विश्व की समाचार कथा

जलवायु परिवर्तन की वृहत् तस्वीर पर एक नजर

यूके मेट ऑफिस (मौसम कार्यालय) आइपीसीसी मूल्यांकन रिपोर्ट का प्रमुख योगदानकर्ता है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
melting ice

हम एक परिवर्तनशील विश्व में रहते हैं। आंकड़े के अनुसार वर्ष 2012 दस सबसे गर्म वर्षों में एक रहा। यह प्रवृत्ति जलवायु परिवर्तन के लिहाज से आगे भी जारी है। चूंकि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता जा रहा है, तो ऐसे में ये परिवर्तन केवल वैश्विक तापन तक सीमित नहीं हैं। एक वृहत् तस्वीर को देखने से समुद्र तल में वृद्धि, आर्कटिक सागर के बर्फ के पिघलने तथा हिम के क्षेत्र में कमी होने की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।

इन सभी साक्ष्यों पर कोई विवाद नहीं हो सकता है। भूमि अधारित स्टेशनों तथा समुद्री स्थलों तथा अंतर्राष्ट्रीय उपग्रहों से जलवायु प्रणाली पर भेजी गई तस्वीरों से इस ग्रह के तापन का पता चलता है। इसका मूल कारण साफ है: कार्बन डाइऑक्साइड विकिरण को रोकता है और इससे यह ग्रह गर्म होता जा रहा है। यदि हम वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ाते हैं तो इसका तापमान भी बढ़ेगा तथा अधिक गर्म होती धरती हमारे रहने में काफी गहरी चुनौती बन जाएगी।

वर्ष 2012 तथा पुनः इस साल दुनिया के कई हिस्से कठिन प्राकृतिक घटनाओं के चपेट में आए, जिनमें मुख्य तापलहरें, सूखा तथा दावानल से लकर अत्यंधिक ठंड, बहुत अधिक वर्षा तथा बाढ़ की घटनाएं शामिल हैं। इनके चपेट में आकर लाखों लोगों की जानें गईं, करोड़ों लोग प्रभावित हुए तथा अरबों रुपयों का नुकसान हुआ।
ब्रिटेन तथा अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा एक शोधपत्र में यह संकेत किया गया है कि इन घटनाओं के पीछे जलवायु पर पड़ने वाले मानवीय प्रभावों का हाथ है। उदाहरण के लिए इस शोधपत्र में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वर्ष 2012 में अमेरिका में कई बार अत्यधिक गर्मी अनुभव किया गया, जो मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के परिणाम के रूप में पहले से चार गुना अधिक था। साथ ही जलवायु परिवर्तन ने मार्च तथा मई के बीच पूर्वी अमेरिका में 35% का योगदान दिया।

यह भी रेखांकित किया गया है कि सैंडी तूफान जैसे तटीय चक्रवातों का खतरा बढ़ गया है, जिसने यूएस ईस्ट कोस्ट पर 16 ऐतिहासिक तूफानी ज्वारों के स्तरों को परिवर्तित किया है। जलवायु परिवर्तन से समुद्र के जलस्तर में होने वाली वृद्धि से वर्ष 1950 की तुलना में आज सैंडी स्तर की वार्षिक बाढ़ की संभावना लगभग दुगनी हो चुकी है। चूंकि समुद्र तल में वृद्धि होती ही जा रही है, तटीय समुदायों को न केवल सैंडी जैसे भयानक तूफानों का संकट बना रहता है, बल्कि कम तीव्रता तथा कम प्रभाव वाले तूफानों से भी इन्हें खतरा बना रहता है।

हालांकि इस पत्र के लेखक विनाशकारी प्राकृतिक घटनाओं के पीछे मानव प्रभावों के मामलों को बढ़ा-चढ़ाकर न कहने में खासे सावधान हैं, खासकर वे प्रभाव जो अत्यधिक वर्षा से जुड़े हैं। पर स्पष्ट बात यह है कि जलवायु परिवर्तन से हमें पहले ही नुकसान हो चुका है और जब बढ़ती जनसंख्या तथा शहरीकरण की बात आती है तो क्षेत्रीय तथा वैश्विक ऊर्जा, खाद्य, जल तथा स्वास्थ्य सुरक्षा पर इसका काफी बड़ा खतरा माना जा रहा है।

जलवायु प्रणाली काफी जटिल प्रणाली होती है तथा इसमें हैरानी की बात नहीं है कि ज्यों-ज्यों इसके प्रति हमारी समझ में इजाफा हो रहा है, जलवायु वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों पर नए दृष्टिकोण पेश करेंगे।

बारीकियों पर विचार करना तथा आलोचना करना प्रायः काफी आसान होता है। इस बड़ी तस्वीर को ध्यान में न रखना कि दुनिया बदल रही है और हम इसमें भूमिका निभा रहे हैं, खतरनाक साबित हो सकता है।

अधिक जानकारी:

जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में एक वैश्विक लीडर के रूप में यूके मेट ऑफिस जलवायु परिवर्तन पर बने अंतरसरकारी पैनल में एक अहम भूमिका निभाता है। मेट ऑफिस के सात वैज्ञानिक प्रमुख भूमिका निभा रहे या प्रमुख लेखकों के साथ संयोजन कर रहे हैं, जहां कई सारे अन्य मेट ऑफिस वैज्ञानिक अन्य भूमिका निभाने वाले लेखकों के रूप में कार्य कर रहे हैं।

प्रकाशित 26 September 2013