भाषण

यौन हिंसा का अंत

“लॉयर्स कलेक्टिव वूमंस राइट इनीशिएटिव” पर ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन का अभिभाषण।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
James Bevan

माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री पी सदाशिवम; माननीय न्याधीश सुश्री रंजना देसाई; माननीय अतिरिक्त महाधिवक्ता सुश्री इंदिरा जैसिंग; अन्य सम्मानित अतिथिगण, मित्रों एवं सहकर्मियों-

आधी दुनिया के प्रति, दुनिया की सारी महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के लिए किए गए आपके प्रयासों और तमाम अभियानकर्ताओं के प्रयासों के प्रति आज मैं यहां अपना व्यक्तिगत और ब्रिटिश सरकार की ओर से समर्थन व्यक्त करता हूं।

यौन हिंसा एक वैश्विक समस्या है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि तीन में से एक महिला अपने जीवन काल में अपने ही घर में हिंसा या यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। मुझे लगता है वास्तविक तस्वीर इससे भी अधिक बुरी है।

यह मेरे लिए व्यक्तिगत है। मैं तीन बेटियों का पिता हूं। मैंने अपने वयस्क जीवन का अधिकांश भाग दुनिया भर के देशों में काम करते बिताया है और ऐसा करते हुए मैंने एक बड़ी बात सीखी है: किसी भी देश या दुनिया के सफल विकास के मूल-मंत्र को दो शब्दों में समेटा जा सकता है: महिला सशक्तीकरण।

और यह मेरे सरकार के लिए भी मह्त्वपूर्ण है। दुनिया भर में हम महिलाओं के प्रति किए जाने वाले भेद-भाव और हिंसा के विरुद्ध संघर्ष करने हेतु काम करते हैं। 2012 में ब्रिटिश विदेश मंत्री विलियम हेग ने यौन हिंसा को रोकने के लिए एक नया वैश्विक प्रयास शुरू किया। इसका लक्ष्य है यौन हिंसा रोकने, पीड़िता की सहायता करने तथा दोषियों को सजा दिलाने हेतु देशों, संस्थाओं और समुदायों की क्षमता बढ़ाना। ब्रिटेन में हम इस बात पर गर्व करते हैं कि यह प्रयास अब एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय अभियान में बदल चुका है।

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा और भेदभाव से निबटने में भारत के सामने अपनी चुनौतियां हैं। हर साल वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वैश्विक लिंगानुपात पर एक रिपोर्ट तैयार करता है जिसमें दुनिया के विभिन्न देशों की महिलाओं की स्थितियों के बीच तुलना की जाती है। हर देश में पुरुषों और महिलाओं के बीच सापेक्ष समानता की माप करने के लिए इसकी नजर अर्थव्यवस्था, राजनीति, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और उत्तरजीविता की दर पर होती है।

2013 में नवीनतम वैश्विक लिंगानुपात रिपोर्ट में 136 देशों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें प्रत्येक देश को स्त्री समानता के क्रम में रैकिंग प्रदान की गई है। सबसे ऊपर, नं. 1 स्थान पर आइसलैंड है। भारत का स्थान 101 है। स्त्री स्वास्थ्य और उत्तरजीविता के रूप में, जिसमें लिंगानुपात और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा की माप की जाती है, स्थिति और भी बुरी है क्योंकि इस लिहाज से रिपोर्ट में भारत 136 देशों में 135वें पायदान पर है।

इसलिए कोई भी व्यक्ति गंभीरता से इस बात को खारिज नहीं कर सकता कि भारतीय महिलाओं और बालिकाओं को आज भारी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। उन समस्याओं को आप मेरी तुलना में अधिक अच्छी तरह समझते होंगे। लेकिन कोई इस बात से भी इनकार नहीं कर सकता कि हाल के वर्षों में भारत ने उन समस्याओं से निबटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। और आज मैं उन सभी बहादुर लोगों की तारीफ करना चाहता हूं जिन्होंने इस परिवर्तन को संभव करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इनमें केन्द्रीय और राज्य स्तरीय राजनेता और अधिकारीगण, भारतीय न्यायव्यवस्था के न्यायाधीश और वकील, सांसद, पुलिसकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, एनजीओ, विद्यार्थी वर्ग और सिविल सोसाइटी शामिल हैं। बहुत से लोग, जिन्होंने इस बदलाव में बड़ी भूमिका निभाई है आज यहां इस कक्ष में मौजूद हैं। मैं उन सबको सलाम करता हूं। लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो यहां उपस्थित नहीं हैं। दरअसल, सबसे महत्वपूर्ण लोगों में से बहुत से ऐसे हैं जो महिला अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन हम उनके बारे में कभी जान नहीं पाएंगे।

वे स्थानीय स्तरों पर काम करने वाले सामान्य लोग हैं। उनमें पुरुष भी हैं और महिलाएं भी जो महिलाओं और बालिकाओं की स्थिति में सुधार के प्रयास के जरिए दुनिया को एक सुंदर जगह बनाने में जुटे हैं। आज मैं उन सबको नमन करता हूं।

अमेरिकी लेखिका ऐलिस वाकर ने एक बार कहा था कि अपनी ताकत दरकिनार करने का सबसे बढ़िया तरीका यह होता है कि लोग यह सोचते हैं कि उनके पास यह है ही नहीं। हम सबके पास ताकत है और वह भी हमारे अनुमान से अधिक। यह समझ लेना महत्वपूर्ण है और यह समझना भी कि आप अपनी ताकत का इस्तेमाल कैसे करें। यह समझना और जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि आपके हाथों में अधिकार है और उन अधिकारों को किस तरह सम्मान दिया जाए।

आज हम जिन दो प्रकाशनों का विमोचन कर रहे हैं वे यही करने वाले हैं। वे लोगों को अधिकार प्रदान करेंगे- खासकर उन महिलाओं और बालिकाओं को जिन्होंने यौन हिंसा और उत्पीड़न को झेला है।

मैं लॉयर्स कलेक्टिव वूमंस राइट इनीशिएटिव (वकीलों के संयुक्त महिला अधिकार प्रयास) और इसके कार्यकारी निदेशक सुश्री जैसिंग तथा इस प्रयास में लगे अन्य सभी लोगों को बधाई देता हूं। आज आपके साथ यहां इस विमोचन के अवसर पर उपस्थित होने पर मैं खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूं और मुझे इस बात की खुशी है कि ब्रिटिश सरकार और ब्रिटिश काउंसिल आपके साथ सहयोग कर रहे हैं।

महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा और भेदभाव से निबटने के लिए हमारी सरकार यहां भारत में और भी कई अन्य प्रयासों को अपना समर्थन देती है। उदाहरण के लिए बिहार में, ब्रिटेन का अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग नए प्रोटेक्शन ऑफीसर को प्रशिक्षण देकर, महिलाओं के लिए हेल्पलाइनों में सुधार लाकर और घरों तथा कार्य-स्थलों को अधिक सुरक्षित बनाने में मदद करते हुए राज्य सरकार को 2005 के घरेलू हिंसा अधिनियम को क्रियान्वित करने में मदद कर रही है।

हम संपूर्ण भारत में चलने वाली एक परियोजना में भी सहयोग कर रहे हैं जिसका लक्ष्य है सं.रा. महिला सशक्तीकरण सिद्धांतों के प्रति निजी क्षेत्र की प्रतिबद्धता को बल प्रदान करना। ये सिद्धांत कंपनियों को इस मामले में मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं कि कार्यस्थलों, बाजारों और समाज में महिलाओं का सशक्तीकरण किस प्रकार किया जाए। हम उन सिद्धांतों में विश्वास करते हैं और हम चाहते हैं कि दुनिया भर में उनका अनुसरण किया जाए।

मुझे इस बात पर भी गर्व हो रहा है कि शक्तिशाली निर्भया प्रहसन में भारत में हाल के प्रदर्शन को सहयोग दिया है जिसे ब्रिटेन में और यहां भारत में पुरस्कारों और श्रेष्ठ समीक्षाओं से नवाजा गया है।

महिलाओं के विरुद्ध होने वाली यौन हिंसा कोई भारतीय समस्या नहीं है। यह एक वैश्विक मुद्दा है। हमें इसका सामना ब्रिटेन में भी करना पड़ता है। इसलिए एक ओर जहां हमारे भारतीय मित्र हमारे अनुभव से सीख सकते हैं वहीं हम ब्रिटेनवासी भारत के अनुभवों से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। यदि हमें इस समस्या का सामना सफलतापूर्वक करना है तो हमें मजबूत बनना पड़ेगा। और आपस में मिलकर हम अधिक मजबूती हासिल कर पाएंगे।

अब मुझे अपनी बात इस उक्ति के साथ समाप्त करने की इजाजत दीजिए जिसे मेरी बेटियों में मुझसे कहा था: “अच्छे आचरण वाली महिलाओं ने शायद ही कभी इतिहास रचा हो।” आज मैं अच्छे और बुरे आचरणों वाली उन सारी महिलाओं को नमन करता हूं जिन्होंने इतिहास रचा है। मैं आप सबका आपके जुझारूपन से भरे आचरण और इतिहास रचने के लिए हौसला अफजाई करता हूं।

प्रकाशित 31 March 2014