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जल परिशोधन की अभिनव तकनीक का प्रदर्शन

ब्रिटिश हाइड्रो इंडस्ट्रीज की सहभागिता में बेंगलुरु के एक्वाप्युरम ने जल परिशोधन की एक अभिनव तकनीक प्रस्तुत की।

यह 2015 to 2016 Cameron Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
UKTI

यह लॉन्च आज दिल्ली में हुआ। इलेक्ट्रो कॉग्युलेशन तकनीक पर आधारित एक्वाप्युरम के सॉल्यूशन नलकूप या सतह जल को कुछ ही मिनटों में पेयजल के रूप में परिणत करने में सक्षम है।

इस अवसर पर कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, एस्टेट प्रबंधक और जल परिशोधन और पुनरुत्पादन के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ मौजूद थे।

यूके ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट (यूकेटीआई) के भारत में निदेशक सेंट जॉन गोड ने लॉन्च के अवसर पर कहा:

इस सहभागिता के जरिए हम भारत में सर्वोत्तम ब्रिटिश प्रौद्योगिकी और आविष्कार लाकर बड़े खुश हैं। यूकेटीआई हमेशा ही ब्रिटेन और भारत के बीच साझेदारी के अवसर तलाशता है, जिससे दोनों देशों को फायदा हो। भारत में करोड़ों लोगों तक सुरक्षित पेयजल पहुंचाने के अभियान में यदि हमें अपनी भूमिका निभाने का मौका मिले तो हमें बड़ी खुशी होगी।

इस अवसर पर हाइड्रो इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष डेविड पिकरिंग ने कहा:

हाइड्रो- जो कि वेल्स का एक सर्वाधिक विकासशील कंपनी है – जल परिशोधन के क्षेत्र की अग्रणी कंपनी है और हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि एक्वाप्युरम के जरिए हम भारत में अपशिष्ट जल परिशोधन की बढ़ती मांग को पूरा कर पाएंगे।

बेंगलुरु के आवासीय सोसाइटी रोहन अशिमा में एक्वाप्युरम ने सफलतापूर्वक अपनी मशीन – EC 100 – की सफलतापूर्वक संस्थापना की है। इस प्रणाली को मुख्य टैंक के साथ जोड़ा गया है, जो पूरे समुदाय को जल की आपूर्ति करता है, जहां के निवासी पानी इस पानी का इस्तेमाल नहाने, खाना पकाने, सफाई और पीने जैसे सामान्य उद्देश्यों के लिए करते हैं। यह जानकर कि उनके घर में नल से आने वाला पानी पेयजल स्तर का है कुछ निवासियों ने अपनी रसोई से वाटर प्यूरीफायर हटा लिए हैं।

निवासियों ने यह भी पाया कि कर्नाटक के भौम जल की गुणवत्ता और संसाधन के लिहाज से पहले के नलकूप के गैर शोधित कठोर जल की तुलना में यह उपचारित जल अत्यंत श्रेष्ठ गुणवत्ता का है।

आगे की जानकारी:

एक्वाप्युरम दो ब्रिटिश कंपनियों इंटेलिजेंट एनर्जी और हाइड्रो इंडस्ट्रीज का संयुक्त उपक्रम है। एक्वाप्युरम द्वारा लगाई गई जल उपचार की प्रणाली के तहत भारत में पेयजल उद्योग हेतु एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसका नाम है: इलेक्ट्रो-कोग्युलेशन (ईसी)। ईसी एक स्वच्छ तकनीक है जिससे रसायन और जैविक हस्तक्षेप की आवश्यकता घट जाती है और कुछ मामलों में तो इनकी आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं रह जाती।

यह तकनीक अनुपचारित इलेक्ट्रोड के जल में घुले हुए आवेशित कणों पर आधारित है जो अशुद्धि के मुक्त कणों को आपस में बांध देता है। यह होने के बाद पानी के अंदर से अशुद्धियों को तेजी से और सुरक्षित तरीके से हटाया जा सकता है, पानी शुद्ध पेयजल के रूप में आ जाता है। यह प्रक्रिया तेज गति वाली होती है, जल की बड़ी मात्रा पर इसे अपनाया जा सकता है और शोधन संयंत्र के लिए बहुत कम जगह की आवश्यकता होती है साथ ही रखरखाव भी न्यूनतम होता है। इसमें कोई अपशिष्ट नहीं बनता।

स्टुअर्ट ऐडम, प्रमुख,
प्रेस और संचार
ब्रिटिश उच्चायोग,
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली- 110021
टेलीफोन: 44192100; फैक्स: 24192411

मेल करें: अंशुमन अत्रोलेय

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प्रकाशित 29 फरवरी 2016