विश्व की समाचार कथा

ब्रिटेन-भारत शोध एवं नवप्रवर्तन के संबंधों की एक बड़ी छलांग

विज्ञान और तकनीक के अनुप्रयोगों के जरिए वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए ब्रिटेन और भारत अनथक रूप से कार्य कर रहे हैं।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

विश्वविद्यालयों, विज्ञान एवं शहरी मामलों के ब्रिटिश मंत्री माननीय ग्रेग क्लार्क एमपी ने भारतीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन से 12 नवंबर 2014 को नई दिल्ली में मुलाकात की। दोनों मंत्रियों ने न्यूटन-भाभा फंड नामक एक नए महत्वपूर्ण प्रयास की घोषणा के साथ ब्रिटेन-भारत शोध एवं नवप्रवर्तन के संबंधों को एक नई ऊंचाई प्रदान करने पर सहमति जाहिर की।

12 नवंबर को आयोजित चौथे ब्रिटेन-भारत विज्ञान एवं नवप्रवर्तन परिषद यानी साइंस एंड इनोवेशन काउंसिल (एसआईसी) में बैठक की सह-अध्यक्षता करने वाले दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों में सर्वश्रेष्ठ शोध साथ मिलकर करने में ब्रिटेन-भारत शोध एवं नवप्रवर्तन साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।

मंत्रियों ने नोट किया कि संयुक्त शोध परियोजनाओं और नेटवर्किंग के जरिए नई वैज्ञानिक साझेदारी के निर्माण में ब्रिटेन-भारत शिक्षा एवं शोध प्रयास (यूकेआईईआरआई) सफल रहे हैं। ब्रिटेन-भारत शिक्षा एवं शोध प्रयास (यूकेआईईआरआई) फेज III का विस्तार करने और उसे जारी रखने पर सैद्धांतिक सहमति बनी।

न्यूटन-भाभा कार्यक्रम के बारे में ग्रेग क्लार्क ने कहा:

मुझे उम्मीद है कि यह नया रोमांचक कार्यक्रम न्यूटन और भाभा जितना ही वैश्विक विज्ञान के लिए उपयोगी होगा। धारणीय महानगरों, स्वास्थ्य, खाद्य, ऊर्जा और पानी जैसी बड़ी सामाजिक चुनौतियों का सामना करने के लिए साथ मिलकर काम करते हुए ब्रिटेन और भारत दोनों देशों और संपूर्ण विश्व के लिए स्पष्ट लाभ हासिल कर सकते हैं।

डॉ हर्षवर्धन ने कहा:

भारत और ब्रिटेन दो ऐसे राष्ट्र हैं जो आपस में साझे इतिहास द्वारा बंधे हैं। हमारे संबंध गर्मजोशी से भरे हुए और बहुआयामी हैं। मुझे कई तरह से ऐसा यकीन होता है कि हमारा भविष्य ज्ञान-अर्थशास्त्र की इस 21वीं सदी में और भी अधिक निकटता के साथ जुड़ा होगा। विज्ञान, तकनीक और नवप्रवर्तन साझेदारी के निर्माण में निश्चित रूप से अहम भूमिका निभाएंगे जिसके जरिए हम वैश्विक चुनौतियों से निबटने और अपने दोनों देशों की सामाजिक आकांक्षाओं की पूर्ति करने में सफल हो सकते हैं।

न्यूटन-भाभा फंड (5 सालों में ब्रिटेन की ओर से 5 करोड़ पाउंड की रकम और इतनी ही राशि के संसाधन भारत की ओर से) सशक्त अंतर्विषयक आयाम वाला एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जो ब्रिटेन और भारत के बीच रणनैतिक विज्ञान, शोध और नवप्रवर्तन (आविष्कार) के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाएगा।

नए न्यूटन-भाभा कार्यक्रम की श्रृंखला चलाई गई है जिसमें शामिल हैं:

  • इकोनॉमिक्स टाइम्स और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) अहमदाबाद की साझेदारी में रॉयल अकैडमी ऑफ इंजीनियरिंग तथा भारत के विज्ञान एवं तकनीक विभाग (डीएसटी) की सहायता से बाजार तक नवप्रवर्तन को पहुंचाने हेतु प्रशिक्षण देकर नवप्रवर्तन के क्षेत्र की अग्रणी प्रतिभाओं के लिए फेलोशिप। इसके अतिरिक्त, प्रमुख शोधकर्ताओं की सहायता के लिए अनेक फेलोशिप कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

  • ब्रिटिश काउंसिल इंडिया और डीएसटी, इंडिया का संयुक्त पीएचडी छात्र एकजुटता कार्यक्रम। यह ब्रिटेन और भारत के पीएचडी छात्रों को प्रमुख भारतीय और ब्रिटिश उच्च शिक्षा संस्थानों में उनके अध्ययन की अवधि (तीन से छह माह) का प्रायोजन करेगा जो मार्च 2015 से आरंभ होगा। कार्यक्रम का लक्ष्य है ब्रिटेन और भारत के शोधकर्ताओं की अगली पीढ़ी को आपसी संबंध बनाने हेतु मार्ग प्रशस्त करना और दीर्घकालीन शोध एवं विकास संबंधों और सहभागिताओं का निर्माण करना।

  • ब्रिटिश मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) तथा इन्डियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का मानसिक स्वास्थ्य एवं पदार्थ दुरुपयोग (सब्सटेंस एब्यूज) के क्षेत्र में नई शोध परियोजनाओं के लिए संयुक्त प्रयास। 20 लाख पाउंड तक की राशि ब्रिटेन की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी और आईसीएमआर द्वारा भारतीय घटक को कोष उपलब्ध कराया जाएगा।

  • महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर संयुक्त वैश्विक शोध कार्यक्रम के लिए 1 करोड़ पाउंड की राशि ब्रिटेन के मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी), डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआईडी) तथा भारत के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉली (डीबीटी) द्वारा उपलब्ध कराई गई है।

  • कैंसर बायोलॉजी, न्यूरोसाइंस तथा एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस में ट्रांसलेशनल रिजेनरेटिव मेडिसिंस में संयुक्त सेंटर पार्टनरशिप के लिए 70 लाख पाउंड की राशि ब्रिटेन के मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) तथा भारत के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉली (डीबीटी) द्वारा उपलब्ध कराई गई है।

  • बड़ी सामाजिक चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से व्यवसाय उन्मुख शोध और विकास में सहायता करने के लिए इनोवेट यूके तथा भारत के विज्ञान एवं तकनीक विभाग (डीएसटी) द्वारा एक संयुक्त औद्योगिक शोध कार्यक्रम चलाया जाएगा।

माननीय मंत्री ग्रेग क्लार्क ने ब्रिटेन के आर्ट एंड ह्युमैनिटीज रिसर्च काउंसिल (एएचआरसी) तथा भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर ऐतिहासिक शोध में ब्रिटेन-भारत की साझेदारी को व्यापक और गहन बनाने के लिए न्यूटन-भाभा कोष के अतिरिक्त एक अन्य ब्रिटेन-भारत शोध साझेदारी की भी घोषणा की।

मंत्री श्री ग्रेग क्लार्क की भारत यात्रा में उनके साथ ब्रिटिश शिक्षा जगत, यूके रिसर्च काउंसिल्स, यूके इनोवेशन एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारीगण एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर एवं कॉलेजों के प्रिंसिपल शामिल हैं। मौजूदा ब्रिटेन-भारत सहभागिता की समीक्षा हेतु प्रतिनिधिमंडल अपने भारतीय समकक्षों के साथ मुलाकात करेंगे और दोनों देशों द्वारा साथ मिलकर घनिष्ठतापूर्वक काम करने की संभावनाओं की तलाश करेंगे।

स्टुअर्ट ऐडम, निदेशक,
प्रेस और संचार
ब्रिटिश उच्चायोग,
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली- 110021
टेलीफोन: 44192100; फैक्स: 24192411

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प्रकाशित 12 November 2014