विश्व की समाचार कथा

अनुसंधान तथा आविष्कारी कार्यों पर ब्रिटेन-भारत सहयोग पर समारोह

5 वर्षों में संयुक्त रूप से £150 मिलियन खर्च करने का उद्देश्य।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था

अनुसंधान तथा आविष्कारी कार्यों पर ब्रिटेन-भारत के सहयोग को रेखांकित करने के लिए भारत में ब्रिटिश उच्चायोगउच्चायुक्त, नई दिल्ली, नवम्बर 11-15 के बीच ‘रिसर्च एंड इनोवेशन वीक’ समारोह का आयोजन कर रहा है। इस दौरान यूके साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क (एसआइएन), डिपार्टमेंट फॉर इंटरनैशनल डेवलपमेंट (डीएफआइडी), साउथ एशिया रिसर्च हब तथा यूके-इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव (यूकेआइईआरआइ) रिसर्च काउंसिल यूके (आरसीयूके) के सहयोग से दोनों देशों के वरिष्ठ विद्वानों, अनुसंधान के वित्तप्रदाताओं, नीति निर्माताओं तथा प्रमुख सरकारी अधिकारियों को एक साथ आने का अवसर प्राप्त होगा।

द्विपक्षीय सहयोग के लिए अनुसंधान सबसे तेजी से उभरने वाला क्षेत्र है। इस समारोह हफ्ते का मुख्य बिंदु है - ब्रिटेन-भारत के बीच वर्ष 2008 से अनुसंधान सहयोग हेतु संयुक्त रूप से £150मिलियन राशि की घोषणा। (कृपया अंत में घोषणाओं पर नजर डालें।)

नई दिल्ली में आज यूके-इंडिया रिसर्च एंड इनोवेशन शोकेस में बोलते हुए ब्रिटेन सरकार के मुख्य वैज्ञानिक परामर्शदाता सर मार्क वालपोर्ट ने कहा:

भारत तथा ब्रिटेन अनुसंधान तथा आविष्कारी कार्यों के क्षेत्र में उत्कृष्ट सहयोगी रहे हैं, और यह रिश्ता और अधिक मजबूत ही होता जा रहा है। ब्रिटेन के अनुसंधान समुदाय ने इस दिशा में गहन प्रयास किया है और दुनिया के अत्यधिक चर्चित अनुसंधान प्रकाशनों के 14% का श्रेय उन्हें जाता है है। आप किसी भी क्षेत्र पर नजर डालें, हम भारतीय मूल के उन वैज्ञानिकों के गहन योगदान का सम्मान करते हैं, जिन्होंने ब्रिटिश अनुसंधान तथा आविष्कारों को गहराई प्रदान की।

भारत के ब्रिटिश उच्चायुक्त उच्चायोग सर जेम्स बेवन, केसीएमजी तथा सर मार्क वालपोर्ट द्वारा संयुक्त रूप से मेजबानी वाला यह समारोह आरसीयूके इंडिया कीके पांचवी सालगिरह का महोत्सव मनाने के लिए नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग में आयोजित किया गया था।

इस अवसर पर बोलते हुए प्रोफेसर पॉल बॉएल, आरसीयूके इंटरनैशनल चैम्पियन ने कहा:

आरसीयूके इंडिया का एक स्पष्ट लक्ष्य है- अनुसंधान के क्षेत्र में ब्रिटेन को भारत का पसंदीदा सहयोगी बनाना। संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम वर्ष 2008 में लगभग शून्य से आरंभ होकर आज £150मिलियन तक जा पहुंचा है। इस दौरान 80 से अधिक उच्च गुणवत्तापूर्ण उच्च प्रभावकारी अनुसंधान परियोजनाओं को वित्त प्रदान किया गया है, जिनमें 90 से अधिक उद्योग सहयोगी शामिल हैं और यह आगे ही बढ़ता जाएगा।

भारत सरकार के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के सचिव, डॉ. टी रामास्वामी ने कहा:

हमें अनुसंधान तथा नवीन कार्यों के क्षेत्र में अपने दोनों देशों के गहरे सहयोग के प्रति शुभकामनाएं ज्ञापित करने में हर्ष अनुभव हो रहा है। मुझे अकादमिक तथा औद्योगिक रिश्ते बनाने की दिशा में हमारी प्रगति को लेकर मुझे विशेष प्रसन्नता है।

आर्थिक तथा सामाजिक लाभों की प्राप्ति के लिए नवीन उत्पादों तथा सेवाओं के विकास के लक्ष्य के साथ ‘इंडिया-यूके कॉलेबरेटिव इंडस्ट्रियल आर एंड डी प्रोग्राम’ की शुरुआत की गई। यूके की नवीन क्षेत्रों में कार्य करने वाली एजेंसी- ‘टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड’ द्वारा भारत के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के संसाधनों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए औद्योगिक तथा अनुसंधान व विकास कार्यों में सहयोग हेतु £5 मिलियन की वित्तीय सहायता की घोषणा की गई।

टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड, यूके के स्ट्रेट्जी प्रमुख श्री एविड गोल्डिंग ने नई दिल्ली में कहा:

टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड को ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्नॉलॉजी अलाएंस एवं विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग के संग कार्य करने में हर्ष का अनुभव हो रहा है। यह काफी महत्वपूर्ण और रोमांचक अवसर है। भारत तथा ब्रिटेन की बेहतरीन विशेषज्ञता तथा क्षमताओं के संयोजन में वास्तव में कुछ आविष्कारी विकास करने की क्षमता है, जो दोनों ही देशों के हित में होगा।

यह भारत सरकार के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग तथा टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड, यूके की ओर से ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्नॉलॉजी अलायंस के बीच स्थापित यह पहला द्विपक्षीय कार्यक्रम है।

घोषणाओं का विवरण:

वर्ष 2008 से यूके-इंडिका संयुक्त अनुसंधान सहयोग के लिए £150 मिलियन की राशि:

  • £10मिलियन की राशि सतत जैव-ऊर्जा में नई अनुसंधान परियोजनाओं के लिए, जिसे यूके के बायोटेक्नॉलॉजी तथा बायोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल (बीबीएसआरसी) एवं भारत के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया;
  • £13मिलियन की राशि फार्म्ड जंतुओं के रोगों तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में यूके के बायोटेक्नॉलॉजी तथा बायोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल (बीबीएसआरसी) एवं भारत के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा संयुक्त रूप जारी किया गया। यह डीबीटी का इस क्षेत्र में पहला अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है;
  • अप्लायड गणित में यूके-भारत की 14 कार्यशाला, जिनके लिए यूके के इंजीनियरिंग एंड फीजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल (ईपीएसआरसी) तथा भारत के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीटीएस) द्वारा संयुक्त रूप से समर्थित है।

नए प्रयासों पर पहल करने के आशय वाले दो पत्रों पर भी हस्ताक्षर किए गए: * डीएफआइडी, आरसीयूके तथा डीबीटी के बीच एक समझौता जो ग्लोबल रिसर्च पार्टनरशिप को पहले स्थान पर रखेगा। यह सहयोगपूर्ण त्रिपक्षीय अनुसंधान सहयोग को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जिसके जरिए बेहतर वैश्विक नीति तथा व्यवहार को बढ़ावा देने के प्रमाण हेतु स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा तथा महिलाओं से जुड़ी प्रमुख वैश्विक चुनौतियों से निपटा जाएगा। इस सहयोग में कम आय वाले देशों को भी शामिल किया जाएगा ताकि इन मुद्दों से निपटने के लिए उनकी अनुसंधान क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सके।

  • भारत तथा ब्रिटेन के संस्थानों के बीच कौशलों तथा विशेषज्ञताओं के आदान-प्रदान हेतु यूके के मेडिकल रिसर्च काउंसिल (एमआरसी) तथा भारत के जैव-प्रौद्योगिकी (डीबीटी) विभाग के बीच एक द्विपक्षीय सहयोग।
  • अनुसंधान तथा कौशलों के क्षेत्र में यूकेआइईआरआइ प्रदत्त 60 नए सहयोग, जो GBP 3 मिलियन पाउंड मूल्य का है।

इंडिया-यूके कॉलेबरेटिव इंडस्ट्रियल आर एंड डी प्रोग्राम:

यूके की आविष्कारी कार्यों के क्षेत्रों में कार्य करने वाली एजेंसी- ‘टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड’ द्वारा भारत के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के संसाधनों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए औद्योगिक तथा अनुसंधान व विकास कार्यों में सहयोग हेतु £5 मिलियन की वित्तीय सहायता। इंडिया-यूके कॉलेबरेटिव इंडस्ट्रियल आर एंड डी प्रोग्राम भारत सरकार के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग और टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड, यूके की ओर से ग्लोबल इनोवेशन तथा टेक्नॉलॉजी अलायंस के बीच पहला द्विपक्षीय कार्यक्रम है। यह भारतीय तथा यूके की कंपनियों के बीच व्यवसाय समर्थित परियोजनाओं को बढ़ावा देता है, जिसका मुख्य लक्ष्य है आविष्कारी उत्पादों तथा सेवाओं का निर्माण करना, जिनसे वास्तविक आर्थिक तथा सामाजिक लाभ मिल सके। इस कार्यक्रम का आरंभिक लक्ष्य ऊर्जा प्रणालियों तथा सस्ती स्वास्थ्य सेवा है।

अधिक जानकारी:

  1. रिसर्च एंड इनोवेशन वीक के सहयोगी:

रिसर्च काउंसिल यूके इंडिया

रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) इंडिया , की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई थी, जिसके जरिए उच्च गुणवत्तापूर्ण, उच्च प्रभावकारी अनुसंधान सहयोग के क्षेत्र में बेहतरीन अनुसंधानकर्ताओं को साथ आने का मंच प्रदान किया जाता है। नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग स्थित आरसीयूके इंडिया ने ब्रिटेन, भारत तथा तीसरे पक्षों के बीच सह-वित्तप्रदत्त प्रयासों को बढ़ावा देता है, जो बढ़कर लगभग £150 मिलियन के आँकड़े अंकड़े तक जा पहुंचा है। अनुसंधान सहयोग प्रायः ब्रिटेन तथा भारत के उद्योग सहयोगियों के साथ गहन रूप से जुड़े हैं, जिसके तहत अनुसंधान कार्यों में लगभग 90 से अधिक सहयोगी कार्यरत हैं।

आरसीयूके इंडिया सह-वित्तप्रदत्त अनुसंधान गतिविधियों में सक्रिय रूप शामिल है, जिसके तहत ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, सामाज विज्ञान, स्वास्थ्य-सेवा तथा लाइफ साइंस जैसी कई वैश्विक चुनौतियों से निपटने हेतु अनुसंधानों कार्य करने वाले सात प्रमुख भारतीय अनुसंधान वित्त प्रदाता शामिल हैं। इसके साथ ही रिसर्च काउंसिल्स यूके भी देखें।

साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क

ब्रिटेन का साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क (एसआइएन) सरकार की विज्ञान तथा आविष्कार नीतियों, व्यवसायों व विद्वानों को प्रभावित कर अवसरों का दोहन कर यूके के लाभ के लिए कार्य करता है। इस प्रक्रिया में यह यूके तथा अन्य देशों के बीच उत्कृष्टतम सहयोग को बढ़ावा देता है और उन्हें यूके की नीति की जानकारी प्रदान करता है। ये विदेशों में विज्ञान तथा आविष्कारी खोजों तथा निवेशों से लाभ उठाने के लिए रणनीतिगत संबंध विकसित करते हैं, जिनसे ब्रिटेन तथा मेजबान देशों को लाभ पहुंचता है। एसआइएन के अधिकारी विदेशों में यूके की नीतियों के समर्थन में विज्ञान तथा आविष्कार से जुड़े स्थानीय समुदाय के साथ तालमेल स्थापित करता है। एसआइएन को यूके के डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस, इनोवेशन एंड स्किल्स तथा फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस द्वारा संयुक्त रूप से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। एसआइएन में 90 स्टाफ शामिल हैं, जो दुनिया भर में 28 देशों/भूभागों तथा 47 शहरों में स्थित है।

यूके इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव (यूकेआइईआरआइ)

यूकेआइईआरइ एक बहु-भागीदारी वाला एक द्विपक्षीय प्रोग्राम है, जिसकी शुरुआत 2006 भारत तथा यूके के बीच शैक्षिक संबंधों को सशक्त बनाने के लिए हुई थी। इसने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में एक मिसाल कायम की है। इस कार्यक्रम के लिए डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस, इनोवेशन एंड स्किल्स, ह्युमैन रिसोर्स डेवलपमेंट मंत्रालय, ब्रिटिश काउंसिल, भारत सरकार का विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग, डिपार्टमेंट फॉर एम्प्लॉयमेंट एंड लर्निंग, स्कॉटिश सरकार, वेल्श सरकार तथा यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन द्वारा वित्त प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम ने क्रेडिट मान्यता, गुणवत्ता आश्वासन, नेतृत्व तथा ज्ञान के हस्तांतरण के क्षेत्रों में ब्रिटेन तथा भारत की सरकारी एजेंसियों के साथ सफलतापूर्वक संवाद कायम किया है, जिससे ब्रिटेन सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के लिए एक पसंदीदा सहयोगी के रूप में उभरा है।

यूकेआइईआरआइ ने वर्ष 2006 से अबतक यूके तथा भारत के बीच 200 से अधिक अनुसंधान सहयोगों को बढ़ावा दिया है; जिससे ज्ञान हस्तांतरण, विश्व स्तरीय अनुसंधान तथा क्षमता निर्माण के अवसरों का सृजन हुआ है।

डीएफआइडी साउथ एशिया रिसर्च हब

साउथ एशिया रिसर्च हब (एसएआरएच) ब्रिटेन सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनैशनल डेवलपमेंट (डीएफआइडी) का एक हिस्सा है। इसकी स्थापना अप्रैल 2010 में हुई थी और यह रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) तथा साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क (एसआइएन) टीम के साथ दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग में स्थित है। डीएफआइडी दुनिया में विकास अनुसंधान का सबसे बड़ा वित्तीय प्रदाता है और एसएआरएच का उद्देश्य दक्षिण एशिया में डीएफआइडी के कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर ‘वैल्यू फॉर मनी’ (वीएफएम) तथा विकास प्रभाव को बढ़ावा देने वाले प्रमाण के इस्तेमाल में दुनिया के समकक्ष बन सके और विकास की प्रक्रिया में सभी निर्णय निर्माता को बेहतर प्रमाण मुहैय्या करा सके।

टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड, यूके

टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड यूके की आविष्कारी एजेंसी है। इसका लक्ष्य व्यवसाय आधारित आविष्कारी कार्यों को बढ़ावा देकर तथा मदद प्रदान कर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

इसके प्रायोजक डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस, इनोवेशन एंड स्किल्स (बीआइएस) हैं। टेक्नॉलॉजी स्ट्रेट्जी बोर्ड व्यवसाय, अनुसंधान तथा सार्वजनिक क्षेत्रों को साथ लाकर आविष्कारी उत्पादों तथा सेवाओं के विकास को बढ़ावा देता और ताकि बाजार की जरूरतों की पूर्ति की जा सके, प्रमुख सामाजिक चुनौतियों से निपटा जा सके और आने वाले समय की अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सके।

प्रकाशित 13 November 2013