विश्व की समाचार कथा

एक आदर्श समानता: नई यूके - भारत अनुसंधान साझेदारियोँ का अनावरण

विकसित विनिर्माण एवं स्मार्ट ऊर्जा ग्रिडों तथा ऊर्जा भंडारण के क्षेत्रों में 12 नवीन अनुसंधान साझेदारियों की घोषणा की गई है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
solar panels

नई परियोजनाओं को इंजीनियरिंग एंड फिज़ीकल साइन्सेज रिसर्च काउन्सिल (ईपीएसआरसी (EPSRC)) द्वारा निर्माण एवं आरसीयूके (RCUK) ऊर्जा कार्यक्रम विषयों के माध्यम से 83 लाख पाउंड की सहायता प्राप्त होगी जिसके साथ ही भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी (DST) द्वारा भी समान मात्रा में संसाधन प्रदान किए जाएंगे। विकसित विनिर्माण में सात परियोजनाएं होंगी तथा स्मार्ट ऊर्जा ग्रिडों व ऊर्जा भंडारण में पाँच परियोजनाएं होंगी।

एजबेस्टन क्रिकेट मैदान, बर्मिंघम में हुए यूके (UK) ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट के इंडिया बिज़नेस डे सम्मेलन में वित्तपोषण की घोषणा करते हुए यूके (UK) के विश्वविद्यालयों व विज्ञान के मन्त्री डेविड विलेट्स ने कहा:

2008 से लेकर आज तक यूके (UK) व भारत के बीच सह-वित्त पोषित अनुसंधान कार्यक्रम 10 लाख पाउंड से बढ़कर 10 करोड़ पाउंड से भी अधिक तक पहुँच गए हैं। ये परियोजनाएं इस पहले से ही मजबूत सम्बन्ध को और अधिक सुदृढ़ बनाएंगी जिससे विकसित विनिर्माण एवं ऊर्जा बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अनुसंधान कर्त्ताओं तथा उद्योग के बीच का सहयोग और बेहतर हो जाएगा। दोनों ही देशों के लिए ये प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं। हम भारत के साथ अपने व्यापार को 2015 तक दोगुना करने के पथ पर हैं और द इंडिया बिज़नेस डे, भविष्य में वहाँ (भारत में) व्यापार करने के लिए कम्पनियों की पूरी शृंखला, छोटी व बड़ी दोनों ही को सहायता देने एवं प्रोत्साहित करने की यूकेटीआई (UKTI) की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए एक श्रेष्ठ आयोजन है। अब जैसे जैसे हम निम्न-कार्बन ऊर्जा उत्पादन की ओर कदम बढ़ाते जाएंगे, वैसे-वैसे आपूर्ति और माँग के प्रतिमानों व प्रबन्धन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते जाएंगे। भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं के प्रबन्धन के तरीके प्रदान करने के लिए स्मार्ट ऊर्जा ग्रिड व ऊर्जा भंडारण, महत्वपूर्ण सम्भाव्यता वाले क्षेत्र हैं। यूकेटीआई (UKTI) ने द इंडिया बिज़नेस डे का आयोजन इसलिए किया है ताकि भारतीय प्रौद्योगिकी कम्पनियों के समक्ष यह प्रदर्शित किया जा सके कि यूके (UK) में सभी प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विश्वस्तरीय अनुसंधान एवं विकास तथा नवोन्मेष की क्षमताएं उपलब्ध हैं। इस आयोजन में यूके (UK) के कई विश्वविद्यालय एवं प्रौद्योगिकी कम्पनियाँ भी भाग ले रही हैं”।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सचिव डॉ. टी रामासामी ने नई दिल्ली से बोलते हुए कहा कि:

डीएसटी (DST), यूके (UK) और भारत के बीच उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान सहयोगों के बढ़ते हुए पोर्टफ़ोलियो में की गई इस बढ़ोत्तरी का स्वागत करता है। इन परियोजनाओं में यूके (UK) और भारत के कुछ सर्वश्रेष्ठ अनुसंधानकर्त्ता शामिल हैं जो औद्योगिक साझेदारों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। हमें इन जैसी प्रमुख कार्यनीतिक प्राथमिकताओं में यूके (UK) के साथ सहयोग जारी रहने की पूरी-पूरी आशा है”।

इन नए अनुसंधान अनुदानों में यूके (UK) और भारत के 30 से भी अधिक औद्योगिक साझेदार शामिल हैं जो कि अनुसंधान परियोजनाओं में 10 लाख पाउंड से भी अधिक का योगदान कर रहे हैं। साझेदारों में शामिल हैं: रोल्स-रॉयस, भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स, ई.ऑन, नैशनल ग्रिड और मॉट मैकडोनाल्ड।

आरसीयूके (RCUK) के कार्य को भारत में आरसीयूके (RCUK) इंडिया का सहयोग प्राप्त है जो कि ब्रिटिश उच्चायोग, नई दिल्ली में आधारित है। यह यूके(UK)-भारत अनुसंधान अवसरों को सुगम बनाने में प्रमुख भूमिका निभाता है।

यूके(UK)-भारत विकसित विनिर्माण परियोजनाएं इस प्रकार हैं :

  • अन्तर्ग्रहित प्रजातियों के विरुद्ध सुरक्षा देने वाली अभिनव प्लाज़्मा स्प्रे कोटिंग के माध्यम से गैस टर्बाइन के प्रदर्शन में सुधार - इसका नेतृत्व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर टी क्लाइन एवं एआरसीआई (ARCI) के डॉ. एस. जोशी कर रहे हैं।
  • इंजीनियरिंग द्वारा चालित धारणीयता आपूर्ति संजाल - इसका नेतृत्व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर सर माइक ग्रेगरी तथा आईआईटी (IIT) रोपड़ के प्रोफ़ेसर हरप्रीत सिंह एवं आईआईएम (IIM) लखनऊ के प्रोफ़ेसर समीर श्रीवास्तव कर रहे हैं।
  • परिवर्तनकारी विनिर्माण प्रक्रियाओं के अनुकार हेतु उन्नत पदार्थों का प्रतिरूपण (एमएएसटी (MAST)) - इसका नेतृत्व लॉफ़बोरो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर वी सिल्बर्श्मिडिट एवं आईआईटी (IIT) दिल्ली के डॉ. पुलक मोहन पांडे एवं डॉ. सुनील झा द्वारा किया जा रहा है।
  • ऊर्जा संयन्त्रों के घटकों के निर्माण के दौरान ऑन-लाइन, उच्च तापमान, गैर-विनाशकारी मापन/ पावर प्लांट उपकरणों के विनिर्माण के दौरान तकनीक संवेदन - इसका नेतृत्व वारविक विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर साइमन डिक्सन एवं आईआईटी (IIT) मद्रास के प्रोफ़ेसर कृष्णन बालासुब्रमन्यम, डॉ. प्रभु राजगोपाल एवं प्रोफ़ेसर सी. वी. कृष्णमूर्ति द्वारा किया जा रहा है।
  • जटिल धातु भागों का उच्च निक्षेपण दर वाला योगात्मक निर्माण (हाईडेपएएम (HiDepAM)) - इसका नेतृत्व क्रानफ़ील्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एस. विलियम्स एवं आईआईटी (IIT) बम्बई के डॉ. के. पी. करुणाकरण द्वारा किया जा रहा है।
  • जैव-उपचारात्मक निर्माण के दौरान वर्णलेखी प्रदर्शन हानि की प्रक्रिया की समझ का सृजन - इसका नेतृत्व यूसीएल के डॉ. डेनियल ब्रेसवेल एवं आईआईटी (IIT) दिल्ली के प्रोफ़ेसर अनुराग एस. राठौड़ द्वारा किया जा रहा है।
  • उच्च प्रदर्शन घूर्णनशील चकती कणीकरण प्रक्रिया - इसका नेतृत्व बर्मिंघम विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर वाई. शिखमुर्ज़ायफ एवं एनसीएल (NCL) के डॉ. पंकज दोशी द्वारा किया जा रहा है। यूके(UK)-भारत स्मार्ट ऊर्जा ग्रिड एवं ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं इस प्रकार हैं:
  • पुनःविन्यास-योग्य वितरण संजाल - इसका नेतृत्व प्रोफ़ेसर टिम ग्रीन एवं आईआईटी (IIT) खड़गपुर के डॉ. प्रबोध बाजपेई, प्रोफ़ेसर अविनाश सिन्हा एवं प्रोफ़ेसर देबप्रसाद कास्थ द्वारा किया जा रहा है। • तिमिरण (ब्लैकआउट) की रोकथाम के लिए उन्नत संचार एवं नियन्त्रण (एक्सैप्ट (ACCEPT)) - इसका नेतृत्व मैन्चेस्टर विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर व्लादिमीर तर्ज़िजा एवं आईआईटी (IIT) दिल्ली के डॉ. नीलंजन सेनरॉय द्वारा किया जा रहा है। • सामुदायिक ऊर्जा समाधानों के लिए विश्वसनीय एवं कुशल प्रणालियाँ (रैस्क्यूज़ (RESCUES) - इसका नेतृत्व इम्पीरियल महाविद्यालय के डॉ. बी पाल एवं आईआईटी (IIT) खड़गपुर के डॉ. चन्दन चक्रबर्ती द्वारा किया जा रहा है। • विशाल ऊर्जा कमियों के लिए उच्च ऊर्जा व शक्ति घनत्व (एचईएपीडी (HEAPD)) वाले समाधान - इसका नेतृत्व बाथ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एफ़. ली एवं आईआईटी (IIT) रुड़की के प्रोफ़ेसर एन. पी. पाधे द्वारा किया जा रहा है। • ऊर्जा के पर्याप्त भंडारण से युक्त बुद्धिमत्तापूर्ण सूक्ष्मग्रिड (आईएमएएसई (IMASE)) - इसका नेतृत्व नॉटिंघम के प्रोफ़ेसर गेविन वाकर एवं आईआईटी (IIT) बम्बई के डॉ. प्रकाश सी घोष द्वारा किया जा रहा है। जनसंचार माध्यमों सम्बन्धित पूछताछ के लिए सम्पर्क करें: ईपीएसआरसी (EPSRC) प्रैस कार्यालय में रिचर्ड टाइबेनहैम, टेलीफोन: +44(0)1793 444 404

अधिक जानकारी:

  1. द इंजीनियरिंग एंड फिज़ीकल साइन्सेज रिसर्च काउन्सिल (ईपीएसआरसी (EPSRC), इंजीनियरिंग एवं भौतिक विज्ञानों में अनुसंधान-कार्यों के वित्तपोषण के लिए यूके (UK) का मुख्य अभिकरण है। ईपीएसआरसी (EPSRC) अनुसंधान-कार्यों एवं परास्नातक प्रशिक्षणों में प्रतिवर्ष लगभग 80 करोड़ पाउंड का निवेश करती है ताकि राष्ट्र, प्रौद्योगिकीय परिवर्तन की अगली पीढ़ी को सम्भाल सके। व्याप्ति क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर संरचनात्मक इंजीनियरिंग एवं गणित से लेकर पदार्थ विज्ञान तक सम्मिलित हैं। यह अनुसंधान यूके (UK) में भावी आर्थिक विकास का एवं हर किसी के स्वास्थ्य, जीवनशैली व संस्कृति में सुधार लाने का आधार बनाती है। ईपीएसआरसी (EPSRC) अन्य अनुसंधान परिषदों के साथ मिलकर कार्य करती है जिन्हें अन्य अनुसंधान क्षेत्रों का उत्तरदायित्व दिया जाता है। अनुसंधान परिषदें, रिसर्च काउन्सिल यूके (UK) के माध्यम से आम सरोकारों के मुद्दों पर सामूहिक रूप से कार्य करती हैं।

  2. भारत का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के प्रसार में केन्द्रीय भूमिका निभाता है। विभाग की गतिविधियों की सूची बेहद विस्तृत है जिसमें उच्चस्तरीय मौलिक अनुसंधान एवं अत्याधुनिक प्रौद्योकियों का विकास भी सम्मिलित है।

  3. ईपीएसआरसी (EPSRC) के नेतृत्व वाले द रिसर्च काउन्सिल यूके ऊर्जा कार्यक्रम का लक्ष्य विश्वस्तरीय अनुसंधान व प्रशिक्षण के माध्यम से यूके को इस स्थिति में पहुँचाना है जिससे वह अपने ऊर्जा एवं पर्यावरण सम्बन्धी लक्ष्यों को एवं नीतिगत लक्ष्यों को पा सके। यह ऊर्जा कार्यक्रम निम्न कार्बन वाले भविष्य का प्रणेता बनने के लिए अनुसंधान एवं कौशल में 62.50 करोड़ पाउंड से भी अधिक का निवेश कर रहा है। यह उस 83.90 करोड़ पाउंड के अतिरिक्त है जिसका निवेश पिछले आठ वर्षों में किया जा चुका है। द इंजीनियरिंग एंड फिज़ीकल साइन्सेज रिसर्च काउन्सिल (ईपीएसआरसी (EPSRC)), रिसर्च काउन्सिल यूके ऊर्जा कार्यक्रम के भाग के रूप में वित्तपोषण प्रदान करती है।

यह ऊर्जा कार्यक्रम, ईपीएसआरसी (EPSRC), बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोलॉजिकल साइन्सेज़ रिसर्च काउन्सिल (बीबीएसआरसी (BBSRC), द इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च काउन्सिल (ईएसआरसी (ESRC)) एवं साइन्स एंड टैक्नोलॉजी फ़ैसिलिटीज़ काउन्सिल (एसटीएफ़सी (STFC)) के कार्यों को संयोजित करता है।

  1. रिसर्च काउन्सिल्स यूके (UK) का भारत में प्रतिनिधित्व आरसीयूके (RCUK) इंडिया द्वारा किया जाता है जो कि ब्रिटिश उच्चायोग में आधारित है। इस पहल की मेज़बानी संयुक्त रूप से आरसीयूके इंडिया (RCUK) द्वारा की गई थी। आरसीयूके (RCUK) इंडिया की स्थापना 2008 में इस लक्ष्य के साथ की गई थी कि उच्च गुणवत्ता वाले एवं उच्च प्रभाव वाले सहयोगों को विकसित करने के लिए यूके (UK) व भारत में अनुसंधान साझेदारियों को सुगम बनाया जाए एवं सर्वश्रेष्ठ अनुसंधानकर्त्ताओं को सक्षम बनाया जाए।

  2. रिसर्च काउन्सिल्स यूके (UK) (आरसीयूके (RCUK)), यूके (UK) की सात अनुसंधान परिषदों की एक कार्यनीतिक साझेदारी है जो अनुसंधान-कार्यों में प्रतिवर्ष लगभग 3 अरब पाउंड का निवेश करती हैं। हम उत्कृष्ट अनुसंधान को सहयोग देते हैं जो कि समकक्ष समीक्षा द्वारा मूल्यांकित की जाती है एवं जो यूके के विकास, समृद्धता एवं कल्याण पर प्रभाव रखती है। यूके (UK) की वैश्विक अनुसंधान स्थिति को कायम रखने के लिए, हम वित्तपोषण के अवसरों की विविधतापूर्ण शृंखला प्रस्तुत करते हैं, अन्तर्राष्ट्रीय सहयोगों को प्रोत्साहन देते हैं और विश्वभर की सर्वश्रेष्ठ सुविधाओं एवं बुनियादी ढांचे तक पहुँच मुहैया कराते हैं। हम अनुसंधानकर्त्ताओं के प्रशिक्षण एवं करियर विकास में भी सहयोग देते हैं और युवाओं को प्रेरित करने के लिए एवं अनुसंधान में अधिकाधिक जनता को संलग्न करने के लिए अनुसंधानकर्त्ताओं के साथ कार्य करते हैं। आर्थिक विकास एवं सामाजिक कल्याण पर अनुसंधान के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए हम अन्य अनुसंधान वित्तपोषकों के साथ मिलकर कार्य करते हैं। इनमें शामिल हैं द टैक्नोलॉजी स्ट्रेटजी बोर्ड, द यूके हायर एजुकेशन फण्डिंग काउन्सिल्स, व्यापार, सरकार, एवं परोपकारी संगठन।

  3. सात यूके अनुसंधान परिषदें इस प्रकार से हैं: * आर्ट्स एंड ह्युमैनिटीज़ रिसर्च काउन्सिल (एएचआरसी (AHRC) * बायोटैक्नोलॉजी एंड बायोलॉजिकल साइन्सेज रिसर्च काउन्सिल (बीबीएसआरसी (BBSRC)) * ईकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च काउन्सिल (ईएसआरसी(ESRC)) * इंजीनियरिंग एंड फिज़ीकल साइन्सेज़ रिसर्च काउन्सिल (ईपीएसआरसी(EPSRC)) * मैडिकल रिसर्च काउन्सिल (एमआरसी(MRC)) * नैचुरल एन्वायरनमैण्ट रिसर्च काउन्सिल (एनईआरसी(NERC)) * साइन्स एंड टैक्नोलॉजी फ़ैसिलिटीज़ काउन्सिल (एसटीएफ़सी(STFC))

  4. सरकार की आर्थिक नीति का उद्देश्य यह है कि ‘एसा मजबूत, धारणीय व सन्तुलित विकास प्राप्त किया जाए जो देशभर में और उद्योगों के मध्य अधिक समान रूप से साझा किया गया हो’। इसने ‘प्लान फॉर ग्रोथ’ (पीडीएफ़(PDF) 1.7 एमबी(MB), बजट 2011 में प्रकाशित, में चार आकांक्षाएं निश्चित कीं :

  • जी20 में सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी कर प्रणाली का सृजन करना
  • व्यापार आरम्भ करने के लिए, वित्तीयन के लिए और व्यापार को बढ़ाने के लिए यूरोप में यूके को सर्वश्रेष्ठ स्थल बनाना
  • अधिक सन्तुलित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने वाले मार्ग के रूप में निवेश एवं निर्यातों को प्रोत्साहित करना
  • अधिक शिक्षित कार्यबल का निर्माण करना जो कि यूरोप में सर्वाधिक लचीला हो
  1. इन आकांक्षाओं की प्राप्ति के लिए पूरे सरकारी तन्त्र में कार्य प्रगति पर है। इसमें विकास समीक्षा के भाग के रूप में 250 से भी अधिक उपायों पर की गई प्रगति भी शामिल है। औद्योगिक कार्यनीति का विकास करने से इस कार्य को एक नया प्रवर्तक बल मिलता है क्योंकि यह व्यापारों, निवेशकों एवं जनता को उस दीर्घकालिक दिशा के विषय में अधिक स्पष्ट जानकारी प्रदान करती है जिस दिशा में सरकार अर्थव्यवस्था को ले जाना चाहती है।

  2. यूके (UK) ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट (यूकेटीआई(UKTI) एक सरकारी विभाग है जो कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सफलता प्राप्त करने के लिए यूके(UK) आधारित कम्पनियों की सहायता करता है। हम यूके(UK) की अर्थव्यवस्था में विदेशी कम्पनियों के निवेश को लाने में भी उनकी सहायता करते हैं - यूके(UK) की अर्थव्यवस्था को यूरोप के उस सर्वश्रेष्ठ स्थान की स्वीकृति मिली हुई है जहाँ से वैश्विक व्यापार में सफलता प्राप्त की जा सकती है। यूकेटीआई(UKTI) यूके(UK) में, ब्रिटिश दूतावासों में एवं विश्वभर में अन्य राजनयिक कार्यालयों में विशेषज्ञों के अपने विस्तृत संजाल के माध्यम से विशेषज्ञता एवं सम्पर्क प्रदान करता है। हम कम्पनियों को एसे साधन प्रदान करते हैं जिनकी आवश्यकता उन्हें वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए पड़ सकती है। यूकेटीआई(UKTI) पर अधिक जानकारी

प्रकाशित 13 June 2013