धारणीय आपूर्ति नेटवर्क विकसित करने के लिए संयुक्त ब्रिटिश-भारतीय शोध कार्यक्रम का शुभारंभ
विश्वस्तरीय धारणीय आपूर्ति नेटवर्क के विकास पर केंद्रित एक कार्यक्रम के शुभारंभ हेतु 9 अप्रैल को दिल्ली में ब्रिटेन और भारत के शोध-सहभागियों ने मुलाकात की।

कैंब्रिज इंस्टिट्यूट ऑफ मैन्यूफैक्चरिंग (आइएफएम), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, रोपड़, तथा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैंनेजमेंट, लखनऊ के संयुक्त शोध-दल ने निरंतर (धारणीय) आपूर्ति श्रृंखला कार्यक्रम पर केंद्रित एक कार्यशाला में भाग लिया, जिसे ब्रिटेन के इंजीनियरिंग एंड फिजिकल साइंस रिसर्च काउंसिल (ईपीएसआरसी) तथा डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी (डीएसटी) द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त है।
30 से अधिक प्रतिभागियों, जिनमें वरिष्ठ नीतिनिर्माता, उद्योगपति तथा विद्वान शामिल थे, ने लक्ष्यों तथा दृष्टिकोणों (उपागमों) पर चर्चा की, महत्वपूर्ण संस्थागत पेशेवरों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया और उन चुनौतियों के समाधान की तलाश की जो सामने उपस्थित हैं। इनमें चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों के औद्योगिक परिप्रेक्ष्य में निरंतरता (धारणीयता) से संबधित चुनौतियां सम्मिलित हैं – अंतरिक्ष संबंधी प्रौद्योगिकी, वाहन, खाद्य-पदार्थ तथा औषधि- निर्माण।
आईएफएम के प्रमुख प्रो. सर माइक ग्रेगरी ने कहा:
यह नया ईपीएसआरसी-डीएसटी परियोजना का लोकार्पण उस प्रारंभ का संकेत है, जो मुझे यकीन है कि आधुनिक उद्यमों के इस विस्तृत क्षेत्र में ब्रिटेन तथा भारत की सुदीर्ध और रचनात्मक सहभागिता सिद्ध होगी। दीर्घावधि धारणीयता-प्रक्रिया की आवश्यकताओं के साथ आपूर्ति श्रृंखलाओं की कुशलता को संबद्ध करने से दोनों प्रकार की- नई तथा स्थापित कंपनियों के लिए मूलभूत क्षमताएं उपलब्ध होंगी।
डॉ. जगजीत सिंह स्राइ, आइएफएम के सेंटर फॉर इंटरनेशनल मैन्युफैक्चरिंग के प्रमुख ने कहा:
अग्रणी कंपनियों ने अब यह स्वीकार कर लिया है कि उनके उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला की औद्योगिक धारणीयता, (स्रोत-पदार्थों की उपलब्धता से अंतिम उपभोक्ता की उपभोग- आदतों तक), का प्रभाव उनके उत्पादों के भविष्य की डिजाइनों के रणनैतिक विवेचन, उत्पादन-प्रक्रिया और अंतर्राष्ट्रीय उत्पादन प्रक्रिया के स्थानीयकरण पर पड़ेगा”।
शुभारंभ कार्यशाला में उन नई विधियों के अन्वेषण की आवश्यकताओं को रेखांकित किया गया जो संसाधनों की दक्षता- ऊर्जा, कच्चे पदार्थ तथा पानी, तथा अपशिष्ट न्यूनीकरण- विभिन्न औद्योगिक तथा राष्ट्रीय संदर्भों में उत्पाद आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्विन्यास को प्रभावित करेंगे। कार्यशाला के पश्चात, भारत तथा ब्रिटेन के सरकारी, एजेंसी तथा औद्योगिक प्रतिनिधियों के समूह ने आइएफएम तथा ब्रिटिश साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क द्वारा आयोजित भारत-ब्रिटेन विनिर्माण नीति गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
आगे की जानकारी
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द इंस्टिट्यूट फॉर मैन्युफैक्चरिंग (आइएफएम), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एक भाग है, जो प्रबंधन, तकनीक तथा नीति के क्षेत्र में विशेषज्ञता उपलब्ध कराता है, जो इन मुद्दों की विस्तृत श्रेणी से संबंधित हैं और जो सरकारों तथा उद्योगों को धारणीय आर्थिक संवृद्धि निर्मित करने में सहायक हो सकते हैं।
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मीडिया प्रश्नों के लिए जॉन डाउनिंग, मार्केटिंग एंड कम्यूनिकेशन ऑफिसर, आइएफएम एडुकेशन एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज से संपर्क करें।