विश्व की समाचार कथा

डीबीटी की 30 वर्षों की उत्कृष्टता: यूके के साथ सहयोग का उत्सव

वर्ष 2008 से RCUK इंडिया ने डीबीटी तथा यूके में सहयोगी रिसर्च काउंसिल्स के बीच संयुक्त अनुसंधान के एक प्रभावी पोर्टफोलियो को सुगम बनाया है।

RCUK

डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी), विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार इसकी स्थापना के 30 वर्षों का महोत्सव मना रहा है, जो फरवरी 2016 में इसके स्थापना दिवस के 30वीं सालगिरह से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित करेगा।

उनके स्थापना दिवस के मौके पर डीबीटी का एक अहम महोत्सव कार्यक्रम था रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) इंडिया के साथ सहयोग में नेटवर्किंग ईवनिंग, जिसका गुरुवार, 19 नवम्बर 2015 को ब्रिटिश उच्चायोग में आयोजन किया गया जहां अत्यंत सफल भारत-यूके सहयोगात्मक अनुसंधान पोर्टफोलियों का प्रदर्शन किया गया।

DBT-RCUK संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम लाइफ साइंसेज, बायोटेक्नोलॉजी तथा बहु-विषयी अनुसंधान में अत्याधुनिक अनुसंधान कार्य में योगदान देते हैं, जो वैश्विक चुनौतियों- जैसे कि खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य तथा बेहतरी की समस्या से निपटते हैं।

इस सहयोग को आगे ले जाने के एक कदम के रूप में प्रो. विजय राघवन, भारत के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव तथा प्रो. जैनी ईलियट, RCUK के इंटरनेशनल लीड तथा चीफ एक्जेक्युटिव ऑफ द ईकोनोमिक एंड सोशल रिसर्च काउंसिल (ESRC), ने RCUK- DBT पत्र पत हस्ताक्षर किया, जिसके तहत जलवायु परिवर्तन तथा कृषि, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस तथा वैक्सीन के विकास पर काम किया जा सके। इस नए प्रयास की घोषणा प्रधानमंत्री श्री मोदी की यूके पिछले हफ्ते यूके यात्रा के दौरान की गई थी और इसका प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरन तथा श्री मोदी दोनों ने समर्थन किया।

इस कार्यक्रम में यूके तथा भारत के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जैसे कि प्रो. सर मार्क वालपोर्ट, युनाइटेड किंगडम सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, डॉ. आर चिदम्बरम, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार; साथ ही वरिष्ठ अनुसंधानकर्ताओं तथा नीति निर्माताओं ने शिरकत की।

प्रो. विजय राघवन ने अपने अहम संबोधन में कहा:

असाधारण वैज्ञानिकों, जैसे कि डॉ. जे सी बोस तथा सर वाल्टर रैले के बीच के सहयोग को होमी भाभा जैसी हस्तियों के नेतृत्व में संस्थान निर्माण के जरिए आगे बढ़ाया गया, जिन्हें यूके में प्रशिक्षित किया गया था। ब्रिटिश काउंसिल तथा डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैसे संगठनों के सहयोग से विनिमय कार्यक्रमों ने विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया, जिससे बड़े सहयोग कार्यक्रमों का विकास हुआ। हम उन्हीं आधारस्तंभ पर नए कार्यक्रमों के निर्माण की दिशा में बढ़ रहे हैं, जिन्हें भारत को यूके के साथ सहयोग कर अपनाना चाहिए।

प्रो. जैनी ईलियट, चीफ एक्जेक्युटिव, ईएसआरसी ने कहा:

डीबीटी की 30 सफल वर्षों के पूरा होने तथा यूके के साथ एक प्रबल व धारणीय अनुसंधान सहयोग पर बधाई! ‘

अनुसंधान तथा इनोवेशन यूके तथा भारत के बीच के सहयोग के विकास का सबसे तेज द्विपक्षीय क्षेत्र है। रिसर्च काउंसिल्स डीबीटी के साथ अनुसंधान तथा इनोवेशन पर एक दीर्घकालिक संबंध के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि हमारे दोनों देशों को फायदा पहुंचाया जाए।

उच्च गुणवत्ता वाले संयुक्त अनुसंधान यूके तथा भारत को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सशक्त बनाने के लिए नई भूमि तलाशने में मदद करता है। डीबीटी तथा आरसीयूके लाइफ साइसेंस, जीव विज्ञानों तथा जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च गुणवत्तापूर्ण सहयोगात्मक अनुसंधान पर निरंतर रूप से साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

अधिक जानकारी

  • डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT),मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भारत का एक प्रमुख संगठन है, जो देश में जीव विज्ञान के अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देता है। यह जैव-प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल को बढ़ावा देने, अनुसंधान तथा विकास तथा जीवविज्ञान में निर्माण को बढ़ावा देने, स्वायत्त संस्थानों को मदद करने, विश्व विद्यालयों को सहायता प्रदान करने तथा उद्योग गतिविधियों को बढ़ावा देने, आर एंड डी के लिए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना तथा पहचान करने, मानव संसाधन विकास के लिए समेकित कार्यक्रम चलाने, विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करने, आर एंड डी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं तथा सेल आधारित वैक्सीन के अनुप्रयो को बढ़ावा देने तथा जैव प्रौद्योगिकी से जुड़ी जानकारी के संग्रह तथा प्रसार के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।

  • रिसर्च काउंसिल्स यूके (RCUK) भारत, का आरंभ 2008 में किया गया था, जिसका लक्ष्य यूके तथा भारत के बेहतरीन अनुसंधानकर्ताओं को साथ लाना है और उनके बीच उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान सहयोगों की स्थापना करना है। आरसीयूके इंडिया, ब्रिटिश उच्चायोग, नई दिल्ली में स्थित है, जिसने यूके तथा भारत व अन्य पक्षों के बीच £200 बिलियन से अधिक के प्रयासों का सहवित्त पोषण किया है। अनुसंधान सहयोगों से यूके तथा भारतीय उद्योग के सहयोगी जुड़े हैं, जहां अनुसंधान में 90 से अधिक सहयोगी शामिल हैं। आरसीयूके इंडिया भारत के सात प्रमुख कोष प्रदाताओं के साथ सह-वित्त पोषित अनुसंधान गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल है, जो कई सारे अनुसंधान विषयों तथा वैश्विक चुनौतियों से निपटने से जुड़ा है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया जीनी जॉर्ज शाजू को मेल या कॉल करें +91 01124192637।

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प्रकाशित 20 November 2015