प्रेस विज्ञप्ति

ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन पर यूके-भारत का सहयोग

भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यूके यात्रा के एक अंग के रूप में भारत तथा यूके ने जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा ऊर्जा की सुरक्षित, सस्ती तथा धारणीय आपूर्ति के महत्व पर जोर दिया।

भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यूके यात्रा के एक अंग के रूप में भारत तथा यूके ने जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा ऊर्जा की सुरक्षित, सस्ती तथा धारणीय आपूर्ति के महत्व पर जोर दिया।

ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन सचिव ऐम्बर रड ने कहा:

ऊर्जा पर यूके तथा भारत का सहयोग काफी मजबूत हुआ है। हमारे पास अनुसंधान तथा आविष्कारी कार्यों की विश्व स्तरीय विशेषज्ञता मौजूद है। खास तौर से यूके का ग्रीन फाइनेंस तथा तकनीक का अनुभव हमें ऊर्जा की सुरक्षित, सस्ती तथा धारणीय आपूर्ति को बढ़ावा देने तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करता है।

पेरिस में होने वाली आगामी वार्ता जलवायु परिवर्तन से लड़ने में एक निर्णायक क्षण होगा और मुझे खुशी है कि हम 2 डिग्री सीमा से नीचे वैश्विक तापमान को लाने के लिए भारत के साथ काम कर रहे हैं।

हमारे दोनों प्रधानमंत्रियों ने ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन पर सहयोग के व्यापक पैकेज का स्वागत किया है, जो आर्थिक विकास, ऊर्जा सुर्क्षा व ऊर्जा पहुंच को बढ़ावा देगा।

इस पैकेज में £3.2 बिलियन के व्यापारिक समझौते, संयुक्त अनुसंधान प्रोग्राम तथा तकनीकी, वैज्ञानिक तथा वित्तीय तथा नीति विशेषज्ञता को साझा करने की पहल शामिल हैं। यह स्वच्छ ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, गैस तथा नाभिकीय ऊर्जा के विकास तथा अनुसंधान को बढ़ावा देगा। इस पैकेज के एक हिस्से के रूप में हम ग्रीन इनवेस्टमेंट बैंक के साथ यूके क्लाइमेट इंवेंस्टेमंट के संयुक्त उपक्रम की घोषणा कर रहे हैं। यह भारत तथा अफ्रीका में नवीकरणीय ऊर्जा तथा ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में £200 मिलियन का निवेश करेगा।

दोनों देशों ने पेरिस में जलवायु परिवर्तन से निपटने पर एक महत्वाकांक्षी तथा व्यापक वैश्विक समझौते की जरूरत पर भी सहमति जताई है तथा यह समझौता निवेशकों तथा आविष्कारी कार्य करने वाले लोगों को सरकार की स्वच्छ तथा अधिक धारणीय अर्थव्यवस्थाओं के प्रति दीर्घ कालिक प्रतिबद्धताओं का संकेत करता है।

प्रधानमंत्री ने एक नाभिकीय सहयोग एग्रीमेंट पर एक समझौता होने तथा यूके तथा भारत के बीच एक गहन नागरिक नाभिकीय सहयोग से जुड़े एक समझौता ज्ञापन का स्वागत किया है। यह इस क्षेत्र में बढ़ते संबंध का संकेत देता है।

संपादकों के लिए नोट्स:

साझे बयान यहां पाए जा सकते है

प्रकाशित 12 November 2015