विश्व की समाचार कथा

गुजरात में ब्रिटिश कंपनियों की ऊर्जा क्षेत्र में बढ़त

ब्रिटिश वाणिज्य मंत्री ने गुजरात में ओपीजी पावर वेंचर्स के ताप ऊर्जा संयंत्र के पूर्ण होने तथा इसमें आगे और 1.5 अरब पाउंड के निवेश हेतु करार के अवसर पर आयोजित समारोह में शिरकत की।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

ब्रिटिश वाणिज्य तथा निवेश मंत्री लॉर्ड लिविंगस्टन ने आज, गुजरात के कच्छ में ब्रिटिश कंपनी ओपीजी पावर वेंचर्स द्वारा निर्मित 300 मेगावाट के ताप ऊर्जा संयंत्र के पूर्ण होने का स्वागत किया। कंपनी द्वारा भारत में पहले से 40 करोड़ पाउंड का निवेश किया गया है तथा ऊर्जा उत्पादन में 2300 मेगावाट की अतिरिक्त वृद्धि के लिए कंपनी द्वारा 1.5 अरब पाउंड का निवेश करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।

वाइब्रेंट गुजरात के लिए 60 से अधिक ब्रिटिश कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे लॉर्ड लिविंगस्टन ने इस अवसर पर कहा:

ब्रिटेन तथा भारत के बीच सुदृढ तथा मजबूत आर्थिक संबंध हैं। भारत में हम सबसे बड़े निवेशकर्ता हैं, और भारत संपूर्ण यूरोपीय संघ से ज्यादा अकेले ब्रिटेन में निवेश करता है।

भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन में अतुलनीय योगदान रहा है, तथा ब्रिटिश कंपनियां भारत की परियोजनाओं में उपयुक्त भागीदारी निभा रही हैं। दोनों देश ब्रिटेन तथा भारत में गहन व्यावसायिक संपर्कों के विकास के नए अवसरों की खोज के आकांक्षी हैं, और मुझे वाइब्रेंट गुजरात में ब्रिटिश कंपनियों के इतने बड़े प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए अतीव प्रसन्नता हो रही है।

ओपीजी पावर वेंचर्स के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अरविंद गुप्ता ने कहा:

यद्यपि ओपीजी द्वारा राज्य के ऊर्जा प्रक्षेत्र में सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में 2x150 मेगावाट के ऊर्जा संयंत्र का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है- तथा यह इसी माह उद्घाटन के लिए तैयार है, किंतु समूह गुजरात में 2300 मेगावाट की ताप ऊर्जा क्षमता का कार्यान्वयन के अपने अगले प्रयास की तैयारी में लगा है।

हम आश्वस्त हैं कि यह नया ओपीजी प्रयास न केवल समयबद्ध रूप से आनेवाले वर्षों में राज्य की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होगा अपितु देश के अवसंरचना निर्माण के क्षेत्र में लाभदायी ब्रिटिश-भारत निवेश साझेदारी की अनवरत परंपरा का एक उदाहरण भी सिद्ध होगा।

ओपीजी इंडिया, ओपीजी यूके की एक अनुषंगी कंपनी है और ब्रिटेन में पंजीकृत है जिसने भारत में 600 लोगों को रोजगार प्रदान किया है। यह लंदन शेयर बाजार में 2008 से सूचीबद्ध है। कच्छ के ताप ऊर्जा संयंत्र के वित्तपोषण अंश में शेयर बाजार में शेयरों में 7 करोड़ पाउंड की सफल वृद्धि का योगदान रहा है, जो बहुत कुछ भारत-ब्रिटेन की आर्थिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के समान है।

आगे की जानकारी:

  • वाइब्रेंट गुजरात में ब्रिटेन एक साझीदार देश है। लॉर्ड लिविंगस्टन की अगुवाई में, वाइब्रेंट गुजरात में 60 से ज्यादा कंपनियां तथा 100 से ज्यादा प्रतिनिधि ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करेंगे, जो 2015 में किसी भी देश का सबसे विशाल प्रतिनिधिमंडल है। इसके अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में आधुनिक अभियंत्रण, विनिर्माण, खुदरा व्यापार, वित्तीय सेवाएं, अवसंरचना, अभिकल्पना, तथा शिक्षण क्षेत्र शामिल हैं। ब्रिटिश प्रतिनिधियों की श्रेणी में वैश्विक मुख्य परिचालन प्रबंधकों, यथा- वोडाफोन के विटोरियो कोलाओ, तथा रिओ टिंटो के सैम वाल्श जैसे दिग्गजों से लेकर अपने-अपने क्षेत्रों में छोटे स्तर पर वैश्विक अग्रणी खिलाड़ियों, यथा- डेलकेम और रिकार्डो तक की उपस्थिति है। लॉर्ड लिविंग्स्टन स्वयं बीटी के पूर्व मुख्य परिचालन प्रबंधक रह चुके हैं तथा ब्रिटेन सरकार के वाणिज्य तथा निवेश एजेंडे का नेतृत्व करते हैं।

  • ब्रिटेन भारत में सबसे बड़ा जी20 निवेशक है, तथा भारत ब्रिटेन में समस्त यूरोपीय संघ से ज्यादा निवेश करता है। दोनों देशों के लिए ब्रिटेन-भारत संबंध, अन्य किसी भी वस्तु की अपेक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जो वाइब्रेंट गुजरात में सहभागिता के माध्यम से और ज्यादा मजबूत होंगे।

  • गत वर्ष ब्रिटेन ने भारत में 3.2 अरब डॉलर का निवेश किया था, जो किसी भी जी20 देश के निवेश से ज्यादा है तथा जापान (1.7 अरब डॉलर) तथा अमेरिका (मात्र 1 अरब डॉलर से भी कम), के संयुक्त निवेश भी ज्यादा है, जो क्रमशः द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर आते हैं।

  • विगत 14 वर्षों के कुल निवेश के योग के रूप में भी, ब्रिटेन का जी20 देशों में पहला स्थान है और इस अवधि में भारत में किए गए कुल निवेश में इसकी ~10% की भागीदारी रही है।

  • भारत ब्रिटेन के सबसे बड़े निवेशकों में से एक है तथा यह संपूर्ण यूरोपीय संघ में संयुक्त रूप से किए गए कुल निवेश से अधिक निवेश केवल ब्रिटेन में करता है।

  • 2008 से लेकर 2013 तक दोनों देशों के परस्पर व्यापार में 50% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई, जो ब्रिटेन तथा भारत की अर्थव्यवस्था में आई मंदी के बावजूद ~11 अरब से बढ़कर ~16.5 अरब हो गया।

  • वित्तीय वर्ष 2014 के लिए थॉमस रायटर के भारत एम&ए पुनरीक्षण के अनुसार, एम&ए गतिविधि मूल्य के संदर्भ में संप्रति ब्रिटेन भारत में सबसे बड़ा निवेशक है, जो 23 घोषित करारों में 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रहा है, तथा जिसकी 2014 के दौरान भारत की आंतरिक आर्थिक गतिविधियों में 25.3% फीसदी की भागीदारी है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया शिरीन मिस्त्री को ई-मेल करें।

Twitter, Facebook, Flickr, Storify, Eventbrite, Blogs, Foursquare, Youtube पर हमारा अनुसरण करें।

प्रकाशित 10 January 2015