भाषण

'ब्रिटेन और भारत के बीच संभावित घनिष्ठ संबधों का निर्माण’

नई दिल्ली में आयोजित युवा उद्यमियों को दिए जाने वाले जेआरडी बीवाइएसटी टाटा पुरस्कार के वितरण समारोह में भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त डॉमिनिक एस्क्विथ का संभाषण आलेख।

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हाल में संपन्न हुई ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे की भारत यात्रा की विशिष्टता रही कि वह उनकी यूरोप के बाहर पहली द्विपक्षीय यात्रा थी।

ब्रिटेन और भारत दोनों ने एक साझा बयान पर हस्ताक्षार किया, जो निकटतम संभव वाणिज्यिक और आर्थिक संबंध की दृष्टि से दोनों देशों की प्राथमिकता थी।

लेकिन इन सब के बीच लोग हैं, जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं।

उद्यमी

Iमेरा ऐसा विश्वास है कि प्रति माह लगभग 5 लाख योग्य स्नातक कार्यबल में शामिल होते हैं।

मैं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आइआइएम) के स्नातकों से मुलाकात करता हूं, जो जोमैटो और फ्लिप्कार्ट के भविष्य के सीईओ बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, वे मुझे बताते हैं कि पूंजी जुटाना एक समस्या है। इसलिए हमने टेक रॉकेटशिप पुरस्कार की स्थापना की।

यह भारत और ब्रिटेन के एंजेल और वेंचर पूंजीपतियों को उच्चतम क्षमता वाले भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के स्टार्ट-अप के समान स्तर पर रखता है ताकि वे ब्रिटन जैसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ गंतव्य में अपने व्यापार का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर सकें।

अब लंदन के डिप्टी मेयर राजेश अग्रवाल का ही उदाहरण लें, जो हाथ में केवल 5,000 रुपए लिए इंदौर और चंडीगढ़ से होते हुए ब्रिटेन पहुंचे थे और उनका नाम वर्ष 2012 के संडे टाइम्स के अमीरों की सूची में दर्ज हुआ।

अगली पीढ़ी की महिलाएं

युवा महिलाओं को सहायता देना भी हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं- जिन्हें विश्व भर में बोर्ड स्तर पर कम प्रतिनिधित्व मिला है- ताकि वे अपने क्षेत्र में बुलंदियों पर पहुंच सकें चाहे वह व्यापार, शिक्षा, उद्यमिता, राजनीति या कला का क्षेत्र हो। समूचे यूरोप में महिलाएं 20 प्रतिशत का बोर्ड सीटों पर आसीन हैं। ब्रिटेन में यह 21 प्रतिशत है। भारत में यह केवल 7 प्रतिशत है।

हमारी हाल में शुरू की गई योजना है ‘शी-लीड्स’। इस योजना की शुरुआत टेक समिट में की गई थी और इसके केंद्र थे चेन्नई और दिल्ली। यह उन महिलाओं के साथ कार्य करता है जिनके पास शिक्षा और अवसर दोनों हैं लेकिन उन्हें अपनी महत्वकांक्षाओं को साकार करने और नेतृत्व की भूमिका तक उठने के लिए सहायता की आवश्यकता होती है।

स्टार्ट-अप

पिछले वर्ष टेक रॉकेटशिप प्रतियोगिता में 6,000 लोगों ने हिस्सा लिया। यह पुणे, बेंगलुरु और चेन्नई समेत पूरे भारत में आयोजित हुई। इस पहल से महीने की शुरुआत में आयोजित हुए भारत-ब्रिटेन टेक समिट में ब्रिटेन स्थित स्टार्ट-अप कम्पनियों को पहले से ही 1 मिलियन पाउंड के निवेश का लाभ मिला है।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री मे ने बेंगलुरु में उच्चतम विकसित प्रौद्योगिकी की स्टार्ट-अप के साथ हमारे कार्य को भी देखा। इसलिए उन्होंने एक स्टार्ट-अप इंडिया वेंचर कपिटल फंड के लिए 20 मिलियन पाउंड की अतिरिक्त सहायता राशि की घोषणा की। यह 30 उद्यमों को सहायता करेगा, लेकिन इसकी योजना ब्रिटेन के वेंचर कैपिटल फंड समेत अन्य निवेशकों से अतिरिक्त 40 मिलियन पाउंड जुटाने की है।

यह ब्रिटेन के 160 मिलियन पाउंड की राशि के अतिरिक्त है, जिसे ब्रिटेन 75 स्टार्ट-अप व्यवसायों को सहायता करने, रोजगार के नए अवसर निर्मित करने और भारत के कई राज्यों तक बेहद महत्वपूर्ण सेवाएं पहुंचाने के लिए निवेश कर रहा है।

ब्रिटिश व्यवसायी भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसे अभियानों को सहायता देने के प्रति प्रतिबद्ध है। वे फिलहाल भारत में 3,50,000 लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं और वे अपने सीएसआर जैसे विस्तृत श्रृंखला के कार्यक्रमों के तहत प्रशिक्षण में 13 मिलियन पाउंड निवेश कर रहा हैं ताकि वे आंतरिक प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। वर्ष 2020 तक वे अपनी वर्तमान प्रतिबद्धता को दुगना करने की अपेक्षा रख रहे हैं।

अब जीसीबी इंडिया की 10 अग्रणी महिला इंजीनियरों का ही उदाहरण ले लें, जो एक पुरुष प्रधान समाज में परिवर्तन की लहर ला रही हैं।

कौशल केंद्र

हम कुशलता को विकसित करने वाले केंद्रों पर भी कार्य कर रहे हैं, उदाहरण के तौर पर पुणे का ऑटोमोटिव से संबंधित केंद्र।

अगले सप्ताह ब्रिटेन का साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क (यूकेएसआइएन) चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़ और पुणे में कार्यशालाओं की श्रृंखलाओं के जरिए पूरे भारत में टेकनोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेटर्स (यूकेएसआइएन) का समर्थन कर रहा है।

प्रधानमंत्री मे ने भारत के स्किल इंडिया अभियान को सहायता देने के लिए 12 मिलियन पाउंड की नई प्रतिबद्धता की घोषणा की।

शिक्षा

शिक्षा ब्रिटेन-भारत के द्विपक्षीय संबंधों का केंद्र रही है।

भारतीय विद्यार्थियों को ब्रिटेन में 600 छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। हमने हाल में ब्रिटेन के 40 विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर वर्ष 2017 के अकादमिक वर्ष के लिए अतिरिक्त 198 ग्रेट एजुकेशन छात्रवृत्तियों की घोषणा की है। 200 देशों से लगभग 5,00,000 अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी प्रति वर्ष ब्रिटेन की विश्व स्तरीय शिक्षा प्रणाली का चुनाव करते हैं।

पिछले एक दशक में भारतीय-ब्रिटेन कोष यूके इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव (यूकेआइईआरआइ) ने अपने पहले दो चरणों में 1,000 शोध साझेदारियां और 25,000 अकादमिक आदान-प्रदान निर्मित किए हैं। इस साल की शुरुआत में यह तीसरा चरण इन्हीं महत्वकांक्षाओं के साथ शुरू हुआ है।

न्युट्न-भाभा कार्यक्रम ने एक बार फिर से इस वर्ष 100 पीएचडी विद्यार्थियों को पुरस्कृत करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे नई वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए नए विज्ञान को विकसित किया जाएगा।

एमएचआरडी के जीआइएएन (ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकैडेमिक नेटवर्क) कार्यक्रम के तहत ब्रिटेन के 20 शिक्षाविद भारत आए थे। इससे हमारी गतिविधियों के व्यापक पैमाने, विविधता और भौगोलिक विस्तार का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन फिर भी यह सब काफी नहीं हैं, इसलिए कल्चर 2017 का आगमन हो रहा है। इससे सैकड़ों, हजारों से अधिक लोगों को दोनों ओर से पुल पार करने का अवसर प्राप्त होगा फिर चाहे आप सात वर्ष के हों, 27 वर्ष के या उससे भी अधिक।

प्रकाशित 28 November 2016