विश्व की समाचार कथा

न्यूटन फंड के प्रथम ब्रिटिश-भारतीय आमंत्रण की शुरुआत

न्यूटन फंड के एक भाग के रूप में, एमआरसी तथा डीबीटी ब्रिटेन और भारत के मध्य उत्कृष्ट शोध सहभागिता को और भी सुदृढ़ करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
UK and India Flags

ब्रिटेन की मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) तथा भारत के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) साथ-साथ ब्रिटिश भारत संयुक्त केंद्र सहभागिता आमंत्रण हेतु प्रस्ताव आमंत्रित करते हैं। यह ब्रिटेन तथा भारत के मध्य संयुक्त शोध हेतु हाल में, अप्रैल 2014 में घोषित न्यूटन फंड के अंतर्गत प्रथम आह्वान (कॉल) है।

न्यूटन फंड के भाग के रूप में, इस प्रोग्राम के अंतर्गत एमआरसी तथा डीबीटी भारत तथा ब्रिटेन के मध्य विशिष्ट शोध सहभागिता को और सुदृढ़ करने के लिए काम कर रहे हैं।

एमआरसी इस प्रोग्राम के लिए 35 लाख पाउंड तक का प्रावधान करने जा रहा है, जो डीबीटी द्वारा भी आवंटित होगा। इस प्रोग्राम को तीन वर्ष की अवधि के लिए तीन सहभागिताओं तक वित्तीय प्रावधान मिलने की अपेक्षा है।

पिछले पांच वर्षों में भारत और ब्रिटेन के बीच शोध सहयोग के विषय और क्षेत्रों में अत्यधिक विस्तार हुआ है, इस घोषणा से वर्तमान सहभागिता में और वृद्धि होगी तथा दोनों देशों के बीच एमआरसी तथा डीबीटी द्वारा वित्तपोषित शोधकर्ताओं की गतिशीलता और परस्पर आदान-प्रदान को प्रोत्साहन मिलेगा।

इस प्रोग्राम की इस वैज्ञानिक छूट (आर्थिक सहायता) के तहत निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कैंसर बायोलॉजी
  • न्यूरोसाइंस में ट्रांसलेशनल रीजेनेरेटिव दवाएं
  • एंटीबॉडीज के लिए विशेष रूप से प्रतिरोधी एंटीमाइक्रोबियल रिजिस्टेंस

आरसीयूके इंडिया के उपनिदेशक और इस संयुक्त उपक्रम का नेतृत्व करने वाली सुकन्या कुमार-सिन्हा ने कहा:

एमआरसी तथा डीबीटी अपने समुदायों के भीतर शोध तथा विकास के लिए प्रेरित हैं। इस प्रथम संयुक्त उद्यम का लक्ष्य ब्रिटेन और भारत के मेडिकल शोध समुदायों के बीच परस्पर रणनीतिक हितों के क्षेत्रों में अकादमिक सहयोग को मजबूत करना है। यह ब्रिटेन द्वारा हाल में प्रारंभ किए गए न्यूटन फंड के अंतर्गत घोषित किया जानेवाला प्रथम ब्रिटिश-भारतीय प्रयास भी है।

यह आमंत्रण प्राथमिक रूप से संधारणीय शोध सहभागिता को प्रोत्साहित तथा विकसित करने पर केंद्रित है, तथा यह वर्तमान वित्तपोषित शोध गतिविधियों तक भी विस्तारित होगा। इस प्रयास के अंतर्गत गतिविधियों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • उपर्युक्त उल्लिखित तीन क्षेत्रों में किसी एक क्षेत्र के सहभागी केंद्रों पर शोधकर्ताओं के बीच संयुक्त शोध प्रॉजेक्ट
  • प्रयोगशाला आदान-प्रदान, संक्षिप्त तथा दीर्घावधि भ्रमण सहित, पीएचडी छात्रों, पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ताओं तथा विजिटिंग सदस्यों का आदान-प्रदान।
  • सहभागी केंद्रों पर मुख्य संसाधनों की साझेदारी सक्षमता प्रदान करना
  • संपर्क मजबूत करने के लिए विस्तृत गतिविधियों को प्रोत्साहन, उदाहरणस्वरूप परिचर्चाओं, कार्यशालाओं, सेमिनारों और बैठकों का आयोजन करना।

29 सितंबर 2014 को आह्वान का समापन।

आह्वान के अन्य विवरणों तथा निर्देशों के लिए कृपया यहां देखें

आगे की जानकारी

  • और अधिक जानकारी के लिए कृपया जिनि जॉर्ज को ई-मेल करें या 011 2419 2637 पर संपर्क करें।

  • न्यूटन फंड: यह एक नया प्रयास है, जिसका लक्ष्य ब्रिटेन तथा भविष्य की सूचना अर्थव्यवस्थाओं के बीच शोध तथा अन्वेषण सहभागिता को मजबूत करना है। इसे चांसलर द्वारा अप्रैल 2014 में प्रारंभ किया गया, और इसे पांच वर्षों की पूर्ण अवधि तक 37.5 करोड़ पाउंड का वित्तपोषण प्रदान किया जाएगा। कृपया सरकार का न्यूटन फंड पॉलिसी पेपर देखें, जहां आप इस कोष का विवरण, ब्रिटेन के प्रदाता सहयोगी, विदेशी सहभागी तथा सहयोगी गतिविधियों का वर्णन हासिल कर सकते हैं।

  • मेडिकल रिसर्च काउंसिल: एमआरसी ब्रिटेन के सात शोध परिषदों में एक है जो मेडिकल शोध कार्यक्रमों के वित्तपोषण तथा संयोजन सहयोग हेतु उत्तरदायी हैं। एमआरसी उच्च-प्रभावी शोध पर केंद्रित है तथा इसके द्वारा एक बड़ी संख्या में चिकित्सा क्षेत्र के महत्वपूर्ण खोजों के लिए वित्तीय समर्थन तथा वैज्ञानिक विशेषज्ञताएं उपलब्ध करायी गई हैं।

  • डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी: विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) भारत में आधुनिक बायोलॉजी तथा बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विकास को एक नई दिशा प्रदान करता है। डीबीटी ने भारत में बायोटेक्नोलॉजी के विकास की रफ्तार को समर्थन और सहयोग प्रदान किया है और यह ब्रिटेन तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों का एक मुख्य सहभागी है। डीबीटी ने कृषि, स्वास्थ्य रक्षा, पशुविज्ञान, पर्यावरण तथा उद्योग के विस्तृत क्षेत्रों में बायोटेक्नोलॉजी के विकास तथा उपयोग में विशिष्ट प्रगति की है।

  • रिसर्च काउंसिल्स यूके इंडिया: रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) इंडिया, जिसे 2008 में प्रारंभ किया गया, उच्चस्तरीय गुणवत्ता के उच्च-प्रभावी शोध सहभागिता के माध्यम से ब्रिटेन और भारत के श्रेष्ठ शोधकर्ताओं को एकसाथ लाता है। नई दिल्ली के ब्रिटिश उच्चायोग में स्थित आरसीयूके इंडिया ने भारत, ब्रिटेन तथा तृतीय पक्षों के बीच सहवित्तीय प्रयास प्रारंभ किए हैं, जो लगभग 15 करोड़ पाउंड तक बढ़ा है। शोध सहभागी प्रायः ब्रिटेन तथा भारत के औद्योगिक सहयोगियों के साथ गहराई से संयुक्त हैं, जिनमें 90 से ज्यादा सहभागी शोध कार्यक्रमों में शामिल हैं। आरसीयूके इंडिया सात प्रमुख भारतीय शोध वित्तपोषकों के साथ सहभागी-वित्तपोषित शोध कार्यों में विस्तृत क्षेत्रीय शोध विषयों पर सक्रिय रूप से शामिल है जो ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक विषयों, स्वास्थ्य तथा जीवन विज्ञान जैसे विषयों पर वैश्विक चुनौतियों पर केंद्रित हैं।

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प्रकाशित 30 July 2014