भाषण

‘व्यावसायिक संभावनाओं के लिए जलवायु परक संवृद्धि’

बृहस्पतिवार, 6 मार्च 2014 को चेन्नई में निरंतरता पर सीआइआइ सम्मेलन में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त भरत जोशी के भाषण का लिप्यंतरण।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Bharat Joshi

मुझे प्रसन्नता है कि मैं व्यावसायिक संभावनाओं के दोहन के लिए जलवायु-हितैषी संवृद्धि पर केंद्रित निरंतरता पर आयोजित इस सम्मेलन में भाग ले रहा हूं। जलवायु-परिवर्तन को आज उन मसलों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जिनका सामना दुनिया कर रही है। औद्योगिक क्रांति के बाद यह अबतक का सबसे बड़ा अवसर भी प्रदान करता है।

ब्रिटेन में यह सप्ताह ‘जलवायु सप्ताह’ के रूप में मनाया जा रहा है, इसलिए मुझे यहां निरंतरता पर वार्ता में शामिल होते हुए खुशी हो रही है।

मुझे इस बात से भी प्रसन्नता है कि यहां हम सरकार के वरिष्ठ नीति निर्धारकों तथा व्यापार मार्गदर्शकों के साथ अपने विचार साझा कर रहे हैं, जिनकी यहां उपस्थिति से यह जाहिर होता है कि ऊर्जा मामलों में कुशलता तथा निम्न-कार्बन की दिशा में प्रगति के लिए भारत तथा उसके तमिलनाडु जैसे राज्य कितनी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

निम्न-कार्बन संवृद्धि ब्रिटेन के लिए भी सबसे उच्च-प्राथमिकता का क्षेत्र है। हम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 2050 तक 1990 के स्तर से 80% तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसका विधान विश्व के प्रथम जलवायु-परिवर्तन कानून के रूप में किया गया है, तथा जिसे पूरा करने के लिए हम कानूनन बाध्य हैं।

सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने अपनी सरकार को ‘हमेशा पर्यावरण-मित्र सरकार’ बनाने का वादा किया था।

ब्रिटेन ने इस मामले के महत्व के प्रति आगाह करते हुए तथा इसे वैश्विक पहचान प्रदान कर विश्व-स्तर पर एक अग्रणी भूमिका निभाई है। 2008 कानून के अनुसार गठित हमारी जलवायु-परिवर्तन समिति, सरकार को हमारी वैश्विक तथा घरेलू प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करने के लिए हमें क्या करना चाहिए, इसके बारे में अपने स्वतंत्र तथा विशेषज्ञ सुझाव प्रदान करती है।

हम किस प्रकार इसे पूरा करने जा रहे हैं? इसमें कुछ कार्य हमारी जीवनशैली में परिवर्तन ला सकते हैं (जो प्रसंगवश, हमारी जीवनशैली की गुणवत्ता से भिन्न हो सकते हैं) हमारे घरों को लगभग शून्य-कार्बन या परिवहन साधनों को और भी दक्ष बनाने के रूप में- अन्य पक्षों की हमसे और अधिक ऊर्जा-कुशलता की अपेक्षा है।

इन परिवर्तनों को तुरंत लागू करना होगा तथा इन्हें स्थायी बनाने की जरूरत है। इसी वजह से ब्रिटेन ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते पर चलते हुए 2050 तक कार्बन-उत्सर्जन में 80% तक कमी लाने के लिए कानूनी प्रावधान किए हैं- तथा इस मामले में आप अचरज करते होंगे कि किस प्रकार 2010 में राजनीतिज्ञों ने उन कार्यप्रणाली निष्पादन गतिविधियों के प्रमाणीकरण का उत्तरदायित्व स्वीकार किया जो दशकों तक प्रभावी रहेंगे।

इसका एक बेहतर पक्ष यह भी है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिसका अधिकांश तटीय तथा अपतटीय वायु-ऊर्जा के रूप में होगा। तथा चूंकि हमें अपने परिवहन तथा ऊष्मीय प्रणालियों के विद्युतीकरण तथा अकार्बनीकरण के लिए निवेश करने की आवश्यकता है, अतः हमें अपने ऊर्जा उत्पादन की कुल क्षमता में वृद्धि और कार्बन प्रदूषण में कमी लाने की आवश्यकता है। हमें कार्बन को आर्थिक संवृद्धि से अलग करने की जरूरत है। और हम इसके प्रति प्रतिबद्ध हैं। अन्य अधिकांश देशों की तरह, एक निम्न-कार्बन भविष्य के लिए हमें नवीकरणीय ऊर्जा को हमारे मिश्रित ऊर्जा संसाधन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में विकसित करना है। हमारा लक्ष्य है कि हम 2010 तक अपनी संपूर्ण ऊर्जा आवश्यकताओं के 15% की आपूर्ति नवीकरणीय स्रोतों से कर सकें। ब्रिटेन की विद्युत-ऊर्जा का केवल 5% नवीकरणीय स्रोतों से आता है, और हमारा आकलन है कि इसमें 2020 तक एक तिहाई से अधिक वृद्धि करने की आवश्यकता है- सात गुना अधिक वृद्धि! अतः, आप देख सकते हैं, कि हम एक आमूल-चूल रूपांतरण चाहते हैं।

मौजूदा साल में हमारी आर्थिक संवृद्धि का एक तिहाई भाग पर्यावरण व्यापार से संभावित है। ब्रिटेन ने पहले ही अपना कार्बन उत्सर्जन 1990 स्तर के आधार पर 20% से अधिक घटा लिया है और यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमने विश्व का पहला पर्यावरण निवेश कोष स्थापित किया है- जो पर्यावरण हितैषी संरचनाओं में करोड़ों पाउंड का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम विश्व के प्रथम देश हैं, जहां पंजीकृत कंपनियों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अपने उत्सर्जन आंकड़ों का उल्लेख करना होगा।

अपतटीय वायु-ऊर्जा का क्षेत्र ब्रिटेन के लिए प्रचुर संभावना युक्त एक अन्य ऊर्जा-क्षेत्र है। आप में से कोई भी, जो सौभाग्य (या संभवतः दुर्योग) से साल के इन महीनों में ब्रिटेन के समुद्रतटीय क्षेत्र में सफर करें, तो आपको पता चलेगा कि किस तरह तूफानी हवाएं आपको झकझोर सकती हैं। अपतटीय हवाओं (से ऊर्जा) के मामले में हम पहले से ही विश्व में पहले स्थान पर हैं, और हमारी इस क्षेत्र में आगे उल्लेखनीय प्रगति की योजना है। तटीय वायु-ऊर्जा, बायोमास, जल-ऊर्जा, लहर तथा ज्वारीय-ऊर्जा स्रोतों की भी ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

यहां तमिलनाडु में ब्रिटेन के इन निष्कर्षों को कार्यान्वयन के साथ स्वीकार किया गया है, जैसा कि विजन 2030 के अद्यतन संशोधन में कहा गया है- नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन में तेजी से वृद्धि की जा रही है- यद्यपि स्वाभाविक रूप से आपकी प्राथमिकताएं तटवर्ती वायु-ऊर्जा तथा सौर-ऊर्जा पर अधिक आधारित हो सकती है। मुझे ज्ञात है कि राज्य सरकार ने पर्यावरण हितैषी ऊर्जा गलियारे के लिए योजना घोषित की है।

किंतु आर्थिक समर्थन के बगैर इसे कैसे किया जाएगा? खास तौर पर जब यह भारत पर केंद्रित हो, तथा विश्व भर में, अनवरत संवृद्धि तथा समृद्धि का उच्च-स्तर क्रियान्वित किया जाना हो। और यदि एक स्पष्ट समाधान संभव होता, तो उसे ढूंढकर लागू कर दिया गया होता!

किंतु यह एक कठोर सच्चाई है कि भारत में प्रतिव्यक्ति उत्सर्जन अत्यंत कम है, कई लाख व्यक्ति गरीबी में हैं, और विकसित विश्व की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि हो रही है। इसलिए अब उत्सर्जन में वृद्धि को कम करने, अर्थव्यवस्था में उत्सर्जन की तीव्रता घटाने तथा निम्न-कार्बन संवृद्धि के रास्ते ढूंढने पर अधिक बल दिया गया है, जिनसे स्पष्ट विकास संभावनाएं प्रकट होती हों। भारत सरकार के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो को बढ़ाकर उत्सर्जन में वृद्धि को 15% तक घटाया जाएगा। इसे भारत तथा ब्रिटेन दोनों देशों में पूर्ण करने के लिए तकनीकी साझेदारी के क्षेत्र में वृद्धि की आवश्यकता है। मैं आशान्वित हूं कि ब्रिटेन की घरेलू निम्न-कार्बन प्रतिबद्धताओं से अधिक उन्नत तकनीकी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा तथा साझेदारी के और भी अवसर प्राप्त होंगे।

लक्ष्यों को पूरा करना ब्रिटेन में एक बड़ी चुनौती रही है। किंतु औद्योगिक क्षेत्र में विस्तृत संभावनाएं हैं। एक नई औद्योगिक क्रांति की प्रक्रिया जारी है: नए युग के, निम्न-कार्बन, पर्यावरण-मित्र उद्यम। तकनीक की एक नई श्रृंखला विकसित की गई है, परामर्शदाता संस्थानों की सेवा भी उपलब्ध है, विनिर्माण-प्रक्रियाओं में बदलाव आया है, तथा ऊर्जा-उद्योग की यंत्र-प्रक्रियाओं में परिवर्तन आ रहा है।

अगर उद्योग-क्षेत्र द्वारा अभिकल्पित इन अवसरों का पूरी तरह लाभ उठाया जाना हो, तो सरकार को सहायक नीतियां निर्धारित करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। ब्रिटेन निम्न-कार्बन बाजार का प्रवर्तक है। हमने इस दिशा में पहले ही विकास प्रारंभ कर दिया और पहले शुरुआत करने के लाभ भी प्राप्त किए, किंतु हमने गल्तियां भी कीं। अतः हमें आशा है कि हम अपने सीखे हुए (अनुभव) आपके साथ साझा कर सकते हैं।

एक निम्न कार्बन वैश्विक आर्थिक संवृद्धि पर बल दिए जाने के दृष्टिकोण से ब्रिटेन, निम्न कार्बन उद्यमों के निर्माण, तथा निम्न कार्बन समाधानों के वैश्विक केंद्र के रूप में सर्वाधिक उपयुक्त स्थान है।

आर्थिक गिरावट के स्थान पर, निम्न कार्बन तथा पर्यावरण सामग्री तथा सेवा क्षेत्र (एलजीईजीएस) ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों में एक है, जिसका अन्य वृहत्त अर्थव्यवस्था क्षेत्रों से प्रशंसात्मक रूप से तुलना करते हुए; 2014/15 तक प्रतिवर्ष औसतन 4% से अधिक विकास अपेक्षित है।

  • कई ब्रिटिश उद्यमों ने अपने उत्पाद, सेवा तथा आपूर्ति-श्रृंखलाओं के भीतर निम्न कार्बन को स्थान दिया है तथा वे दुनिया भर से आने वाली मांग के लिए निम्न कार्बन विशिष्टताओं का विकास कर रहे हैं।
  • ताकत के अंतर्गत शामिल हैं उद्योग क्षेत्र में सहभागिता, सर्वजनिक तथा निजी भागीदारी; उद्यमों, विश्वविद्यालय तथा शोध संगठनों द्वारा विश्व के श्रेष्ठ अन्वेषण तथा एक लचीला और गतिशील व्यावसायिक वातावरण।
  • निम्न उत्सर्जन वाहनों के कार्यालय ने व्हाइटहॉल की मुख्य रणनैतिक प्राथमिकताओं को एक समूह के रूप में अत्यधिक निम्न कार्बन वाहनों के अवस्थांतरण द्वारा अधिकाधिक आर्थिक तथा पर्यावरण लाभ प्रदान करने पर केंद्रित किया है। अत्यधिक निम्न कार्बन वाहनों के लिए समयपूर्व बाजार की सहायता हेतु मांग, आपूर्ति और आधारभूत संरचना को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों पर ध्यान देने की जरूरत है।

क्योंकि हमने अपने लिए चुनौतियों के जो मानक तथा कठिन लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उसके लिए हमें कई कदम उठाने होंगे, जिनमें कुछ कठोर कदम तथा अन्य समर्थक फैसले होंगे। कई प्रकार के आर्थिक साधनों का निवेश होगा और हमें “निम्न कार्बन औद्योगिक विकास के लिए आर्थिक संसाधन” परियोजना के माध्यम से भारत के राज्यों के साथ अपने अनुभवों को साझा करने के अवसर प्राप्त होंगे। निम्न कार्बन संवृद्धि प्रोत्साहन हेतु कार्यकारी आर्थिक संसाधनों की पहचान की परियोजना, भारत में इसी प्रकार की एक पहलकदमी है। आप इसके बारे में यहां इसके बाद विशेषज्ञों से विस्तार से सुनेंगे।

2012 में, लंदन शहर के लॉर्ड मेयर ने प्रथम प्रतिवेदन चेन्नई में प्रस्तुत किया था। इसमें तमिलनाडु में निम्न कार्बन के तरीकों के बारे में आर्थिक सुझावों की अनुशंसा की गई थी।

मुझे प्रसन्न्ता है कि दो वर्ष बाद आज यह आर्थिक प्रतिवेदन जारी किया गया है, जिसमें विस्तृत, खोजपरक तथा केंद्रित नीतिगत सुझाव प्रस्तावित हैं, जिनमें से कुछ ब्रिटेन के अपने अनुभवों से प्रेरित हैं। हमें आशा है कि इन विचारों से नए निवेश तथा तकनीक को प्रोत्साहन प्राप्त होगा, जिससे तमिलनाडु को (तमिलनाडु, जो भारत के सबसे बड़े औद्योगिक तथा नगरीकृत राज्यों में एक है) अपने आर्थिक तथा औद्योगिक विकास को जारी रखते तथा गति प्रदान करते हुए इसके कार्बन दुष्प्रभावों को कम करने के लिए योजनाओं की पहचान करने में मदद प्राप्त होगी।

ब्रिटेन निम्न कार्बन क्षेत्र में अग्रणी है तथा हमें तमिलनाडु के साथ इस उत्तेजक परियोजना पर सहयोग करते हुए खुशी हो रही है। हमें आशा है कि इससे अन्य राज्य भी साथ आने को प्रेरित होंगे।

प्रकाशित 6 March 2014