विश्व की समाचार कथा

जलवायु परिवर्तन पर ब्रिटेन, केरल सहयोग: अलूवा की कहानी

अलूवा की नगरपालिका परिषद यह सुनिश्चित करना चाह्ती है कि यह शहर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर सके।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

ब्रिटिश सरकार, जिसने ब्रिटेन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सीमित करने के लिए कड़े मानक निश्चित किए हैं, दुनिया के निम्न-कार्बन विकास करनेवाले अग्रणी देशों में एक है और दुनियाभर में भविष्य-सुरक्षित शहरों को सहायता प्रदान करता है। अलूवा की नगर परिषद, केरल सरकार की सहायता से, यह सुनिश्चित करना चाहती है कि यह शहर अपनी विरासतों की रक्षा करते हुए, एक विश्वस्तरीय शहर के रूप में अपनी क्षमताओं का विकास कर सके, ताकि यह गंभीर जलवायु परिवर्तन प्रभावों का सामना कर सके।

2013 के प्रारंभ में, त्रिवेंद्रम में केरल विधानसभा की पर्यावरण समिति के तत्वावधान में, ‘कनेक्टिंग द डॉट्स’ प्रयास के तहत ब्रिटेन तथा केरल के बीच चर्चा आरंभ हुई।

मार्च 2013 में, केरल के चुने हुए विधायकों तथा पार्षदों ने, स्थानीय विशेषज्ञों के साथ एक चर्चा में भाग लिया, जिसके अंतर्गत केरल में जलवायु परिवर्तन की अवधारणा सुनिश्चित की गई तथा इस वैश्विक मुद्दे के स्थानीय समाधानों की पहचान की गई। बाद में, जब संचार तथा स्थानीय प्रशासन विभाग के ब्रिटिश केंद्रीय मंत्री आरटी माननीय एरिक पिकल्स,जून 2013 में कोच्चि और अलूवा के दौरे पर थे, तो उन्होंने अपने नवप्रवर्तनीय स्थानीय समाधानों का प्रदर्शन किया तथा अपनी अनुमानित गतिविधियों का मंतव्य अभिव्यक्त किया। फेडरल बैंक के सीईओ तथा एमडी श्याम श्रीनिवासन द्वारा आयोजित बैठक के दौरान, पिकल्स महोदय ने अलूवा के साझेदारों के साथ मुलाकात भी की। ब्रिटिश विशेषज्ञ के रूप में डबल्यूएस एटकिंस ने, निम्न-कार्बन मास्टर प्लानिंग के तहत भारत के अन्य भागों में ब्रिटेन के समृद्धि प्रॉजेक्टों के माध्यम से काम करने के अपने अनुभवों का जिक्र किया।

नवंबर 2013 में, केरल के मुख्यमंत्री महोदय के साथ चर्चा के दौरान एचआरएच द प्रिंस ऑफ वेल्स ने धारणीय योजना निर्माण के क्षेत्र में ब्रिटेन की विशेषज्ञताओं का खास तौर पर उल्लेख करते हुए अलूवा का जिक्र किया तथा अधिक विस्तृत रूप से केरल की सहायता की अपनी अभिलाषा प्रकट की। अलूवा की नगरपालिका के हितों का ध्यान रखते हुए, इसमें मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा की गई: वास्तुविदों (आर्किटेक्ट्स) के साथ चर्चा सहित फरवरी 2014 की एक बैठक।

ब्रिटिश उच्चायोग के समृद्धि कोष की संवृद्धि तथा सहयोग के स्थानीय प्रयासों पर आधारित अलूवा नगरपालिका के सहयोग के लिए एक प्रॉजेक्ट की शुरुआत की गई।

सितंबर 2014 में, चेन्नई के ब्रिटिश उप उच्चायुक्त, भरत जोशी, प्रथम परियोजना चर्चा हेतु विशेषज्ञों का एक शिष्टमंडल लेकर अलूवा आए। उन्होंने भारतीय शहरों, को भविष्य में सुरक्षित करने में ब्रिटिश विशेषज्ञता तथा संबद्ध कार्यों का खास तौर पर जिक्र किया, उदाहरण स्वरूप मदुरई शहर।

अलूवा परियोजना

इस परियोजना के तहत, एक शहरी डिजाइन कार्ययोजना द्वारा, दीर्घावधि जलवायु प्रभावों के मुद्दों पर कार्य किया जाएगा और अनियोजित विकास के लघु-अवधि प्रभावों को सीमित किया जाएगा। इसके तहत, एकीकृत तरीके से विकास को दिशा देने वाली एक कार्ययोजना की स्थापना हेतु स्थानीय शहरी जानकारियों तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञताओं का समन्वय किया जाएगा, जिससे शहरीकरण, जलवायु जोखिमों तथा स्थानीय समुदाय पर वर्तमान तथा भावी प्रभावों से निपटा जा सके। इससे जोखिमों के प्रति स्वीकार्यता में वृद्धि होगी तथा ऊर्जा-घनत्व में कमी, जीवनीयता में सुधार तथा अन्यान्य कार्रवाइयों के प्रति सहायता निर्मित करने की पूर्व-निर्मित उदाहरणीय परियोजनाओं को पारिभाषित तथा सूचीबद्ध किया जा सकेगा। इससे राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर एक मॉडल मिलेगा, जिसे संभावित रूप से भारत के अन्य उपनगरीय नगरपालिकाओं तथा महानगरीय क्षेत्रों में पुनःप्रयुक्त किया जा सकेगा, जिससे स्थानीय समुदायों की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही अधिक टिकाऊ संवृद्धि वक्र को उठाया जा सकेगा।

अलूवा कोच्चि हवाईअड्डे तथा बंदरगाह के मुख्यमार्ग के बीच एक रणनैतिक स्थान पर अवस्थित है। कोच्चि मेट्रो तथा फ्रेट कॉरीडोर अलूवा तक गए हैं और एक बड़ा बस अड्डा तथा रेलवे स्टेशन एक विस्तृत क्षेत्र को सेवा प्रदान करते हैं। स्थानीय समुदाय तथा प्राधिकारी उस औद्योगिक तथा शहरी विकास की चुनौतियों से निबटने के इच्छुक हैं, जो प्रदूषण तथा अत्यधिक ऊर्जा के उपयोग द्वारा पैदा हो रहे हैं। वे शहर की स्थायी तथा बढती हुई आबादी की आवश्यकताओं के बीच एक संतुलन बनाना चाहते हैं, तथा शहर के जैविक विकास के संदर्भ में, परंपरागत तत्वों तथा स्थानीय परंपरागत वास्तुकला को मान्यता देना चाहते हैं, जो शहर की जीवंतता को बढ़ाने तथा जलवायु परिवर्तन तथा संसाधनों की कमी, दोनों के प्रभावों को कम करने के लिए उपयोगी होंगे।

इस परियोजना का लक्ष्य है, स्थानीय समुदाय की आम-स्वीकृति के आधार पर निर्मित एक तंत्र उपलब्ध कराना, जो प्रक्रियाओं तथा उपागमों के एक समूह द्वारा लघु अवधि की शहरी तथा दीर्घावधि जलवायु परिवर्तन समस्याओं को समझने तथा उसपर कार्य करने की क्षमता का विकास कर सके। यह पहली बार है कि अलूवा के विकास का एक एकीकृत विश्लेषण तैयार किया जाएगा तथा अलूवा के भावी विकास परिदृश्य की खोज में प्रयुक्त किया जाएगा।

  • वी एस एटकिंस: will provide expertise in urban planning, economics, climate change, waste, water, and transport focusing on developing a future-proofed urban strategy for Aluva providing a comprehensive assessment of environmental risks and integrated solutions that can generate social and economic benefits.

  • आईएनटीबीएयू: हम डब्ल्यू एस एटकिंस के साथ शहरी डिजाइन कार्ययोजना के विकास के लिए ब्रिटिश विशेषज्ञों, अलीरेजा सागरची, रॉबर्ट एडम, ल्यूसेन स्टेल, पीटर वर्सचुरन तथा जगन शान (एनआईयूए) की विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध कराते हैं, और जलवायु सुरक्षित कार्ययोजना की तैयारी सुनिश्चित करते हैं। इस सरोकार के तहत, मानवीय समुदाय आधारित कार्ययोजना के साथ, तकनीकी समाधानों के माध्यम से लचीलापन शामिल है, तथा इसे शहरी बसावटों के परंपरागत प्रारूपों तथा प्रकारों, मूल्यों तथा स्थानीय शिल्प कौशल तथा श्रम की परंपराओं से शिक्षण प्रक्रिया द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है; जिसका लक्ष्य है स्थानीय तथा राष्ट्रीय विरासतों का संरक्षण करना, तथा सामाजिक, विरासत तथा प्राकृतिक संसाधनों के विकास के साथ आर्थिक महत्व का समन्वय स्थापित करना।

शहर के साथ अनुबंध के सरोकार का निर्माण, डब्ल्यू एस एटकिंस द्वारा विकसित सरोकारों द्वारा किया जाएगा, जो भावी संवृद्धि के लिए जोखिम निवारण के संदर्भ में, समेकित विकास तथा भविष्य सुरक्षित शहरों के लिए योजना तथा परिकल्पना पुस्तिका में दिए गए हैं। इस प्रॉजेक्ट में तमिलनाडु तथा कर्नाटक में किए गए पूर्व कार्यानुभवों का लाभ उठाया जाएगा।

ब्रिटिश सरकार तथा भारत में धारणीय शहरी विकास:

भारत में ब्रिटिश सरकार की टीमों के लिए धारणीय शहरीकरण एक सैद्धांतिक मुद्दा है, जिसके लिए ये सभी पूरक तत्व के रूप में कार्यरत हैं।

ब्रिटेन का अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (डीएफआईडी) का भारत के शहरी क्षेत्र से तकरीबन 30 वर्षों का जुड़ाव रहा है। वर्तमान में, मध्य प्रदेश के 14 शहरों, बिहार के 29 शहरों, तथा प.बंगाल के 41 स्थानीय निकायों में हमारी शहरी योजनाएं हैं। एशियाई विकास बैंक तथा रॉकफेलर फाउंडेशन के साथ भी डीएफआईडी की एक योजना है, जिनके तहत दक्षिणी एशिया के 25 शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रति, खासतौर पर बेहतर योजना-निर्माण द्वारा स्वीकार्यता विकसित करने में सहायता दी जाएगी।

रिसर्च काउंसिल यूके (आरसीयूके) द्वारा शहरों तथा शहरी उत्परिवर्तन के क्षेत्र में ब्रिटेन के वैचारिक नेतृत्व को बल प्रदान किया जाता है। इसके विशिष्ट विषयों में सम्मिलित हैं, आईसीटी, निम्न कार्बन शहर, जल तथा ऊर्जा संसाधन प्रबंधन, शहरी स्वास्थ्य, जनांकिकी उत्परिवर्तन।

भारत में ब्रिटिश उच्चायोग के समृद्धि कोष द्वारा, ब्रिटेन की समृद्धि में योगदान के हमारे लक्ष्य हेतु, भारत तथा ब्रिटेन के लिए रणनैतिक महत्व के क्षेत्रों में किए जाने वाले कार्यों को प्रत्यक्ष समर्थन प्रदान किया जाता है। उन लक्ष्यों में से एक है, धारणीय विकास को प्रोत्साहन देना। अन्य बातों के साथ, समृद्धि कोष द्वारा शहरी निम्न कार्बन तथा संसाधन कुशल शहरों के लिए एक संयुक्त तकनीकी नीति तथा आर्थिक वातावरण बनाने में सहायता दी जाती है। एक तरफ तो, हमारे कार्यों में विभिन्न शहरों में संसाधन कुशल मास्टर प्लानिंग उपकरणों का विकास तथा इस्तेमाल करना शामिल है (जैसे- मैसूर और मदुरई में एटकिंस का काम), और दूसरी तरफ, निम्न कार्बन नीतियां बनाना तथा निवेश आकर्षित करने में स्थानीय रूप से क्षमता का निर्माण करना भी शामिल है। अलूवा, भारत में हमारे इस बढ़ते हुए काम का नवीनतम उदाहरण है, और हमने इस प्रॉजेक्ट के निष्पादन के लिए एटकिंस तथा आईएनटीबीएयू के साथ सहयोग किया है।

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प्रकाशित 11 November 2014