विश्व की समाचार कथा

न्यूटन-भाभा कार्यक्रम के साथ ब्रिटेन-भारत सहयोग का विस्तार

अगले 5 सालों में ब्रिटेन की ओर से 5 करोड़ पाउंड और इसीके बराबर भारत के योगदान वाला न्यूटन-भाभा कोष एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

विश्वविद्यालयों, विज्ञान एवं शहरी मामलों के ब्रिटिश मंत्री ग्रेग क्लार्क एमपी ने भारत के विज्ञान एवं तकनीक तथा पृथ्वी विज्ञान मामलों के मंत्री डॉ हर्षवर्धन से 12 नवंबर 2014 को नई दिल्ली में मुलाकात की और न्यूटन-भाभा फंड नामक एक नई महत्वपूर्ण पहल की घोषणा के साथ ब्रिटेन-भारत शोध एवं नवप्रवर्तन के संबंधों को एक नई ऊंचाई प्रदान करने पर सहमत हुए।

पृथ्वी भवन स्थित अर्थ सांइस मामलों के मंत्रालय में आयोजित चौथे ब्रिटेन-भारत विज्ञान एवं नवप्रवर्तन परिषद यानी साइंस एंड इनोवेशन काउंसिल (एसआईसी) में दोनों मंत्रियों ने व्यापक वैश्विक चुनौतियों से निबटने के लक्ष्य के साथ दोनों देशों में सर्वश्रेष्ठ शोध साथ मिलकर करने में ब्रिटेन-भारत शोध एवं नवप्रवर्तन साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।

न्यूटन-भाभा फंड (5 सालों में ब्रिटेन की ओर से 5 करोड़ पाउंड की रकम और इतनी ही राशि के संसाधन भारत की ओर से) सशक्त अंतर्विषयक आयाम वाला एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जो ब्रिटेन और भारत के बीच रणनैतिक विज्ञान, शोध और नवप्रवर्तन (आविष्कार) के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाएगा।

पृथ्वी भवन में मंत्री ग्रेग क्लार्क ने कहा:

मुझे उम्मीद है कि यह नया रोमांचक कार्यक्रम न्यूटन और भाभा जितना ही वैश्विक विज्ञान के लिए उपयोगी होगा। धारणीय महानगरों, स्वास्थ्य, खाद्य, ऊर्जा और पानी जैसी बड़ी सामाजिक चुनौतियों का सामना करने के लिए साथ मिलकर काम करते हुए ब्रिटेन और भारत दोनों देशों और संपूर्ण विश्व के लिए स्पष्ट लाभ हासिल कर सकते हैं।

जिस नए न्यूटन-भाभा कार्यक्रम की श्रृंखला आरंभ करने पर सहमति बनी उसमें शामिल हैं:

  • ब्रिटिश मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) तथा इन्डियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का मानसिक स्वास्थ्य एवं पदार्थ दुरुपयोग (सब्सटेंस एब्यूज) के क्षेत्र में नई शोध परियोजनाओं के लिए संयुक्त प्रयास। 20 लाख पाउंड तक की राशि ब्रिटेन की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी। आईसीएमआर द्वारा भारतीय घटक को कोष उपलब्ध कराया जाएगा।

  • महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर संयुक्त वैश्विक शोध कार्यक्रम के लिए 1 करोड़ पाउंड की राशि ब्रिटेन के मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी), डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआईडी) तथा भारत के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉली (डीबीटी) द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।

  • कैंसर बायोलॉजी, न्यूरोसाइंस तथा एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस में ट्रांसलेशनल रिजेनरेटिव मेडिसिंस में संयुक्त सेंटर पार्टनरशिप के लिए 70 लाख पाउंड की राशि ब्रिटेन के मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) तथा भारत के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉली (डीबीटी) द्वारा उपलब्ध कराई गई है।

न्यूटन-भाभा कोष के अतिरिक्त एक अन्य ब्रिटेन-भारत शोध साझेदारी की भी घोषणा ग्रेग क्लार्क ने ब्रिटेन के आर्ट एंड ह्युमैनिटीज रिसर्च काउंसिल (एएचआरसी) तथा भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर ऐतिहासिक शोध में ब्रिटेन-भारत की साझेदारी को व्यापक और गहन बनाने के उद्देश्य से की।

मंत्री क्लार्क की भारत यात्रा में उनके साथ यूके रिसर्च काउंसिल्स के 3 मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। ऐसे वरिष्ठ सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल में शामिल होना शोध एवं नवप्रवर्तन की दिशा में तेजी से बढ़ती सहभागिता में भारत के साथ साझेदारी करने के ब्रिटेन की प्रतिबद्धता दुहराता है।

तीनों विजिटिंग मुख्य कार्यकारी सदस्य हैं:

  • बायोटेक्नोलॉजी एवं बायोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल के प्रोफेसर जैकी हंटर।

  • इंजीनियरिंग एंड फिजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल के प्रोफेसर फिलिप नेल्सन।

  • साइंस एंड टेक्नोलॉजी फैसिलिटीज काउंसिल के प्रोफेसर जॉन वूमर्स्ले।

नई दिल्ली में रिसर्च काउंसिल यूके (आरसीयूके) की 2008 में स्थापना के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच तेजी से बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग में शोध की भागीदारी 2008 से अब दस लाख पाउंड से बढ़कर 15 करोड़ पाउंड तक पहुंच चुकी है।

महत्वपूर्ण भारतीय फंडिंग एजेंसियों तथा अन्य ब्रिटिश सहभागियों के साथ मिलकर घनिष्ठतापूर्वक काम करते हुए आरसीयूके इंडिया ने जन स्वास्थ्य तथा कल्याण; धारणीय महानगर एवं शहरीकरण; खाद्य-जल-ऊर्जा संबंध जैसे भारत एवं ब्रिटेन के लिए पारस्परिक हित वाले क्षेत्रों में उच्च गुणवता एवं उच्च प्रभाव वाले शोध सहभागिताओं में सहायता करना जारी रखा है।

आगे की जानकारी

न्यूटन फंड एक नया प्रयास है, जिसका लक्ष्य है, ब्रिटेन तथा उभरती हुई ज्ञान अर्थव्यवस्थाओं के बीच शोध तथा नवप्रवर्तन सहयोगों को मजबूत करना। इसकी शुरुआत चांसलर द्वारा अप्रैल 2014 मंा की गई, तथा यह अगले पांच वर्षों तक 375 मिलियन पाउंड की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। कृपया सरकार का न्यूटन फंड पॉलिसी पेपर देखें, जहां आपको इस कोष के विस्तृत विवरण के साथ, ब्रिटिश प्रदाता सहभागियों, विदेशी सहभागी तथा संबद्ध गतिविधियों की जानकारी प्राप्त होगी।

रिसर्च काउंसिल यूके (आरसीयूके) इंडिया, जिसकी शुरुआत 2008 में की गई, उच्च-गुणवत्ता के तथा उच्च-प्रभाविता की शोध सहभागिताओं के माध्यम से ब्रिटेन तथा भारत में शोधकर्ताओं को एकजुट करता है। दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग स्थित आरसीयूके इंडिया ने ब्रिटेन, भारत तथा तीसरे पक्षों के बीच सह-वित्तप्रदत्त प्रयासों को सहायता प्रदान की है जो अब लगभग 15 करोड़ पाउंड तक बढ़ गया है। शोध सहभागिताएं प्रायः ब्रिटिश तथा भारतीय उद्योग सहभागियों के साथ गहन रूप से संबद्ध हैं, जिनमें 90 से ज्यादा सहभागी शामिल किए गए हैं।

आरसीयूके इंडिया सक्रिय रूप से सात प्रमुख भारतीय शोध वित्तीय क्षेत्रों के साथ संलग्न है, जो वैश्विक चुनौतिइयों से निपटने वाले विस्तृत शोध-परिक्षेत्रों से संबद्ध हैं।

ब्रिटेन का रिसर्च काउंसिल आरसीयूके का रणनैतिक साझेदार है। हम सालाना लगभग 3 अरब पाउंड का निवेश शोधकार्यों पर करते हैं। हमारा ध्यान प्रभाव के साथ उत्कृष्टता पर केन्द्रित है। हम उच्चतम गुणवत्ता वाले शोधकार्यों को सहायता देते हैं जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय समकक्ष समीक्षा द्वारा तय किया जाता है, जिससे ब्रिटेन को एक प्रतियोगी बढ़त हासिल होती है। वैश्विक शोध के लिए जरूरी है कि हम के विविधता पूर्ण फंडिंग दृष्टिकोण अपनाएं जो अंतर्र्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दे, सर्वोत्तम प्रकार की सुविधाओं और इनफ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच बने और पर्यावरण को अनुप्रेरित करने में दक्ष शोधकर्ताओं को लगाया जाए। हमारे शोध प्रभावी होते हैं जो ज्ञान तथा दक्ष लोगों के द्वारा निर्मित समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। प्रभावी होने के लिए शोधकर्ताओं तथा कोष प्रदाताओं के लिए जरूरी है नागरिकों, व्यवसाय समुदायों, सरकार एवं चैरिटेबल संगठनों के साथ मिलकर काम करना।

सात यूके रिसर्च काउंसिल्स (शोध परिषद) हैं:

  • आर्ट्स एंड ह्युमैनिटीज रिसर्च काउंसिल (एएचआरसी)

  • बायोटेक्नोलॉजी एवं बायोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल (बीबीएसआरसी)

  • इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च काउंसिल (ईएसआरसी)

  • इंजीनियरिंग एंड फिजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल (ईपीएसआरसी)

  • मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी)

  • नेचुरल एनवायरनमेंट रिसर्च काउंसिल (एनईआरसी)

  • साइंस एंड टेक्नोलॉजी फैसिलिटीज काउंसिल (एसटीएफसी)

अधिक जानकारी के लिए Geeny George Shaju को ईमेल करें या + 91 2419 2367 नंबर पर कॉल करें।

प्रकाशित 12 November 2014