विश्व की समाचार कथा

ब्रिटिश उच्चायोग ने जलवायु परिवर्तन पर महाराष्ट्र के विधायकों की चर्चा की मेजबानी की

जलवायु परिवर्तन के सामाजिक-आर्थिक कारणों और उसके प्रभाव पर महाराष्ट्र के सांसदों, विधायकों और पार्षदों की आज मुंबई में बैठक हुई।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
wind mills

ब्रिटिश उच्चायोग ने ग्लोबल लेजिस्लेटर्स ओर्गेनाइजेशन फॉर ए बैलेन्स्ड इनवायरनमेंट (जीएलओबीई) और क्लाईमेट पार्लियामेंट (सीपी) की भागीदारी वाली परियोजनाओं के समर्थन के अंग के रूप में इस चर्चा की मेजबानी की। इस चर्चा का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा के मसलों के साथ विधायकों को जोड़ना है।

महाराष्ट्र के पर्यावरण राज्य मंत्री सचिन अहीर इस बैठक में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि इस चर्चा से महाराष्ट्र में राज्य और स्थानीय स्तर पर कदम उठाने की योजना के बारे में यह जानकारी पाने में मदद मिलेगी कि इसका संबंध ऊर्जा, जल या कूड़े के निपटान से है। उन्होंने ब्रिटिश उपउच्चायोग द्वारा इस तरह की बैठक के आयोजन और क्षेत्रीय भाषा मराठी एवं हिन्दी में जलवायु परिवर्तन पर टूल किट तैयार करने के कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस कार्य से जमीनी स्तर पर असरदार ढंग से जानकारी का प्रसार करने में मदद मिलेगी। उन्होंने राज्य विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों की एक समिति के गठन का प्रस्ताव भी किया, जो राज्य में जलवायु परिवर्तन के मसलों पर चर्चा के लिए नियमित रूप से बैठक कर सकती है और यह विचार विमर्श कर सकती है कि किस प्रकार इस समस्या से निपटा जाए।

नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग के परामर्शदाता (ऊर्जा एवं जलवायु) फिल मार्कर ने कहा: “सस्ती एवं भरोसेमंद ऊर्जा प्रदान करने और जलवायु से निपटने में भारत तथा ब्रिटेन अनेक चुनौतियों का सामना करते हैं। ब्रिटेन और भारत नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने एवं ऊर्जा-कुशलता के कदम उठाने में तेजी लाने तथा जल संसाधनों या कृषि जैसे मामलों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। हमें जीएलओबीई एवं क्लाईमेट पार्लियामेंट का समर्थन करते हुए खुशी है। हमें यह देख कर खुशी हुई है कि पूरे महाराष्ट्र के सांसद, विधायक और पार्षद आज जलवायु परिवर्तन के कारणों एवं प्रभाव पर चर्चा के लिए एकत्रित हुए हैं। हम महाराष्ट्र के साथ इस सहयोग के गहन बनने की आशा करते हैं।”

राज्य सभा की सदस्य श्रीमती वंदना चवाण ने कहा: “आर्थिक एवं औद्योगिक संवृद्धि की गति के मद्देनजर जलवायु परिवर्तन का मसला भारत में सामान्य और महाराष्ट्र में विशेष तौर पर अत्यधिक महत्वपूर्ण बन गया है। वर्तमान में महाराष्ट्र में पड़ा भीषण सूखा खतरे की एक घंटी है, जो राज्य के विधायकों और सांसदों को इस बात की याद दिलाती है कि वे जलवायु परिवर्तन के मसले को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक मानें। इस गोलमेज वार्ता का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर विचार विमर्श को प्राथमिकताओं में रखना और निर्वाचित प्रतिनिधियों के संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में उसे राजनीतिक रूप से व्यावहारिक कदमों के रूप में तब्दील करना है। महाराष्ट्र भारत के उन कुछ राज्यों में से एक है, जहां न सिर्फ पर्यावरण के बारे में अधिक जागरूकता है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा के लिए अनेक कड़े कानून लागू हैं। इसके बावजूद पर्यावरण की रक्षा राज्य के राजनीतिक क्षेत्र में एक अहम मुद्दा नहीं बन पाया है। उन्होंने आगे कहा कि हमने आज की इस गोलमेज वार्ता के जरिए विधायकों को यह अवगत कराने की एक अच्छी शुरूआत की है कि पर्यावरण की रक्षा और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के जरिए उन्हें वास्तविक राजनीतिक मसला बनाया जा सकता है, बशर्ते उन्हें सही ढंग से उठाया जाए। विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के मसलों की पहचान करने और राजनीतिक एजेंड में उन्हें रखने पर सहमति प्रकट की। विधायकों ने इस पर भी प्रतिबद्धता प्रकट की कि जलवायु परिवर्तन के मसले राजनीतिक एजेंडे का अंग अवश्य बनें और राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र में उन्हें यथोचित स्थान मिले। आज की इस चर्चा में महाराष्ट्र के जिन सांसदों एवं विधायकों ने भाग लिया, उनमें शामिल हैं : राज्य सभा की सदस्य वंदन चवाण, भाजपा के वरिष्ठ विधायक देवेन्द्र फडनविज, एनसीपी की विधायक विद्या चवाण और कांग्रेस के विधायक कृष्णा हेगड़े। भाजपा के सांसद प्रकाश जावडेकर ने, जो जीएलओबीई इंडिया के अध्यक्ष भी हैं, वीडियो के जरिए अपना संदेश भेजा।

विधायकों ने यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि इस पहल के बारे में अधिक विधायकों को अवगत कराया जाएगा और उन्हें जीएलओबीई के महाराष्ट्र चैप्टर का सदस्य बनाया जाएगा।

संपादकों के लिए नोट्स:

विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें: नमन गुप्ता, ब्रिटिश उच्चायोग, मोबाइल : 91-9833919387

  • जीएलओबीई : ग्लोबल लेजिस्लेटर्स ओर्गेनाइजेशन फॉर ए बैलेन्स्ड इनवायरनमेंट (जीएलओबीई) टिकाऊ विकास से पैदा होने वाली बड़ी चुनौतियों के प्रति सार्वजनिक विधायी कदमों की रूपरेखा तैयार करने एवं उन पर सहमति के लिए दुनिया भर में राष्ट्रीय सांसदों का समर्थन करता है। जीएलओबीई राष्ट्रीय चैप्टर्स के जरिए कानून निर्माण और पर्यवेक्षण के लिए आर्थिक तथा नीतिगत समर्थन प्रदान करता है। ये कानून और पर्यवेक्षण इस बारे में होंगे कि किस प्रकार उन पर अमल किया जाएगा। जीएलओबीई का मिशन बड़े पैमाने पर ऐसे विधायकों को तैयार करना है, जो वैश्विक टिकाऊ विकास से पैदा होने वाली बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए कानूनी कदमों पर सहमत हों और उनकी पैरवी करें। इसका मुख्यालय लंदन में है और कार्यालय बीजिंग, ब्रसल्स, मेक्सिको सिटी, टोकियो, रिओ डि जेनेरियो तथा अब दिल्ली में भी हैं। 70 देश जीएलओबीई के सदस्य हैं। जीएलओबीई टिकाऊ विकास के मामले में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की पुनर्रचना कर रहा है। उसका एक भारतीय चैप्टर और एक स्थायी सचिवालय है। जीएलओबीई विभिन्न वैश्विक पर्यावरण मंचों पर सक्रिय रहा है और उसने रियो प्लस 20 की वार्ताओं (रियो 2012), जैव-विविधता पर संधि (हैदराबाद 2012) और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संधि (हाल ही में दोहा में दिसंबर 2012) पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। जीएलओबीई उन भारतीय विधायकों को समर्थन प्रदान करता है, जिनकी जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा एवं भारत में संसाधनों के टिकाऊ विकास में दिलचस्पी है। डायरेक्टर, जीएलओबीई इंडिया: प्रणव सिन्हा

  • क्लाईमेट पार्लियामेंट : जलवायु परिवर्तन के मामले में कदम उठाने के लिए विश्व भर में संसद और कांग्रेस के सदस्यों को समर्थन देने के लिए क्लाईमेंट पार्लियामेंट की स्थापना की गई थी। विधायकों के पास अपने देश की संसद में कानून पारित कर जलवायु परिवर्तन की समस्या को हल करने की शक्ति होती है। वे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्य के गवर्नरों पर अपने निजी प्रभाव का इस्तेमाल कर नीतियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। क्लाईमेट पार्लियामेंट ‘‘सभी के लिए स्वच्छ ऊर्जा’’ पर एक रणनीति तैयार कर रही है। यह पृथ्वी की रक्षा के लिए समस्त दुनिया में राजनीतिक कदम उठाने की एक रणनीति है। इस रणनीति का उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन में तेजी से फोसिल फ्यूल्स (जीवाश्म ईंधन) को त्याग कर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करना है। इस रणनीति के तहत जलवायु परिवर्तन के बारे में वास्तव में चिंतित राज्यों (देशों) और राष्ट्रीय विधायकों से अपील की गई है कि वे ऊर्जा सुरक्षा के लिए मिल कर विश्व भर में असरदार कदम उठाएं। क्लाईमेट पार्लियामेंट भारत में सक्रिय है और उसने विधायकों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में जागरूकता के प्रसार में योगदान दिया है। इसके अलावा, उसने नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में विनियामक रूपरेखा और वित्तपोषण के मेकेनिज्म के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्लाईमेट पार्लियामेंट 2032 तक कुल बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा बढ़ा कर न्यूनतम 15 प्रतिशत रखने की एक राष्ट्रीय नीति अपनाने के बारे में समर्थन जुटाने और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्यों पर असरदार ढंग से अमल के सिलसिले में अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण का प्रयास कर रही है। डायरेक्टर, क्लाईमेट पार्लियामेंट साउथ एशिया: मुकुल शर्मा

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प्रकाशित 3 March 2013