विश्व की समाचार कथा

यूके के विज्ञान मंत्री जो जॉन्सन 8-10 नवम्बर तक भारत यात्रा पर

यूके विज्ञान मंत्री ने £80 मिलियन तक के नवीन अनुसंधान कार्यक्रमों की घोषणा की।

Jo Johnson

The UK Minister of State for Universities, Science, Research and Innovation, Jo Johnson announcing a number of initiatives at the India-UK TECH Summit in New Delhi.

जो जॉन्सन ने नई दिल्ली में आयोजित इंडिया-यूके टेक समिट में भारत के विज्ञान व प्रौद्यौगिकी मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन के साथ अनेक पहलों की घोषणा की। इन द्विपक्षीय घोषणाओं का उद्देश्य यूके तथा भारत के बीच विज्ञान व प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग को और गहरा बनाना है।

यूके इस वर्ष के टेक समिट का कंट्री पार्टनर है, जो भारत का प्रमुख विज्ञान व प्रौद्योगिकी प्रदर्शन है। भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नवम्बर 2015 में यूके की अपनी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग की घोषणा की थी। टेक समिट ने अग्रणी वक्ताओं, ब्रिटिश कारोबारियों, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को भारत में एक मंच पर लाकर यूके की सर्वोत्तम पेशकश का प्रदर्शन किया।

इस समिट में मंत्रियों ने £80 मिलियन के नवीन यूके-इंडिया न्यूटन फंड रिसर्च प्रोग्राम की घोषणा की, जिनमें शामिल हैं: जल की गुणवत्ता, एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस तथा महिलाओं तथा बच्चों का स्वास्थ्य। इसके तहत वर्ष 2021 तक £200 मिलियन (£104 मिलियन यूके से जो भारतीय सहयोगियों द्वारा दिए फंड के समतुल्य होगा) मूल्य तक के न्यूटन फंड के जरिए अनुसंधान कार्यक्रमों में संयुक्त निवेश किया जाएगा, ताकि संयुक्त रूप से वैश्विक रूप से समाज की चुनौतियों से निपटा जा सके।

यूके के मंत्री ने £1 मिलियन के पहले वार्षिक न्यूटन पुरस्कार की भी घोषणा की, जो न्यूटन फंड के सर्वोत्तम विज्ञान या नवाचार को सम्मानित करेगा जो सहयोगी देशों के आर्थिक विकास तथा समाज कल्याण को बढ़ावा देता हो। वर्ष 2017 के लिए, यह पुरस्कार भारत, मलेशिया, थाइलैंड तथा वियतनाम में मौजूदा न्यूटन फंड कार्यक्रमों के लिए खुला है, जो लोक स्वास्थ्य तथा कल्याण की बड़ी सामाजिक चुनौतियों पर केंद्रित है, जो एंटी रेजिस्टेंस, रोग, स्वास्थ्यसेवा तथा पोषण जैसे मुद्दों को शामिल करेगा।

यूके विज्ञान मंत्री, जो जॉन्सन ने कहा:

विज्ञान तथा नवाचार का भविष्य सहयोग पर टिका है तथा भारत लगातार रूप से यूके का एक अहम विज्ञान सहयोगी बना हुआ है।

न्यूटन फंड के जरिए हम दुनिया भर में करोड़ों लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए साथ मिल कर काम कर रहे हैं और हम इस सहयोग को और गहन बनाने के अवसरों के लिए आगे भी काम करते रहेंगे, जिसमें समाज विज्ञान तथा ह्युमैनिटीज कार्यक्रम शामिल हैं।

जो जॉन्सन रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके)- डिपार्टमेंट फॉर बायोटेक्नोलॉजी स्ट्रेटजिक ग्रुप ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) की पहली बैठक 9 नवम्बर को संपन्न करेंगे, जो नई दवाओं व डायग्नॉस्टिक्स के विकास में तेजी लाने की दिशा में काम करेगा।

अगली जानकारी

एएमआर मानव तथा मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए एक वैश्विक खतना बना हुआ है, हालांकि जैसा कि हाल के ओ’नील की समीक्षा में पहचान की गई, कम और मध्यम आय वाले देशों में सही, किफायती दवाओं व प्रेस्क्रिप्शन प्रेक्टिस, सर्विलांस तथा इंटरवेंशन को बढ़ावा देने वाले डायग्नॉस्टिक्स की पहुंच एएमआर से निपटने में अहम बाधा बने हुए हैं। इसके अलावा एएमआर के सर्वाधिक प्रत्यक्ष प्रभाव (और कई सारे अप्रत्यक्ष प्रभाव भी) भी इन देशों में कम होंगे।

भारतीय कोष प्रदाताओं, जिनमें शामिल हैं विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग, जैव-प्रौद्योगिकी विभाग, मृदा विज्ञान मंत्रालय, के साथ मिलकर न्यूटन फंड को न्यूटन-भाभा फंड के रूप में जाना जाता है। न्यूटन-भाभा फंड के मुख्य क्षेत्र हैं: धारणीय शहर तथा शहरीकरण, लोक स्वास्थ्य तथा कल्याण, ऊर्जा-खाद्य-जल संबंध तथा महासागरों को समझना।

न्यूटन फंड 16 सहयोगी देशों में वैज्ञानिक व नवाचार साझेदारी को मजबूत बनाता है, ताकि वे देश अपने आर्थिक विकास व सामाजिक कल्याण को बढ़ावा दे सकें और दीर्घकालिक धारणीय विकास हेतु अपने अनुसंधान व नवाचार क्षमता का विकास कर सकें। इसके तहत यूके सरकार की ओर से वर्ष 2021 तक कुल £735 मिलियन का योगदान किया जाएगा, जहां इतनी ही राशि सहयोगी देशों से प्राप्त होगी। न्यूटन फंड को यूके डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस, एनर्जी तथा इंडस्ट्रियल स्ट्रेटजी (बीईआइएस) द्वारा प्रबंधित किया जाता है और इसे रिसर्च काउंसिल्स, यूके ऐकेडमिक्स, ब्रिटिश काउंसिल्स, इनोवेट यूके तथा मेट ऑफिस समेत यूके के 15 सहयोगी देशों को मुहैय्या कराया जाता है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया विजिट करें न्यूटन फंड की वेबसाइट

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स्टुअर्ट ऐडम, निदेशक
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प्रकाशित 8 November 2016