विश्व की समाचार कथा

वहन करने योग्य चिकित्सीय प्रोद्योगिकी के विकास पर भारत-ब्रिटेन कार्यशाला

कार्यशाला का आयोजन चेन्नई में 11 मार्च 2014 को किया जा रहा है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

वर्तमान में भारत अपने चिकित्सीय प्रोद्योगिकी का लगभग 75% से अधिक आयात करता है। लेकिन 2.75 बिलियन डॉलर बाजार का प्रसार हो रहा है क्योंकि स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति, वित्तियन प्रक्रिया में सुधार हुआ है और रोगी के प्रोफाइल में परिवर्तन हो रहा है। मुख्य चुनौतियों में शामिल है वहन करने की क्षमता और पहुंच। इस कार्यशाला में दो सत्र हैं – वहन करने योग्य स्वास्थ्य सेवा और नैदानिकी।

वहन करने योग्य स्वास्थ्यसेवा के सत्र में शामिल होंगे :

  • कार्डियोलॉजी
  • ऑर्थोपेडिक्स
  • ऑप्थेल्मोलॉजी
  • ऐडवांस्ड वूंड मैनेजमेंट

नैदानिकी के सत्र में शामिल होंगे :

  • इन-विट्रो डाइग्नॉस्टिक्स
  • रेडियोथैरेपी एवं इमेजिंग

कार्यशाला में इस बात का भी विशेल्षण किया गया है कि किस प्रकार ब्रिटेन-भारत की फंडिंग से कुछ चुनौतियों को हल किया जा सकता है और कुछ अवसरों का निर्माण किया जा सकता है।

कार्यशाला में तमिलनाडु, केरल और पांडिचेरी के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को लक्षित किया गया है – सीईओ, प्रबन्धकों और केन्द्र सरकार/राज्य सरकार के अकादमी के सदस्यों तथा तमिलनाडु, केरल और पांडिचेरी के अग्रणी अस्पतालों, शोध संस्थानों और मेडिकल प्रोद्योगिक कंपनियों को भी लक्षित किया गया है। विशेषज्ञों के साथ जुड़ने और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों के साथ मिलने के अवसर प्राप्त होंगे।

प्रकाशित 10 March 2014