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COP26 के अध्यक्ष ने एतिहासिक जलवायु शिखर सम्मेलन से पहले भारत का दौरा किया

COP26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा नवंबर में ग्लासगो में महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन से पहले जलवायु कारवाई पर आगे सहयोग में चर्चा पर भारत का दौरा करेंगे।

  • श्री शर्मा भारत सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और उद्योग और नागरिक समाज के नेताओं से मिलेंगे
  • यह दौरा COP26 को सफल बनाने में भारत के अग्रणी भूमिका निभाने के लिए अवसरों पर ध्यान केंद्रित करेगा

COP26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा जलवायु परिवर्तन शिखर में यह सुनिश्चित करने में कि यह सम्मेलन एक सफल सम्मलेन है तथा भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर वरिष्ठ भारतीय मंत्रियों और उद्योग और नागरिक समाज के नेताओं के साथ चर्चा करने के लिए तीन दिवसीय यात्रा (16-18 अगस्त) पर नई दिल्ली पहुंचे हैं।

ग्लासगो, यूके में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन तक में 100 दिनों से भी कम समय में, COP26 में व्यक्तिगत आगमन एक संतुलित और समावेशी परिणाम के लिए जलवायु कार्रवाई पर वैश्विक महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिए यूके की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रमुख जलवायु हितधारकों के साथ अपनी बैठकों में, श्री शर्मा अपनी महत्वाकांक्षी घरेलू योजनाओं की रूपरेखा के माध्यम से और पेरिस समझौते के तहत अपने 2030 उत्सर्जन लक्ष्यों को आधुनिकतम करने वाले देशों की बढ़ती संख्या में शामिल होकर भारत की इस महत्वपूर्ण भूमिका की व्याख्या करेंगे।

यह इसलिए हो रहा है क्योंकि यूके सभी जी 20 देशों से कहा है कि शुद्ध शून्य पर हस्ताक्षर करें, 2030 तक उत्सर्जन में कटौती के लिए स्पष्ट योजनाएँ निर्धारित करें, और कोयला बिजली को समाप्त करने, इलेक्ट्रिक वाहनों में वृद्धि और प्रकृति को पहले जैसा स्वास्थ करने के लिए प्रतिबद्ध करे, जिसमें सबसे अमीर देश बाकी देशों को धरती पर वापस हरियाली लाने में वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे

भारत के द्वारा नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना (सीडीआरआई) और हरित विकास इक्विटी फंड के गठबंधन के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए अनुसंधान और नवाचार सहित यूके और भारत पहले से ही मिलकर काम कर रहे हैं।

2021 में श्री शर्मा की यह दूसरी भारत यात्रा है, उनके पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से मिलने की उम्मीद है।

COP26 के माननीय अध्यक्ष, आलोक शर्मा ने कहा:

भारत की एक महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि पेरिस समझौते के तहत ग्लासगो में पूरी दुनिया एक साथ आकर नए सिरे से प्रक्रिया का प्रदर्शन करने के लिए आई है। भारत का नेतृत्व - जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन शामिल है - बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि हम COP26 से पहले और उससे बाद वैश्विक संबंध बनाना चाहते हैं।

यूके और भारत सहित सभी देशों के पास कोविड महामारी से वापस हरियाली लाने का एक ऐतिहासिक अवसर है। आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाली जलवायु अनुकूल नौकरियां प्रदान करने से हरित औद्योगिक क्रांति आएगी जो वित्तीय वृद्धि भी करेंगी.

भारत में उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने कहा:

इस नवंबर में COP26 शिखर सम्मेलन दुनिया को 1.5 डिग्री की ग्लोबल वार्मिंग सीमा को रोकने की ओर ध्यान केन्द्रित करने का हमारा आखिरी सबसे अच्छा मौका है। भारत पहले से ही प्रभावशाली कदम उठा रहा है, उदाहरण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा। 2040 तक भारत को जिन बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी, उनमें से अधिकांश के निर्माण के लिए, यह नई स्वच्छ प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के मार्ग का नेतृत्व कर सकता है। जैसा कि प्रधानमंत्री जॉनसन और मोदी ने 2030 रोडमैप से सहमति व्यक्त की है, यूके और भारत इस लक्ष्य में COP 26 और उससे आगे तक एक साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

नवंबर में यूके इटली के साथ साझेदारी में ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP26 की मेजबानी करेगा। यह दुनिया को एक साथ आने और तत्काल कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। 2050 तक उत्सर्जन को शून्य से कम करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी लक्ष्य लेकर यूके पहले से ही जलवायु प्रक्रिया में एक मजबूत उदाहरण स्थापित कर चूका है।

आगे की जानकारी

विकासशील देशों को इस प्रक्रिया में मदद करने के लिए यूके ने अपने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त को अगले पांच वर्षों में कम से कम £ 11.6 बिलियन तक दोगुना करने का फैसला किया है। 1990 और 2018 के बीच, यूके ने अर्थव्यवस्था को 75% तक बढ़ाते हुए उत्सर्जन को लगभग आधा कर दिया, और 2024 तक बिजली क्षेत्र में कोयले के उपयोग में पूरी तरह से कटौती करेगा और 2030 में पेट्रो / डीजल वाहनों की बिक्री को रोक देगा।

भारत और यूके जलवायु स्वस्थता को बढ़ावा देने और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। जलवायु भारत-यूके 2030 रोडमैप के बिन्दुओं में से एक है।

यूके और भारत आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना (सीडीआरआई) के लिए गठबंधन की सह-अध्यक्षता में हैं, जो दुनिया भर में आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना की योजना, विकास, नीति और वित्तपोषण को बढ़ावा देते हैं। हम बिजली क्षेत्र में सुधार, अनुकूलन और लचीलापन, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और विद्युत गतिशीलता पर ज्ञान साझा कर रहे हैं। यूके जलवायु परिवर्तन के प्रभावों (सीडीआरआई की गवर्निंग काउंसिल की सह-अध्यक्षता) के अनुकूल होने और हरित वित्त में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए भारत का समर्थन कर रहा है।

यूके और भारत भी मिलकर कार्रवाई करने के लिए साझेदारी में काम कर रहे हैं। यूके भारत के नवीकरणीय और स्वच्छ परिवहन क्षेत्रों में निवेश कर रहा है, उदाहरण- हमारे संयुक्त ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड द्वारा (जिसमें प्रत्येक देश द्वारा £120 मिलियन का निवेश, साथ ही साथ बहुपक्षीय फंड शामिल है)। अगली पीढ़ी के सौर भवनों और ऊर्जा दक्षता समाधानों को विकसित करने के लिए हमारी संयुक्त अनुसंधान और नवाचार साझेदारी भी है।

कामनवेल्थ लिटर प्रोग्राम के माध्यम से, यूके और भारत भूमि और समुद्र-आधारित दोनों स्रोतों से प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने के लिए भी काम कर रहे हैं। क्षेत्रीय और शहर स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन को संबोधित करने के लिए एक समुद्री कूड़ा जुड़वां शहर की पहल पर भी चर्चा की जाएगी।

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प्रकाशित 16 August 2021