विश्व की समाचार कथा

ब्रिटेन के नोबेल विजेता भारत के दौरे पर

ब्रिटेन के प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक इस महीने भारत आकर कई व्याख्यान देंगे।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Nobel Prize

वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में गहरे होते द्विपक्षीय सहयोग के एक प्रमाण के रूप में ब्रिटेन के प्रमुख नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक इस महीने भारत आकर कई व्याख्यान देंगे। रॉयल सोसाइटी के फेलो, ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज के फेलो तथा पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित डॉ. वेनकी रामकृष्णन नई दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलूरु, पुणे तथा मुम्बई में आयोजित वार्ता में भाग लेंगे।

रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष तथा यूके सेंटर फॉर मेडिकल रिसर्च एंड इनोवेशन के निदेशक, सर पॉल नर्स नई दिल्ली में ब्लैकेट मेमोरियल लेक्चर्स में व्याख्यान देंगे।
रेगियस प्रॉफेसर ऑफ फिजिक्स, मैंचेस्टर विश्वविद्यालय में लैंगवर्दी प्रोफेसर तथा मैंचेस्टर सेंटर फॉर मेसोसाइंस एंड नेनोटेक्नॉलॉजी के निदेशक, प्रोफेसर- सर ऐंड्रे गीम ने इस महीने छठे बेंगलूरु इंडिया नैनो में व्याख्यान दिया।

भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन ने कहा:

ब्रिटेन को अपने प्रसिद्ध अनुसंधान समुदाय को लेकर काफी गर्व है। भारत के दौरे पर आने वाले नोबेल विजेता इसके उपयुक्त उदाहरण हैं कि इन्होंने अपने आविष्कारी कार्यों के लिए ब्रिटेन को चुना। ब्रिटेन को विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 78 नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं और यहां के चार विश्वविद्यालय दुनिया के शीर्ष दस में शुमार हैं। अनुसंधान कार्यों तथा अध्ययन के लिए ब्रिटेन आज एक सर्वोत्तम स्थान बन गया है।

डॉ. रामकृष्णन ने कहा:

मैं 15 वर्ष पहले अमेरिका से ब्रिटेन आया, क्योंकि यहां बेहतरीन बौद्धिक वातावरण है तथा कैम्ब्रिज में अनुसंधान कार्यों के लिए स्थायी सहायता प्राप्त होती है, जिस कारण पिछले 50 वर्षों में आण्विक जीवविज्ञान की हमारी समझ में क्रांतिकारी विकास हुआ है। हर वर्ष हम दुनिया भर से बेहतरीन युवा अनुसंधानकर्ताओं को हमारे प्रयोगशालाओं में करियर आरंभ करने के लिए स्वागत करते हैं।

सर पॉल नर्स ने कहा:

मुझे इस हफ्ते दिल्ली में ब्लैकेट मेमोरियल लेक्चर देने का हर्ष है। भारत की एक गहन वैज्ञानिक विरासत रही है और यह स्पष्ट हो चुका है कि मौजूदा नेतृत्व देश को विज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति बनाने के लिए कृतसंकल्प है। अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम इसका एक अच्छा उदाहरण है। यह ब्रिटेन तथा भारत के वैज्ञानिकों को साथ मिलकर कार्य करने के रोमांचक अवसर प्रदान करता है।

अधिक जानकारी:

  1. डॉ. रामकृष्णन रॉयल सोसाइटी के एक फेलो हैं, ईएमबीओ (युरोपियन मॉलेक्युलर बायोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन) के एक सदस्य तथा यूएस नैशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य तथा कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो हैं। उन्हें वर्ष 2009 में रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। वर्ष 2010 में उन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया तथा वर्ष 2012 में आण्विक जीवविज्ञान में अपनी सेवाओं के लिए नाइटहुड से सम्मानित किया गया। दिल्ली के बाद वे हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी, बिरला साइंस सेंटर तथा सी आर राव ऐडवांस्ड इंस्टिट्यूट ऑफ मैथमेटिक्स, स्टेटिक्स एंड कम्प्यूटर साइंस में व्याख्यान देंगे। बेंगलूरु में वे भारतीय विज्ञान संस्थान तथा राष्ट्रीय जीव विज्ञान केंद्र में व्याखान देंगे। पुणे में वे राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र तथा आइआइएसईआर, पुणे में भाषण देंगे। मुम्बई में वे टाटा इंस्टिट्यूट फॉर फंडामेंटल रिसर्च तथा मुम्बई विश्व विद्यालय में व्याख्यान देंगे। 14-18 दिसम्बर को वे दिल्ली में होंगे।

  2. सर पॉल नर्स रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष हैं। वे जीन वैज्ञानिक हैं, जो कोशिका विभाजन पर नियंत्रण कैसे होता है, इस विषय पर कार्यरत हैं। पूर्व में वे यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर के रूप में, इम्पीरियल कैंसर रिसर्च फंड तथा कैंसर रिसर्च यूके के सीईओ कार्य कर चुके हैं। वे न्युयॉर्क के रॉकफेलर युनिवर्सिटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्तमान में वे फ्रैंसिस क्रीक इंस्टिट्यूट के निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। वर्ष 2001 में उन्हें शरीरक्रिया विज्ञान या मेडिसीन के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। वर्ष 2005 में उन्हें रॉयल सोसाइटी कोप्ले मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।

  3. प्रोफेसर सर ऐंड्रे गीम रेगियस प्रॉफेसर ऑफ फिजिक्स, मैंचेस्टर विश्वविद्यालय में लैंगवर्दी प्रोफेसर तथा मैंचेस्टर सेंटर फॉर मेसोसाइंस एंड नेनोटेक्नॉलॉजी के निदेशक हैं। उन्हें वर्ष 2010 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया। वे रॉयल सोसाइटी के एक फेलो हैं तथा वर्ष 2012 में उन्हें नाइटहुट से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने 5 दिसम्बर को बेंगलूरु में अपना व्याख्यान दिया था।

  4. ब्लैकिट तथा जगदीश चंद्र बोस मेमोरियल लेक्चर्स के जरिए भारत तथा ब्रिटेन के बीच व्याख्यानों का आदान प्रदान किया जाता है। इन दोनों लेक्चरों की स्थापना इंडियन नैशनल साइस एकैडमी तथा रॉयल सोसाइटी द्वारा वर्ष 1975 में की गई थी। सोसाइटीज़ ब्रिटेन के लेक्चरर्स तथा एकैडमी भारतीय लेक्चर्स को बढ़ावा देता है। लेक्चर का नाम भौतिक वैज्ञानिक पैट्रिक ब्लैकेट एफआरए के समान में रखा गया है। श्री पैट्रिक भारत तथा यहां के वैज्ञानिक श्री जगदीश चंद्र बोस एफआरएस से समीप से जुड़े थे। गौरतलब है कि श्री जगदीश चंद्र बोस ने ब्रिटेन में उच्च शिक्षा ग्रहण की थी।

  5. यूके ने अबतक विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र में 78 नोबेल पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जो अमेरिका के बाद दूसरा सबसे अधिक नोबेल प्राप्तकर्ता देश है। इसके अलावा यूके के पास विशाल अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान आधार है। ब्रिटेन के 72% अनुसंधानकर्ताओं के शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं और विदेशी संस्थानों के साथ जुड़ कर कार्य करते हुए ब्रिटेन के 48% शोधपत्र अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के परिणाम हैं।

प्रकाशित 13 December 2013