विश्व की समाचार कथा

ब्रिटिश मंत्री द्वारा कोलकाता में जलवायु संबंधी प्रयासों को प्रोत्साहन

अंतर्राष्ट्रीय विकास मामलों के ब्रिटिश मंत्री डेसमोंड स्वेन ने 25 अगस्त को कोलकाता का दौरा किया।

Desmond Swayne

मंत्री महोदय का यह दौरा कोलकाता को निम्न-कार्बन और जलवायु हितैषी महानगर के रूप में विकसित करने हेतु ब्रिटेन-कोलकाता नगर निगम (केएमसी) की सहभागिता से हो रहे कार्यों की प्रगति का जायजा लेना था। शहर में टिकाऊ विकास की कार्ययोजना के साथ ब्रिटिश सरकार केएमसी के साथ सहयोग कर रही है।

प. बंगाल के पर्यावरण मंत्री डॉ. सुदर्शन घोष दस्तीदार तथा कोलकाता के मेयर श्री सोवन चटर्जी के साथ ब्रिटिश मंत्री ने बरो III के अंतर्गत एक वार्ड का दौरा किया और पार्षदों तथा स्थानीय समुदाय के लिए आयोजित एक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भी भाग लिया।

स्वेन ने कहा:

टिकाऊ विकास की कार्ययोजना कोलकाता को ऐसा पहला भारतीय महानगर बनाता है जिसके पास जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निबटने तथा टिकाऊ शहरी विकास की समग्र रणनीति है। इसी तरह की चुनौतियों से जूझ रहे अन्य शहरों के लिए यह एक मॉडल है जिसका अनुकरण किया जाना चाहिए और ब्रिटेन को कोलकाता के साथ उसकी इस रोमांचक परियोजना में साझेदार बनकर हर्ष है।

इस कार्ययोजना के तहत जलवायु वित्त तक पूर्ण पहुंच बनाने के लिए प. बंगाल सरकार की क्षमता मजबूत करने हेतु एक परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी।

इस अवसर पर घोष दस्तीदार और श्री चटर्जी के साथ स्वेन ने निम्न कार्बन और जलवायु हितैषी कोलकाता पर बंगाली और हिंदी में एक पुस्तिका तथा एक हरित कोलकाता पोस्टर और छत के ऊपर सौर ऊर्जा विषय पर एक ‘काउंसलर्स ब्रोशर’ का विमोचन किया। उन्होंने वार्ड में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित चित्रांकन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों के बीच पुरस्कार वितरण भी किया।

इस अवसर पर स्कॉट फर्सडोनवुड ने कहा:

ब्रिटिश सरकार और कोलकाता नगर निगम ने संसाधन जुटाने के लिए मिलकर काम किया है और एक जलवायु हितैषी कोलकाता के निर्माण हेतु प्रभावी कदम उठाए हैं। स्थानीय पार्षदों से अपेक्षा है कि वे इस रूपांतरकारी कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ऐसा करते हुए, वे स्थानीय समुदाय के लिए अधिक संख्या में हरित रोजगारों का सृजन कर पाएंगे और शहरी गरीबों को वैकल्पिक टिकाऊ आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे।

उन्होंन यह भी कहा:

हम प. बंगाल सरकार के पर्यावरण विभाग के साथ मिलकर एक नया कार्यक्रम शुरू करने वाले हैं जिसमें जलवायु परिवर्तन पर राज्य की कार्ययोजना को लागू करने में मदद के लिए राज्य सरकार की क्षमता को मजबूत किया जाएगा। क्षमता निर्माण के अतिरिक्त, इस कार्यक्रम के तहत ब्रिटिश सरकार और पं. बंगाल सरकार को साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन पर मध्यस्थता के क्षेत्रों की पहचान करना है और जलवायु वित्त तक पहुंच वाले वित्तीय परियोजना प्रस्तावों को अंतिम रूप प्रदान करना है।

इस साझेदारी के फलस्वरूप कोलकाता के लोगों को स्पष्ट फायदे होंगे। ठोस कचरा प्रबंधन तथा ग्रीन-हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने की दिशा में मध्यस्थता से कोलकाता के प्रदूषण में कमी से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। शहर की गतिशीलता योजना, आपद प्रबंधन योजना और जलवायु-स्मार्ट अपशिष्ट जल के उपचार से शहर की ‘जीवनशीलता/जीवनदशा’ में भी सुधार आएगा।

छतों पर सौर ऊर्जा की व्यवस्था और सड़कों पर रोशनी के लिए ऊर्जा दक्षता से शहरी समुदायों को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों की सुविधा उपलब्ध होगी और साथ ही उनके बिजली बिल में भी कमी आएगी। इस तरह के निम्नकार्बन तथा जलवायु हितैषी मध्यस्थता से कोलकाता के लोगों को आर्थिक अवसर प्राप्त होंगे।

आगे की जानकारी:

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निबटने के लिए अभिनव साधनों और नीतियों के जरिए कोलकाता का ब्रिटिश उप उच्चायोग कोलकाता नगर निगम के साथ मिलकर काम करता रहा है। यह कार्यशाला स्थानीय नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की मदद के लिए आयोजित 16 नगर (बरो) स्तरीय कार्यशालाओं में से एक है।

संवेदनशीलता सृजन कार्यक्रम: कार्यशाला का उद्देश्य है स्थानीय नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को जलवायु हितैषी नियमों के निर्माण और क्रियान्वयन तथा पर्यावरणीय चुनौतियों एवं जलवायु प्रभावों पर समुचित अनुक्रिया के जरिए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निबटने में रणनीतिक भूमिका निभाने में मदद करना।

नवंबर 2012 में ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की थी कि वह 2015 के अंत तक भारत को वित्तीय सहायता देना बंद कर देगी। अब नए दौर की ब्रिटेन-भारत साझेदारी तकनीकी सहायता कार्यक्रमों पर अधारित होगी जिसमें कौशल तथा विशेषज्ञता साझा किए जाएंगे; गरीबों के सहायतार्थ चलाई जाने वाली निजी क्षेत्रों की परियोजनाओं में निवेश किया जाएगा; और खाद्य सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक विकास के मुद्दों पर भारत के साथ सहभागिता के आधार पर काम किया जाएगा।

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प्रकाशित 26 August 2015