प्रथम विश्व युद्ध के विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित भारतीय प्राप्तकर्ता गबर सिंह नेगी
भारत के प्रथम विश्व युद्ध विक्टोरिया क्रॉस सम्मान प्राप्तकर्ता गबर सिंह नेगी की कहानी।

Memorial to Gabar Singh Negi, Chamba, India. Credit: USI - CAFHR
प्रथम विश्व युद्ध में भारत के छह योद्धाओं को ब्रिटेन में वीरता के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस प्राप्त हुआ है। शताब्दी स्मरणोत्सव के तहत युनाइटेड किंग्डम के लोगों ने उन साहसी पुरुषों की मातृभूमि को उनके नाम उत्कीर्ण की हुई कांस्य की स्मारक पट्टिका पेश करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। इस पुरालेख में उनकी कहानी का उल्लेख है।
नाम: गबर सिंग नेगी (गोबर सिंग नेगी के नाम से भी प्रचलित)
जन्म की तारीख: 21 अप्रैल 1895
जन्म का स्थान: चम्ब्रा, उत्तराखंड
युद्ध की तारीख: 10 मार्च 1915
युद्ध का स्थान: नेव चापेल, फ्रांस
श्रेणी: राइफलमैन
रेजिमेंट: दूसरी बटालियन, 39 वीं गढ़वाल राइफल्स
गबर सिंह नेगी का जन्म 21 अप्रैल 1895 में उत्तर भारत के उत्तराखंड राज्य के चम्ब्रा इलाके में हुआ था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे 39 वें गढ़वाल राइफल्स की दूसरी बटालियन में राइफलमैन (बंदूकधारी) थे।
केवल 21 वर्ष की आयु में वे मार्च, 1915 के नेव चापेल के युद्ध में हमला बल का हिस्सा बने। उस हमला बल में आधे से ज्यादा सैनिक भारतीय थे और यह पहली बड़ी कार्रवाई थी जब भारतीय सैन्यदल एक इकाई के रूप में लड़ा था। भारी क्षति के बावजूद वे एक प्रमुख दुश्मन की स्थिति लेने में कामयाब हुए, और इस युद्ध के दौरान उनकी वीरता के कारण ही गबर सिंह नेगी को मरणोपरांत विक्टोरिया क्रॉस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनका प्रशस्तिपत्र इस प्रकार उल्लेख करता है:
10 मार्च, 1915 को नेव चापेल में सबसे विशिष्ट बहादुरी के लिए, जर्मन स्थिति पर एक हमले के दौरान, राइफलमैन गबर सिंह नेगी बम साथ लिए संगीन से हमला करने वालों का एक हिस्सा थे जो दुश्मन के मुख्य मोर्चे में घुसकर हर बाधाओं को पार करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिस कारण दुश्मन पीछे हटकर आखिरकार आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो गया। इस कार्रवाई के दौरान वे वीरगती को प्राप्त हो गए।
गबर सिंग नेगी को नेव चापेल स्मारक पर श्रद्धांजली दी गई है। नेव चापेल में भारतीय स्मारक उन सभी 4,700 से ज्यादा भारतीय सैनिकों और श्रमिकों को श्रद्धांजली देता है जिन्होंने पश्चिमी मोर्चे पर अपनी जान गंवाई थी लेकिन उनका अंतिम विश्राम स्थान ज्ञात नहीं है।
उनके गृह नगर चम्बा में उन्हें प्रतिवर्ष 20 या 21 अप्रैल (हिंदू पंचांग के आधार पर) को आयोजित होने वाले गबर सिंह नेगी मेला के द्वारा याद किया जाता है।
1971 में गढ़वाल रेजिमेंट ने चम्बा में उनका एक स्मारक बनाया जहां लोग उनकी बहादुरी पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। इस स्मारक के आसपास का क्षेत्र मेले के दौरान बिल्कुल जीवंत हो उठता है।