भाषण

'भारत में महिला विरोधी अपराधों के उभरते परिदृश्य के कानूनी पहलू'

12 मार्च 2016 को बेंगलुरू के ब्रिटिश उप उच्चायुक्त डॉमिनिक मैकएलिस्टर के द्वारा दिए गए भाषण की प्रतिलिपि।

Dominic McAllister

‘भारत में महिला विरोधी अपराधों के उभरते परिदृश्य पर कानूनी पहलू’ इस विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने का अवसर प्रदन करने के लिए आपका धन्यवाद। मैं यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज और बेंगलुरू विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग के आमंत्रण के लिए आभारी हूं।

मानवाधिकार और विविधता भारत में ब्रिटिश उच्चायोग के कार्यों का प्रमुख तत्व रहे हैं। एक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है वह है ‘महिलाओं के विरुद्ध अपराध (वीएडब्ल्यू)। ये काफी गंभीर अपराध हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएं एवं आपरधिक न्याय प्रणाली पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

हम यूके में महिला विरोधी अपराधों से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं?

यूके में हम देश के भीतर और विदेश में होने वाले अपराधों को रोकने के लिए जो कदम उठा रहे हैं उनमें शामिल हैं महिलाओं द्वारा उनके साथी की आपराधिक इतिहास की जांच करना, घरेलू हिंसा सुरक्षा संबंधि आदेशों को लागू करना, जबरन शादी का अपराधीकरण, और विदेशों में हमारे कार्यों में महिलाओं एवं लड़कियों की सहभागिता को प्राथमिकता देना।

हम इस कार्य को और प्रबल बनाने के लिए जो अन्य कार्य कर रहें हैं उनमें शामिल हैं अपराधियों से निपटना, दुर्व्यवहार चक्र में शुरुआत में ही हस्तक्षेप कर अपराधियों का निवारण और उनका पुनर्वसन, साथ ही पीड़ितों की सुरक्षा जारी रखना और अपराधियों को न्यायपूर्ण तरीके से सजा दिलाना।

महिलाओं और लड़कियों को हिंसा से बचाना और यौन हिंसा की पीड़ितों और जीवित बचे लोगों की सहायता करना ही हमारी प्राथमिकता रही है। हम राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा एवं पुलिस और आपराधिक विभाग के आयुक्तों जैसी स्थानीय प्राधिकारों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं ताकि मादा जननांग विकृति (एफजीएम) तथा जबरन शादी जैसी विशेषज्ञ निकायों, आश्रय स्थान और बलात्कार सहायता केंद्रों का सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित रहे।

हम अति आवश्यक स्तर पर इस बात का निरीक्षण कर रहे हैं कि पुलिस, समाज सेवी संस्थाएं और अन्य संस्थान किस तरह एक साथ मिलकर इस अपराध की चपेट में आने वाले बच्चों की सुरक्षा कैसे कर रहे हैं, खासतौर से वे बच्चे जो यूके के कई कस्बे और शहरों में पाए गए संघठित रूप से संवारे जाने और यौन शोषण के मामलों का शिकार बनते हैं।

पीड़ितों की सुरक्षा के लिए हम आश्वसत करते हैं को गंभीर यौन अपराधों के मामले में संलग्न होने से पहले सरकारी खर्च पर काम कर रहे वकीलों को पीड़ितों से संबंधित विशेष प्रशिक्षण प्राप्त हो।

इस वर्ष में आगे यूके नए सिरे से वीएडब्ल्यू का रणनीति लागू करेगा जिसमें पिछले कार्यों का लेखा-जोखा होगा कि किसा तरह अपराधियों से निपटा गया, दुर्व्यवहार चक्र में शुरुआत में ही हस्तक्षेप कर अपराधियों का निवारण और उनका पुनर्वसन किया गया, साथ ही पीड़ितों की सुरक्षा जारी रखने और अपराधियों को न्यायपूर्ण तरीके से कैसे सजा दिलाई गई।

तो अब तक क्या हासिल हुआ है?

2010 में यूके सरकार ने क्रॉस सरकारी रणनीति, ‘महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा समाप्त करने के लिए एक आवाज’ प्रकाशित की है। 2015 में सरकार ने इसमें प्रगति का विवरण भी प्रकाशित किया।

उपलब्धियों में शामिल हैं: घरेलू दुराचारों का अपराधीकरण; घरेलू हिंसा सुरक्षा आदेशों एवं घरेलू हिंसा प्रकटीकरण योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना; जबरन शादी का अपराधीकरण; पीछा करने वालों से संबंधित नए कानून; बलात्कार का यथार्थवादी चित्रण करने के अधिकार का अपराधीकरण; बदले की भवना में अश्लीलता का विशिष्ट अपराधीकरण; मादा जननांग विकृति संबंधित कानून को सुदृढ़ करना और यौन अपराधियों से निपटने के लिए नए नागरिक आदेशों को लागू करना।

जुलाई 2015 में यूके ने घरेलू हिंसा को की रोकने और इससे निपटने में स्थानीय प्राधिकरणों की सहायता के लिए 3.2 मिलियन पाउंड के कोष की शुरुआत की।

अगस्त 2015 में अमेरिका (यूएस) और यूके ने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के खिलाफ और कड़े उपायों का उल्लेख देते हुए संयुक्त रूप से ‘द गार्डियन’ अखबार में एक लेख दिया। उन्होंने उन सामाजिक आंदोलनों को स्वीकृति दी जिनके जरिए यौन अपराधों को युद्ध अपराधों के समक्ष मानने के प्रति जागरूकता फैलाई गई है।

सितम्बर 2015 में ब्रिटेन के व्यापार मंत्री ने नए कार्य दल की मांग की जो उच्च शिक्षा क्षेत्र के साथ मिलकर विश्वविद्यालयों के प्रांगण में महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हो रही हिंसा को कम करने के लिए कार्य संहिता का विकास कर सके।

अक्टूबर 2015 में यूके के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने गर्व के साथ इस तथ्य की घोषणा कि उनके मंत्रिमंडल का हर तीसरा सदस्य एक महिला है। हमें काफी कार्य करना है ताकि यूके और विश्व भर में महिलाओं को संपूर्ण समानता का अधिकार मिल सके। लेकिन शासन में सार्थक प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण पहल है।

नवम्बर 2015 में यूके ने 29 देशों के साथ मिलकर अबू धाबी में ‘वी प्रोटेक्ट’ शिखर सम्मेलन में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण से निपटने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की। यूएई और यूके द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए गए इस सम्मेलन में एक दर्जन से ज्यादा मंत्री और दुनिया भर के 40 वरिष्ठ कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

यूके भारत के साथ मिलकर क्या कर रहा है?

हम भारत भर में कई योजनाओं में सहायता प्रदान कर रहे हैं:

  • लड़कियों और किशोरियों में सुरक्षा और यौन शोषण के प्रति जागरूकता निर्माण करना;
  • उत्तर-पूर्वी राज्यों में राजनैतिक एवं पारम्परिक जातीय संस्थानों में महिलाओं की अधिक सहभागिता को सुनिश्चित करना;
  • भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्यरत नगारिक समाज संगठनों की क्षमता को बढ़ाना;
  • महिला संसदों को समर्थन देना क्योंकि उनका लक्ष्य होता है शासनीय कार्यों की पूर्ति को बेहतर बनाना।

वर्ष 2015 में चेन्नई के ब्रिटिश उप उच्चायोग (बीडीएचसी) ने महिलाओं के विरुद्ध हिंसा (वीएडब्ल्यू) को रोकने और निपटने में भारत के प्रयासों में सहायता देने के लिए अपनी तरह की पहली योजना का समर्थन किया। संबंधित राज्यों के अकादमियों के समर्थन से कार्यशालाओं की श्रृंखलाओं का आयोजन किया गया जिनमें तमिलनाडु और केरल के 300 कानूनी, पुलिस एवं न्यायिक अधिकारियों को जानकारी दी गई जो अपने राज्यों में जाकर इस जानकारी का विस्तार करना चाहते हैं। इन कार्यशालाओं में एफसीओ समर्थित दो वीएडब्ल्यू की पुस्तिकाओं का स्थानीय भाषा में संस्करण जारी किया गया और वीएडब्ल्यू के चिकित्सकों के लिए जारी प्रशिक्षण पुस्तिका के लिए नए और अपने किस्म के पहले ऐसे प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसका नाम था ‘महिलाओं विरोधी हिंसा पर शिक्षण और प्रशिक्षण संबंधी पुस्तिका’। इस पुस्तिका का विमोचन मार्च में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर किया गया। समूचे भारत में प्रशिक्षकों को यह पुस्तिका सबूत के आधार पर सैद्धांतिक और व्यावहारिक सामग्री प्रदान करती है, जिससे भविष्य में वीएडब्ल्यू का प्रशिक्षण के प्रभाव और गुणवत्ता को सुधारा जा सके।

देश में बेंगलुरू के ब्रिटिश उप उच्चायोग में स्थित जीव विज्ञान क्षेत्र की अध्यक्ष प्रिया वरदराजन अपना समय दो कार्यों के बीच बांटती हैं, एक है यूके व्यापार को बढ़ावा देना और दूसरा है सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले यौन शोषण के प्रति महिलाओं एवं लड़कियों की कुशलाता के विकास हेतु एनजीओ दुर्ग के साथ मिलकर किया गया स्वेछिक कार्य। हाल के दुर्गा योजनाओं में शामिल है सार्वजनिक परिवहन में इस्तेमल किया जाने वाला दुर्गा अलार्म। यह एनजीओ इसे स्वीकार करवाने के लिए बैंगलोर राजनैतिक कार्य समिती के साथ मिलकर कार्य रहा है।

इन मुद्दों से निपटने के लिए ऐसे महत्वपूर्ण कार्य और यूके विश्व में अग्रणी हैं। मैं इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं।

प्रकाशित 16 March 2016