विश्व की समाचार कथा

पर्यावरण अनुकूल भविष्य के लिए यूके ने की युगांतकारी पर्यावरण वित्त नीति की घोषणा

यह नीति वित्तीय खतरों को सुनिश्चित करेगा और इस आर्थिक अवसर को मुख्यधारा के वित्तीय निर्णय निर्धारण में एकीकृत करेगा l

Climate Change

एक वैश्विक जलवायु मुखिया के रूप में यूके की स्थिति को और सुदृढ़ करने के लिए, यूके सरकार ने अपने लक्ष्य पर्यावरण वित्त नीति की घोषणा की है जो दीर्घस्थायी परियोजनाओं और आधारिक संरचना में निवेश की वृद्धि के लिए योजनाओं को निर्धारित करता है l यह नीति वित्तीय खतरों को सुनिश्चित करेगा और इस आर्थिक अवसर को मुख्यधारा के वित्तीय निर्णय निर्धारण में एकीकृत करेगा ; जो यूके के निम्न कार्बन और पर्यावरणीय विशेषज्ञता एवं विश्व के अग्रणी वित्तीय सेवा क्षेत्र को एक साथ लेकर आता है l कल लन्दन में आयोजित तृतीय ग्रीन फाइनेंस समिट में घोषणा करते हुए, कोषागार एवं शहरी मंत्री के आर्थिक सचिव; जॉन ग्लेन ने तर्क दिया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय सेवाओं की भूमिका किसी भी अन्य क्षेत्र की भूमिका से ज़्यादा रहेगी l

पिछले हफ्ते, यूके 2050 तक उत्सर्जन को बिल्कुल शून्य स्तर पर लाने के लिए कानून बनाने वाला जी7 का पहला देश बन गया है l यूके ने दिखाया है कि पर्यावरण अनुकूल बनने से उत्सर्जनों को 42% तक घटाकर, जबकि अर्थतंत्र में 72% तक की वृद्धि करके विजय प्राप्त किया जा सकता है, इस उपलब्धि ने देश को जी7 में सबसे शक्तिशाली खिलाड़ी बना दिया है l इसके अतिरिक्त, यूके की सरकार ने जलवायु पर सहयोगपूर्वक कदम उठाने के लिए अन्य राष्ट्रों को प्रोत्साहित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पूंजी पर कम से कम 5.8 बिलियन पौंड खर्च करने की प्रतिबद्धता दिखाई है l यह 3.87 बिलियन पौंड के अतिरिक्त है जिसे यूके ने 2011 और 2015 के बीच जलवायु गतिविधियों पर खर्च किया था l

शिखर बैठक में यूके सरकार और सिटी ऑफ़ लन्दन कारपोरेशन द्वारा सह-वित्तपोषित, पर्यावरण वित्त संस्थान का शुभारम्भ भी किया गया l क्यूंकि दुनिया स्वच्छ एवं दीर्घस्थायी आर्थिक विकास की ओर जाने का मार्ग देख रही है, इसलिए यह संस्थान पूरे विश्व में दीर्घस्थायी परियोजनाओं के लिए पूंजी को गतिशीलता प्रदान करने के लिए नए अवसरों का निर्माण करेगा और भारत सहित, अन्य देशों के साथ लन्दन के पर्यावरण पूंजी के साझेदारों का नेतृत्व करेगा l पर्यावरण पूंजी नीति सामूहिक कार्यवाही करने के लिए एक माँग भी है जो यह निर्धारित करता है कि यूके आकस्मिक और व्यापक प्रभाव डालने वाले आवश्यक परिवर्तन के लिए उद्योगों, नियामकों, शिक्षण संस्थानों और भारत जैसे अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ कैसे कार्य करेगा l यूके और भारत जलवायु परिवर्तन सहित, वैश्विक चुनौतियों पर संघर्ष का नेतृत्व करने के लिए पहले से ही साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं l पूंजी की वैश्विक गृहस्थली के रूप में, लन्दन पर्यावरण वित्तपोषण तक पहुँच बनाने की मंशा रखने वाले भारतीय संगठनों का स्वागत करता है l भारतीय बांड को जारी करने वालों ने पिछले ढाई वर्षों के दौरान ग्रीन बॉन्डों के माध्यम से लन्दन स्टॉक एक्सचेंज में 1.5 बिलियन पौंड के एक कोष का निर्माण किया है l यह कोष इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) के रिकॉर्ड तोड़ 216 बिलियन पौंड ग्रीन मसाला बांड के सहित जोड़ा गया है | यूके और भारतीय सरकार ने ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फण्ड भी स्थापित किया है जो भारत में हरित और नवीनीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने के लिए संस्थागत निवेशकों से पूंजी एकत्रित करने की अपेक्षा रखते हैं l मैंशन हाउस में 16 जुलाई को यूके सरकार और सिटी ऑफ़ लन्दन कारपोरेशन द्वारा आयोजित लैंडमार्क इंडिया डे के अवसर पर भारत के आधारिक संरचना निवेश की आवश्यकताओं के लिए पूंजी एकत्रित करने हेतु पर्यावरण वित्त को उपयोग में लाना एक केन्द्रीय विषयवस्तु होगा l

कोषागार और शहरी मंत्री के आर्थिक सचिव; जॉन ग्लेन ने कहा:

यूके के पास जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीकों को नेतृत्व करने का एक लम्बा इतिहास है, परन्तु हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपने ग्रह को सुरक्षित करने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है l लन्दन शहर zको हम सभी के अधिक हरे-भरे भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है l दीर्घस्थायी परियोजनाओं में अधिक निवेश के द्वारा यह ना केवल हमारे पर्यावरण को सुरक्षित करता है, बल्कि लन्दन को पर्यावरण वित्त के प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी सहायता प्रदान करता है l आज की पर्यावरण वित्त नीति, पर्यावरण उपक्रमों के लिए वित्तपोषण में वृद्धि करने हेतु, नए क़दमों के साथ इस आकांक्षा का समर्थन करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि पर्यावरण सभी वित्तीय निर्णय निर्धारणों के केंद्र में स्थित हो l

ब्रिटिश हाई कमीशन, नई दिल्ली में आर्थिक परामर्शदाता; नेटली टॉम्स ने कहा:

पर्यावरण पूंजी नीति जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए घरेलू स्तर पर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यूके द्वारा उठाये जा रहे क़दमों; भारत के साथ साझेदारी सहित, की लम्बी सूची में एक और स्वागतयोग्य वृद्धि है l यूके और भारत, दोनों साथ मिलकर नवीनीकरणीय ऊर्जा से लेकर जलवायु प्रतिरोध तक के विषयों पर सदैव के लिए एक संयुक्त बल के रूप में कार्य कर रहे हैं l मैं इस बात से प्रसन्न हूँ कि नयी ग्रीन फाइनेंस इंस्टिट्यूट लन्दन में पर्यावरण पूंजी एकत्रित करने के लिए भारतीय संगठनों को और भी अधिक अवसरों का निर्माण करने में सहायता प्रदान करेगा l

संपादकों के लिए:

  • पर्यावरण वित्त नीति यहाँ पर ऑनलाइन उपलब्ध है l
  • पर्यावरण वित्त के विकास को समर्थन देने के लिए अन्य घोषणाओं इस प्रकार है: * वित्तीय सेवाओं से सम्बंधित योग्यताओं और प्रमाण-पत्रों को सुनिश्चित करने के लिए ग्रीन फाइनेंस एजुकेशन चार्टर के शुभारम्भ में सम्मिलित है, पर्यावरण वित्त को अपनाने वालों की जानकारी और समझदारी को विकसित करना, ताकि उनके पास इसे अपनाने के साधन उपलब्ध हो l
    • यूएन के जलवायु शिखर बैठक जैसे मंचों के माध्यम से अधिक कार्य करने के लिए अन्य देशों को प्रोत्साहित करते हुए पर्यावरण वित्त में एक अग्रणी वैश्विक भूमिका निभाना और यह सुनिश्चित करना कि यूके से प्राप्त अनुदान के खर्चे को पेरिस समझौते के जलवायु उद्देश्यों के साथ सम्मिलित किया गया है l
    • पिछले महीने, यूके ने इटली के साथ साझेदारी में जलवायु पर समझौता करने के लिए सीओपी26 की मेजबानी करने हेतु अपने निविदा की घोषणा की थी l
  • यूके शुद्ध शून्य उत्सर्जन कानून को पारित करने वाला पहला मुख्य अर्थतंत्र है l

  • यूके और भारत के बीच जारी पर्यावरण वित्त और जलवायु पहलकदमी के उदाहरणों में सम्मिलित है: * यूके और भारतीय सरकार ने भारत में नवीनीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, अपशिष्ट प्रबंधन और उभरते हुए पर्यावरण प्रोद्योगिकियों में निवेश के लिए ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फण्ड (जीजीईएफ) में 240 मिलियन पौंड की नींव पूंजी के प्रति भी प्रतिबद्ध जताया है l इस कोष ने हाल ही में अयाना नवीनीकरणीय विद्युत् में अपना पहला निवेश किया है जो 500 मेगावाट के सौर उत्पादन की क्षमता को विकसित कर रहा है l जीजीईएफ अपने पूंजीगत व्यवसाय को 500एम पौंड तक ले जाने के लिए संस्थागत निवेशकों से अतिरिक्त पूंजी एकत्रित करने की मंशा रखता है
    • पर्यावरण वित्त पर निजी क्षेत्र के नेतृत्व में भारत-यूके मंच, भारत के फिक्की और यूके के सिटी ऑफ़ लन्दन कारपोरेशन के समन्वय से l

    • जून माह में यूके की यात्रा करने वाले भारतीय विशेषज्ञों के एक प्रतिनिधिमंडल और इस माह मुंबई, पुणे, हैदराबाद और नई दिल्ली की यात्रा करने वाले गतिशीलता विशेषज्ञों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ, विद्युतीय गतिशीलता पर जानकारी को साझा करना l

    • संयुक्त यूके-भारत स्वच्छ ऊर्जा केंद्र (जूस) – यूके अनुसन्धान एवं नवोन्मेष के अभियांत्रिकी और भौतिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद् और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित l

    • अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग के जलवायु प्रतिरोध शक्ति विकास का अवस्थापना कार्यक्रम, मनरेगा अवस्थापना और जलवायु निरोधक चयनित एनआरएम अवस्थापना के जलवायु अनुकूल नियोजन को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार में सरकारी विभाग के साथ मिलकर कार्य कर रहा है l

सैली हेडली, कम्युनिकेशन प्रमुख
प्रेस एवं कम्युनिकेशन्स, ब्रिटिश हाई कमीशन
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021
टेलीफोन: 24192100, फैक्स: 23192400

प्रकाशित 3 July 2019