विश्व की समाचार कथा

कोच्चि में भारत-ब्रिटेन कार्यशाला: अलूवा की फ्यूचर-प्रूफिंग

‘अलूवा की फ्यूचर प्रूफिंग’ के लिए एक भारत-ब्रिटेन तकनीकी सहायता कार्यशाला का आयोजन इस सप्ताह कोच्चि में किया जाएगा।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

भारत-ब्रिटेन तकनीकी सहायता कार्यशाला अलूवा के जलवायु परिवर्तन जोखिम में कमी लाने के लिए ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा समर्थित प्रॉजेक्ट का एक अंग है। इस प्रॉजेक्ट का लक्ष्य है स्थानीय समुदायों की जरूरतों और समाधानों को समेकित करने वाली संवृद्धि के धारणीय दृष्टिकोण का विकास कर अलूवा को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निबटने में सहायता करना। कार्यशाला का आयोजन एटकिंस इंटरनेशनल लिमिटेड, ब्रिटेन, इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर ट्रेडिशनल बिल्डिंग, आर्किटेक्चर एंड अरबनाइजेशन (आईएनटीबीएयू) द्वारा केरल के अलूवा नगरपालिका की सहभागिता में किया गया।

तकनीकी कार्यशाला का लक्ष्य है अलूवा के स्थानीय भागीदारों के विभिन्न समूहों को निम्नलिखित हेतु एक साथ लाना:

  • अलूवा के धारणीय विकास संबंधी प्रमुख विषयों पर चर्चा करने और उन्हें समझने।

  • अलूवा के भविष्य के लिए एक साझा दृष्टिकोण पर सहमति बनाने जो स्थानीय ज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञता को संयोजित करे।

  • विष्य की कार्य योजना के लिए सम्मिलित रूप से एक फ्रेमवर्क का निर्माण करने जो जोखिम के निवारण, ऊर्जा सघनता में कमी लाने और भविष्य के कार्य हेतु सहयोग हासिल कर धारणीय विकास को दिशा प्रदान करेगा।

यह प्रॉजेक्ट अलूवा नगरपालिका और डब्ल्यूएस एटकिंस इंटरनेशनल (एटीकेआईएनएस) के बीच समझौता ज्ञापन पर आधारित है जिसे ब्रिटिश उच्चायोग का समर्थन प्राप्त है और इसके प्रत्यक्षदर्शी नवंबर 2013 में केरल की यात्रा के दौरान माननीय प्रिंस ऑफ वेल्स थे।

चेन्नई में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त श्री भरत जोशी ने कहा:

स्मार्ट शहरों के विकास का ब्रिटेन के पास व्यापक अनुभव है और यह मदुरई जैसे भारतीय शहरों के फ्यूचर प्रूफिंग में सहयोग कर रहा है। हमें उम्मीद है यह साझेदारी अलूवा के हित में होगी।

ब्रिटिश भागीदार/प्रवक्ता

  • ऐटकिंस: दुनिया की एक अग्रणी इंजीनियरिंग और डिजायन कंसल्टेंसी है जो जीने योग्य सुविधासंपन्न भविष्य के निर्माण हेतु विविध प्रकार के विषयों के साथ दुनिया भर के शहरों में काम करती है। 1938 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक ऐटकिंस अपने कलेवर और कार्य विविधता का विस्तार करता हुआ ब्रिटेन के सबसे बड़े इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी, यूरोप के सबसे बड़े मल्टी-डिसिप्लिनरी कंसल्टेंसी और दुनिया के तीसरे सबसे बड़े डिजायन फर्म के अपने आज के स्वरूप को प्राप्त हुआ है। आज, ऐटकिंस का वार्षिक टर्नओवर 1.7 अरब पाउंड से भी अधिक है और यूरोप के 25 देशों सहित मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया प्रशांत और अमेरिकी महद्वीपों में स्थित इसके दफ्तरों के साथ दुनिया भर में इसमें तकरीबन 17,700 कर्मचारी काम करते हैं।

ऐटकिंस ने 175 से अधिक देशों में परियोजनाएं पूरी की हैं जहां इसने पेशेवर उत्कृष्टता उपलब्ध कराने का कीर्तिमान कायम किया है। साथ ही डीएफआईडी ऐटकिंस ने अफ्रीका सहित विकासशील देशों में नियोजन का व्यापक परियोजना अनुभव हासिल किया है और विश्व बैंक, यूरोप ऐड, एडीबी, आईएडीबी, एएफडीबी, यूएनडीपी, यूनेस्को यूएन हैबिटेट और अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ इसके कार्यशील संबंध हैं।

शोध के क्षेत्र में ऐटकिंस एक अग्रणी नाम है जो शहरों को भविष्य में होने वाले ग्लोबल खतरों से सुरक्षा के लिए तैयार करता है। नवंबर 2012 में यूके डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआईडी) तथा यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) की अनोखी भागीदारी में एक प्रमुख रिपोर्ट ‘फ्यूचर प्रूफिंग सिटीज’ प्रकाशित हुई जिसमें 129 शहरों पर मंडराते खतरों का मूल्यांकन किया गया। इसमें उन शहरों के जलवायु संबंधी खतरों, संसाधन की कमी और ईको सिस्टम को पहुंचने वाली क्षति जैसे जोखिमों की विवेचना की गई है और इन जोखिमों के विरुद्ध भविष्य की सुरक्षात्मक कार्यवाही पर चर्चा की गई है।

  • रोज़र सैवेज बीए, एमफिल, आरटीपीआई: रोज़र ऐटकिंस एंड सिटीज प्रैक्टिस लीड-इनफ्रास्ट्रक्चर एंड सिटीज एडवाइजरी के डाइरेक्टर हैं। उनकी मौजूदा भूमिका में शामिल है जलवायु परिवर्तन से निबटने और संबंधित उपायों को अपनाने की सलाह सहित भविष्य की जरूरतों और शहरों की चुनौतियों के समाधान करते हुए शहरी विकास योजनाओं के निर्माण में सरकारों और शहरी निकायों को सहायता देना।

पिछले 12 सालों में उन्होंने दुनिया भर के 50 से अधिक शहरों और सरकारी निकयों के साथ काम किया है। साथ ही प्रमुख ब्रिटिश शहरों को अपनी सहायता उपलब्ध कराते हुए उन्होंने एशिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका और मध्य पूर्व के 15 से अधिक देशों में योजनाओं के निर्माण में सहयोग दिया है और तेजी से शहरीकरण के चपेट में आते शहरों के संदर्भ में प्रभावशाली सबित होने वाली रणनीतियों के निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। डीएफआईडी के लिए फ्यूचर प्रूफिंग सिटीज उपागम के विकास में रोज़र महत्वपूर्ण रहे हैं और अभी हाल ही में उन्होंने भारत में लो-कार्बन सिटीज तथा फ्यूचर प्रूफिंग सिटीज प्रॉजेक्ट्स की अगुवाई की है।

शहरी मुद्दों तथा इस विषय पर, कि- शहर अपने आपको किस प्रकार आर्थिक-सामाजिक विकास और जलवायु परिवर्तन सहित पर्यावरणीय चुनौतियों से निबटने में सक्षम बनाए- रोज़र ऐटकिंस के प्रमुख विचारकों में एक हैं। वह सम्मेलनों और कार्यक्रमों में नियमित व्याख्यान देते हैं। रोज़र ने यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड से भूगोल विषय में स्नातक की उपाधि हासिल की है और उन्हें सर्वश्रेष्ठ शोध-निबंध के लिए ऐलिस गार्नेट प्राइज से नवाजा गया। बार्टलेट स्कूल ऑफ प्लानिंग, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से उन्होंने मास्टर ऑफ फिलासफी किया और शानदार शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए उन्हें विलियम हॉलफोर्ड प्राइज से सम्मानित किया गया। वह ऐटकिंस के लंदन मुख्यालय में कार्यरत हैं।

  • आईएनटीबीएयू: : इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर ट्रेडिशनल बिल्डिंग, आर्किटेक्चर एंड अरबैनिज्म (आईएनटीबीएयू) प्रमुख रूप से एक ऐसा नेटवर्क है जो स्थानीय परंपराओं के अनुरूप मानवीय और सामंजस्यपूर्ण भवनों और स्थलों के निर्माण को समर्पित है। इस संगठक का सेक्रेटेरियट एचआरएच द प्रिंस ऑफ वेल्स के संरक्षण के तहत लंदन, ब्रिटेन में स्थित है। दुनिया भर में आईएनटीबीएयू के 20 नेशनल चैप्टर्स स्वतंत्र, एफिलिएटेड चैरिटीज के रूप में स्थापित हैं।

आईएनटीबीएयू एक विश्वव्यापी संस्था है जो पारंपरिक भवनों के समर्थन, स्थानीय विशेषताओं को कायम रखने और रहने की बेहतरीन जगह विकसित करने के लिए समर्पित है। इसके द्वारा व्यक्तियों और संस्थानों का एक सक्रिय नेटवर्क विकसित किया जा रहा है जो पारंपरिक भवनों, वास्तुशिल्प और स्थलों की रचना, निर्माण, रखरखाव तथा उनका अध्ययन करता है अथवा उनका आनंद उठाता है।

आईएनटीबीएयू के विविध अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम नेटवर्क के सदस्यों, प्रैक्टिशनरों, कारीगरों और छात्रों को एक साथ लाते हैं। पारंपरिक वास्तुशिल्प, शहरीकरण और भवन निर्माण की कारीगरी का ज्ञान और प्रशिक्षण देकर यह लोगों को पारंपरिक निर्माण को कायम रखने, उनका पुनरुद्धार करने और नए भवनों तथा स्थलों के निर्माण करने को प्रोत्साहित करता है जो पारंपरिक पर्यावरण में योगदान करते हैं और दुनिया भर के महानगरों, शहरों और गांवों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है।

आईएनटीबीएयू के नेटवर्क में लगभग 5000 सदस्य और एफिलिएटेड संस्थाएं शामिल हैं और यह वास्तुशिल्प तथा निर्माण की परंपराओं को कायम रखने एवं पारंपरिक शहरी डिजायन को बढ़ावा देने वाली एक वैश्विक ताकत है। इस नेटवर्क का उपयोग हर महादेश की स्थानीय जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम तैयार करने हेतु किया जाता है। नेशनल चैप्टर्स का गठन ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, क्यूबा, साइप्रस, एस्टोनिया, जर्मनी, भारत, ईरान, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, फिलिपींस, पोलैंड, रोमानिया, रूस, स्कैंडिनेविया, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका में किया गया है।

आईएनटीबीएयू द प्रिंसेस फाउंडेशन फॉर बिल्डिंग कम्युनिटी की एक अनुषंगी चैरिटी है।

  • अलीरेजा सागरची आर.आई.बी.ए., एफआरएसए: अलीरेजा लंदन के स्टैनहोप गेट आर्किटेक्चर के प्रिंसिपल हैं। वह एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर्किटेक्ट और एक प्रमुख प्रैक्टिशनर तथा समकालीन क्लासिकल आर्किटेक्चर और पारंपरिक शहरी डिजायन के प्रतिपादक हैं। अपने पेशेवर करियर के दौरान उन्होंने ब्रिटेन, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व में बड़े-बड़े मास्टर प्लानिंग की जिम्मेदारी संभाली है। उनके प्रॉजेक्ट्स पुरस्कृत हुए और उनका बड़े पैमाने पर प्रकाशन एवं प्रदर्शन हुआ है।

उन्होंने प्रिंस ऑफ वेल्स इंस्टीट्यूट ऑफ अर्किटेक्चर में पढ़ाया है और ब्रिटेन तथा अमेरिका के कई सारे स्कूल्स ऑर आर्किटेक्चर में उन्होंने अतिथि समालोचक की जिम्मेदारी निभाई है। हाल में प्रकाशित ‘न्यू पैलडियंस’ और ‘ट्रेडिशनल आर्किटेक्चर’ जैसी पुस्तकों के वे सह-लेखक हैं जिनकी प्रस्तावना एचआरएच प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा लिखी गई है। अलीरेजा रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट्स के फेलो, आर.आई.बी.ए. में ट्रैडिशनल आर्किटेक्चर ग्रुप के अध्यक्ष, इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर ट्रेडिशनल बिल्डिंग, आर्किटेक्चर एंड अरबैनिज्म (आईएनटीबीएयू) के ट्रस्टी हैं। वह प्रिंसेस फाउंडेशन के सदस्य हैं और जॉर्जियन ग्रुप के केसवर्क पैनल से भी संबंधित हैं।

कार्यशाला तथा सितंबर 2014 में आरंभ तथा अगले साल समाप्त होने वाले व्यापक परियोजना के परिणामों की मुख्य बिन्दुओं का विवरण देने हेतु वृहस्पतिवार 13 नवंबर को सायं 3:30 बजे ली मेरिडियन होटल, मरादु, कोच्चि में एक प्रेस ब्रीफिंग का आयोजन किया जाएगा।

कृपया Anita Mawdsley को ईमेल करें या मोबाइल नंबर: +91-96001-99956 पर कॉल करें।

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प्रकाशित 11 November 2014