विश्व की समाचार कथा

कोलकाता में होगा यंग थिंकर्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन

बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल को उप-क्षेत्रीय सहकारिता और आर्थिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की चुनौतियों और अवसरों पर सम्मेलन।

YTC Kolkata

ब्रिटिश उप उच्चायोग कोलकाता और इंडिपेंडेंट थिंक-टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) पूर्वी भारत में होने वाले पहले यंग थिंकर्स कॉन्फ्रेंस (वाईटीसी) की मेजबानी कर रहे हैं। इस दो दिवसीय सम्मेलन का थीम ‘वाईटीसी - बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, नेपाल (बीबीआईएन): चुनौतियां और अवसर’ है और कोलकाता में इसका आयोजन यहां उपलब्ध व्यापक अवसरों और इस उप-क्षेत्र को जीवंत, पारस्परिक संवाद वाले वाणिज्यिक और आर्थिक क्षेत्र बनाने में सामने आने वाली चुनौतियों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है।

इन 4 देशों के 100 से अधिक युवा और विशेषज्ञ इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

वाईटीसी ब्रिटिश उच्चायोग का प्रमुख विदेश और सुरक्षा नीति का सम्मेलन है, जो उत्कृष्ट और प्रतिभाशाली विशेषज्ञों और युवा विचारकों को चर्चा के लिए साथ लाता है। दिल्ली व चंडीगढ़ में यह सम्मेलन पहले से स्थापित है और कोलकाता के कार्यक्रम से यह पूर्वी भारत में इस सम्मेलन की शुरुआत हो रही है। और पहली बार इस सम्मेलन में बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे भारत के पड़ोसी देशों की भागीदारी होने जा रही है।

अपने उद्घाटन भाषण में भारत के ब्रिटिश उप उच्चायुक्त डॉ अलैक्जैंडर इवांस ने कहा:

ब्रिटेन ऊर्जा और परिवहन के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने काम के माध्यम से बीबीआईएन क्षेत्र में व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने और राष्ट्रीय सीमाओं पर पर माल व ऊर्जा के आवागमन को सुचारू बनाने हेतु लालफीताशाही को कम करने के लिए अपनी भूमिका निभाने के लिए तत्पर है।

बीबीआईएन केवल अपने आर्थिक मूल्य के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है। बेहतर कनेक्शन का मतलब देशों के बीच बेहतर समझ और आपदा प्रबंधन, साइबर सुरक्षा या आइडिया व टेक्नोलॉजी के आदान-प्रदान जैसे भावी सहयोग की संभावनाओं से है।

ओआरएफ कोलकाता के निदेशक अशोक धार ने भी बीबीआईएन के अंतर्गत संबंधो के लाभ को महसूस किया और बदलते राजनीतिक माहौल या क्षेत्र के इतिहास पर अपने विचारों को व्यक्त किया। उन्होने कहा:

बीबीआईएन की पहल को आगे बढ़ाने के लिए यह युवा, स्वतंत्र और खुले विचारों का आदान प्रदान आवश्यक है और यह हमारे भविष्य को आकार देने में सहायक हो सकता है। विभिन्न क्षेत्रों के युवा प्रोफेशनल्स उप-क्षेत्र में सरकार के निर्देश में एक-दूसरे से जुड़कर कार्य करने की प्रेरणा शक्ति होंगे।

कोलकाता के ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त ब्रूस बकनल ने कहा:

मुझे खुशी है कि कोलकाता क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी पर चर्चा करने के लिए बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और भारत के कई हिस्सों से आए इतने युवायों की मेजबानी कर रहा है। बीबीआईएन उप-क्षेत्र में पहले से कई कनेक्शन और आर्थिक संबंध हैं। लेकिन यह उन सबंधों को और मजबूती प्रदान करने का उपयुक्त समय है। इस क्षेत्र में 530 मिलियन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। 21वीं शताब्दी की शेष अवधि के लिए यह एक शानदार और जीवंत आर्थिक क्षेत्र और मौलिक विचारों का उद्गमस्थल बन सकता है।

उद्घाटन सत्र में पश्चिम बंगाल सरकार में परिवहन मंत्रालय के प्रमुख सचिव अलपन बंद्योपाध्याय, बांग्लादेश के उप-उच्चायुक्त तौफ़िक हसन, रॉयल भूटान की वाइस कौंसल पेमा टॉबगे और नेपाल के वाणिज्य दूतावास की कौंसल सीता बसनेट ने भी अपने विचार व्यक्त किए और बीबीआईएन देशों के बीच पारस्परिक संबंधों के लाभ पर प्रकाश डाला।

पहले दिन के दौरान जिन प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई वे निम्नलिखित हैं:

  • बीबीआईएन में संयोजन और व्यापार के अवसर
  • बीबीआईएन के सुरक्षा संबंधित मामले
  • बीबीआईएन और भावी योजनाएं

दूसरे दिन प्रतिभागियों ने निम्न विषयों पर चर्चा की:

  • सहयोग के अवसर और टकराव के खतरे
  • व्यापारिक सुगमता के चालक
  • एशियाई राजनीति में उप-क्षेत्र के तौर पर बीबीआईएन की भूमिका

आगे की जानकारी

यंग थिंकर्स कॉन्फ्रेंस ब्रिटिश उच्चायोग का प्रमुख विदेश और सुरक्षा नीति का सम्मेलन है जो भारत में विदेश नीति के युवा विचारकों को जोड़ता है। यह कार्यक्रम पिछले 7 वर्षों के सम्मेलनों की सफलता पर आधारित है। 2017 के दौरान दिल्ली और चंडीगढ़ में पहले ही दो सफल सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं और कोलकाता का यह सम्मेलन इस साल का तीसरा आयोजन है। यह सम्मेलन शिक्षा से जुड़े युवाओं, विचारकों के साथ साथ सरकार, मीडिया, कारोबार और राजनीति को विदेशी नीति से संबंधित चुनौतियों के बारे में स्पष्ट और रचनात्मक चर्चा करने के लिए मंच प्रदान करता है। बीबीआईएन कोलकाता के इस सम्मेलन में बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे भारत के पड़ोसी देशों के युवा और विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ यह सम्मेलन अपनी सीमाओं को पुनः परिभाषित कर रहा है।

बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, नेपाल (बीबीआईएन) की पहल का उद्देश्य इन चार देशों के बीच और बेहतर सहयोग को प्रोत्साहित करना है इसकी असीम आकांक्षा के अंतर्गत थल और जल संपर्क, जल संसाधनों के उपयोग व प्रबंधन, बिजली की कनेक्टिविटी, परिवहन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर अनुबंधों के साथ उपक्षेत्र की परिकल्पना को साकार करना है। 530 मिलियन से अधिक की संयुक्त आबादी वाला यह क्षेत्र उत्पादन और उपभोग में काफी आगे बढ़ रहा है जो एक संपन्न आर्थिक क्षेत्र के रूप में उभर सकता है।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन एक स्वतंत्र थिंक टैंक भारत में स्थित है। जिसकी शुरूआत निष्पक्ष अनुसंधान प्रदान करने वाले ऐसे मंच के तौर पर हुई थी जहां नीति निर्माता, पत्रकार, सिविल सोसाइटी के लोग और शिक्षाविद उदारवादी युग में व्यावहारिक समाधान पर बातचीत के लिए साथ आते थे। अब मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में इस फाउंडेशन के तीन केन्द्र हैं। ओआरएफ के अनुसंधान का क्षेत्र सुरक्षा और रणनीति, शासन, पर्यावरण, ऊर्जा और संसाधन, आर्थिक और विकास के लिए विस्तारित हुआ है। ओआरएफ के व्यापक उद्देश्य हैं जिसमें सरकारी नीतियों में सहायता और तैयारी; भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए समाज के हर क्षेत्र के लोगों के व्यापक विचारों का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम बनाना; शासन को बेहतर बनाने के लिए सुविचारित नीतिगत संस्तुति प्रदान करना शामिल है। ग्लोबल गो टू थिंक टैंक इंडेक्स रिपोर्ट 2017 द्वारा ओआरएफ को भारत के सर्वश्रेष्ठ थिंक टैंक के रूप में स्थान दिया गया है।

मुख्य सम्मेलन के विषयों की रूपरेखा:

पहला दिन

पैनल 1: बीबीआईएन में संयोजन और व्यावसायिक अवसर

प्रतिप्रवाह और ऊर्जा हेतु दुर्लभ क्षेत्रों के बीच बिजली व्यापार पर जोर के साथ उप-क्षेत्रीय बाजार का एकीकरण करना बीबीआईएन प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य रहा है। कमजोर अंतः-क्षेत्रीय निवेश की वजह से नेपाल और भूटान जैसे छोटे देश व्यापार के बाहरी अवसरों पर ज्यादा निर्भर हुए है। व्यापार अवरोधों को दूर करने के लिए इंटरकनेक्टेड ग्रिड की स्थापना के साथ कार्गो, निजी वाहनों और लोगों का सुगम आवागमन बहुत जरूरी है। सम्मेलन का पहला पैनल इन मुद्दों पर गहन शोध करेगा।

पैनल 2: बीबीआईएन: सुरक्षा संबंधित मामले

उप-क्षेत्र ने भले ही बेहद प्रगतिशील आर्थिक साझेदारी न की हो लेकिन समान सांस्कृतिक अतीत के बावजूद आपसी रणनीतिक खतरे और संदेह में उनकी विशेषता देखी गई है। भारत को निश्चित तौर पर अन्य 3 भागीदारों द्वारा क्षेत्रीय शक्ति के रूप में देखा जाता है। इसलिए सीमाओं का प्रबंधन एक सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके साथ ही बढ़ते सीमापार आतंकवाद के निहितार्थ से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, साझा सीमाओं की वजह से सुरक्षा संबंधी मामले अधिक महत्वपूर्ण हैं।

पैनल 3: बीबीआईएन और आगे का रास्ता

बीबीआईएन परियोजना आर्थिक साझेदारियों के निर्माण के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को बनाने की ओर अग्रसर है। त्वरित विकास के वातावारण को बनाने के लिए व्यापार, निवेश, संचार, पर्यटन, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा ग्रिड जैसे सहयोग के क्षेत्र; रोडवे, रेलवे, एयर-लिंक्स, बाढ़ के पूर्वानुमान, पारगमन सुविधा और परंपरागत सुरक्षा संबंधी मामलों के लिए डेटा शेयरिंग को अहम माना जाता है।

दूसरा दिन

सत्र 1: सहयोग के अवसर और टकराव के खतरे

इस सत्र के दौरान बीबीआईएन उप-क्षेत्र के संदर्भ में सहयोग के अवसरों और टकराव के खतरों का पता लगाया जाएगा। जैसे उप-क्षेत्र में इंटरकनेक्टेड ग्रिड के निर्माण से सहयोग व सहभागिता में वृद्धि होगी और यह एक कॉरिडोर के रूप में भी काम करेगा। यह साझेदारी उन पुराने मामलों को समाप्त करने के लिए भी आवश्यक है जो नई भागीदारी की शुरुआत में रूकावट पैदा कर सकते हैं। हालांकि, अविश्वास, एकीकरण के विफल प्रयासों और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के अन्य प्रमुख देश के प्रभाव की वजह से संघर्ष के खतरे अभी भी मौजूद हैं। इसलिए सहयोग की संभावनाओं और खतरों का विश्लेषण किया जाना महत्वपूर्ण है।

सत्र 2: व्यापारिक सुगमता के चालक

इस सत्र में, बीबीआईएन उप-क्षेत्र के व्यापारिक सुगमता के चालकों की जांच की जाएगी। सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश की सुविधा के लिए बेहतर परिवहन संरचना आवश्यक है। इस संबंध में, 1990 के दौरान आर्थिक विकास के सिद्धांतों से निर्मित विकास क्षेत्रों की अवधारणाओं पर विचार किया जाना महत्वपूर्ण है जिसके अंतर्गत बताया गया है कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए हमें उप-क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता क्यों है।

सत्र 3: उप-क्षेत्र के तौर पर एशियाई राजनीति में बीबीआईएन की भूमिका

सम्मेलन के अंतिम सत्र के दौरान एशियाई राजनीति में बीबीआईएन की संभावित भूमिका पर विचार किया जाएगा। नई महाशक्ति और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के केंद्र के तौर पर एशिया ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। एशिया आकांक्षी है लेकिन इस क्षेत्र में कई ऐसे मामले हैं जो इस क्षेत्र की प्रगति में बाधक बने हुए हैं। इसलिए क्षेत्र के एकीकरण और विकास में अहम भूमिका निभाने वाले कारकों की पहचान करना आवश्यक है। उप-क्षेत्र के तौर पर बीबीआईएन इस तरह के एशिया को मूर्त रूप प्रदान करता है।

मीडिया

मीडिया से संबंधित प्रश्नों के लिए कृपया संपर्क करें:

मैनाक डे
हेड, प्रेस, संचार और राजनीतिक संबंध, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत
ब्रिटिश उप उच्चायोग कोलकाता
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प्रकाशित 8 November 2017