विश्व की समाचार कथा

प्रमुख ब्रिटिश मुस्लिमों का शिष्टमंडल भारत की यात्रा पर

विशिष्ट ब्रिटिश मुस्लिमों का एक शिष्टमंडल 9-15 दिसम्बर 2013 तक सूरत, वडोदरा, नई दिल्ली, देवबंद तथा अलीगढ़ की यात्रा पर आ रहा है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

यह शिष्टमंडल सामाजिक, शैक्षिक तथा राजनैतिक क्षेत्रों के प्रमुख प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा ताकि भारत में मुस्लिमों के प्रमुख सरोकारों को समझा जा सके। साथ ही इस यात्रा से ब्रिटेन में इस्लाम की एक वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी। यह शिष्टमंडल ब्रिटिश तथा भारतीय मुसलमानों के आपसी भरोसे, एकीकरण तथा सामुदायिक मुद्दों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी।

सूरत और वडोदरा में यह शिष्टमंडल विभिन्न शिक्षण संस्थानों में छात्रों, युवाओं तथा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से मुलाकात करेगा। नई दिल्ली में यह राष्ट्रीय महिला आयोग तथा राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना फाउंडेशन के प्रतिनिधियों से मिलेगा और एएमयू, अलीगढ़ में संवाद सत्र में छात्रों तथा युवाओं के साथ बातचीत करके के अलावा साथ ही दारुल उलूम, देवबंद की भी यात्रा करेगा।

भारत के लिए प्रस्थान करने से पहले शिष्टमंडल के एक सदस्य श्री युसूफ इब्राहिम आकुडी ने कहा:

भारत जैसे एक गतिशील राष्ट्र की यात्रा करने का मुझे गर्व और रोमांच अनुभव हो रहा है। मैं भारत के मुस्लिमों के जीवन तथा आकांक्षाओं को बारीकी से देखूंगा। मुझे आशा है कि इस यात्रा से भारत-ब्रिटेन की आपसी संस्कृतियों की समझ बढ़ेगी और हम एक सकारात्मक आलोक में एक-दूसरे की सराहना कर सकेंगे।

अधिक जानकारी

  • यह शिष्टमंडल 9-11 दिसम्बर को गुजरात के सूरत और वडोदरा की यात्रा करेगा । इस कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने तथा मीडिया पूछताछ के विवरण के लिए कृपया असद मिर्जा के मोबाइल फोन पर 9810113775. संपर्क करें।
  • शिष्टमंडल 12 दिसम्बर को नई दिल्ली तथा 13-15 दिसम्बर को देवबंद तथा अलीगढ़ की यात्रा करेगा। इस कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने तथा मीडिया पूछताछ के विवरण के लिए कृपया उपेंद्र सिंह, मोबाइल-9871423233 या दीप्ति सोनी व असद मिर्जा के मोबाइल फोन पर 9810113775. संपर्क करें।

शिष्टमंडल के सदस्यों की संक्षिप्त जीवनी:

  • युसूफ इब्राहिम आकुडी मुस्लिम इमाम की पहली पीढ़ी से हैं और उनकी शिक्षा यूके में हुई। उन्होंने 1997 में स्नातक की डिग्री हासिल की और तब से कई स्थानीय तथा राष्ट्रीय परियोजनाओं में शामिल हैं। युसूफ शादी-शुदा हैं और उनके तीन बच्चे हैं।

पिछले दस वर्षों से युसूफ एक मुफ्ती तथा इस्लामिक ट्रिब्युनल (शरिया काउंसिल) के एक बोर्ड सदस्य के रूप में कार्यरत है तथा पैनल को परामर्श देते रहे हैं और साथ ही इस्लामिक कानून पर चर्चा करते हैं। वे स्थानीय मदरसा (इस्लामिक स्कूल) में पढ़ाते भी रहे हैं, जहां वे पाठ्यक्रम, नियमन, बाल कल्याण तथा स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे कार्यों में शामिल रहे। साथ ही इन्होंने कई बार रिपोर्ट तैयार की, अभिभावक समूहों, समितियों के साथ संपर्क स्थापित किया और अन्य मदरसाओं की जांच भी संपन्न की।

पिछले चार वर्षों से युसूफ एक मुस्लिम इमाम के पद पर मल्टी फेथ चैप्लेंसी टीम के एक हिस्से के रूप में कार्यरत हैं, जहां वे कैदियों की आवश्यकताओं, पुनर्वास तथा टीम को उग्रवादी तथा कट्टर व्यवहार से निपटने में मदद प्रदान कर रहे हैं।

युसूफ ने इस्लाम पर कई आलेख लिखे हैं और वे इस्लाम तथा मुस्लिम धर्म पर कई सेमिनारों व सम्मेलनों में नियमित रूप से भाषण देते रहे हैं। ये पिछले पांच वर्षों से यॉर्कशायर तथा हम्बर फेथ फोरम के बोर्ड सदस्य के रूप में कार्यरत हैं तथा स्थानीय समुदायों को आस्था के साथ शामिल करने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। ये कई वर्षों से स्थानीय रूप से कई स्वयंसेवी समुदाय सेक्टर संगठनों को बढ़ावा देते रहे हैं। वे फेथ कम्युनिटी के बीच बेहतर समझ विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। वे बिशप ऑफ वेकफील्ड तथा पोंटीफ्रैक्ट जैसे अच्छे सहकर्मियों के साथ संवाद स्थापित करते हैं; एक दूसरे की आस्थाओं पर जागरुकता फैलाने के लिए मुस्लिम तथा ईसाई सम्मेलन का आयोजन करते हैं और मुसलमानों तथा ईसाइयों समुदाय के बीच बेहतर कार्य संबंध बनाते हैं। इसके अतिरिक्त वे स्थानीय गिरजाघरों पर विविध समुदायों से पड़ने वाले मुद्दों पर सहायता प्रदान करते हैं।

उन्होंने अरबी भाषा, कुरान की व्याख्या, इस्लामिक अर्थव्यवस्था, समाजशास्त्र, कानून तथा इस्लामिक एथिक्स का अध्ययन किया है। वे तीन दक्षिण एशियाई भाषा (गुजराती, हिंदी तथा उर्दू) में धाराप्रवाह बातचीत कर सकते हैं, साथ उन्हें पंजाबी भाषा का भी थोड़ा-बहुत ज्ञान है। वे अरबी, उर्दू तथा अंग्रेजी में धाराप्रवाह लिख सकते हैं।

  • डॉ. अब्दुल बशीद शेख यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स में इस्लामिक स्टडीज तथा कम्पेरेटिव रिलिजन के प्रोफेसर हैं। उन्होंने हाल ही में अंतर्स्नातक छात्रों को अरबी तथा इस्लामिक सभ्यता में एक परिचयात्मक मॉड्यूल की शिक्षा दी है। डॉ. शेख इस विश्वविद्यालय में लाइफलॉन्ग लर्निंग सेंटर की ओर से कुरान तथा हदीस, इस्लामिक कानून, अब्राहमिक फेथ पर इस्लामिक स्टडीज मॉड्यूल की भी शिक्षा देते हैं। अब्दुल बशीद लीड्स तथा ब्रैडफोर्ड के समुदायों को इन पाठ्यक्रमों की शिक्षा देते हैं। उनका उद्देश्य छात्रों को परिपक्व बनाना तथा वंचित समुदाय के लोगों, खासकर स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों को उच्च शिक्षा की मुख्य धारा में लाना है।

अब्दुल बशीद का जन्म बेट्ली, वेस्ट यॉर्कशायर में वर्ष 1978 में हुआ। गौरतलब है कि यह ऐसा शहर हैं जहां बड़ी तादाद में भारतीय मुस्लिम रहते हैं। उनके माता-पिता भारतीय मूल के मुस्लिम थे, जो भारत के गुजरात राज्य से ब्रिटेन आ बसे।

डॉ. शेख ने वर्ष 2001 में लीड्स विश्वविद्यालय में अरबी तथा इस्लामिक अध्ययन में बीए की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1998 तथा 1999 के बीच रिपब्लिक ऑफ यमन तथा किंगडम ऑफ मोरक्को में अरबी भाषा की गहन शिक्षा प्राप्त की। विदेशों में रहकर पढ़ाई करते हुए उन्हें मध्य पूर्व तथा उत्तर अफ्रीका की विरासत, संस्कृति तथा धार्मिक ताने-बाने की बहुमूल्य जानकारी मिल पाई। विदेशों में प्रवास के दौरान अब्दुल बशीद सना यमन तथा मोरक्को के फेज शहर के प्रतिष्ठित कारावियन इस्लामिक विश्वविद्यालय के प्रमुख मुस्लिम विद्वानों के धार्मिक विचारों से गहन रूप से प्रभावित हुए।

स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उसी विश्वविद्यालय में वर्ष 2004 में कुरानिक स्टडीज विषय से एमए में दाखिला लिया, जो ‘कुरान में सृजन की अवधारणा’ जैसे विषय पर केंद्रित था। अब्दुल बशीद को लीड्स यूनिवर्सिटी से वर्ष 2011 में पीएचडी की उपाधी दी गई, जहां उनका विषय अब्राहमिक फेथ्स के संदर्भ में तुलनात्मक धर्म था।

अब्दुल बशीद नॉर्थ कर्कलीस इंटर-फेथ काउंसिल तथा कर्कलीज फेथ फोरम्स और साथ ही लीड्स विश्वविद्यालय की ओर से कर्कलीस में इंटर-फेथ कार्य में प्रयासरत रहे हैं। वेस्ट यॉर्कशायर में दोनों पंथों के सामने जो चुनौतियां हैं उनपर चर्चा करने के लिए वे नियमित रूप से इमामों और पुरोहितों से मिलते रहते हैं। उन्होंने हाल ही में यहूदी, ईसाई तथा मुसलमान श्रोता समूह के सम्मुख एक भाषण दिया था, जिसका शीर्ष था ‘डायलॉग, तॉलरेंस एंड म्युचूअल अंडरस्टेंडिंग इन ज़्युडियो-क्रिश्चन एंड मुस्लिम ट्रेडिशंस ऐट द इंडिया मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी, अल-हिकमा सेंटर बैट्ली।’

एक सामुदायिक स्तर पर डॉ. शेख इंडियन मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी के मासिक प्रकाशन ‘पैगाम’ की संपादकीय समिति में शामिल हैं। इस प्रकाशन का लक्ष्य है नॉर्थ कर्कलीज़ में मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा आयोजित करना। अब्दुल बाशिद कई सालों से स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परोपकारी कार्यों के लिए धन उगाही करते रहे हैं, ताकि समाज के वंचित लोगों की मदद की जा सके।

  • डॉ मोहम्मद लिसेस्टर स्थित मुकादम मदानी हाई स्कूल के प्रिंसिपल हैं। वे एक प्रेरणादायक नेता रहे हैं, जिन्हें लगभग 30 वर्षों का शिक्षण अनुभव प्राप्त है, जिनमें से 13 वर्ष उन्होंने सरकारी तथा स्वतंत्र ब्रिटिश स्कूलों के काफी सफल प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य किया है। इन स्कूलों की कई प्रतिष्ठित लोगों ने काफी सराहना की है, जिनमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री टोनी ब्लेयर भी हैं।

वे वर्षों से अपना नज़रिया तथा नेतृत्व प्रदान करते रहे हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलती है और इससे छात्रों का विकास तो होता ही साथ ही उन्हें उपलब्धि भी हासिल होती है। शिक्षण सेवाओं में सुधार हेतु संसाधनों तथा स्टाफ के प्रबंधन का उनका एक प्रामाणित ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, जिससे छात्रों तथा शिक्षकों को अपनी क्षमता के अनुरूप उपलब्धि हासिल करने के संभावित सर्वोत्तम अवसर मुहैय्या हो पाते हैं।

वे काफी उत्साही व्यक्ति हैं तथा उनका एक नज़रिया है; उनमें रणनीति बनाने की क्षमता है, प्रोत्साहित करने और लोगों को ढालने का हुनर है, जिससे स्कूलों/समुदायों/व्यवसायों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के प्रावाधानों तथा स्थानीय विशेषज्ञता के प्रभावी विकास में मदद मिली है।

डॉ मुकादम शिक्षा से जुड़े कई सम्मेलनों तथा चर्चाओं में भाग लेते रहे हैं और वे ब्रिटेन के विद्वानों तथा फेथ लीडरों के प्रशिक्षण के लिए सरकार द्वारा गठित समीक्षा समूह के सह-अध्यक्ष रह चुके हैं। वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सरकार द्वारा गठित एक टीम के सदस्य थे, जो ब्रिटेन के परिदृश्य में मुस्लिमों के जीवन के विभिन्न आयामों पर अपना बहुमूल्य सुझाव देता है।

अतीत में वे 11 वर्षों के लिए असोसिएशन ऑफ मुस्लिम स्कूल्स यूके और एरी (एएमएसयूके) के अध्यक्ष रह चुके हैं। इस अवधि में एएमएसयूके एक बड़ी सफलता रही, जिसने सदस्य स्कूलों को विकास और प्रगति करने में मदद दी है। ब्रिटिश सरकार इसका संचालन एक प्रतिनिधि निकाय तथा मुस्लिम शिक्षा की आवाज के रूप में करती है।

डॉ. मुकादम को यात्रा करना भाता है; उनकी विदेश यात्राओं में विशेषकर शामिल हैं पश्चिमी युरोप के देश, उत्तर अमेरिका की लगभग सभी देश, यूएई, दक्षिण अफ्रीका, मोरक्को, ट्युनीशिया, सउदी अरब, भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश, नाइजीरिया, केन्या, इज्राएल तथा जॉर्डन। अपनी यात्रा से उन्हें अपने क्षितिज को विस्तार देने तथा विभिन्न पृष्ठभूमियों तथा संस्कृतियों के लोगों से मुलाकात का मौका मिला। समुदाय के मामलों में रूचि होने के कारण वे कई लोकोपकारी संगठनों के लिए धन उगाही के कार्य में हिस्सा लेते रहते हैं। उनके चार बच्चे हैं, जिनमें तीन बेटे तथा एक बेटी है। उन सभी की शिक्षा या तो पूरी हो चुकी है अथवा वे विश्वविद्यालय के अंतिम वर्षों में हैं।

प्रकाशित 9 December 2013