भाषण

ब्रिटेन और भारत: भ्रांतियां, यथार्थ और संभावनाएं

भारत स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन ने ब्रिटन के बारे में बड़ी भ्रांतियों को गलत बतलाया और प्रकाश डाला कि किस प्रकार ब्रिटेन-भारत की भागीदारी में तेजी से बदलाव आ रहा है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Sir James David Bevan KCMG

उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, इंडियन एसोसिएशन ऑफ फॉरेन अफेयर्स कॉरेस्पोन्डेन्ट्स (आईएएफएसी) और ब्रिटिश उच्चायोग (नई दिल्ली) के एक संयुक्त आयोजन में भाषण देते हुए यह बात कही।

उच्चायुक्त के भाषण के प्रमुख अंश:

भ्रांति नं. एक: ब्रिटेनवासी परम्परावादी और पुराने ख्याल वाले होते हैं

लंदन 2012 के ओलम्पिक्स ने आधुनिक ब्रिटेन की झलक पेश की थी। अब तक के सर्वाधिक आधुनिक गेम्स में दुनिया का स्वागत किया था। ब्रिटेनवासियों ने दर्शाया कि वे द्वितीय विश्व युद्ध के निर्णायक दिन से लेकर अब तक का विशालतम आयोजन कर सकते हैं। इस आयोजन में आधुनिक भवन और पर्यावरण-हितैषी आधुनिक परिवहन के दर्शन हुए थे।

ओलम्पिक्स में पुराने और नए का सम्मिश्रण उसी प्रकार प्रकार हुआ, जिस प्रकार ब्रिटेन के प्रत्येक पहलुओं के बीच होता है। यह सम्मिश्रण स्वयं लंदन में देखा गया। टॉवर ऑफ लंदन, संसद भवन, बकिंघम पैलेस- ये सभी हमारी विरासत के अभिन्न हिस्से हैं, जिन्हें हमने संजो कर रखा है। लेकिन, एक आधुनिक लंदन भी है, जहां लंदन ऑफ कैनरी वार्फ, पुराने डॉकलैंड का नया विŸाीय जिला, नई भव्य स्काईलाइन, घरकिन, आर्सलर मिŸाल ओरबिट टॉवर और यूरोप की सबसे ऊंची इमारत- शार्ड आधुनिकता के परिचायक हैं।

भारत की तरह ब्रिटेन को अपने अतीत पर गर्व है और वह अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त है।

भ्रांति नं. दो: ब्रिटेन कमजोर होती ताकत है

भविष्य में ब्रिटेन के सुनहरे दिन आने वाले हैं। ब्रिटेन के पास कुछ ऐसी विशिष्अताएं हैं, जो उसे 21वीं शताब्दी की चुनौतियों का सामना करने का सामर्थ्य देती हैं।

वर्तमान की आर्थिक स्थिति के बारे में स्पष्ट समझ रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह कठिन कार्य है। लेकिन, ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है। यह कठोर रास्ता है, लेकिन हम सही रास्ते पर हैं। अगले साल में फ्रांस और जर्मनी की तुलना में ब्रिटेन के तेजी से विकास की भविष्यवाणी की गई है।

ब्रिटेन विश्व के सर्वाधिक व्यवसाय-हितैषी वातावरण वाले देशों में से एक है। ब्रिटेन विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नव-प्रवर्तन जैसी उन चीजों में विश्व में एक अग्रणी देश है, जो समृद्धि और संवृद्धि को बल प्रदान करती हैं। उदाहरणार्थ, ब्रिटेन के एक नागरिक ने आईपॉड की डिजाइन तैयार की। उसके एक नागरिक ने इंटरनेट का आविष्कार किया। ब्रिटेन के ही एक नागरिक ने हिग्स बोसोन कहे जाने वाले ‘‘गॉर्ड पार्टिकल’’ की भविष्यवाणी की, जिसे इस साल के प्रारंभ में खोजा गया।

पिछले पांच सालों के दौरान भारतीय कंपनियों ने यूरोपियन यूनियन के सभी देशों में किए गए कुल निवेश की तुलना में ब्रिटेन में अधिक निवेश किया है।

‘‘मोनोकल’’ (अमेरिकी पत्रिका) ने घोषणा की है कि ब्रिटेन 2012 में ‘‘सॉफ्ट पॉवर’’ की दृष्टि से अग्रणी देश है, जो पहली बार अमेरिका को दूसरे नंबर की स्थिति की ओर धकेल रहा है।

भ्रांति नं. तीन: यात्रियों के लिए ब्रिटेन के दरवाजे बंद हैं

हम यह सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध हैं कि विश्व के उत्कृष्ट और अति-प्रतिभाशाली लोग ब्रिटेन में आएं, जिसका सहज कारण यह है कि ऐसा स्वयं हमारे हित में है। इसलिए, हम ब्रिटेन में सभी सही भारतीय यात्रियों, छात्रों और व्यवसायियों का स्वागत करना जारी रखेंगे।

पिछले साल जिन लोगों ने ब्रिटिश वीजा के लिए आवेदन किया, उनमें दस में से नौ (87 प्रतिशत) लोग वीजा पाने में सफल रहे। ब्रिटेन का विश्व में विशालतम वीजा ऑपरेशन भारत में है।

हम चाहते हैं कि भारत के व्यवसायी ब्रिटेन में आना जारी रखें। हम प्रमुख निवेशकों, नियमित यात्रियों और बड़े ग्राहकों को विशेष वीजा सेवाएं प्रदान करते हैं। पिछले साल जिन लोगों ने व्यावसायिक यात्रा वीजा के लिए आवेदन किया, उनमें से 95 प्रतिशत लोगों को वीजा दिया गया।

हम उन लोगों का स्वागत करना जारी रखेंगे, जो हमारे श्रम बाजार की खाई पाट सकते हैं। इंट्रा-कंपनी स्थानांतरण के तहत ब्रिटेन में आने वाले लोगों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। इस मामले में कोई संख्या सीमा नहीं लगाई गई है।

हम उन भारतीयों को ब्रिटेन की यात्रा के लिए प्रोत्साहन देना जारी रखे हुए हैं, जो अपने परिवारजनों से मिलने या पर्यटन के लिए आना चाहते हैं।

भ्रांति नं. चार: छात्रों को स्वागत योग्य नहीं जाता

विश्व के शीर्ष चार विश्वविद्यालय ब्रिटेन में स्थित हैं।

हम उत्कृष्ट एवं अति-प्रतिभाशाली छात्रों को ब्रिटेन में आकर्षित करने पर जोर देते हैं। यह हमारे शिक्षा क्षेत्र, हमारी अर्थव्यवस्था और विश्व में हमारे स्थान की दृष्टि से अच्छा है। और, भारत के अनेक छात्र उत्कृष्ट एवं अति-प्रतिभाशाली हैं।

पिछले साल (2011-12) में कुल जारी किए गए छात्र वीजा की संख्या में 26 प्रतिशत की कमी आई। इसका मुख्य कारण हमारे द्वारा बोगस कॉलेजों पर शिकंजा कसना रहा है, अन्यथा ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के दाखिलों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पिछले साल जिन छात्रों ने आवेदन किया, उनमें से 75 प्रतिशत को छात्र वीजा दिया गया।

भारतीय स्नातक तीन साल तक किसी स्नातक स्तर की नौकरी के लिए ब्रिटेन में रह कर काम कर सकते हैं और इसके बाद अगले तीन साल तक का विस्तार पाने की संभावना रहती है। यह उस पिछली व्यवस्था से बेहतर है, जिसमें सिर्फ दो साल तक रहने के स्वतः अधिकार की सीमा लगाई गई थी।

भ्रांति नं. पांच: ब्रिटेन और भारत के बीच पहले जितने नज़दीकी संबंध नहीं रहे

बाहर से स्थिर और थोड़ा उबाऊ दिखने वाला यह संबंध भीतर के सघन एवं सकारात्मक बदलाव को छिपा सकता है। ब्रिटेन-भारत संबंधों में यही हो रहा है।

2010 में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री चुने जाने के कुछ सप्ताह के भीतर डेविड कैमरॉन ने भारत-यात्रा की। वे पिछले कई वर्षों में किसी भी अन्य ब्रिटिश प्रधानमंत्री की तुलना में सबसे बड़े विदेशी प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए थे। उनका उद्देश्य था- नए ब्रिटेन और नए भारत के बीच अधिक मजबूत, अधिक व्यापक और अधिक गहन संबंध कायम करना। इसका कारण यह है कि भारत अतीत की किसी भी अन्य कालखंड की तुलना में 21वीं सदी को आकार देने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यह भी स्पष्ट था कि इस साझेदारी का आधार अतीत की भावुकता नहीं बन सकता। इसका निर्माण समानता के आधार पर किया जाना चाहिए, जिसमें पारस्परिक सम्मान हो और दोनों देशों की जनता को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से पारस्परिक हितों पर जोर दिया जाए।

वर्ष 2010 से औसतन प्रतिमाह एक वरिष्ठ ब्रिटिश मंत्री भारत की यात्रा करता रहा है। यह दोतरफा प्रक्रिया रही है, जिसमें ब्रिटेन भारत से आने वाले अधिकाधिक वरिष्ठ नेताओं की मेजबानी कर रहा है।

हम 2015 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को दुगुना करने के लिए सही पटरी पर चल रहे हैं। 2011 में द्विपक्षीय व्यापार में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे कुल 16 अरब बिलियन पाउंड का व्यापार हुआ। बीपी कंपनी भारत में अकेले विशालतम निवेश कर रही है। टाटा ग्रुप ब्रिटेन के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में विशालतम नियोक्ता (45,000 नौकरियां) है। दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्वाभाविक मेलजोल है।

जैसाकि हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा- भविष्य में सहायता नहीं, बल्कि व्यापार पर जोर दिया जाएगा। इसलिए, हम तकनीकी सहयोग पर आधारित आधुनिक विकास साझेदारी की ओर बढ़ने पर सहमत हुए हैं, जिसमें संवृद्धि और रोजगार सृजन पर बल देने के लिए निजी सेक्टर को समर्थन दिया जाएगा ताकि गरीबों को लाभ मिलें तथा मिल कर अंतर्राष्ट्रीय विकास के मसलों पर कार्य करें।

ब्रिटेन हैदराबाद और चंडीगढ़ में दो नए उप-उच्चायोग खोल रहा है। इससे भारत में हमारा विशालतम कूटनीतिक नेटवर्क बन जाएगा। यह एक ऐसा नेटवर्क है, जो साझेदारी के लिए नए अवसरों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

हमारा मानना है कि भविष्य में भारत का महत्व बढ़ेगा और भारत के बढ़ते महत्व ने गुजरात को लेकर हमारी नीति में बदलाव के फैसले में भी भूमिका निभाई है। यदि आप भारत के साथ एक अधिक मजबूत रिश्ता बनाना चाहते हैं, जैसाकि हम चाहते हैं तो आप गुजरात की अनदेखी नहीं कर सकते। और, यदि आप किसी भारतीय राज्य के साथ संबंध बनाना चाहते हैं तो आपको उस राज्य की सरकार के साथ संबंध रखना होगा।

हमने पिछले 20 सालों में पहली बार जम्मू एवं कश्मीर राज्य के बारे में अपनी यात्रा सलाह को नरम बनाने का फैसला भी किया है। हमारी यात्रा सलाह सुरक्षा स्थिति के एक वस्तुनिष्ठ आकलन पर आधारित है। लेकिन, हमारा मानना है कि इस राज्य में सुरक्षा स्थिति में सुधार और हमारी सलाह में ढील देने से ब्रिटिश पर्ययकों की संख्या बढ़ेगी, व्यापार में वृद्धि होगी, स्थानीय अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी और जनता के स्तर पर संबंध बढ़ेंगे।

निष्कर्ष

मेरा उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंध अधिक प्रगाढ़ बनाना है, उनको अधिक सुरक्षित करना है और उनकी जनता में अधिक समृद्ध लाना है। और, मुझे यकीन है कि हमारे बीच संबंध फलने-फूलन के साथ वे भ्रांतियां लुप्त हो जाएंगी, जो कभी-कभी हमें अलग करी हैं।

प्रकाशित 6 December 2012