भाषण

बेंगलूरु में ग्लोबल कैंसर सम्मेलन

ब्रिटिश उप-उच्चायोग, बेंगलूरु, श्री मॅक ऐलिस्टर द्वारा 18 नवम्बर 2015 को दिए गए भाषण की लिखित प्रतिलिपि।

DHC bengaluru

सुप्रभात!

मुझे ग्लोबल कैंसर समि, 2015 में शामिल करने का हर्ष है।

डॉ. राव तथा ग्लोबल कैंसर फाउंडेशन को मुझे आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद।

मुझे बेंगलूरु आए केवल दो हफ्ते हुए हैं!

यहां आने से पहले मैं खाड़ी में यूके साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क में काम कर रहा था और उससे भी पहले साउथ कोरिया में था। यूके सरकार ने “एसआइएन” नेटवर्क की स्थापना की, ताकि मानव की बड़ी चुनौतियों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके। इन बड़ी चुनौतियों में सस्ती स्वास्थ्य सेवा की पहुंच तथा कैंसर एक वैश्विक प्राथमिकता है।

कर्नाटक में मेरी भूमिका अनुसंधान से कहीं अधिक है। ब्रिटिश उप-उच्चायोग अनुसंधान तथा इनोवेशन से लेकर व्यापारिक सहयोग तथा निवेश में सहयोग करता है।

यूके तथा भारत का लाइफ साइंसेज तथा ओंकोलॉजी के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करने का लंबा संबंध रहा है।

भारत में ओंकोलॉजी की चुनौती अहम है:

  • भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है जो इस समस्या से ग्रस्त है;
  • 8% लोगों की मृत्यु कैंसर से होती है और जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इस रोग से प्रभावित है;
  • स्तन, कोलोरेक्टल, लंग, नन-हॉजकिंस लिम्फोमा तथा प्रोस्ट्रेट कैंसरों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
  • कैंसर के उपचार की लागत में हर वर्ष 6.5% की वृद्धि हो रही है और माना जा रहा है कि यह वर्ष 2018 तक US$240 मिलियन तक जा पहुंचेगा।
  • यूके इन चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए भारतीय सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने के लिए इच्छुक है। बेंगलोर, अनुसंधान, मेडिकल तकनीकियों तथा कंपनियों का एक केंद्र है, जो आरंभिक खोज कार्य तथा भागीदारी के लिए एक योग्य स्थान है। बेंगलूरु अच्छे अस्पताल भी देता है, जिन्हें क्लिनिकल अध्ययनों तथा उन्नत स्वास्थ्य सेवा का गहन अनुभव है।

यूके क्या प्रदान कर सकता है?

  • यूके कैंसर के स्क्रीनिंग तथा डायग्नॉसिस से लेकर अनुसंधान तथा स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति के क्षेत्र में विश्व का एक अग्रणी देश है।
  • यूके का नेशनल कैंसर रजिस्ट्री अनुसंधान तथा क्लिनिकल परीक्षण का एक शक्तिशाली माध्यम है।
  • यूके में हर 100 कैंसर रोगियों में से 21 क्लिनिकल अध्ययनों में शामिल होते हैं, जिनमें से 7 रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड परीक्षणों में शामिल होते हैं।
  • हर वर्ष 85,000 रोगियों को कैंसर अनुसंधान अध्ययनों में भर्ती की जाती है (जो अमेरिका से बड़ी संख्या है)।
  • कैंसर अनुसंधान यूके दुनिया का सबसे बड़ा कैंसर अनुसंधान चैरिटी है। यह रिजनल हेल्थ डिपार्टमेंट्स के साथ काम करता है और पूरे यूके में 18 प्रयोगात्मक कैंसर मेडिसिन सेंटर को बढ़ावा देता है। ये केंद्र नए थेरॉपियों के विकास को प्रेरित करते हैं तथा रोगियों को त्वरित लाभ प्रदान करते हैं।
  • यूके 100,000 जीनोम्स प्रॉजेक्ट में निवेश के जरिए प्रिसिजन के जरिए तथा रोगी के आंकड़े तक बेहतर एनएचएस ऐक्सेस विश्व का अग्रणी देश है। प्रिसिजन मेडिसिन में कैंसर के रोगियों के लिए नए लक्षित थेरापियों के विकास की क्षमता है तथा यह भारतीय तथा यूके के अनुसंधानकर्ताओं के लिए बढ़ता हुआ अवसर क्षेत्र है। हमारी राष्ट्रीय इनोवेशन एजेंसी इनोवेट यूके इस वर्ष अप्रैल में एक प्रिसिजन मेडिसिन केटापल्ट की स्थापना की तथा समूचे यूके में इसके छह उत्कृष्टता केंद्र हैं।

ब्रिटिश उप-उच्चायोग कैसे मदद कर सकता है?

बेंगलूरु के ब्रिटिश उप-उच्चायोग में कई टीम भारतीय सहयोगियों के साथ काम करने हेतु ओंकोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देती है:

  • यूके साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क (एसआइएन) अनुसंधान नेटवर्किंग तथा सहयोग को बढ़ावा देता है। ओंकोलॉजी कार्य मुख्यतः न्यूटन-भाभा प्रोग्राम के जरिए संपन्न किया जाता है;
  • यूके ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट (यूकेटीआइ) लाइफ साइंस टीम भारतीय सहयोगियों के साथ मिलकर ‘मेकिंग टुमॉरोज मेडिसिन’ पर कार्य कर रहा है, जो यूके द्वारा भारत को आगामी दवाइयों के विकास पर बढ़ावा देता है। यह प्रोग्राम ड्रग डिजाइन, प्रॉसेस इनोवेशन, ड्रग विकास तथा निर्माण में मदद प्रदान करता है। लोगों को इस तथ्य की जानकारी कम है कि यूके में एनएचएस द्वारा खरीदी गई दवाइयों का 25% भारतीय मूल की होती हैं तथा दवाइयों में प्रयुक्त 40% सक्रिय घटकों की भारत से आपूर्ति की जाती है।
  • यूके ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट (यूकेटीआइ) का इनवार्ड इंवेस्टमेंट टीम भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर कार्य करता है, ताकि यूके में उनके परिचालनों का प्रसार किया जा सके। ये कई प्रकार की सेवाएं पेश करते हैं, जिनमें बाजार अवसरों तक पहुंच, संबंध निर्माण, कर समर्थन, इमिग्रेशन समर्थन तथा यूके में भर्ती कुशल स्टाफ शामिल हैं। ये सेवाएं पेशेवर तथा निःशुल्क हैं।

व्यवहार में इसका क्या आशय है?

  • न्यूटन-भाभा प्रोग्राम के तहत यूके मेडिकल रिसर्च काउंसिल तथा इंडियन डिपार्टमेंट फॉर बाइटेक्नोलॉजी (डीबीटी) तीन प्रमुख वैश्विक अनुसंधान केंद्रों को कोष प्रदान कर रहा है। इनमें से एक- एमआरसी-डीबीटी संयुक्त केंद्र ने कैंसर बायोलॉजी तथा थेराप्युटिक्स के लिए कैम्ब्रिज विश्वविड्यालय में एमआरसई कैंसर यूनिट तथा भारत के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेस के साथ संबंध स्थापित किया है, जो कैंसर बायोलॉजी तथा थेरॉपी पर अनुसंधान प्रोग्रामों, ट्रांसलेशन रिसर्च तथा क्षमता निर्माण पर सहयोग को बढ़ावा देता है।

  • यूकेटीआइ ट्रेड मिशन, जैसे कि सितम्बर 2013 में आयोजित ओंकोलॉजी मिशन ने 14 यूके कंपनियों तथा अनुसंधान संस्थानों को भारत लाया और कंपनियों तथा संस्थानों के बीच जुड़ाव के लिए फ्रेमवर्क प्रदान किया।
  • बेंगलूरु में स्थित सेल वर्क्स कैंसर रिसर्च के लिए काम कर रहा है तथा वेलकम ट्रस्ट नन-स्मील सेल लंग कार्सिनोमाज के ड्रग विकास के लिए काम कर रहा है।
  • यूके की कंपनी हॉराइजन डिस्कवरी ने बेंगलूरु में एक परिचालन का आरंभ किया है। ये भारतीय प्रीक्लिनिकल संगठनों के साथ खोज अनुसंधान पर काम कर रहे हैं;
  • यूके विग निर्माता, विगोमैनिया अब अपोलो तथा हेल्थ केयर ग्लोबल हॉस्पिटल के साथ मिलकर काम कर रहा है;
  • इसके विपरीत भारत की लाइफ साइंस कंपनियों ने यूके में सफलता हासिल की है। इसमें डॉ. रेड्डीज, अरबिंदो फार्मा, शसुन/स्ट्राइड्स, माइक्रोलैब्स, सन फार्मास्युटिकल, पीरामल, इंटास, कैडिला तथा वोकार्ड। सिप्ला तथा बायोकोन यूके में ओंकोलॉजी के अवसरों को लेकर काम कर रहे हैं।

मुझे क्यों चर्चा करनी चाहिए?

मुझे आपकी योजनाओं की चर्चा करने के लिए आपके साथ मुलाकात करने की खुशी है।

मेरी सहकर्मी प्रिया वर्धराजन जो भारत भर में UKTI लाइफ साइंसेज गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं, यहां मौजूद हैं और आपकी मदद कर उन्हें खुशी मिलेगी। वे आपको इस क्षेत्र में काम कर रहे अन्य सहकर्मियों के साथ संपर्क करने में भी आपकी मदद करेंगी।

स्टुअर्ट ऐडम,
प्रमुख, प्रेस तथा संचार,
ब्रिटिश उच्चायोग, चाणक्यपुरी,
नई दिल्ली 110021,
टेलीफोन: 44192100; फैक्स: 24192411

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प्रकाशित 18 November 2015