो अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसका व्यापक राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव है। भारत के मित्र होने के नाते हम सोचते हैं कि विश्व-मामलों में सक्रिय और मूल्य-आधारित तरीके से इस प्रभाव को और अधिक व्यापक स्तर पर महसूस करने का समय आ गया है।

हमारे दोनों देशों की समृद्धि नियमों से चालित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर आधारित वैश्विक स्थिरता पर निर्भर करती है और मेरा विश्वास है कि हम आने वाले वर्षों में विदेश नीति में भी उतनी ही मजबूत साझेदारी का निर्माण करेंगे जैसा हमने अन्य क्षेत्रों में किया है।

अतः, अपने सहयोगी जॉर्ज ऑसबोर्न को हमारी आर्थिक साझेदारी की महती संभावना पर बोलने हेतु मंच सौंपने से पहले, मैं यह कहना चाहूंगा कि परिवर्तन की दिशा में भारत की जोरदार योजनाओं में सहायतार्थ तथा हम दोनों की समृद्धि और सुरक्षा के हर क्षेत्र में हम दोनों देशों के लिए आने वाले वर्षों में साथ मिलकर काम करने की असीम संभावनाएं हैं।

हमारा संबंध इतन व्यापक और गहरा है कि जब यह बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाता है तो पता भी नहीं चलता, लेकिन मेरा विश्वास है कि पिछले पांच वर्षों में हमने अपनी साझेदारी को नई दिशा में आगे बढ़ाया है। मैं आशा करता हूं कि आने वाले सालों में हम इसकी पूरी क्षमता का उपयोग कर पाएंगे।

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प्रकाशित 7 July 2014