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तमिलनाडु में जलवायु-परक विकास हेतु ब्रिटेन की अनुशंसा

आज चेन्नई में ब्रिटेन से आर्थिक सहायता प्राप्त एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें तमिलनाडु में जलवायु-हितैषी औद्योगिक विकास के लिए आर्थिक संसाधनों की एक श्रृंखला की अनुशंसा की गई।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Conference on sustainability - climate friendly growth to unlock business potential

इसे सी वी शंकर, औद्योगिक सचिव, तमिलनाडु सरकार द्वारा भारतीय औद्योगिक परिसंघ द्वारा संधारणीयता सम्मेलन के अवसर पर जारी किया गया। मद्रास स्कूल ऑव इकोनॉमिक्स (एमएसई) तथा सीआईआई-गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर का यह सम्मिलित प्रयास था, तथा इसे ब्रिटिश उच्चायोग के प्रॉस्पैरिटी फंड इंडिया प्रोग्राम (भारत समृद्धि कोष कार्यक्रम) द्वारा सहायता दी गई।

अनुशंसाओं में सम्मिलित हैं: तमिलनाडु में निम्न कार्बन निवेश, तकनीक और कार्यप्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए करों, अनुदानों तथा प्रोत्साहन राशि का सम्मिलित स्वरूप। अन्य सुझावों में शामिल हैं: ऊर्जा- संरक्षक पदार्थों पर मूल्यवर्धित सेवा-कर (वैट) कम करना, उच्च-ऊर्जा उपयोगकर्ता निर्माण पदार्थों पर राज्य- वैट कर बढ़ाना, वित्तीय मामलों पर संचार संचयन कर (कंजेशन टैक्स) लगाना, निम्न प्रदूषण वाहनों के अनुदानित उपयोग हेतु एक हरित हरा मोटर वाहन कर लगाना। इसमें हरी इमारतों पर संपत्ति-कर में कमी तथा उच्च ऊर्जा खपत करने वाली संपत्तियों पर कर की दरों में वृद्धि के संदर्भ भी सम्मिलित हैं। इस रिपोर्ट में नवीकरणीय ऊर्जा हेतु आर्थिक प्रबंध के लिए परंपरागत ऊर्जा पर एक हरा उपकर (सेस) लगाकर एक हरे कोष के गठन का प्रस्ताव भी किया गया है।

ब्रिटिश उप उच्चायुक्त, चेन्नई, भरत जोशी ने कहा:

2012 में, लंदन शहर के लॉर्ड मेयर ने चेन्नई में प्रथम प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें तमिलनाडु में निम्न-कार्बन उत्सर्जन के तरीकों के लिए एक आर्थिक कार्यविधि का सुझाव दिया गया था। मुझे खुशी है कि दो वर्ष बाद आज जारी किए जा रहे इस प्रतिवेदन में विस्तृत, खोजपरक तथा केंद्रित नीतिगत सुझावों की प्रस्तावना की गई है, जिनमें से कुछ ब्रिटेन के अपने अनुभवों से लिए गए हैं।

हमें आशा है कि ये विचार नए निवेशों तथा तकनीकी को प्रोत्साहन देंगे जिससे तमिलनाडु, जो भारत का एक अत्यधिक औद्योगीकृत तथा शहरीकृत राज्य है; को धारणीय आर्थिक तथा औद्योगिक संवृद्धि को गति प्रदान करने के दौरान इसके कार्बन दुष्प्रभावों को कम करने के लिए योजनाएं तैयार करने में सहायता मिलेगी।

आगे की जानकारी

  • ब्रिटिश उच्चायोग के भारत स्थित समर्थन कोष द्वारा इस परियोजना को सहयोग प्रदान किया गया है। इस परियोजना को तमिलनाडु सरकार का अनुमोदन प्राप्त है तथा इसका कार्यान्वयन, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ), इयूनोमिया यूके (एक विख्यात परामर्शदाता) तथा मद्रास स्कूल ऑव इकोनोमिक्स के एक भारत-ब्रिटेन सम्मिलित संगठन द्वारा किया गया है। इस परियोजना में ब्रिटेन तथा अंतर्राष्ट्रीय शासन-नीति के अनुभवों से प्राप्त विचारों को शामिल किया गया है। तमिलनाडु के मुख्य राज्य अभिकरण (उद्योग, प्रदूषण-नियंत्रण, तथा ऊर्जा) इस परियोजना में घनिष्ठ रूप से संयुक्त हुए और आवश्यक (सूचना) निवेश उपलब्ध कराए। इयूनोमिया ब्रिटेन स्थित एक परामर्शदाता संगठन है, जिसे पर्यावरण, तकनीक तथा वाणिज्यिक क्षेत्रों में अनुभव प्राप्त है। इसके सेवा क्षेत्रों में सम्मिलित हैं: अपशिष्ट प्रबंधन, निम्न कार्बन ऊर्जा, संसाधन कुशलता, तथा जलवायु परिवर्तन शमन कार्यक्रम।
  • यह परियोजना ब्रिटेन तथा अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर प्रारूपित की गई:
    • ऊर्जा/जीएचजी-संबद्ध कर
    • उत्सर्जन व्यापार
    • सहायता/अनुदान
    • कर छूट/क्रेडिट/कटौती
    • आसान ऋण/ चक्रित कोष
    • कोष आश्वासन तथा
    • पर्यावरण प्रबंधन हेतु समर्थन
प्रकाशित 6 March 2014