विश्व की समाचार कथा

यूके-भारत विज्ञान एवं नवोन्मेष संबंध का जश्न

ब्रिटेन-भारत अनुसंधान सहयोग 2008 में £ 1 मिलियन से बढ़कर अप्रत्याशित तौर पर 2021 में 400 मिलियन पाउंड तक पहुंच जायगा ।

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हाल ही में हुई भारत-यूके वार्ता यूके-भारत विज्ञान, नवोन्मेष शोध संबंधों में आई तेजी का जश्न मनाने का एक ऐसा ही अवसर थी, जो 2008 में £ 1 मिलियन के संयुक्त निवेश से बढ़कर 2021 तक 400 मिलियन पाउंड तक पहंच जाएगा।

यह उच्च स्तरीय भारत विज्ञान नीति वार्ता सोमवार, 23 अप्रैल 2018 को लंदन में आयोजित की गई। यूके सरकार के व्यवसाय ऊर्जा एवं औद्योगिक रणनीति विभाग के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, प्रॉफेसर जॉन लॉफहेड और भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, प्रॉफेसर आशुतोष शर्मा ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

यह वार्ता ख़ासतौर पर भारत और ब्रिटेन के संयुक्त लक्ष्यों का समर्थन जारी रखने, और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान की गई संयुक्त घोषणाओं का पालन करने के लिए की गई। इस दौरान भारत और ब्रिटेन के अधिकारियों ने एक साथ बैठकर भविष्य की दिशा तय करने पर मंथन किया।

प्रॉफ़ेसर जॉन लॉफ़हेड ने कहा:

हाल के वर्षों में भारत-ब्रिटेन के बीच अनुसंधान की साझेदारी में मज़बूती आई है। विज्ञान और नवोन्मेष पर होने वाली वार्ता हमारे लिए यह सुनिश्चित करने का एक उत्कृष्ट अवसर है कि हमारी साझेदारी दोनों देशों में अनुसंधान की बेहतरी के लिए काम करेगी।

पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्य:

  • डॉ. परविंदर मेनी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
  • एस के वार्ष्णेय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
  • डॉ शैलेजा गुप्ता, जैव प्रौद्योगिकी विभाग
  • अमित शर्मा, लंदन में भारतीय उच्चायोग

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने न्यूट्रॉन साइंस पर चर्चा के लिए रदरफोर्ड एप्पलटन प्रयोगशाला का भी दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य एलन ट्यूरिंग इंस्टीट्यूट भी पहुँचे, जहां उन्होंने बिग डेटा एनालिटिक्स, चीजों का इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर चर्चा की।

यह नीति वार्ता, दो साल में होने वाली विज्ञान और इनोवेशन काउंसिल मीटिंग से पहले हो रही है, जिसकी सह-अध्यक्षता भारत और ब्रिटेन के विज्ञान मंत्री करेंगे।

अधिक जानकारी

यूके – भारत विज्ञान और नवोन्मेष परिषद् (एसआईसी) रणनीतिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिए हर दो साल में आयोजित की जाती है, जिसकी सह-अध्यक्षता दोनों देशों के विज्ञान मंत्री करते हैं। 2004 में लंदन में भारत और यूके के प्रधानमंत्रियों द्वारा हस्ताक्षरित नई और मज़बूत साझेदारी के लिए संयुक्त घोषणा को ध्यान में रखते हुए एसआईसी का गठन किया गया था।

यूके इंडिया साइंस एंड इनोवेशन पॉलिसी वार्ता आम तौर पर एसआईसी से पहले होती है और इस वार्ता के जरिए आगे होने वाली एसआईसी के अध्यक्षों को पिछली एसआईसी के बाद हुई घटनाओं के बारे में सूचित किया जाता है। इस वार्ता के ज़रिए एसआईसी के नए अध्यक्षों को यूके-भारत सहयोग में उभरते क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

मीडिया

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प्रकाशित 25 April 2018